Class 11 Chemistry Notes Chapter 8 (Chapter 8) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम रसायन विज्ञान के NCERT Exemplar के अध्याय 8, 'अपचयोपचय अभिक्रियाएँ' (Redox Reactions) के विस्तृत नोट्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे।

अध्याय 8: अपचयोपचय अभिक्रियाएँ (Redox Reactions) - विस्तृत नोट्स

1. परिचय (Introduction)

  • वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें ऑक्सीकरण (Oxidation) तथा अपचयन (Reduction) साथ-साथ होते हैं, अपचयोपचय अभिक्रियाएँ या रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
  • इन अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है।

2. ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अवधारणाएँ (Concepts of Oxidation and Reduction)

  • चिरसम्मत अवधारणा (Classical Concept):

    • ऑक्सीकरण:
      • ऑक्सीजन या किसी ऋणविद्युती तत्व का योग। (जैसे, C + O₂ → CO₂)
      • हाइड्रोजन या किसी धनविद्युती तत्व का निष्कासन। (जैसे, H₂S + Cl₂ → 2HCl + S)
    • अपचयन:
      • हाइड्रोजन या किसी धनविद्युती तत्व का योग। (जैसे, Cl₂ + H₂ → 2HCl)
      • ऑक्सीजन या किसी ऋणविद्युती तत्व का निष्कासन। (जैसे, CuO + H₂ → Cu + H₂O)
  • इलेक्ट्रॉनिक अवधारणा (Electronic Concept): यह आधुनिक और अधिक व्यापक अवधारणा है।

    • ऑक्सीकरण: वह प्रक्रम जिसमें कोई परमाणु, आयन या अणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉन त्यागता है। (Loss of Electrons)। इससे ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि होती है।
      • उदाहरण: Na → Na⁺ + e⁻ ; Fe²⁺ → Fe³⁺ + e⁻
    • अपचयन: वह प्रक्रम जिसमें कोई परमाणु, आयन या अणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है। (Gain of Electrons)। इससे ऑक्सीकरण संख्या में कमी होती है।
      • उदाहरण: Cl₂ + 2e⁻ → 2Cl⁻ ; Cu²⁺ + 2e⁻ → Cu
  • ऑक्सीकारक (Oxidizing Agent / Oxidant): वह पदार्थ जो स्वयं अपचयित होता है (इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है) और दूसरे पदार्थ को ऑक्सीकृत करता है। उदाहरण: O₂, Cl₂, KMnO₄, K₂Cr₂O₇, H₂O₂, F₂ (प्रबलतम ऑक्सीकारक)।

  • अपचायक (Reducing Agent / Reductant): वह पदार्थ जो स्वयं ऑक्सीकृत होता है (इलेक्ट्रॉन त्यागता है) और दूसरे पदार्थ को अपचयित करता है। उदाहरण: H₂, C, CO, H₂S, LiAlH₄, NaBH₄, Li (प्रबलतम अपचायक)।

3. ऑक्सीकरण संख्या या ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation Number or Oxidation State)

  • किसी यौगिक में उपस्थित किसी तत्व के परमाणु पर उपस्थित वास्तविक या काल्पनिक आवेश को उसकी ऑक्सीकरण संख्या कहते हैं। यह इस कल्पना पर आधारित है कि साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म अधिक ऋणविद्युती परमाणु की ओर पूर्णतः स्थानांतरित हो गए हैं।

  • ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करने के नियम:

    1. मुक्त अवस्था या तात्विक रूप में सभी तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या शून्य होती है। (जैसे, H₂, O₂, Cl₂, Na, Fe, S₈, P₄ में प्रत्येक परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या 0 है)।
    2. एकल परमाणुक आयन (Monoatomic ion) में तत्व की ऑक्सीकरण संख्या आयन पर उपस्थित आवेश के बराबर होती है। (जैसे, Na⁺ में Na की +1, Cl⁻ में Cl की -1, Mg²⁺ में Mg की +2)।
    3. ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या सामान्यतः -2 होती है।
      • अपवाद: परॉक्साइडों (जैसे, H₂O₂, Na₂O₂) में -1, सुपरऑक्साइडों (जैसे, KO₂) में -1/2, ओजोनाइड (जैसे, KO₃) में -1/3, तथा ऑक्सीजन फ्लोराइडों (OF₂, O₂F₂) में क्रमशः +2 व +1 होती है।
    4. हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या सामान्यतः +1 होती है।
      • अपवाद: धातु हाइड्राइडों (जैसे, NaH, CaH₂) में -1 होती है।
    5. हैलोजनों (F, Cl, Br, I) की ऑक्सीकरण संख्या सामान्यतः -1 होती है।
      • अपवाद: जब हैलोजन ऑक्सीजन या अधिक ऋणविद्युती हैलोजन से जुड़े हों (जैसे, Cl₂O₇ में Cl की +7, IF₇ में I की +7)। फ्लोरीन (F) की ऑक्सीकरण संख्या सदैव -1 होती है क्योंकि यह सर्वाधिक ऋणविद्युती तत्व है।
    6. किसी उदासीन अणु में सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं का योग शून्य होता है। (जैसे, H₂SO₄ में 2(+1) + S + 4(-2) = 0, अतः S की +6)।
    7. किसी बहुपरमाणुक आयन (Polyatomic ion) में सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं का योग आयन पर उपस्थित आवेश के बराबर होता है। (जैसे, SO₄²⁻ में S + 4(-2) = -2, अतः S की +6)।
    8. क्षार धातुओं (Li, Na, K आदि) की ऑक्सीकरण संख्या यौगिकों में सदैव +1 तथा क्षारीय मृदा धातुओं (Be, Mg, Ca आदि) की +2 होती है।
  • ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन:

    • ऑक्सीकरण: ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि होती है।
    • अपचयन: ऑक्सीकरण संख्या में कमी होती है।

4. अपचयोपचय अभिक्रियाओं के प्रकार (Types of Redox Reactions)

  • संयोजन अभिक्रियाएँ (Combination Reactions): जब दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके एक उत्पाद बनाते हैं। यदि अभिकारकों में से कम से कम एक तात्विक रूप में हो, तो यह रेडॉक्स अभिक्रिया होगी।
    • उदाहरण: C(s) + O₂(g) → CO₂(g) (C का 0 से +4 ऑक्सीकरण, O का 0 से -2 अपचयन)
  • अपघटन अभिक्रियाएँ (Decomposition Reactions): जब कोई यौगिक टूटकर दो या अधिक सरल पदार्थ देता है। ये संयोजन अभिक्रियाओं के विपरीत होती हैं। सभी अपघटन अभिक्रियाएँ रेडॉक्स नहीं होतीं।
    • उदाहरण (रेडॉक्स): 2H₂O(l) → 2H₂(g) + O₂(g) (H का +1 से 0 अपचयन, O का -2 से 0 ऑक्सीकरण)
    • उदाहरण (नॉन-रेडॉक्स): CaCO₃(s) → CaO(s) + CO₂(g) (किसी तत्व की ऑक्सीकरण संख्या नहीं बदलती)
  • विस्थापन अभिक्रियाएँ (Displacement Reactions): जब किसी यौगिक में उपस्थित किसी आयन (या परमाणु) को दूसरे अधिक क्रियाशील तत्व के आयन (या परमाणु) द्वारा विस्थापित कर दिया जाता है।
    • धातु विस्थापन: सक्रिय धातु कम सक्रिय धातु को उसके लवण विलयन से विस्थापित करती है।
      • उदाहरण: CuSO₄(aq) + Zn(s) → ZnSO₄(aq) + Cu(s) (Zn का 0 से +2 ऑक्सीकरण, Cu का +2 से 0 अपचयन)
    • अधातु विस्थापन:
      • हाइड्रोजन विस्थापन: सक्रिय धातुएँ (जैसे Zn, Mg, Fe) अम्ल से या जल से हाइड्रोजन विस्थापित करती हैं।
      • हैलोजन विस्थापन: अधिक क्रियाशील हैलोजन कम क्रियाशील हैलोजन को उसके हैलाइड विलयन से विस्थापित करता है (F₂ > Cl₂ > Br₂ > I₂)।
        • उदाहरण: 2KBr(aq) + Cl₂(g) → 2KCl(aq) + Br₂(l)
  • विषमानुपातन अभिक्रियाएँ (Disproportionation Reactions): वे रेडॉक्स अभिक्रियाएँ जिनमें एक ही तत्व का ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों होता है। तत्व अपनी किसी मध्यवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था से निम्नतर तथा उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तित होता है।
    • उदाहरण:
      • P₄(s) + 3OH⁻(aq) + 3H₂O(l) → PH₃(g) + 3H₂PO₂⁻(aq) (P का 0 से -3 अपचयन तथा 0 से +1 ऑक्सीकरण)
      • 2H₂O₂(aq) → 2H₂O(l) + O₂(g) (O का -1 से -2 अपचयन तथा -1 से 0 ऑक्सीकरण)
      • Cl₂(g) + 2OH⁻(aq) → Cl⁻(aq) + ClO⁻(aq) + H₂O(l) (Cl का 0 से -1 अपचयन तथा 0 से +1 ऑक्सीकरण)

5. रेडॉक्स अभिक्रियाओं का संतुलन (Balancing of Redox Reactions)

रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने की दो प्रमुख विधियाँ हैं:

  • ऑक्सीकरण संख्या विधि (Oxidation Number Method):

    1. अभिक्रिया का ढाँचा समीकरण लिखें।
    2. सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याएँ लिखें और उन परमाणुओं को पहचानें जिनकी ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन हो रहा है।
    3. ऑक्सीकरण संख्या में प्रति परमाणु वृद्धि और कमी की गणना करें। यदि आवश्यक हो, तो इन परमाणुओं को संतुलित करें।
    4. ऑक्सीकरण संख्या में कुल वृद्धि और कुल कमी को बराबर करने के लिए उपयुक्त गुणांकों से गुणा करें।
    5. ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को छोड़कर शेष परमाणुओं को संतुलित करें।
    6. आवेश संतुलन करें:
      • अम्लीय माध्यम: H⁺ आयन जोड़कर।
      • क्षारीय माध्यम: OH⁻ आयन जोड़कर।
    7. हाइड्रोजन परमाणुओं को संतुलित करने के लिए H₂O अणु जोड़ें। समीकरण की सत्यता जाँचें।
  • आयन-इलेक्ट्रॉन विधि या अर्ध-अभिक्रिया विधि (Ion-Electron Method or Half-Reaction Method):

    1. अभिक्रिया का आयनिक समीकरण लिखें।
    2. समीकरण को दो अर्ध-अभिक्रियाओं (ऑक्सीकरण और अपचयन) में विभाजित करें।
    3. प्रत्येक अर्ध-अभिक्रिया में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को छोड़कर अन्य परमाणुओं को संतुलित करें।
    4. ऑक्सीजन परमाणुओं को संतुलित करने के लिए H₂O जोड़ें।
    5. हाइड्रोजन परमाणुओं को संतुलित करें:
      • अम्लीय माध्यम: H⁺ आयन जोड़कर।
      • क्षारीय माध्यम: जितने H की कमी हो उतने H₂O अणु उसी तरफ जोड़ें तथा विपरीत तरफ उतने ही OH⁻ आयन जोड़ें।
    6. आवेश को संतुलित करने के लिए इलेक्ट्रॉन (e⁻) जोड़ें (ऑक्सीकरण में दाईं ओर, अपचयन में बाईं ओर)।
    7. दोनों अर्ध-अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर करने के लिए उन्हें उपयुक्त गुणांकों से गुणा करें।
    8. दोनों संतुलित अर्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ दें और समान स्पीशीज को दोनों ओर से निरस्त कर दें।
    9. समीकरण की सत्यता जाँचें (परमाणु और आवेश संतुलन)।

6. रेडॉक्स अभिक्रियाएँ तथा इलेक्ट्रोड प्रक्रम (Redox Reactions and Electrode Processes)

  • विद्युत् रासायनिक सेल (Electrochemical Cell) में होने वाली अभिक्रियाएँ रेडॉक्स अभिक्रियाएँ होती हैं।
  • एनोड पर ऑक्सीकरण तथा कैथोड पर अपचयन होता है।
  • मानक इलेक्ट्रोड विभव (Standard Electrode Potential, E°) किसी तत्व की ऑक्सीकारक या अपचायक क्षमता का माप है।
    • उच्च धनात्मक E° मान प्रबल ऑक्सीकारक क्षमता दर्शाता है।
    • उच्च ऋणात्मक E° मान प्रबल अपचायक क्षमता दर्शाता है।

7. रेडॉक्स अनुमापन (Redox Titration)

  • यह आयतनी विश्लेषण की एक विधि है जिसमें किसी अज्ञात सांद्रता वाले ऑक्सीकारक या अपचायक का निर्धारण ज्ञात सांद्रता वाले अपचायक या ऑक्सीकारक विलयन से अनुमापन द्वारा किया जाता है। सूचक या स्वयं अभिकारक (जैसे KMnO₄) अंतिम बिंदु का निर्धारण करते हैं।

अभ्यास हेतु 10 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: ऑक्सीकरण वह प्रक्रम है जिसमें पदार्थ:
(क) इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है
(ख) इलेक्ट्रॉन त्यागता है
(ग) प्रोटॉन त्यागता है
(घ) प्रोटॉन ग्रहण करता है

प्रश्न 2: K₂Cr₂O₇ में Cr की ऑक्सीकरण संख्या है:
(क) +3
(ख) +6
(ग) +7
(घ) +4

प्रश्न 3: अभिक्रिया Zn + CuSO₄ → ZnSO₄ + Cu में, ऑक्सीकारक है:
(क) Zn
(ख) Cu²⁺ आयन
(ग) SO₄²⁻ आयन
(घ) Cu

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी अभिक्रिया विषमानुपातन अभिक्रिया का उदाहरण है?
(क) 2H₂O → 2H₂ + O₂
(ख) Cl₂ + 2OH⁻ → Cl⁻ + ClO⁻ + H₂O
(ग) C + O₂ → CO₂
(घ) Zn + 2HCl → ZnCl₂ + H₂

प्रश्न 5: अपचयन में तत्व की ऑक्सीकरण संख्या:
(क) बढ़ती है
(ख) घटती है
(ग) अपरिवर्तित रहती है
(घ) शून्य हो जाती है

प्रश्न 6: मुक्त अवस्था में किसी तत्व की ऑक्सीकरण संख्या होती है:
(क) +1
(ख) -1
(ग) 0
(घ) तत्व की संयोजकता के बराबर

प्रश्न 7: हाइड्रोजन परॉक्साइड (H₂O₂) में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या है:
(क) -2
(ख) 0
(ग) +1
(घ) -1

प्रश्न 8: अभिक्रिया 2FeCl₃ + H₂S → 2FeCl₂ + 2HCl + S में अपचायक है:
(क) FeCl₃
(ख) H₂S
(ग) HCl
(घ) S

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से किस यौगिक में नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या उच्चतम है?
(क) N₂H₄
(ख) NH₃
(ग) N₃H
(घ) N₂O₅

प्रश्न 10: प्रबलतम अपचायक है:
(क) F⁻
(ख) Cl⁻
(ग) I⁻
(घ) Li (धातु)


उत्तरमाला (Answer Key):

  1. (ख)
  2. (ख) [2(+1) + 2(Cr) + 7(-2) = 0 => 2 + 2Cr - 14 = 0 => 2Cr = 12 => Cr = +6]
  3. (ख) [Cu²⁺ आयन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके Cu में अपचयित हो रहा है]
  4. (ख) [Cl₂ (0) से Cl⁻ (-1) अपचयन तथा ClO⁻ (+1) ऑक्सीकरण]
  5. (ख)
  6. (ग)
  7. (घ)
  8. (ख) [H₂S में S की ऑक्सीकरण संख्या -2 से 0 हो रही है, अतः H₂S ऑक्सीकृत हो रहा है और अपचायक है]
  9. (घ) [N₂O₅ में N की +5 है; N₂H₄ में -2; NH₃ में -3; N₃H में -1/3]
  10. (घ) [Li का मानक अपचयन विभव सबसे कम (सर्वाधिक ऋणात्मक) होता है, अतः यह प्रबलतम अपचायक है]

ये नोट्स और प्रश्न आपको अध्याय 8 की मुख्य अवधारणाओं को समझने और परीक्षाओं के लिए तैयार करने में मदद करेंगे। नियमित रूप से अभ्यास करते रहें।

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