Class 11 Chemistry Notes Chapter 9 (Chapter 9) – Examplar Problems (Hindi) Book

नमस्ते विद्यार्थियों!
आज हम कक्षा 11 के रसायन विज्ञान के अध्याय 9 'हाइड्रोजन' का अध्ययन करेंगे, जो सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। हम इसके मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझेंगे और फिर कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) का अभ्यास करेंगे। यह अध्याय NCERT Exemplar के प्रश्नों को हल करने में भी आपकी मदद करेगा।
अध्याय 9: हाइड्रोजन (Hydrogen)
1. आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान (Position of Hydrogen in the Periodic Table):
- हाइड्रोजन सबसे हल्का तत्व है, जिसका परमाणु क्रमांक 1 और इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s¹ है।
- इसका स्थान आवर्त सारणी में विवादास्पद है क्योंकि इसके गुण क्षार धातुओं (समूह 1) और हैलोजन (समूह 17) दोनों से मिलते हैं।
- क्षार धातुओं से समानता:
- इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (बाह्यतम कोश में 1 इलेक्ट्रॉन)।
- एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर H⁺ आयन बनाने की प्रवृत्ति (हालांकि यह मुक्त रूप में नहीं रहता)।
- ऑक्सीजन, हैलोजन और सल्फर के साथ समान प्रकार के यौगिक बनाना (जैसे H₂O, HCl, H₂S vs Na₂O, NaCl, Na₂S)।
- अपचायक प्रकृति।
- हैलोजन से समानता:
- इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (अपने बाह्यतम कोश को पूरा करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन कम)।
- एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके हाइड्राइड आयन (H⁻) बनाने की प्रवृत्ति।
- द्विपरमाणुक अणु (H₂) के रूप में अस्तित्व (जैसे F₂, Cl₂)।
- उच्च आयनन एन्थैल्पी (क्षार धातुओं की तुलना में)।
- अधात्विक प्रकृति।
- क्षार धातुओं से समानता:
- इन असमानताओं और समानताओं के कारण इसे आवर्त सारणी में सबसे ऊपर अलग से रखा जाता है।
2. हाइड्रोजन के समस्थानिक (Isotopes of Hydrogen):
हाइड्रोजन के तीन मुख्य समस्थानिक हैं:
- प्रोटियम (¹₁H): इसमें कोई न्यूट्रॉन नहीं होता (1 प्रोटॉन, 1 इलेक्ट्रॉन)। यह प्रकृति में सबसे अधिक (~99.985%) पाया जाता है।
- ड्यूटेरियम (²₁H या D): इसमें एक न्यूट्रॉन होता है (1 प्रोटॉन, 1 न्यूट्रॉन, 1 इलेक्ट्रॉन)। इसे भारी हाइड्रोजन भी कहते हैं।
- ट्राइटियम (³₁H या T): इसमें दो न्यूट्रॉन होते हैं (1 प्रोटॉन, 2 न्यूट्रॉन, 1 इलेक्ट्रॉन)। यह एक रेडियोधर्मी समस्थानिक है (अर्धायु काल ~12.33 वर्ष) और बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। यह β-उत्सर्जक है।
3. डाइहाइड्रोजन (H₂):
- विरचन (Preparation):
- प्रयोगशाला विधियाँ:
- तनु अम्लों (जैसे H₂SO₄, HCl) की दानेदार जिंक जैसी सक्रिय धातुओं से अभिक्रिया: Zn(s) + 2H⁺(aq) → Zn²⁺(aq) + H₂(g)
- क्षार की जिंक जैसी धातुओं से अभिक्रिया: Zn + 2NaOH → Na₂ZnO₂ (सोडियम जिंकेट) + H₂(g)
- व्यावसायिक उत्पादन:
- अम्लीकृत या क्षारीय जल का वैद्युत अपघटन: 2H₂O(l) ---(वैद्युत अपघटन)--> 2H₂(g) + O₂(g) (कैथोड पर H₂, एनोड पर O₂)
- हाइड्रोकार्बन या कोक का उच्च ताप पर भाप से अभिक्रिया (भाप पुनर्संभावन): CH₄(g) + H₂O(g) ---(Ni उत्प्रेरक, उच्च ताप)--> CO(g) + 3H₂(g) ; C(s) + H₂O(g) ---(उच्च ताप)--> CO(g) + H₂(g) (CO + H₂ का मिश्रण = जल गैस या संश्लेषण गैस)
- जल-गैस पारी अभिक्रिया (Water-gas shift reaction): CO(g) + H₂O(g) ---(FeCrO₄ उत्प्रेरक, 673 K)--> CO₂(g) + H₂(g) (CO₂ को हटाकर H₂ प्राप्त की जाती है)
- प्रयोगशाला विधियाँ:
- गुणधर्म (Properties):
- भौतिक: रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, ज्वलनशील गैस, जल में अविलेय।
- रासायनिक:
- उच्च H-H आबंध वियोजन एन्थैल्पी के कारण सामान्य ताप पर अपेक्षाकृत अक्रिय।
- हैलोजन से अभिक्रिया: H₂(g) + X₂(g) → 2HX(g) (X = F, Cl, Br, I)
- ऑक्सीजन से अभिक्रिया (दहन): 2H₂(g) + O₂(g) → 2H₂O(l) (अत्यधिक ऊष्माक्षेपी)
- नाइट्रोजन से अभिक्रिया (हैबर प्रक्रम): N₂(g) + 3H₂(g) <---> 2NH₃(g) (उच्च दाब, ताप, Fe उत्प्रेरक)
- धातुओं से अभिक्रिया: 2Na + H₂ → 2NaH ; Ca + H₂ → CaH₂ (धातु हाइड्राइड)
- धातु आयनों और ऑक्साइडों का अपचयन: CuO(s) + H₂(g) → Cu(s) + H₂O(l) ; Pd²⁺(aq) + H₂(g) → Pd(s) + 2H⁺(aq)
- कार्बनिक यौगिकों से अभिक्रिया (हाइड्रोजनीकरण): वनस्पति तेलों का निकेल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकरण से वनस्पति घी (मार्जरीन) बनना।
- उपयोग (Uses): अमोनिया (उर्वरक निर्माण हेतु) के संश्लेषण में, वनस्पति घी के उत्पादन में, मेथेनॉल के निर्माण में, धातु हाइड्राइड बनाने में, धात्विक ऑक्साइडों के अपचयन में, रॉकेट ईंधन में (द्रव हाइड्रोजन), ईंधन सेल में विद्युत उत्पादन में।
4. हाइड्राइड (Hydrides):
हाइड्रोजन लगभग सभी तत्वों (उत्कृष्ट गैसों को छोड़कर) के साथ द्विअंगी यौगिक बनाता है जिन्हें हाइड्राइड कहते हैं। इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
- (i) आयनिक या लवणीय हाइड्राइड (Ionic or Saline Hydrides):
- s-ब्लॉक के तत्वों (अत्यधिक विद्युतधनी) द्वारा निर्मित (Be और Mg के हाइड्राइड कुछ सहसंयोजी लक्षण दर्शाते हैं)।
- उदाहरण: LiH, NaH, KH, CaH₂, SrH₂।
- गुण: क्रिस्टलीय, अवाष्पशील, अचालक ठोस। गलित अवस्था में विद्युत के सुचालक (H⁻ आयन एनोड पर मुक्त)। जल के साथ विस्फोटक अभिक्रिया कर H₂ गैस देते हैं: NaH(s) + H₂O(l) → NaOH(aq) + H₂(g)।
- (ii) सहसंयोजी या आण्विक हाइड्राइड (Covalent or Molecular Hydrides):
- p-ब्लॉक के तत्वों द्वारा निर्मित।
- उदाहरण: CH₄, NH₃, H₂O, HF, SiH₄, PH₃, H₂S, B₂H₆।
- इन्हें पुनः वर्गीकृत किया जाता है:
- इलेक्ट्रॉन-न्यून (Electron-deficient): केंद्रीय परमाणु पर अष्टक पूर्ण नहीं होता (जैसे समूह 13 के हाइड्राइड - B₂H₆)। ये लुईस अम्ल की तरह व्यवहार करते हैं।
- इलेक्ट्रॉन-परिशुद्ध (Electron-precise): केंद्रीय परमाणु पर अष्टक पूर्ण होता है और कोई एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं होता (जैसे समूह 14 के हाइड्राइड - CH₄, SiH₄)। ये चतुष्फलकीय होते हैं।
- इलेक्ट्रॉन-समृद्ध (Electron-rich): केंद्रीय परमाणु पर अष्टक पूर्ण होने के साथ-साथ एक या अधिक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं (जैसे समूह 15, 16, 17 के हाइड्राइड - NH₃, H₂O, HF)। ये लुईस क्षार की तरह व्यवहार करते हैं। इनमें हाइड्रोजन बंध पाया जा सकता है।
- (iii) धात्विक या अंतराकाशी हाइड्राइड (Metallic or Interstitial Hydrides):
- d-ब्लॉक और f-ब्लॉक के तत्वों द्वारा निर्मित (समूह 7, 8, 9 के तत्व सामान्यतः हाइड्राइड नहीं बनाते - 'हाइड्राइड अंतराल')।
- ये अरससमीकरणमितीय (non-stoichiometric) होते हैं, अर्थात हाइड्रोजन और धातु का अनुपात निश्चित पूर्णांक नहीं होता (जैसे LaH₂.₈₇, TiH₁.₅₋₁.₈)।
- हाइड्रोजन परमाणु धातु जालक के अंतराकाशी स्थानों में स्थित होते हैं।
- गुण: ऊष्मा और विद्युत के सुचालक (जनक धातु से कम), कठोर, धात्विक चमक। हाइड्रोजन भंडारण के लिए उपयोगी।
5. जल (Water - H₂O):
- संरचना: कोणीय या 'V' आकृति। ऑक्सीजन sp³ संकरित, दो एकाकी युग्मों के प्रतिकर्षण के कारण आबंध कोण (~104.5°) चतुष्फलकीय कोण (109.5°) से कम होता है। O-H आबंध ध्रुवीय होते हैं, जिससे अणु द्विध्रुवीय होता है। प्रबल अंतराआण्विक हाइड्रोजन बंध उपस्थित होते हैं।
- भौतिक गुण: रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन द्रव। उच्च क्वथनांक, गलनांक, वाष्पन ऊष्मा, पृष्ठ तनाव, विशिष्ट ऊष्मा का कारण हाइड्रोजन बंध है। बर्फ का घनत्व जल से कम होता है (अधिकतम घनत्व 4°C या 277 K पर)। यह एक सार्वत्रिक विलायक है।
- रासायनिक गुण:
- उभयधर्मी प्रकृति: अम्ल और क्षार दोनों की तरह व्यवहार करता है।
- NH₃ (क्षार) + H₂O(अम्ल) ⇌ NH₄⁺ + OH⁻
- HCl (अम्ल) + H₂O(क्षार) ⇌ H₃O⁺ + Cl⁻
- रेडॉक्स अभिक्रियाएँ:
- सक्रिय धातुओं द्वारा अपचयित होकर H₂ देता है: 2Na + 2H₂O → 2NaOH + H₂
- F₂ द्वारा ऑक्सीकृत होकर O₂ या O₃ देता है: 2F₂ + 2H₂O → 4HF + O₂
- जल अपघटन (Hydrolysis): कई ऑक्साइड, हैलाइड, कार्बाइड आदि का जल अपघटन होता है। P₄O₁₀ + 6H₂O → 4H₃PO₄ ; SiCl₄ + 2H₂O → SiO₂ + 4HCl
- हाइड्रेट विरचन: कई लवण जलयोजित क्रिस्टल बनाते हैं (उपसहसंयोजित जल, अंतराकाशी जल, हाइड्रोजन बंधित जल)। जैसे CuSO₄·5H₂O, BaCl₂·2H₂O।
- उभयधर्मी प्रकृति: अम्ल और क्षार दोनों की तरह व्यवहार करता है।
- कठोर एवं मृदु जल (Hard and Soft Water):
- कठोर जल: जिसमें कैल्शियम (Ca²⁺) और मैग्नीशियम (Mg²⁺) के विलेय लवण (बाइकार्बोनेट, क्लोराइड, सल्फेट) घुले हों। यह साबुन के साथ आसानी से झाग नहीं देता।
- मृदु जल: जिसमें ये लवण नहीं होते। यह साबुन के साथ आसानी से झाग देता है।
- कठोरता के प्रकार:
- अस्थायी कठोरता: Ca(HCO₃)₂ और Mg(HCO₃)₂ के कारण। इसे उबालकर या क्लार्क विधि (चूने का पानी मिलाकर) द्वारा दूर किया जा सकता है।
- उबालने पर: Ca(HCO₃)₂(aq) --(heat)--> CaCO₃(s)↓ + H₂O(l) + CO₂(g)
- क्लार्क विधि: Ca(HCO₃)₂ + Ca(OH)₂ → 2CaCO₃(s)↓ + 2H₂O
- स्थायी कठोरता: Ca²⁺ और Mg²⁺ के क्लोराइड (CaCl₂, MgCl₂) और सल्फेट (CaSO₄, MgSO₄) के कारण। इसे उबालकर दूर नहीं किया जा सकता।
- अस्थायी कठोरता: Ca(HCO₃)₂ और Mg(HCO₃)₂ के कारण। इसे उबालकर या क्लार्क विधि (चूने का पानी मिलाकर) द्वारा दूर किया जा सकता है।
- स्थायी कठोरता दूर करने की विधियाँ:
- धावन सोडा (Na₂CO₃) द्वारा: Na₂CO₃ + CaCl₂ → CaCO₃(s)↓ + 2NaCl
- कैलगन विधि (Calgon Process): कैलगन (सोडियम हेक्सामेटाफॉस्फेट - Na₆P₆O₁₈) मिलाने पर यह Ca²⁺/Mg²⁺ आयनों को विलेय संकुल में बांध लेता है।
- आयन विनिमय विधि (Ion Exchange Method): जियोलाइट (सोडियम एल्युमिनियम सिलिकेट - NaAlSiO₄) या आयन विनिमय रेजिन का उपयोग करके Ca²⁺/Mg²⁺ आयनों को Na⁺ आयनों से प्रतिस्थापित किया जाता है। धनायन और ऋणायन दोनों प्रकार के विनिमय रेजिन का उपयोग करके विआयनीकृत (demineralised) जल प्राप्त किया जा सकता है।
6. भारी जल (Heavy Water - D₂O):
- ड्यूटेरियम का ऑक्साइड।
- विरचन: सामान्य जल के लंबे समय तक वैद्युत अपघटन द्वारा।
- गुण: सामान्य जल से भौतिक गुण थोड़े भिन्न होते हैं (उच्च गलनांक, क्वथनांक, घनत्व)। रासायनिक अभिक्रियाओं की दर सामान्य जल की तुलना में धीमी होती है।
- उपयोग: नाभिकीय रिएक्टरों में मंदक (न्यूट्रॉनों की गति धीमी करने के लिए) के रूप में, अभिक्रिया क्रियाविधियों के अध्ययन में अनुरेखक (tracer) के रूप में।
7. हाइड्रोजन परॉक्साइड (Hydrogen Peroxide - H₂O₂):
- संरचना: अध्रुवीय, खुली किताब जैसी (non-planar, open book structure)। गैसीय अवस्था और ठोस अवस्था में आबंध कोण और लंबाई भिन्न होती है।
- विरचन:
- बेरियम परॉक्साइड (BaO₂) पर तनु H₂SO₄ की क्रिया द्वारा: BaO₂·8H₂O(s) + H₂SO₄(aq) → BaSO₄(s) + H₂O₂(aq) + 8H₂O(l)
- सल्फ्यूरिक अम्ल या अमोनियम सल्फेट के विलयन के वैद्युत अपघटन से प्राप्त परऑक्सोडाइसल्फेट के जल अपघटन द्वारा।
- 2-एल्किलएंथ्राक्विनॉल के स्वतः ऑक्सीकरण द्वारा (औद्योगिक विधि)।
- गुणधर्म:
- भौतिक: रंगहीन (हल्का नीला), गाढ़ा द्रव। जल में विलेय।
- रासायनिक:
- अपघटन: प्रकाश या उत्प्रेरक (धातु, क्षार) की उपस्थिति में अपघटित होकर जल और ऑक्सीजन देता है: 2H₂O₂(aq) → 2H₂O(l) + O₂(g)। इसीलिए इसे रंगीन बोतलों में स्थायीकारक (जैसे यूरिया, ग्लिसरॉल, फॉस्फोरिक अम्ल) मिलाकर रखा जाता है।
- ऑक्सीकारक गुण (अम्लीय व क्षारीय माध्यम में):
- Fe²⁺(aq) + H₂O₂(aq) + 2H⁺(aq) → 2Fe³⁺(aq) + 2H₂O(l) (अम्लीय)
- PbS(s) + 4H₂O₂(aq) → PbSO₄(s) + 4H₂O(l) (अम्लीय)
- Mn²⁺ + H₂O₂ + 2OH⁻ → Mn⁴⁺(MnO₂) + 2H₂O (क्षारीय)
- अपचायक गुण (अम्लीय व क्षारीय माध्यम में):
- 2MnO₄⁻(aq) + 5H₂O₂(aq) + 6H⁺(aq) → 2Mn²⁺(aq) + 8H₂O(l) + 5O₂(g) (अम्लीय)
- HOCl + H₂O₂ → H₃O⁺ + Cl⁻ + O₂ (अम्लीय)
- I₂ + H₂O₂ + 2OH⁻ → 2I⁻ + 2H₂O + O₂ (क्षारीय)
- 2K₃[Fe(CN)₆] + H₂O₂ + 2KOH → 2K₄[Fe(CN)₆] + 2H₂O + O₂ (क्षारीय)
- विरंजक गुण (Bleaching Action): यह ऑक्सीकरण के कारण होता है (नवजात ऑक्सीजन द्वारा)। [O] + रंगीन पदार्थ → रंगहीन पदार्थ। यह रेशम, ऊन, बाल, कागज आदि के विरंजन में प्रयुक्त होता है।
- सांद्रता: इसकी सांद्रता प्रायः 'आयतन सामर्थ्य' (Volume Strength) में व्यक्त की जाती है। '10 आयतन' H₂O₂ का अर्थ है कि STP पर इस विलयन का 1 लीटर अपघटित होकर 10 लीटर ऑक्सीजन देगा। (10 आयतन H₂O₂ ≈ 3% H₂O₂)
- उपयोग: विरंजक के रूप में, पूतिरोधी (antiseptic - 'परहाइड्रॉल' नाम से), रॉकेट ईंधन में ऑक्सीकारक, प्रदूषण नियंत्रण में (जैसे सायनाइड का ऑक्सीकरण), प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।
8. हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था (Hydrogen Economy):
- यह ऊर्जा के स्रोत के रूप में द्रव या गैसीय हाइड्रोजन के उपयोग पर आधारित अवधारणा है।
- हाइड्रोजन के दहन से केवल जल बनता है, अतः यह प्रदूषण रहित ईंधन है।
- मुख्य चुनौतियाँ: हाइड्रोजन का सस्ता उत्पादन, सुरक्षित भंडारण और परिवहन।
यह इस अध्याय के मुख्य बिंदु हैं। इन्हें अच्छी तरह समझें और याद करें। अब हम कुछ अभ्यास प्रश्न करते हैं।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: हाइड्रोजन का कौन सा समस्थानिक रेडियोधर्मी है?
(क) प्रोटियम
(ख) ड्यूटेरियम
(ग) ट्राइटियम
(घ) ये सभी
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा हाइड्राइड इलेक्ट्रॉन-न्यून हाइड्राइड का उदाहरण है?
(क) CH₄
(ख) NH₃
(ग) B₂H₆
(घ) H₂O
प्रश्न 3: जल की स्थायी कठोरता निम्नलिखित में से किसकी उपस्थिति के कारण होती है?
(क) Ca(HCO₃)₂
(ख) Mg(HCO₃)₂
(ग) CaCl₂
(घ) Na₂CO₃
प्रश्न 4: कैलगन विधि का उपयोग जल की कठोरता दूर करने के लिए किया जाता है। कैलगन का रासायनिक नाम क्या है?
(क) सोडियम कार्बोनेट
(ख) सोडियम बाइकार्बोनेट
(ग) सोडियम एल्युमिनियम सिलिकेट
(घ) सोडियम हेक्सामेटाफॉस्फेट
प्रश्न 5: निम्नलिखित अभिक्रिया में H₂O₂ का व्यवहार कैसा है?
PbS(s) + 4H₂O₂(aq) → PbSO₄(s) + 4H₂O(l)
(क) ऑक्सीकारक
(ख) अपचायक
(ग) अम्ल
(घ) क्षार
प्रश्न 6: '10 आयतन' H₂O₂ विलयन की प्रतिशत सांद्रता लगभग कितनी होती है?
(क) 1%
(ख) 3%
(ग) 10%
(घ) 30%
प्रश्न 7: नाभिकीय रिएक्टरों में भारी जल (D₂O) का उपयोग किस रूप में किया जाता है?
(क) ईंधन
(ख) मंदक
(ग) शीतलक
(घ) विलायक
प्रश्न 8: हाइड्रोजन आवर्त सारणी के किन दो समूहों के तत्वों से समानता दर्शाता है?
(क) समूह 1 और समूह 2
(ख) समूह 1 और समूह 17
(ग) समूह 2 और समूह 17
(घ) समूह 14 और समूह 17
प्रश्न 9: जल गैस (Water gas) किसका मिश्रण है?
(क) CO और H₂O
(ख) CO₂ और H₂
(ग) CO और H₂
(घ) CO और N₂
प्रश्न 10: हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना कैसी होती है?
(क) रैखिक
(ख) त्रिकोणीय समतलीय
(ग) चतुष्फलकीय
(घ) असमतलीय (खुली किताब जैसी)
उत्तर:
- (ग)
- (ग)
- (ग)
- (घ)
- (क)
- (ख)
- (ख)
- (ख)
- (ग)
- (घ)
इन नोट्स और प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें और अभ्यास करें। आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए शुभकामनाएँ!