Class 11 Economics Notes Chapter 1 (स्वतंत्रता की पूर् संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था) – Bharatiya Arthvyavstha ka Vikas Book

प्रिय विद्यार्थियों,
आज हम कक्षा 11 की अर्थशास्त्र की पुस्तक 'भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास' के अध्याय 1, 'स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय आपकी बोर्ड परीक्षाओं के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम उन सभी प्रमुख बिंदुओं और आंकड़ों पर ध्यान देंगे जो अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।
अध्याय 1: स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था
1. परिचय
स्वतंत्रता से पूर्व, भारत पर लगभग दो शताब्दियों तक ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन रहा। इस शासन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटेन के अपने आर्थिक हितों को पूरा करना था। भारत को ब्रिटिश उद्योगों के लिए कच्चे माल का आपूर्तिकर्ता और उनके तैयार उत्पादों के लिए एक बड़े बाजार के रूप में उपयोग किया गया। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय अर्थव्यवस्था का तीव्र गति से शोषण हुआ और यह एक गतिहीन, पिछड़ी और अविकसित अर्थव्यवस्था बन गई।
2. औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत निम्नस्तरीय आर्थिक विकास
- उद्देश्य: ब्रिटिश शासन की नीतियों का उद्देश्य भारत का आर्थिक विकास नहीं, बल्कि ब्रिटेन में तेजी से विकसित हो रहे औद्योगिक आधार को बढ़ावा देना और उसका संरक्षण करना था।
- राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय का अनुमान:
- ब्रिटिश सरकार ने कभी भी भारत की राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं लगाया।
- कुछ व्यक्तिगत प्रयास किए गए, जिनमें दादाभाई नौरोजी, विलियम डिग्बी, फिंडले शिरास, वी.के.आर.वी. राव और आर.सी. देसाई प्रमुख थे।
- इन अनुमानों में वी.के.आर.वी. राव द्वारा लगाए गए अनुमानों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
- अधिकांश अध्ययनों से पता चला कि 20वीं सदी के पूर्वार्ध में भारत की राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर 2% से भी कम थी, और प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर मात्र 0.5% थी। यह आर्थिक गतिहीनता का स्पष्ट प्रमाण था।
3. कृषि क्षेत्र
स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि प्रधान थी।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- गतिहीनता और निम्न उत्पादकता: कृषि क्षेत्र में गतिहीनता थी और उत्पादकता बहुत कम थी।
- व्यापक निर्भरता: देश की लगभग 85% जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर थी।
- खाद्यान्न की कमी: देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर नहीं था।
- गतिहीनता के कारण:
- भू-राजस्व प्रणाली (ज़मींदारी प्रणाली): ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू की गई ज़मींदारी प्रणाली के तहत, ज़मींदारों को लगान के रूप में बड़ी राशि वसूलने की स्वतंत्रता थी। उन्हें किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने या कृषि में निवेश करने में कोई रुचि नहीं थी। किसानों को केवल नाममात्र का प्रोत्साहन मिलता था।
- कृषि का वाणिज्यिकरण: किसानों को खाद्यान्न फसलों के बजाय नकदी फसलों (जैसे कपास, जूट, नील) का उत्पादन करने के लिए मजबूर किया गया, जिनका उपयोग ब्रिटिश उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में होता था। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और खाद्यान्न की कमी बढ़ी।
- सिंचाई सुविधाओं का अभाव: ब्रिटिश सरकार ने सिंचाई सुविधाओं के विकास में बहुत कम निवेश किया।
- निवेश की कमी: कृषि क्षेत्र में निवेश (जैसे बाढ़ नियंत्रण, जल निकासी, उर्वरकों का उपयोग) का अभाव था।
- तकनीकी पिछड़ापन: खेती के पुराने और पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाता था।
- विभाजन का प्रभाव: देश के विभाजन के कारण जूट उत्पादक क्षेत्र (पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश) और कपास उत्पादक क्षेत्र (पश्चिमी पाकिस्तान) भारत से अलग हो गए, जिससे इन उद्योगों को कच्चे माल की भारी कमी का सामना करना पड़ा।
4. औद्योगिक क्षेत्र
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत भारत में कोई सुदृढ़ औद्योगिक आधार विकसित नहीं हो पाया।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- विऔद्योगीकरण (De-industrialization): भारत के विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प उद्योगों का पतन हो गया।
- कारण: ब्रिटिश सरकार की भेदभावपूर्ण टैरिफ नीति। भारत से निर्यात होने वाले कच्चे माल पर नाममात्र का शुल्क लगता था, जबकि भारत से आयात होने वाले तैयार माल पर भारी शुल्क लगता था। वहीं, ब्रिटेन से भारत आने वाले तैयार माल पर कोई शुल्क नहीं लगता था।
- आधुनिक उद्योगों का धीमा विकास:
- 19वीं सदी के उत्तरार्ध में कुछ आधुनिक उद्योगों की शुरुआत हुई, जैसे सूती वस्त्र उद्योग (मुख्यतः महाराष्ट्र और गुजरात में) और पटसन उद्योग (बंगाल में)।
- टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO) की स्थापना 1907 में जमशेदपुर में हुई, जो भारत का पहला बड़ा औद्योगिक उपक्रम था।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद चीनी, सीमेंट और कागज़ जैसे कुछ अन्य उद्योगों का विकास हुआ।
- पूंजीगत उद्योगों का अभाव: भारत में पूंजीगत वस्तुओं (जैसे मशीनें, उपकरण) के उद्योगों का लगभग पूर्ण अभाव था, जिससे देश अपनी औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए ब्रिटेन पर निर्भर हो गया।
- सार्वजनिक क्षेत्र का सीमित योगदान: रेलवे, बिजली उत्पादन, संचार और कुछ अन्य विभागों तक ही सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान सीमित था।
- विऔद्योगीकरण (De-industrialization): भारत के विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प उद्योगों का पतन हो गया।
5. विदेशी व्यापार
औपनिवेशिक शासन ने भारत के विदेशी व्यापार को भी प्रभावित किया।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- कच्चे माल का निर्यातक और तैयार माल का आयातक: भारत कच्चे रेशम, कपास, ऊन, चीनी, नील, पटसन आदि जैसे प्राथमिक उत्पादों का निर्यातक बन गया और ब्रिटेन में बने सूती, रेशमी, ऊनी वस्त्रों तथा अन्य पूंजीगत वस्तुओं का आयातक।
- ब्रिटेन का एकाधिकार: भारत का आधे से अधिक व्यापार ब्रिटेन के साथ होता था। शेष व्यापार चीन, श्रीलंका (तब सीलोन) और ईरान (तब फारस) जैसे कुछ देशों के साथ होता था।
- स्वेज नहर का खुलना (1869): स्वेज नहर के खुलने से भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक मार्ग छोटा हो गया, जिससे व्यापार में वृद्धि हुई, लेकिन इसका लाभ मुख्य रूप से ब्रिटेन को मिला।
- व्यापार अधिशेष (Trade Surplus): भारत का निर्यात आयात से अधिक था, जिससे एक बड़ा व्यापार अधिशेष उत्पन्न होता था। हालांकि, इस अधिशेष का उपयोग भारत के आर्थिक विकास के लिए नहीं किया गया।
- धन का निष्कासन (Drain of Wealth): इस व्यापार अधिशेष का उपयोग ब्रिटिश अधिकारियों के वेतन, ब्रिटिश सरकार के प्रशासनिक खर्चों, युद्धों पर किए गए खर्चों और ब्रिटेन में 'अदृश्य मदों' (जैसे सेवाएं) के भुगतान के लिए किया जाता था। इससे भारत से धन का निष्कासन हुआ।
6. जनांकिकीय स्थिति
स्वतंत्रता के समय भारत की जनांकिकीय स्थिति अत्यंत दयनीय थी।
- प्रथम जनगणना: भारत में पहली आधिकारिक जनगणना 1881 में हुई।
- महान विभाजक वर्ष (Great Divide): 1921 के बाद भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में लगातार वृद्धि हुई, इसलिए 1921 को 'महान विभाजक वर्ष' कहा जाता है। इससे पहले, जनसंख्या वृद्धि अनियमित थी।
- उच्च जन्म दर और मृत्यु दर: दोनों ही बहुत उच्च थीं (जन्म दर लगभग 48 प्रति हज़ार, मृत्यु दर लगभग 40 प्रति हज़ार)।
- निम्न साक्षरता दर: समग्र साक्षरता दर 16% से भी कम थी, और महिला साक्षरता दर तो मात्र 7% थी।
- उच्च शिशु मृत्यु दर: शिशु मृत्यु दर बहुत अधिक थी, लगभग 218 प्रति हज़ार (वर्तमान में लगभग 32 प्रति हज़ार)।
- निम्न जीवन प्रत्याशा: औसत जीवन प्रत्याशा मात्र 32 वर्ष थी (वर्तमान में लगभग 69.4 वर्ष)।
- व्यापक गरीबी: स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, कुपोषण और गरीबी के कारण लोगों का जीवन स्तर बहुत निम्न था।
7. व्यावसायिक संरचना
स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की व्यावसायिक संरचना भी असंतुलित थी।
- कृषि पर अत्यधिक निर्भरता: देश की लगभग 70-75% जनसंख्या कृषि क्षेत्र में कार्यरत थी।
- विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का निम्न योगदान: विनिर्माण क्षेत्र में केवल 10% और सेवा क्षेत्र में 15-20% जनसंख्या कार्यरत थी।
- क्षेत्रीय असमानताएँ:
- मद्रास प्रेसीडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक के कुछ भाग), बंबई और बंगाल जैसे कुछ क्षेत्रों में कृषि पर निर्भरता में कमी देखी गई।
- वहीं, ओडिशा, राजस्थान और पंजाब जैसे क्षेत्रों में कृषि पर निर्भरता में वृद्धि हुई।
8. आधारिक संरचना
ब्रिटिश शासन के दौरान आधारिक संरचना का कुछ विकास हुआ, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश हितों की पूर्ति करना था।
- रेलवे:
- 1853 में मुंबई से ठाणे तक पहली रेल लाइन बिछाई गई।
- रेलवे का विकास ब्रिटिश उद्योगों के लिए कच्चे माल को बंदरगाहों तक पहुंचाने और तैयार माल को आंतरिक बाजारों तक पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया था।
- सकारात्मक प्रभाव: रेलवे ने अकाल के दौरान खाद्यान्न के वितरण में मदद की और कृषि के वाणिज्यिकरण को बढ़ावा दिया। इसने लोगों को लंबी दूरी की यात्रा करने में भी सक्षम बनाया, जिससे भौगोलिक और सांस्कृतिक बाधाएं कम हुईं।
- सड़कें: ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का अभाव था, जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में आवागमन मुश्किल था।
- बंदरगाह और जल परिवहन: कुछ प्रमुख बंदरगाहों का विकास किया गया, लेकिन आंतरिक जल परिवहन महंगा और अविकसित था।
- डाक और तार: संचार के साधन के रूप में डाक और तार सेवाओं का विकास हुआ, लेकिन यह भी ब्रिटिश प्रशासन की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से था।
9. निष्कर्ष
स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था एक पिछड़ी, गतिहीन और अविकसित अर्थव्यवस्था थी। ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक ऐसे ढांचे में ढाल दिया था जो केवल ब्रिटेन के हितों की सेवा करता था। कृषि क्षेत्र गतिहीन था, औद्योगिक क्षेत्र विऔद्योगीकरण का शिकार था, और आधारिक संरचना का विकास भी औपनिवेशिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। सामाजिक-आर्थिक संकेतक जैसे साक्षरता, जीवन प्रत्याशा और शिशु मृत्यु दर अत्यंत निराशाजनक थे। स्वतंत्रता के बाद भारत के नीति निर्माताओं को इस विरासत से उबरने और देश के विकास के लिए एक नई दिशा तय करने की चुनौती का सामना करना पड़ा।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
-
भारत में पहली आधिकारिक जनगणना किस वर्ष हुई थी?
a) 1872
b) 1881
c) 1901
d) 1921 -
किस वर्ष को 'महान विभाजक वर्ष' (Great Divide) के रूप में जाना जाता है, जिसके बाद भारत की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई?
a) 1901
b) 1911
c) 1921
d) 1931 -
स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारत की कुल साक्षरता दर लगभग कितनी थी?
a) 32%
b) 25%
c) 16%
d) 7% -
टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO) की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
a) 1899
b) 1907
c) 1914
d) 1921 -
स्वेज नहर किस वर्ष खोली गई, जिससे भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक मार्ग छोटा हो गया?
a) 1853
b) 1869
c) 1881
d) 1905 -
औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत के विदेशी व्यापार की मुख्य विशेषता क्या थी?
a) तैयार माल का निर्यातक और कच्चे माल का आयातक
b) कच्चे माल का निर्यातक और तैयार माल का आयातक
c) केवल खाद्यान्न का व्यापार
d) केवल पूंजीगत वस्तुओं का व्यापार -
स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि पर निर्भर जनसंख्या का प्रतिशत लगभग कितना था?
a) 50-55%
b) 60-65%
c) 70-75%
d) 80-85% -
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में रेलवे की शुरुआत किस वर्ष हुई थी?
a) 1845
b) 1853
c) 1860
d) 1875 -
निम्नलिखित में से किस अर्थशास्त्री ने औपनिवेशिक काल में भारत की राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था?
a) जॉन मेनार्ड कीन्स
b) मिल्टन फ्रीडमैन
c) वी.के.आर.वी. राव
d) अमर्त्य सेन -
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान भारतीय हस्तशिल्प उद्योगों के पतन का मुख्य कारण क्या था?
a) भारतीय कारीगरों की अक्षमता
b) ब्रिटिश की भेदभावपूर्ण टैरिफ नीति
c) भारतीय बाजारों में मांग की कमी
d) कच्चे माल की अनुपलब्धता
उत्तरमाला:
- b) 1881
- c) 1921
- c) 16%
- b) 1907
- b) 1869
- b) कच्चे माल का निर्यातक और तैयार माल का आयातक
- c) 70-75%
- b) 1853
- c) वी.के.आर.वी. राव
- b) ब्रिटिश की भेदभावपूर्ण टैरिफ नीति
मुझे आशा है कि यह विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको इस अध्याय को गहराई से समझने और आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और किसी भी संदेह के लिए पूछने में संकोच न करें।