Class 11 Economics Notes Chapter 5 (भारत में मानव पूँजी का निर्माण) – Bharatiya Arthvyavstha ka Vikas Book

Bharatiya Arthvyavstha ka Vikas
प्रिय विद्यार्थियों, आज हम कक्षा 11 की अर्थशास्त्र की पाठ्यपुस्तक 'भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास' के अध्याय 5 'भारत में मानव पूँजी का निर्माण' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश के आर्थिक विकास में मानव संसाधनों की भूमिका को स्पष्ट करता है। आइए, इस अध्याय के महत्वपूर्ण बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं:


अध्याय 5: भारत में मानव पूँजी का निर्माण

I. परिचय

  • मानव पूँजी (Human Capital): यह किसी देश के लोगों में निहित कौशल, ज्ञान, शिक्षा और स्वास्थ्य का स्टॉक है। यह उत्पादकता में वृद्धि करने की क्षमता को दर्शाता है।
  • मानव पूँजी निर्माण (Human Capital Formation): यह लोगों के कौशल और ज्ञान के स्टॉक में वृद्धि की प्रक्रिया है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण आदि में निवेश के माध्यम से होती है। यह एक देश की उत्पादक क्षमता को बढ़ाता है।

II. मानव पूँजी और भौतिक पूँजी में अंतर

विशेषता मानव पूँजी भौतिक पूँजी
स्वरूप अदृश्य (ज्ञान, कौशल), व्यक्ति से अविभाज्य मूर्त (मशीनें, इमारतें), व्यक्ति से विभाज्य
गतिशीलता पूर्णतः गतिशील नहीं (राष्ट्रीयता, संस्कृति) अत्यधिक गतिशील (अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर)
स्वामित्व व्यक्ति स्वयं इसका मालिक होता है मालिक और पूँजी अलग-अलग हो सकते हैं
विनिमेयता बाजार में बेची नहीं जा सकती (सेवाएँ बेची जाती हैं) बाजार में आसानी से बेची जा सकती है
मूल्यह्रास अप्रचलन या बीमारी से हो सकता है टूट-फूट या अप्रचलन से होता है
लाभ निजी और सामाजिक दोनों लाभ मुख्यतः निजी लाभ

III. मानव पूँजी के स्रोत

मानव पूँजी निर्माण में निम्नलिखित मदों पर किया गया व्यय निवेश माना जाता है:

  1. शिक्षा पर व्यय:
    • शिक्षा, ज्ञान और कौशल का विकास कर व्यक्ति की उत्पादकता बढ़ाती है।
    • यह मानव पूँजी निर्माण का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।
    • शिक्षा पर निवेश से न केवल व्यक्ति की आय बढ़ती है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं (जैसे साक्षरता, स्वास्थ्य जागरूकता)।
  2. स्वास्थ्य पर व्यय:
    • एक स्वस्थ व्यक्ति ही अपनी पूरी क्षमता से काम कर सकता है।
    • स्वास्थ्य पर निवेश (चिकित्सा सुविधाएँ, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता) व्यक्ति की कार्यक्षमता और जीवन प्रत्याशा को बढ़ाता है।
    • बीमार व्यक्ति की उत्पादकता कम होती है और वह अर्थव्यवस्था पर बोझ बन सकता है।
  3. कार्यस्थल पर प्रशिक्षण (On-the-job Training):
    • कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को कार्यस्थल पर प्रशिक्षण देती हैं ताकि वे नई तकनीकें सीख सकें और अपनी उत्पादकता बढ़ा सकें।
    • यह प्रशिक्षण दो प्रकार का हो सकता है:
      • फर्म के भीतर प्रशिक्षण: अनुभवी कर्मचारियों की देखरेख में।
      • फर्म के बाहर प्रशिक्षण: विशेष प्रशिक्षण संस्थानों में।
    • कंपनियाँ इस पर व्यय करती हैं क्योंकि इससे कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ती है और वे बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
  4. प्रवास पर व्यय (Expenditure on Migration):
    • लोग बेहतर रोजगार के अवसरों और उच्च आय की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करते हैं।
    • प्रवास में परिवहन लागत, नई जगह पर रहने की लागत और मानसिक लागत (नए वातावरण में ढलना) शामिल होती है।
    • यह व्यय मानव पूँजी निर्माण का एक स्रोत है क्योंकि यह व्यक्ति को उच्च आय अर्जित करने में सक्षम बनाता है।
  5. सूचना पर व्यय (Expenditure on Information):
    • लोग शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए व्यय करते हैं।
    • यह व्यय उन्हें सही निर्णय लेने में मदद करता है, जिससे उनकी आय और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।

IV. मानव पूँजी और मानव विकास

  • मानव पूँजी अवधारणा: यह शिक्षा और स्वास्थ्य को उत्पादकता बढ़ाने के साधन के रूप में देखती है। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
  • मानव विकास अवधारणा: यह शिक्षा और स्वास्थ्य को मानव कल्याण के अभिन्न अंग के रूप में देखती है। इसका मानना है कि लोगों को शिक्षित और स्वस्थ होना चाहिए ताकि वे बेहतर जीवन जी सकें, भले ही इससे उनकी उत्पादकता सीधे तौर पर न बढ़े। यह एक व्यापक अवधारणा है जो लोगों को अपने जीवन के लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।

V. भारत में मानव पूँजी निर्माण की स्थिति

A. शिक्षा क्षेत्र में

  • सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता:
    • शिक्षा और स्वास्थ्य ऐसी सेवाएँ हैं जिनके निजी और सामाजिक दोनों लाभ होते हैं (सकारात्मक बाह्यताएँ)।
    • निजी क्षेत्र इन सेवाओं में निवेश करने से हिचकिचाता है क्योंकि वापसी दर कम हो सकती है और लाभ की गारंटी नहीं होती।
    • इन सेवाओं की लागत बहुत अधिक होती है, जो गरीबों की पहुँच से बाहर होती है। इसलिए सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक है ताकि सभी को समान अवसर मिल सकें।
  • शिक्षा पर सरकारी व्यय:
    • भारत में शिक्षा पर सरकारी व्यय कुल GDP का लगभग 3% है (यह आँकड़ा विभिन्न वर्षों में थोड़ा बदलता रहता है, लेकिन आमतौर पर 3-4% के बीच रहता है)।
    • सरकार का लक्ष्य इसे 6% तक बढ़ाना है, जैसा कि कोठारी आयोग (1964-66) ने सिफारिश की थी।
    • शिक्षा पर कुल सरकारी व्यय में प्राथमिक शिक्षा का हिस्सा सबसे अधिक है।
  • शिक्षा के स्तर और चुनौतियाँ:
    • प्राथमिक शिक्षा: सार्वभौमिक पहुँच में काफी प्रगति हुई है। सर्व शिक्षा अभियान (SSA) और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act, 2009) ने 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित की है।
    • माध्यमिक और उच्च शिक्षा: अभी भी पहुँच, समानता और गुणवत्ता की चुनौतियाँ हैं। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
    • साक्षरता दर: स्वतंत्रता के समय (1951) 18% से बढ़कर 2011 में लगभग 74.04% हो गई है। पुरुषों की साक्षरता दर महिलाओं से अधिक है, लेकिन यह अंतर कम हो रहा है।
  • भविष्य की चुनौतियाँ:
    • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार।
    • ग्रामीण-शहरी, लिंग और सामाजिक समूहों के बीच असमानताओं को कम करना।
    • व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना।

B. स्वास्थ्य क्षेत्र में

  • सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता: शिक्षा की तरह, स्वास्थ्य सेवाओं में भी सकारात्मक बाह्यताएँ होती हैं और इनकी लागत अधिक होती है, इसलिए सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक है।
  • स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय: भारत में स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय GDP का लगभग 1.2-1.5% है, जो वैश्विक औसत से काफी कम है।
  • स्वास्थ्य अवसंरचना:
    • भारत में त्रि-स्तरीय स्वास्थ्य अवसंरचना है:
      • प्राथमिक स्तर: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), उपकेंद्र।
      • द्वितीयक स्तर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), जिला अस्पताल।
      • तृतीयक स्तर: एम्स जैसे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है, जबकि शहरी क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भूमिका अधिक है।
  • स्वास्थ्य संकेतक:
    • शिशु मृत्यु दर (IMR): काफी कम हुई है।
    • जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy): बढ़ी है।
    • मृत्यु दर (Mortality Rate): कम हुई है।
    • कुपोषण, संक्रामक रोग और गैर-संक्रामक रोगों का दोहरा बोझ अभी भी एक चुनौती है।
  • सरकारी योजनाएँ: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएँ स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार के लिए शुरू की गई हैं।

VI. भारत में मानव पूँजी निर्माण की समस्याएँ

  1. बढ़ती जनसंख्या: तेजी से बढ़ती जनसंख्या शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी दबाव डालती है, जिससे प्रति व्यक्ति सुविधाओं की उपलब्धता कम हो जाती है।
  2. प्रतिभा पलायन (Brain Drain): उच्च शिक्षित और कुशल व्यक्ति बेहतर अवसरों की तलाश में विदेशों में चले जाते हैं, जिससे देश को उनके निवेश का लाभ नहीं मिल पाता।
  3. अपर्याप्त संसाधन: शिक्षा और स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय अभी भी अपर्याप्त है, जिससे गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की कमी बनी हुई है।
  4. शिक्षा और स्वास्थ्य में असमानता: ग्रामीण-शहरी, लिंग और सामाजिक-आर्थिक समूहों के बीच शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच और गुणवत्ता में भारी असमानताएँ हैं।
  5. उच्च शिक्षा का गिरता स्तर: कई उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार की कमी है, जिससे स्नातकों की रोजगार क्षमता प्रभावित होती है।
  6. तकनीकी शिक्षा का अभाव: अर्थव्यवस्था की बढ़ती जरूरतों के अनुरूप पर्याप्त तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा का अभाव है।
  7. निजीकरण का प्रभाव: शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण से गुणवत्ता में सुधार तो हुआ है, लेकिन इसने सेवाओं को गरीबों की पहुँच से दूर कर दिया है।

VII. आगे की राह/सुझाव

  • शिक्षा और स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय को बढ़ाना (GDP का 6% शिक्षा पर और 2.5% स्वास्थ्य पर)।
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना और असमानताओं को कम करना।
  • व्यावसायिक और कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना।
  • अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना, लेकिन सामाजिक न्याय सुनिश्चित करते हुए।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग कर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की दक्षता बढ़ाना।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

  1. निम्नलिखित में से कौन-सा मानव पूँजी निर्माण का स्रोत नहीं है?
    a) शिक्षा पर व्यय
    b) स्वास्थ्य पर व्यय
    c) मशीनरी पर व्यय
    d) कार्यस्थल पर प्रशिक्षण
    उत्तर: c) मशीनरी पर व्यय

  2. मानव पूँजी अवधारणा और मानव विकास अवधारणा के बीच मुख्य अंतर क्या है?
    a) मानव पूँजी केवल उत्पादकता पर केंद्रित है, जबकि मानव विकास कल्याण पर केंद्रित है।
    b) मानव पूँजी कल्याण पर केंद्रित है, जबकि मानव विकास उत्पादकता पर केंद्रित है।
    c) दोनों अवधारणाएँ पूरी तरह से समान हैं।
    d) मानव पूँजी में स्वास्थ्य शामिल नहीं है, जबकि मानव विकास में है।
    उत्तर: a) मानव पूँजी केवल उत्पादकता पर केंद्रित है, जबकि मानव विकास कल्याण पर केंद्रित है।

  3. कोठारी आयोग (1964-66) ने शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के कितने प्रतिशत व्यय की सिफारिश की थी?
    a) 3%
    b) 4%
    c) 6%
    d) 8%
    उत्तर: c) 6%

  4. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) किस वर्ष लागू किया गया था?
    a) 2005
    b) 2009
    c) 2010
    d) 2012
    उत्तर: b) 2009

  5. भारत में स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग कितना प्रतिशत है?
    a) 3-4%
    b) 1.2-1.5%
    c) 5-6%
    d) 0.5-1%
    उत्तर: b) 1.2-1.5%

  6. निम्नलिखित में से कौन-सी मानव पूँजी की विशेषता नहीं है?
    a) यह व्यक्ति से अविभाज्य है।
    b) यह बाजार में आसानी से बेची जा सकती है।
    c) यह अदृश्य होती है।
    d) इसका स्वामित्व व्यक्ति स्वयं होता है।
    उत्तर: b) यह बाजार में आसानी से बेची जा सकती है।

  7. भारत में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए कौन-सा कार्यक्रम चलाया गया है?
    a) राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA)
    b) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)
    c) सर्व शिक्षा अभियान (SSA)
    d) राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन
    उत्तर: c) सर्व शिक्षा अभियान (SSA)

  8. प्रतिभा पलायन (Brain Drain) का क्या अर्थ है?
    a) देश में कुशल श्रमिकों की संख्या में वृद्धि।
    b) कुशल और शिक्षित व्यक्तियों का बेहतर अवसरों के लिए देश छोड़कर जाना।
    c) ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास।
    d) शिक्षा के स्तर में गिरावट।
    उत्तर: b) कुशल और शिक्षित व्यक्तियों का बेहतर अवसरों के लिए देश छोड़कर जाना।

  9. भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार साक्षरता दर लगभग कितनी थी?
    a) 65%
    b) 74%
    c) 82%
    d) 90%
    उत्तर: b) 74%

  10. निम्नलिखित में से कौन-सा स्वास्थ्य अवसंरचना का तृतीयक स्तर है?
    a) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC)
    b) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC)
    c) जिला अस्पताल
    d) एम्स (AIIMS) जैसे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल
    उत्तर: d) एम्स (AIIMS) जैसे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल


मुझे आशा है कि यह विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको इस अध्याय को गहराई से समझने और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और किसी भी संदेह के लिए पूछने में संकोच न करें।

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