Class 11 Graphics Design Notes Chapter 2 (Chapter 2) – Graphic Desing ek Kahani Book

Graphic Desing ek Kahani
प्रिय विद्यार्थियों,

आज हम ग्राफिक डिज़ाइन की आधारशिला, अध्याय 2 'डिज़ाइन के तत्व और सिद्धांत' का विस्तार से अध्ययन करेंगे। यह अध्याय न केवल आपकी सैद्धांतिक समझ को मजबूत करेगा, बल्कि सरकारी परीक्षाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें से कई अवधारणात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं। आइए, इन महत्वपूर्ण अवधारणाओं को गहराई से समझते हैं।


अध्याय 2: डिज़ाइन के तत्व और सिद्धांत (Elements and Principles of Design)

ग्राफिक डिज़ाइन किसी भी दृश्य संचार का आधार होता है। एक प्रभावी डिज़ाइन बनाने के लिए, डिज़ाइनर को कुछ मूलभूत तत्वों और सिद्धांतों की गहरी समझ होनी चाहिए। ये तत्व डिज़ाइन के 'बिल्डिंग ब्लॉक्स' हैं, और सिद्धांत बताते हैं कि इन ब्लॉक्स का उपयोग कैसे किया जाए ताकि एक सामंजस्यपूर्ण और प्रभावशाली रचना बन सके।


भाग 1: डिज़ाइन के तत्व (Elements of Design)

डिज़ाइन के तत्व वे मूलभूत घटक हैं जिनसे कोई भी दृश्य रचना बनती है। ये एक डिज़ाइनर की 'टूलकिट' के समान हैं।

  1. बिंदु (Dot/Point):

    • परिभाषा: यह सबसे छोटा और सबसे बुनियादी दृश्य तत्व है जिसकी कोई माप या दिशा नहीं होती। यह केवल एक स्थिति को दर्शाता है।
    • महत्व:
      • यह किसी भी रेखा, आकार या पैटर्न का प्रारंभिक बिंदु होता है।
      • दो या दो से अधिक बिंदुओं को जोड़ने पर रेखा बनती है।
      • यह ध्यान आकर्षित कर सकता है या किसी विशेष स्थान को इंगित कर सकता है।
      • कई बिंदु मिलकर बनावट (texture) या टोन (tone) का आभास दे सकते हैं।
  2. रेखा (Line):

    • परिभाषा: यह दो बिंदुओं के बीच का सबसे छोटा रास्ता है या एक बिंदु की गति का निशान है। इसकी लंबाई, चौड़ाई और दिशा होती है।
    • प्रकार और प्रभाव:
      • सीधी रेखाएँ (Straight Lines): स्थिरता, दृढ़ता, व्यवस्था (क्षैतिज - शांति, लंबवत - शक्ति, विकर्ण - गति)।
      • घुमावदार रेखाएँ (Curved Lines): कोमलता, प्रवाह, गति, लालित्य।
      • मोटी रेखाएँ (Thick Lines): शक्ति, महत्व।
      • पतली रेखाएँ (Thin Lines): नाजुकता, सूक्ष्मता।
      • टूटी हुई रेखाएँ (Broken Lines): निरंतरता में बाधा, अनिश्चितता।
    • महत्व:
      • यह आकार, रूप और बनावट को परिभाषित करती है।
      • यह आँखों को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक निर्देशित करती है।
      • यह विभाजन, सीमांकन और पैटर्न बनाने में मदद करती है।
      • यह भावनाएँ और मूड व्यक्त कर सकती है।
  3. आकार/रूप (Shape/Form):

    • परिभाषा:
      • आकार (Shape): यह एक 2D (द्वि-आयामी) बंद क्षेत्र होता है जिसकी केवल लंबाई और चौड़ाई होती है। यह सपाट होता है।
      • रूप (Form): यह एक 3D (त्रि-आयामी) वस्तु होती है जिसकी लंबाई, चौड़ाई और गहराई होती है। इसमें आयतन और द्रव्यमान होता है।
    • प्रकार:
      • ज्यामितीय आकार (Geometric Shapes): वृत्त, वर्ग, त्रिभुज, आयत। ये सटीक और व्यवस्थित होते हैं।
      • जैविक/मुक्त आकार (Organic/Freeform Shapes): पत्तियों, बादलों, या मानव आकृति जैसे प्राकृतिक रूप। ये अधिक तरल और अनियमित होते हैं।
    • महत्व:
      • यह किसी डिज़ाइन में वस्तुओं को पहचानने योग्य बनाता है।
      • यह संरचना और संगठन प्रदान करता है।
      • यह ध्यान आकर्षित कर सकता है और संदेश को स्पष्ट कर सकता है।
  4. रंग (Color):

    • परिभाषा: यह प्रकाश का एक गुण है जो हमारी आँखों द्वारा देखा जाता है। यह डिज़ाइन में सबसे शक्तिशाली तत्वों में से एक है।
    • रंग के गुण:
      • ह्यू (Hue): यह रंग का शुद्ध रूप है (जैसे लाल, नीला, पीला)।
      • संतृप्ति/तीव्रता (Saturation/Intensity): यह रंग की शुद्धता या चमक है (एक रंग कितना चमकीला या फीका है)।
      • मूल्य/टोन (Value/Tone): यह रंग की हल्की या गहरी डिग्री है (एक रंग कितना हल्का या गहरा है)।
    • रंग चक्र (Color Wheel):
      • प्राथमिक रंग (Primary Colors): लाल, नीला, पीला (इन्हें मिलाकर अन्य रंग बनाए जा सकते हैं)।
      • द्वितीयक रंग (Secondary Colors): नारंगी (लाल + पीला), हरा (नीला + पीला), बैंगनी (लाल + नीला)।
      • तृतीयक रंग (Tertiary Colors): प्राथमिक और द्वितीयक रंगों के मिश्रण से बनते हैं (जैसे लाल-नारंगी)।
    • रंग योजनाएँ (Color Schemes):
      • पूरक रंग (Complementary Colors): रंग चक्र पर एक-दूसरे के विपरीत (जैसे लाल और हरा)। ये उच्च कंट्रास्ट प्रदान करते हैं।
      • समानुपाती रंग (Analogous Colors): रंग चक्र पर एक-दूसरे के बगल में (जैसे नीला, नीला-हरा, हरा)। ये सामंजस्यपूर्ण होते हैं।
      • त्रिकोणीय रंग (Triadic Colors): रंग चक्र पर समान दूरी पर तीन रंग (जैसे लाल, पीला, नीला)।
      • मोनोक्रोमैटिक (Monochromatic): एक ही रंग के विभिन्न टोन और शेड्स।
    • महत्व:
      • यह मूड और भावनाएँ पैदा करता है।
      • यह ध्यान आकर्षित करता है और पदानुक्रम बनाता है।
      • यह ब्रांड पहचान और संदेश को मजबूत करता है।
      • यह गहराई और आयाम का भ्रम पैदा कर सकता है।
  5. बनावट (Texture):

    • परिभाषा: यह किसी सतह की दृश्य या स्पर्शनीय गुणवत्ता है। यह बताता है कि कोई वस्तु कैसी दिखती है या महसूस होती है।
    • प्रकार:
      • स्पर्शनीय बनावट (Tactile Texture): जिसे वास्तव में छुआ और महसूस किया जा सकता है (जैसे खुरदुरी लकड़ी, चिकना रेशम)।
      • दृश्य बनावट (Visual Texture): जिसे केवल देखा जा सकता है लेकिन छुआ नहीं जा सकता (जैसे किसी तस्वीर में पत्थर की खुरदुरी सतह)।
    • महत्व:
      • यह डिज़ाइन में रुचि और गहराई जोड़ता है।
      • यह यथार्थवाद का भ्रम पैदा कर सकता है।
      • यह एक विशेष मूड या भावना को व्यक्त कर सकता है।
  6. स्थान/जगह (Space):

    • परिभाषा: यह डिज़ाइन के तत्वों के चारों ओर, बीच में और भीतर का क्षेत्र है। यह 2D या 3D हो सकता है।
    • प्रकार:
      • सकारात्मक स्थान (Positive Space): वह क्षेत्र जो मुख्य विषय या वस्तुओं द्वारा घेरा जाता है।
      • नकारात्मक स्थान (Negative Space): मुख्य विषय के चारों ओर या बीच का खाली स्थान। यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सकारात्मक स्थान।
    • महत्व:
      • यह तत्वों को व्यवस्थित और अलग करने में मदद करता है।
      • यह आँखों को डिज़ाइन के माध्यम से निर्देशित करता है।
      • नकारात्मक स्थान का प्रभावी उपयोग संतुलन और स्पष्टता प्रदान करता है।
      • यह डिज़ाइन को भीड़भाड़ वाला या खुला दिखा सकता है।
  7. मूल्य/टोन (Value/Tone):

    • परिभाषा: यह प्रकाश की हल्की या गहरी डिग्री है, या किसी रंग की चमक और अंधेरे की डिग्री है। यह सफेद से काले तक के स्केल पर मापा जाता है।
    • महत्व:
      • यह गहराई और आयाम का भ्रम पैदा करता है।
      • यह कंट्रास्ट बनाता है और ध्यान आकर्षित करता है।
      • यह एक डिज़ाइन में मूड और वातावरण को स्थापित कर सकता है।
      • उच्च कंट्रास्ट (गहरे और हल्के मूल्य) नाटकीय प्रभाव देते हैं, जबकि कम कंट्रास्ट (समान मूल्य) शांत और सामंजस्यपूर्ण होते हैं।

भाग 2: डिज़ाइन के सिद्धांत (Principles of Design)

डिज़ाइन के सिद्धांत वे नियम या दिशानिर्देश हैं जो बताते हैं कि तत्वों को प्रभावी ढंग से कैसे व्यवस्थित किया जाए ताकि एक सफल और आकर्षक डिज़ाइन बनाया जा सके।

  1. संतुलन (Balance):

    • परिभाषा: यह डिज़ाइन में तत्वों के दृश्य भार का वितरण है। यह स्थिरता और सामंजस्य की भावना पैदा करता है।
    • प्रकार:
      • सममित संतुलन (Symmetrical Balance): डिज़ाइन के एक तरफ के तत्व दूसरी तरफ के तत्वों के समान या दर्पण-छवि होते हैं। यह औपचारिक, स्थिर और शांत होता है।
      • असममित संतुलन (Asymmetrical Balance): डिज़ाइन के दोनों तरफ के तत्व समान नहीं होते हैं, लेकिन उनका दृश्य भार समान होता है। यह अधिक गतिशील, अनौपचारिक और आधुनिक होता है।
      • रेडियल संतुलन (Radial Balance): तत्व एक केंद्रीय बिंदु से बाहर की ओर फैलते हैं।
    • महत्व: यह डिज़ाइन को स्थिर और देखने में सुखद बनाता है।
  2. जोर/महत्व (Emphasis/Dominance):

    • परिभाषा: यह डिज़ाइन के एक विशेष क्षेत्र या तत्व पर ध्यान आकर्षित करने की प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित करता है कि दर्शक पहले सबसे महत्वपूर्ण जानकारी देखें।
    • कैसे प्राप्त करें: रंग, आकार, बनावट, स्थान, कंट्रास्ट या प्लेसमेंट का उपयोग करके।
    • महत्व: यह दर्शकों की आँखों को निर्देशित करता है और संदेश की स्पष्टता सुनिश्चित करता है।
  3. लय/गति (Rhythm/Movement):

    • परिभाषा: यह दर्शकों की आँखों को डिज़ाइन के माध्यम से एक व्यवस्थित और प्रवाहित तरीके से निर्देशित करने की प्रक्रिया है। यह तत्वों की पुनरावृत्ति या प्रगति से उत्पन्न होता है।
    • कैसे प्राप्त करें:
      • पुनरावृत्ति (Repetition): एक ही तत्व को बार-बार दोहराना।
      • प्रगति (Progression): तत्वों को धीरे-धीरे बदलना (जैसे आकार या रंग में)।
      • विकिरण (Radiation): तत्वों का एक केंद्रीय बिंदु से बाहर की ओर फैलना।
    • महत्व: यह डिज़ाइन में ऊर्जा, प्रवाह और निरंतरता जोड़ता है।
  4. एकता/सामंजस्य (Unity/Harmony):

    • परिभाषा: यह डिज़ाइन के सभी तत्वों का एक साथ मिलकर एक पूर्ण और एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करना है। यह सुनिश्चित करता है कि डिज़ाइन के सभी भाग एक-दूसरे से संबंधित और सुसंगत दिखें।
    • कैसे प्राप्त करें: समानता, निकटता, निरंतरता और संरेखण (alignment) का उपयोग करके।
    • महत्व: यह डिज़ाइन को सुसंगत, संगठित और समझने योग्य बनाता है।
  5. विपरीतता/भिन्नता (Contrast):

    • परिभाषा: यह डिज़ाइन में तत्वों के बीच अंतर है। यह ध्यान आकर्षित करता है और एक डिज़ाइन में रुचि जोड़ता है।
    • कैसे प्राप्त करें: रंग, आकार, बनावट, मूल्य, दिशा, या प्रकार के बीच अंतर करके।
    • महत्व: यह पदानुक्रम बनाता है, पठनीयता बढ़ाता है और डिज़ाइन को नीरस होने से बचाता है।
  6. अनुपात (Proportion):

    • परिभाषा: यह डिज़ाइन के विभिन्न तत्वों के आकार के बीच संबंध है, और यह भी कि वे समग्र डिज़ाइन से कैसे संबंधित हैं। यह तत्वों के सापेक्ष आकार को संदर्भित करता है।
    • महत्व: यह डिज़ाइन में संतुलन और यथार्थवाद की भावना पैदा करता है। गलत अनुपात एक डिज़ाइन को अजीब या असंतुलित दिखा सकता है।
  7. पदानुक्रम (Hierarchy):

    • परिभाषा: यह डिज़ाइन में तत्वों को उनके महत्व के क्रम में व्यवस्थित करना है। सबसे महत्वपूर्ण जानकारी को सबसे प्रमुख बनाया जाता है।
    • कैसे प्राप्त करें: आकार, रंग, कंट्रास्ट, स्थान और प्लेसमेंट का उपयोग करके।
    • महत्व: यह दर्शकों को डिज़ाइन के माध्यम से मार्गदर्शन करता है और सुनिश्चित करता है कि महत्वपूर्ण जानकारी पहले देखी जाए।
  8. पैटर्न (Pattern):

    • परिभाषा: यह एक डिज़ाइन में तत्वों की व्यवस्थित पुनरावृत्ति है।
    • महत्व: यह डिज़ाइन में रुचि, बनावट और लय जोड़ता है। यह एकता की भावना भी पैदा कर सकता है।

यह अध्याय ग्राफिक डिज़ाइन की नींव है। इन तत्वों और सिद्धांतों को समझना और उनका प्रभावी ढंग से उपयोग करना एक सफल डिज़ाइनर बनने की कुंजी है।


अध्याय 2 के लिए 10 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

  1. डिज़ाइन का सबसे छोटा और सबसे बुनियादी दृश्य तत्व क्या है?
    a) रेखा
    b) आकार
    c) बिंदु
    d) रंग

  2. कौन सी रेखाएँ स्थिरता, दृढ़ता और व्यवस्था का आभास देती हैं?
    a) घुमावदार रेखाएँ
    b) टूटी हुई रेखाएँ
    c) सीधी रेखाएँ
    d) ज़िगज़ैग रेखाएँ

  3. एक 2D (द्वि-आयामी) बंद क्षेत्र जिसकी केवल लंबाई और चौड़ाई होती है, उसे क्या कहते हैं?
    a) रूप (Form)
    b) बनावट (Texture)
    c) आकार (Shape)
    d) स्थान (Space)

  4. रंग के तीन प्राथमिक रंग कौन से हैं?
    a) हरा, नारंगी, बैंगनी
    b) लाल, नीला, पीला
    c) सफेद, काला, ग्रे
    d) मैजेंटा, सियान, पीला

  5. डिज़ाइन में तत्वों के चारों ओर, बीच में और भीतर के खाली क्षेत्र को क्या कहा जाता है?
    a) सकारात्मक स्थान
    b) नकारात्मक स्थान
    c) बनावट
    d) स्थान (Space)

  6. डिज़ाइन में तत्वों के दृश्य भार के वितरण को क्या कहते हैं, जो स्थिरता की भावना पैदा करता है?
    a) जोर (Emphasis)
    b) लय (Rhythm)
    c) संतुलन (Balance)
    d) कंट्रास्ट (Contrast)

  7. जब डिज़ाइन के एक तरफ के तत्व दूसरी तरफ के तत्वों के समान या दर्पण-छवि होते हैं, तो यह किस प्रकार का संतुलन होता है?
    a) असममित संतुलन
    b) रेडियल संतुलन
    c) सममित संतुलन
    d) गतिशील संतुलन

  8. डिज़ाइन के एक विशेष क्षेत्र या तत्व पर ध्यान आकर्षित करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
    a) एकता (Unity)
    b) लय (Rhythm)
    c) जोर (Emphasis)
    d) अनुपात (Proportion)

  9. डिज़ाइन में तत्वों के बीच अंतर को क्या कहा जाता है, जो रुचि और ध्यान आकर्षित करता है?
    a) सामंजस्य (Harmony)
    b) कंट्रास्ट (Contrast)
    c) पुनरावृत्ति (Repetition)
    d) पदानुक्रम (Hierarchy)

  10. डिज़ाइन में तत्वों को उनके महत्व के क्रम में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
    a) अनुपात (Proportion)
    b) पैटर्न (Pattern)
    c) पदानुक्रम (Hierarchy)
    d) गति (Movement)


उत्तर कुंजी:

  1. c) बिंदु
  2. c) सीधी रेखाएँ
  3. c) आकार (Shape)
  4. b) लाल, नीला, पीला
  5. d) स्थान (Space)
  6. c) संतुलन (Balance)
  7. c) सममित संतुलन
  8. c) जोर (Emphasis)
  9. b) कंट्रास्ट (Contrast)
  10. c) पदानुक्रम (Hierarchy)

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