Class 11 Hindi Notes Chapter 1 (भारतीय गायिकाओं में बेजोड़: लता मंगेशकर) – Vitan Book

नमस्ते विद्यार्थियों।
आज हम आपकी 'वितान' पुस्तक के प्रथम अध्याय 'भारतीय गायिकाओं में बेजोड़: लता मंगेशकर' का गहन अध्ययन करेंगे। यह पाठ प्रख्यात शास्त्रीय गायक कुमार गंधर्व द्वारा लिखा गया है और प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। चलिए, इसके विस्तृत नोट्स और महत्वपूर्ण प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
अध्याय 1: भारतीय गायिकाओं में बेजोड़: लता मंगेशकर
लेखक: कुमार गंधर्व
विस्तृत नोट्स (परीक्षा की तैयारी हेतु)
1. पाठ का सार:
यह पाठ लेखक कुमार गंधर्व द्वारा लता मंगेशकर की गायकी पर किया गया एक विश्लेषणात्मक और प्रशंसात्मक टिप्पणी है। लेखक ने लता जी को भारतीय संगीत का एक चमत्कार माना है और उनकी गायकी की उन विशेषताओं को उजागर किया है, जिन्होंने उन्हें अद्वितीय और बेजोड़ बनाया। इस पाठ में शास्त्रीय संगीत और चित्रपट (फिल्मी) संगीत की तुलना करते हुए लेखक ने चित्रपट संगीत के महत्व और उसमें लता के योगदान को स्थापित किया है।
2. प्रमुख बिंदु एवं विश्लेषण:
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लता का आगमन और प्रभाव:
- लेखक बताते हैं कि वर्षों पहले जब वे बीमार थे, तब उन्होंने रेडियो पर एक अद्वितीय स्वर सुना। वह स्वर सीधा उनके हृदय में उतर गया। बाद में पता चला कि यह स्वर दीनानाथ मंगेशकर की बेटी 'लता मंगेशकर' का है।
- लेखक के अनुसार, लता से पहले प्रसिद्ध गायिका नूरजहाँ का चित्रपट संगीत में अपना दबदबा था, लेकिन लता उनसे कहीं आगे निकल गईं।
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'गानपन' - लता की गायकी का मूल तत्व:
- 'गानपन' लेखक द्वारा प्रयोग किया गया एक विशेष शब्द है, जिसका अर्थ है - गाने का वह गुण जो श्रोता को मस्त कर दे, उसे भाव-विभोर कर दे।
- लेखक का मानना है कि लता की गायकी में 'गानपन' भरपूर है। यही उनकी लोकप्रियता का मुख्य आधार है। शास्त्रीय गायक अक्सर अपनी विद्वता दिखाने में 'गानपन' खो देते हैं, जबकि लता का हर गाना 'गानपन' से सराबोर होता है।
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लता की गायकी की विशेषताएँ:
- स्वरों की निर्मलता: लता के स्वरों में अद्भुत निर्मलता और कोमलता है। यह उनकी गायकी का एक प्रमुख आकर्षण है।
- नादमय उच्चार: यह उनकी गायकी की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। वे दो शब्दों के बीच के अंतर को इस तरह स्वरों के आलाप से भर देती हैं कि वे दोनों शब्द एक-दूसरे में विलीन होते हुए प्रतीत होते हैं। यह कला अत्यंत कठिन है और लता इसमें माहिर हैं।
- लय और शब्दार्थ का संगम: लता गीत के बोलों (शब्दार्थ) को लय के साथ खूबसूरती से पिरोती हैं। उनके गायन में भाव, लय और शब्द का अद्भुत संगम होता है।
- शास्त्रीय संगीत की शुद्धता: भले ही लता मुख्य रूप से चित्रपट संगीत गाती हैं, लेकिन उनके गानों में शास्त्रीय संगीत की शुद्धता और समझ स्पष्ट रूप से झलकती है।
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शास्त्रीय संगीत बनाम चित्रपट संगीत:
- लेखक इस आम धारणा का खंडन करते हैं कि चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए हैं। इसके विपरीत, वे मानते हैं कि चित्रपट संगीत ने आम लोगों में संगीत के प्रति रुचि और समझ पैदा की है।
- शास्त्रीय संगीत: गंभीरता और स्थायी भाव इसका मुख्य गुण है। इसमें रागदारी, ताल और नियमों पर अधिक जोर होता है।
- चित्रपट संगीत: चपलता, सुलभता और लचक इसका प्रमुख गुण है। इसका मुख्य उद्देश्य मनोरंजन और भावों की त्वरित अभिव्यक्ति है।
- लेखक का तर्क है कि तीन घंटे की शास्त्रीय महफ़िल का आनंद और तीन मिनट के चित्रपट गीत का आनंद अपनी-अपनी जगह महत्वपूर्ण है। एक कला का मूल्य दूसरे से कम नहीं आंका जा सकता।
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लता पर लगे आरोपों का खंडन:
- करुण रस के गीत: कुछ लोग कहते थे कि लता करुण रस के गीत बहुत अच्छे गाती हैं। लेखक इस बात को मानते हैं, पर यह भी कहते हैं कि यह उनके साथ अन्याय है। उन्होंने 'मुग्ध शृंगार' और अन्य रसों के गीत भी उतनी ही उत्कृष्टता से गाए हैं।
- ऊँची पट्टी में गाना: लेखक मानते हैं कि संगीत निर्देशकों ने उनसे जानबूझकर ऊँची पट्टी (High Pitch) में गवाया ताकि उनका स्वर युवा और ताजा लगे। यह कोई दोष नहीं, बल्कि एक प्रयोग था।
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निष्कर्ष:
- लेखक के अनुसार, लता मंगेशकर संगीत क्षेत्र का एक 'चमत्कार' हैं।
- उन्होंने चित्रपट संगीत को लोकप्रिय बनाया, शास्त्रीय संगीत को आम लोगों तक पहुँचाया और संगीत की समझ को परिष्कृत किया।
- वे कहती हैं कि किसी देश में ऐसा कलाकार सदियों में एक बार पैदा होता है। लता वास्तव में 'भारतीय गायिकाओं में बेजोड़' हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: 'भारतीय गायिकाओं में बेजोड़: लता मंगेशकर' पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) कुमार गंधर्व
(ग) अनुपम मिश्र
(घ) फणीश्वर नाथ 'रेणु'
प्रश्न 2: लेखक के अनुसार लता मंगेशकर से पहले कौन-सी गायिका का चित्रपट संगीत में प्रभाव था?
(क) शमशाद बेगम
(ख) सुरैया
(ग) नूरजहाँ
(घ) गीता दत्त
प्रश्न 3: लेखक ने लता की गायकी की किस विशेषता को 'गानपन' कहा है?
(क) शास्त्रीय नियमों का पालन
(ख) ऊँची आवाज में गाना
(ग) गाने की वह शक्ति जो श्रोता को मस्त कर दे
(घ) केवल करुण रस के गीत गाना
प्रश्न 4: 'नादमय उच्चार' से लेखक का क्या तात्पर्य है?
(क) गीत के हर शब्द को अलग-अलग गाना
(ख) दो शब्दों के बीच के अंतर को स्वरों के आलाप द्वारा सुंदरता से भरना
(ग) केवल नाद और ध्वनि पर ध्यान देना
(घ) ऊँचे सुर में उच्चारण करना
प्रश्न 5: शास्त्रीय संगीत का मुख्य गुण क्या बताया गया है?
(क) चपलता और लचक
(ख) गंभीरता और स्थायीभाव
(ग) मनोरंजन
(घ) सुलभता
प्रश्न 6: लेखक के अनुसार, चित्रपट संगीत ने लोगों पर क्या प्रभाव डाला है?
(क) लोगों के कान बिगाड़ दिए हैं
(ख) संगीत के प्रति लोगों की समझ को परिष्कृत किया है
(ग) शास्त्रीय संगीत से दूर कर दिया है
(घ) संगीत को उबाऊ बना दिया है
प्रश्न 7: लेखक उस आम आरोप का खंडन करते हैं कि लता ने केवल __________ के गीत अच्छे गाए हैं।
(क) शृंगार रस
(ख) वीर रस
(ग) हास्य रस
(घ) करुण रस
प्रश्न 8: लेखक के अनुसार, तीन मिनट के चित्रपट गीत का कलात्मक मूल्य किसके बराबर हो सकता है?
(क) एक छोटी कविता के
(ख) एक चित्रकला के
(ग) तीन घंटे की शास्त्रीय संगीत की महफ़िल के
(घ) एक नाटक के
प्रश्न 9: लेखक ने लता मंगेशकर को संगीत क्षेत्र का क्या माना है?
(क) एक साधारण गायिका
(ख) एक चमत्कार
(ग) एक प्रशिक्षक
(घ) एक संगीत निर्देशक
प्रश्न 10: पाठ के अनुसार चित्रपट संगीत का ताल प्राथमिक अवस्था का ताल होता है, जबकि शास्त्रीय संगीत का ताल अपने __________ रूप में पाया जाता है।
(क) सरल
(ख) द्रुत
(ग) परिष्कृत
(घ) विलम्बित
उत्तरमाला:
- (ख) कुमार गंधर्व
- (ग) नूरजहाँ
- (ग) गाने की वह शक्ति जो श्रोता को मस्त कर दे
- (ख) दो शब्दों के बीच के अंतर को स्वरों के आलाप द्वारा सुंदरता से भरना
- (ख) गंभीरता और स्थायीभाव
- (ख) संगीत के प्रति लोगों की समझ को परिष्कृत किया है
- (घ) करुण रस
- (ग) तीन घंटे की शास्त्रीय संगीत की महफ़िल के
- (ख) एक चमत्कार
- (ग) परिष्कृत
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में बहुत सहायक सिद्ध होगा। शुभकामनाएँ