Class 11 Hindi Notes Chapter 10 (उमाशंकर जोशी: छोटा मेरा खेत; बगुलो के पंख) – Aroh Book

Aroh
नमस्ते विद्यार्थियों।

चलिए, आज हम कक्षा 11 की 'आरोह' पुस्तक के दसवें अध्याय का अध्ययन करेंगे, जिसमें गुजराती साहित्य के स्तंभ, उमाशंकर जोशी जी की दो खूबसूरत कविताएँ संकलित हैं - 'छोटा मेरा खेत' और 'बगुलों के पंख'। परीक्षा की दृष्टि से ये दोनों कविताएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनमें कवि ने बहुत ही अनूठे रूपकों और बिंबों का प्रयोग किया है। हम इन कविताओं का विस्तृत विश्लेषण करेंगे और अंत में कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों का अभ्यास भी करेंगे।


अध्याय 10: उमाशंकर जोशी

कवि परिचय

  • नाम: उमाशंकर जोशी (1911-1988)
  • जन्म स्थान: गुजरात
  • भाषा: प्रमुख रूप से गुजराती साहित्य के कवि और लेखक।
  • महत्वपूर्ण योगदान: बीसवीं सदी में गुजराती साहित्य को नई दिशा देने में इनका अतुलनीय योगदान रहा। इन्होंने कविता के अलावा कहानी, निबंध, एकांकी, और आलोचना के क्षेत्र में भी लेखन किया।
  • प्रमुख रचनाएँ: विश्वशांति, गंगोत्री, निशीथ, प्राचीना, महाप्रस्थान, अभिज्ञा (एकांकी), सापनाभारा (कहानी), श्रावणी મેળો (उपन्यास)।
  • सम्मान: इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • काव्य शैली: इनकी कविताओं में प्रकृति, आम जीवन के अनुभव, और मानवीय संवेदनाओं का गहरा चित्रण मिलता है। भाषा सरल होते हुए भी भावों की गहराई लिए होती है।

पहली कविता: छोटा मेरा खेत

यह कविता कवि-कर्म को खेती के रूपक में बाँधकर प्रस्तुत करती है। कवि ने कविता रचने की पूरी प्रक्रिया की तुलना खेती करने की प्रक्रिया से की है, जो इसे बहुत अनूठा बना देती है।

कविता का सार

कवि कहता है कि मेरे पास कागज का एक पन्ना है, जो एक छोटे चौकोर खेत की तरह है। किसी क्षण एक भावनात्मक आँधी (अंधड़) आई और मेरे मन में एक विचार का बीज बोकर चली गई। यह विचार का बीज कल्पना रूपी रसायनों को पीकर विकसित हुआ और धीरे-धीरे शब्दों के अंकुरों में फूट पड़ा। फिर इस रचना से पत्ते और फूल निकले और यह पूरी तरह एक साहित्यिक कृति के रूप में तैयार हो गई।

जब यह रचना रूपी फसल पक गई, तो उसमें से अलौकिक रस (आनंद) के फल झूमने लगे। इस कविता का रस अनंत है। यह एक ऐसा अक्षय पात्र (कभी न खत्म होने वाला बर्तन) है, जिसमें से जितना भी रस निकाला जाए, वह कभी कम नहीं होता। एक सामान्य खेत की फसल तो एक समय के बाद खत्म हो जाती है, लेकिन कविता रूपी खेत की फसल (उससे मिलने वाला आनंद) अनंत काल तक पाठकों को आनंदित करती रहती है।

विस्तृत व्याख्या एवं काव्य सौंदर्य

काव्यांश:

छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना,
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का,
बीज वहाँ बोया गया।

व्याख्या: कवि कागज के पन्ने को एक छोटा, चौकोर खेत कहता है। उसके मन में अचानक कोई तीव्र भावना (अंधड़) आती है, जो एक क्षण के लिए ही होती है, लेकिन वह उसके मन में एक विचार (बीज) बो जाती है, जिससे कविता का जन्म होता है।

काव्य सौंदर्य:

  • रूपक अलंकार: 'कागज का पन्ना' पर 'खेत' का, 'भावना' पर 'अंधड़' का और 'विचार' पर 'बीज' का आरोप है। यह संपूर्ण कविता में व्याप्त है, इसलिए इसे 'सांगरूपक' भी कहते हैं।
  • बिंब: 'खेत चौकोना' में दृश्य बिंब है।
  • भाषा: खड़ी बोली, सरल एवं प्रवाहमयी।
  • शैली: प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग।

काव्यांश:

कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया नि:शेष;
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

व्याख्या: वह विचार रूपी बीज कल्पना के सहारे (रसायन) पूरी तरह कवि के मन में घुल-मिल जाता है। जैसे बीज गलकर अंकुर बनता है, वैसे ही विचार गलकर शब्दों के अंकुरों में फूट पड़ता है। धीरे-धीरे यह रचना पत्तों और फूलों (शब्दों, वाक्यों, भावों) से लदकर एक विशेष आकार ग्रहण कर लेती है।

काव्य सौंदर्य:

  • रूपक अलंकार: 'कल्पना' पर 'रसायन' का और 'शब्द' पर 'अंकुर' का आरोप है।
  • मानवीकरण अलंकार: कल्पना के रसायनों को 'पीना' में मानवीकरण है।
  • बिंब: 'शब्द के अंकुर फूटे' में दृश्य बिंब है।

काव्यांश:

झूमने लगे फल, रस अलौकिक,
अमृत धाराएँ फूटतीं
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती।

व्याख्या: जब कविता पूरी हो जाती है, तो उसमें से आनंद रूपी फल झूमने लगते हैं। इस साहित्यिक कृति से जो रस मिलता है, वह अलौकिक (दिव्य) है। यह अमृत की धाराओं के समान है। कवि कहता है कि इस विचार को बोने का काम तो एक क्षण में हुआ था, लेकिन इससे जो आनंद की फसल मिल रही है, उसकी कटाई अनंत काल तक चलेगी। इस आनंद को जितना भी पाठकों में बाँटा (लुटाया) जाए, यह कभी कम नहीं होता।

काव्य सौंदर्य:

  • रूपक अलंकार: 'कविता' पर 'फल' और 'आनंद' पर 'रस' का आरोप है।
  • विरोधाभास अलंकार: 'रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की' में विरोधाभास है।
  • विशेषता: कविता की शाश्वतता और उसके आनंद की व्यापकता को दर्शाया गया है।

काव्यांश:

रस का अक्षय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना।

व्याख्या: कवि कहता है कि मेरी यह कविता रूपी छोटा सा खेत वास्तव में रस का एक ऐसा अक्षय पात्र है, जो कभी खाली नहीं होता। यह हमेशा आनंद से भरा रहता है।

काव्य सौंदर्य:

  • रूपक अलंकार: कविता को 'रस का अक्षय पात्र' कहा गया है।
  • प्रतीकात्मकता: 'अक्षय पात्र' साहित्य की अमरता का प्रतीक है।

दूसरी कविता: बगुलों के पंख

यह एक अत्यंत सुंदर प्रकृति-चित्रण वाली कविता है, जिसमें कवि ने एक साधारण से दृश्य को अपनी कल्पना से असाधारण बना दिया है।

कविता का सार

कवि आकाश में देखता है। काले-काले बादलों की छाया में बगुलों की एक पंक्ति (पाँत) अपने सफेद पंख फैलाए उड़ रही है। यह दृश्य इतना मनमोहक है कि कवि को लगता है जैसे ये बगुले उसकी आँखें चुराकर ले जा रहे हैं। वह इस दृश्य में पूरी तरह खो जाता है। साँझ के समय तैरती हुई बगुलों की सफेद काया (शरीर) काले बादलों पर बहुत आकर्षक लग रही है। कवि को लगता है कि यह दृश्य अपनी माया (जादू) में उसे धीरे-धीरे बाँध रहा है। वह इतना मोहित हो जाता है कि वह दूसरों से आग्रह करता है कि कोई इस दृश्य को थोड़ी देर के लिए रोक ले ताकि वह इसे जी भरकर देख सके।

विस्तृत व्याख्या एवं काव्य सौंदर्य

काव्यांश:

नभ में पाँती-बाँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ-छाया,
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।

व्याख्या: कवि आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए बगुलों के पंखों को देखता है। यह दृश्य इतना सुंदर है कि वह अपलक उसे देखता रह जाता है। उसे लगता है जैसे उसकी आँखें उस दृश्य ने चुरा ली हैं। काले बादलों की पृष्ठभूमि पर शाम के समय उन बगुलों के चमकीले सफेद शरीर ऐसे लग रहे हैं जैसे तैर रहे हों।

काव्य सौंदर्य:

  • बिंब: कविता में सुंदर दृश्य बिंब (चाक्षुष बिंब) है। काले बादलों और सफेद बगुलों का रंग-विपर्यय (contrast) दृश्य को और आकर्षक बनाता है। 'तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया' में स्थिर और गतिशील दोनों बिंबों का मिश्रण है।
  • अलंकार: 'चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें' एक मुहावरेदार प्रयोग है, जिसमें लाक्षणिकता है।
  • भाषा: सरल, सहज और प्रवाहमयी खड़ी बोली। तत्सम शब्दों (नभ, काया) के साथ तद्भव शब्दों का सुंदर प्रयोग।

काव्यांश:

हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।
उसे कोई तनिक रोक रक्खो-
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें
नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।

व्याख्या: कवि कहता है कि यह दृश्य धीरे-धीरे मुझे अपने जादू में बाँध रहा है। वह इस दृश्य के प्रभाव से बाहर नहीं निकलना चाहता। वह निवेदन करता है कि कोई इस सुंदर दृश्य को थोड़ी देर के लिए यहीं रोक ले, क्योंकि यह दृश्य उसकी आँखों को चुराकर ले जा रहा है। वह बार-बार पंक्तिबद्ध उड़ते बगुलों के पंखों के सौंदर्य से अभिभूत है।

काव्य सौंदर्य:

  • पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार: 'हौले हौले' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है, जो गति की मंदता को दर्शाता है।
  • भाव: सौंदर्य के प्रति कवि का गहरा आकर्षण और उसमें खो जाने का भाव व्यक्त हुआ है।
  • नाद सौंदर्य: 'हौले हौले' जैसे शब्दों से कविता में एक संगीतात्मकता आती है।
  • शैली: चित्रात्मक शैली।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

आइए अब इन कविताओं पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों का अभ्यास करें।

प्रश्न 1: 'छोटा मेरा खेत' कविता में 'खेत' किसे कहा गया है?
(क) किसान के खेत को
(ख) कवि के मन को
(ग) कागज के पन्ने को
(घ) कल्पना को

प्रश्न 2: कवि के अनुसार 'विचार का बीज' किसने बोया?
(क) किसान ने
(ख) क्षण भर के लिए आए अंधड़ ने
(ग) कल्पना ने
(घ) शब्दों ने

प्रश्न 3: कविता में 'रसायन' किसे कहा गया है?
(क) खाद को
(ख) कल्पना को
(ग) शब्दों को
(घ) भावों को

प्रश्न 4: 'रस का अक्षय पात्र' से कवि का क्या अभिप्राय है?
(क) कभी न खत्म होने वाला बर्तन
(ख) कविता का अनंत आनंद
(ग) अमृत का कलश
(घ) खेत की फसल

प्रश्न 5: 'कटाई अनंतता की' पंक्ति का क्या आशय है?
(क) फसल हमेशा कटती रहेगी
(ख) कविता का प्रभाव शाश्वत होता है
(ग) कटाई में बहुत समय लगेगा
(घ) किसान अमर हो गया है

प्रश्न 6: 'बगुलों के पंख' कविता में आकाश का रंग कैसा है?
(क) नीला
(ख) सफेद
(ग) नारंगी
(घ) कजरारे बादलों के कारण काला

प्रश्न 7: "चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें" पंक्ति में कौन-सा भाव है?
(क) चोरी हो जाने का डर
(ख) आँखों की पीड़ा
(ग) दृश्य का अत्यधिक आकर्षक होना
(घ) अंधा हो जाने का भाव

प्रश्न 8: 'बगुलों के पंख' कविता में किस प्रकार के बिंब की प्रधानता है?
(क) श्रव्य बिंब
(ख) स्पर्श बिंब
(ग) दृश्य बिंब
(घ) घ्राण बिंब

प्रश्न 9: उमाशंकर जोशी को किस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?
(क) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(ख) पद्म भूषण
(ग) ज्ञानपीठ पुरस्कार
(घ) सरस्वती सम्मान

प्रश्न 10: कवि 'बगुलों के पंख' कविता में दृश्य को रोकने का आग्रह क्यों करता है?
(क) क्योंकि वह थक गया है
(ख) क्योंकि वह उस सौंदर्य को देर तक अनुभव करना चाहता है
(ग) क्योंकि बगुले बहुत तेज उड़ रहे हैं
(घ) क्योंकि उसे अँधेरे से डर लगता है


उत्तरमाला:

  1. (ग) कागज के पन्ने को
  2. (ख) क्षण भर के लिए आए अंधड़ ने
  3. (ख) कल्पना को
  4. (ख) कविता का अनंत आनंद
  5. (ख) कविता का प्रभाव शाश्वत होता है
  6. (घ) कजरारे बादलों के कारण काला
  7. (ग) दृश्य का अत्यधिक आकर्षक होना
  8. (ग) दृश्य बिंब
  9. (ग) ज्ञानपीठ पुरस्कार
  10. (ख) क्योंकि वह उस सौंदर्य को देर तक अनुभव करना चाहता है

इन नोट्स और प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें और दोहराएँ। इससे आपको परीक्षा में निश्चित ही सहायता मिलेगी। शुभकामनाएँ

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