Class 11 Hindi Notes Chapter 15 (महादेवी वर्मा : जाग तुझको दूर जाना ; सब आँखों के आँसू उजले) – Antra Book

Antra
नमस्ते विद्यार्थियों,

आज हम कक्षा 11 की 'अंतरा' पुस्तक के अध्याय 15 का अध्ययन करेंगे, जिसमें छायावाद की प्रमुख स्तंभ, महादेवी वर्मा जी की दो महत्वपूर्ण कविताएँ संकलित हैं - 'जाग तुझको दूर जाना' और 'सब आँखों के आँसू उजले'। ये दोनों कविताएँ प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आइए, हम इनका विस्तृत विश्लेषण करें।

कवयित्री परिचय : महादेवी वर्मा (1907-1987)

  • जन्म: 26 मार्च 1907, फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)।
  • उपाधि: इन्हें 'आधुनिक युग की मीरा' कहा जाता है।
  • साहित्यिक युग: ये छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों (प्रसाद, पंत, निराला, महादेवी) में से एक हैं।
  • प्रमुख विषय: इनकी कविताओं में वेदना, रहस्यवाद, प्रकृति प्रेम, अज्ञात प्रियतम के प्रति प्रणय-निवेदन और नारी चेतना के स्वर प्रमुखता से मिलते हैं।
  • प्रमुख काव्य-कृतियाँ: नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत (इन चारों का संग्रह 'यामा' नाम से प्रकाशित हुआ), दीपशिखा, सप्तपर्णा।
  • प्रमुख गद्य-कृतियाँ: अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ (रेखाचित्र); शृंखला की कड़ियाँ (निबंध)।
  • पुरस्कार:
    • ज्ञानपीठ पुरस्कार: 'यामा' कृति के लिए (1982)।
    • पद्म भूषण (1956) और पद्म विभूषण (1988, मरणोपरांत)।

कविता - 1 : जाग तुझको दूर जाना

यह एक जागरण गीत है, जो स्वाधीनता आंदोलन की पृष्ठभूमि में लिखा गया था। इसमें कवयित्री ने देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को, आलस्य और मोह-माया त्यागकर अपने लक्ष्य (स्वतंत्रता) की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।

मूल भाव / सार

इस कविता में कवयित्री साधक (देशवासी/युवा) को संबोधित करते हुए कहती हैं कि तुम्हारा लक्ष्य अभी बहुत दूर है, इसलिए तुम्हें जागना होगा। वे कहती हैं कि चाहे हिमालय कांपने लगे, चाहे आकाश से प्रलय की वर्षा होने लगे, तुम्हें रुकना नहीं है। सांसारिक मोह-माया के बंधन (जैसे तितली के पंख, मोम के बंधन) तुम्हें रोक नहीं सकते। किसी प्रिय के आँसू भी तुम्हें अपने पथ से डिगा नहीं सकते। तुम्हारा हृदय वज्र के समान कठोर था, उसे कोमल भावनाओं में पिघलना नहीं चाहिए। अपनी पुरानी असफलताओं को याद करके निराश होने के बजाय, उसी आग को अपनी प्रेरणा बनाओ और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहो।

विस्तृत व्याख्या एवं काव्य सौंदर्य

पद 1:

  • "चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना!
    जाग तुझको दूर जाना!"
  • व्याख्या: कवयित्री कहती हैं कि हे साधक! तुम्हारी आँखें तो सदैव जागरूक रहती थीं, आज वे नींद से भरी क्यों हैं? तुम्हारा वेश आज इतना अस्त-व्यस्त क्यों है? तुम्हें यह याद रखना चाहिए कि तुम्हारा लक्ष्य अभी बहुत दूर है, इसलिए जागो और अपने पथ पर आगे बढ़ो।
  • काव्य सौंदर्य:
    • भाषा: तत्सम प्रधान खड़ी बोली।
    • शैली: संबोधन शैली, ओजपूर्ण (ऊर्जा से भरी)।
    • अलंकार: प्रश्न अलंकार।

पद 2:

  • "बाँध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बंधन सजीले?
    पंथ की बाधा बनेंगे तितलियों के पर रंगीले?"
  • व्याख्या: कवयित्री प्रश्न करती हैं कि क्या ये मोम के समान पिघल जाने वाले सांसारिक और पारिवारिक रिश्ते तुम्हें बाँध लेंगे? क्या तितलियों के रंगीन पंखों जैसे सुंदर और क्षणिक आकर्षण तुम्हारी राह में बाधा बनेंगे? तुम इन तुच्छ बंधनों में मत उलझो।
  • काव्य सौंदर्य:
    • प्रतीक: 'मोम के बंधन' और 'तितलियों के पर' सांसारिक आकर्षणों के प्रतीक हैं।
    • अलंकार: रूपक ('मोम के बंधन'), प्रश्न अलंकार।

पद 3:

  • "वज्र का उर एक छोटे आँसु-कण में धो गलाया,
    दे किसे जीवन-सुधा दो घूँट मदिरा माँग लाया?"
  • व्याख्या: तुम्हारा हृदय तो वज्र के समान कठोर और दृढ़ था, तुमने उसे किसी प्रिय के छोटे से आँसू में कैसे पिघला दिया? तुमने अपने जीवन रूपी अमृत को देकर बदले में दो घूँट मदिरा (मोह-माया) क्यों ले ली? तुमने अमरता को त्यागकर नाशवान सांसारिक सुखों को क्यों अपना लिया?
  • काव्य सौंदर्य:
    • अलंकार: रूपक ('जीवन-सुधा'), विरोधाभास (अमृत देकर मदिरा लेना)।
    • भाषा: लाक्षणिकता का सुंदर प्रयोग।

पद 4:

  • "कह न ठंडी साँस में अब भूल वह जलती कहानी,
    आग हो उर में तभी दृग में सजेगा आज पानी।"
  • व्याख्या: अपनी पुरानी असफलताओं और दुखों की कहानी को अब ठंडी आहें भरकर मत सुनाओ। जब तुम्हारे हृदय में लक्ष्य को पाने की आग होगी, तभी तुम्हारी आँखों में आँसू (करुणा और दृढ़ संकल्प) भी शोभा देंगे। उस आग को अपनी प्रेरणा बनाओ।
  • काव्य सौंदर्य:
    • बिंब: दृश्यात्मक बिंब का प्रयोग।
    • भाव: निराशा त्यागकर आशा और दृढ़ संकल्प अपनाने का संदेश।

कविता - 2 : सब आँखों के आँसू उजले

यह एक दार्शनिक और रहस्यवादी कविता है। इसमें कवयित्री ने सृष्टि की विविधता में छिपी एकता को दर्शाया है।

मूल भाव / सार

कवयित्री कहती हैं कि प्रकृति में हर किसी का अपना सपना और अपना सत्य है। कोई तारों को देखकर अपना संसार बनाता है, कोई फूलों को देखकर, तो कोई मोतियों को देखकर। सबके सपने अलग-अलग हैं, सबके रास्ते अलग-अलग हैं, लेकिन उन सपनों को सच करने की प्रक्रिया में जो अनुभव (आँसू) प्राप्त होते हैं, वे सभी पवित्र और मूल्यवान ('उजले') हैं। क्योंकि उन सभी अनुभवों के मूल में एक ही परम सत्य का प्रतिबिंब होता है। जिस तरह अलग-अलग पात्रों में रखने पर भी पानी का मूल स्वभाव एक ही रहता है, उसी तरह अलग-अलग जीवन और अनुभवों के बावजूद सबके आँसुओं में एक ही सत्य की चमक होती है।

विस्तृत व्याख्या एवं काव्य सौंदर्य

  • "सब आँखों के आँसू उजले
    सबके सपनों में सत्य पला।"

  • व्याख्या: कवयित्री कहती हैं कि प्रत्येक व्यक्ति की आँखों से निकले आँसू (अनुभव और वेदना) पवित्र और एक समान मूल्यवान हैं, क्योंकि हर किसी के सपनों में एक ही परम सत्य पलता है। भले ही सपनों के रूप अलग-अलग हों, पर उनका सार एक ही है।

  • काव्य सौंदर्य:

    • भाषा: तत्सम, दार्शनिक और प्रतीकात्मक भाषा।
    • अलंकार: 'आँसू उजले' में विरोधाभास है (आँसू दुःख का प्रतीक, उजला पवित्रता का)।
    • दर्शन: अद्वैतवाद का प्रभाव (अनेकता में एकता)।
  • "जिसने उसको ज्वाला सौंपी
    उसने इसमें मकरंद भरा।"

  • व्याख्या: जिस परम शक्ति ने दीपक को जलने की ज्वाला दी, उसी ने फूल में सुगंध (मकरंद) भरी। दोनों के गुण और रूप अलग हैं, पर दोनों को बनाने वाली शक्ति एक ही है। यह प्रकृति की विविधता में एकता को दर्शाता है।

  • काव्य सौंदर्य:

    • प्रतीक: 'ज्वाला' (त्याग, तप) और 'मकरंद' (सौंदर्य, सृजन) अलग-अलग मार्गों के प्रतीक हैं।
    • भाव: सृष्टि की प्रत्येक वस्तु का अपना महत्व है।
  • "वह सौरभ में सपना बँधकर
    यह रज में खोया, झरा, गला।"

  • व्याख्या: कवयित्री बताती हैं कि किसी का सपना सुगंध (सौरभ) में बंधा है, तो किसी का सपना धूल (रज) में मिलकर, झरकर और गलकर पूरा होता है। रास्ते भले ही अलग हों, पर दोनों ही अपने-अपने सत्य को जी रहे हैं।

  • काव्य सौंदर्य:

    • बिंब: विभिन्न जीवन-मार्गों का सुंदर बिंब।
    • शैली: चिंतनप्रधान और दार्शनिक।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. महादेवी वर्मा को किस उपाधि से जाना जाता है?
(क) भारत कोकिला
(ख) आधुनिक युग की मीरा
(ग) छायावाद की शक्ति
(घ) वेदना की कवयित्री

2. 'जाग तुझको दूर जाना' कविता किस प्रकार का गीत है?
(क) विरह गीत
(ख) प्रकृति गीत
(ग) जागरण गीत
(घ) भक्ति गीत

3. कविता में 'मोम के बंधन' और 'तितलियों के पर' किसके प्रतीक हैं?
(क) प्रकृति की सुंदरता
(ख) ईश्वर की शक्ति
(ग) सांसारिक और पारिवारिक आकर्षण
(घ) स्वतंत्रता की बाधाएँ

4. "आग हो उर में तभी दृग में सजेगा आज पानी" - इस पंक्ति में 'आग' का क्या अर्थ है?
(क) क्रोध की आग
(ख) ईर्ष्या की आग
(ग) लक्ष्य के प्रति उत्साह और दृढ़ संकल्प
(घ) दुःख की आग

5. महादेवी वर्मा को उनकी किस कृति के लिए 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' मिला था?
(क) नीरजा
(ख) रश्मि
(ग) शृंखला की कड़ियाँ
(घ) यामा

6. 'सब आँखों के आँसू उजले' कविता का मूल प्रतिपाद्य क्या है?
(क) प्रकृति का सौंदर्य वर्णन
(ख) जीवन के दुखों का वर्णन
(ग) सृष्टि की विविधता में निहित एकता
(घ) ईश्वर के प्रति समर्पण

7. "दे किसे जीवन-सुधा दो घूँट मदिरा माँग लाया?" - इस पंक्ति में 'मदिरा' किसका प्रतीक है?
(क) नशीला पदार्थ
(ख) सांसारिक मोह-माया और क्षणिक सुख
(ग) अमरता का वरदान
(घ) जीवन का आनंद

8. 'सब आँखों के आँसू उजले' में 'उजले' शब्द का क्या आशय है?
(क) चमकीले
(ख) सफ़ेद
(ग) पवित्र और मूल्यवान
(घ) पारदर्शी

9. महादेवी वर्मा किस साहित्यिक युग की कवयित्री हैं?
(क) भारतेंदु युग
(ख) द्विवेदी युग
(ग) छायावाद
(घ) प्रगतिवाद

10. 'जाग तुझको दूर जाना' कविता में कवयित्री साधक को किन बाधाओं से न डरने की प्रेरणा देती है?
(क) केवल पारिवारिक बाधाओं से
(ख) केवल सामाजिक बाधाओं से
(ग) प्राकृतिक और भावनात्मक सभी प्रकार की बाधाओं से
(घ) केवल आर्थिक बाधाओं से


उत्तरमाला:

  1. (ख), 2. (ग), 3. (ग), 4. (ग), 5. (घ), 6. (ग), 7. (ख), 8. (ग), 9. (ग), 10. (ग)

इन नोट्स को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का अभ्यास करें। इससे आपको परीक्षा में निश्चित ही सहायता मिलेगी। शुभकामनाएँ

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