Class 11 Hindi Notes Chapter 16 (नरेंद्र शर्मा : नींद उचट जाती है) – Antra Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 की 'अंतरा' पुस्तक के अध्याय 16, नरेंद्र शर्मा द्वारा रचित कविता 'नींद उचट जाती है' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह कविता प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें कवि की सामाजिक चेतना और युगीन यथार्थ का सुंदर चित्रण हुआ है।
अध्याय 16: नरेंद्र शर्मा - नींद उचट जाती है
कवि परिचय: नरेंद्र शर्मा (1913-1989)
- जन्म: 1913 ई., ग्राम- जहाँगीरपुर, जिला- बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)।
- शिक्षा: प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए.।
- कार्यक्षेत्र: वे 'अभ्युदय' पत्रिका से जुड़े रहे और बाद में आकाशवाणी में भी कार्यरत रहे। वे प्रगतिशील लेखक संघ से भी सक्रिय रूप से जुड़े थे।
- साहित्यिक विशेषताएँ:
- नरेंद्र शर्मा मूलतः छायावादोत्तर काल के कवि हैं। उनकी आरंभिक कविताओं में छायावादी रोमांस और व्यक्तिनिष्ठता दिखती है, किंतु बाद में वे प्रगतिवादी चेतना से प्रभावित हुए।
- उनकी कविताओं में मानवतावादी दृष्टिकोण, सामाजिक यथार्थ, शोषितों के प्रति सहानुभूति और एक बेहतर भविष्य की आशा स्पष्ट रूप से झलकती है।
- उनकी भाषा सहज, सरल, प्रवाहमयी और संगीतात्मक है। उन्होंने मुक्त छंद के साथ-साथ पारंपरिक छंदों का भी प्रयोग किया।
- प्रमुख रचनाएँ: प्रवासी के गीत, पलाश वन, मिट्टी और फूल, कर्णफूल, द्रौपदी, उत्तरजय आदि।
कविता का विस्तृत विश्लेषण और सार
कविता 'नींद उचट जाती है' कवि की व्यक्तिगत अनुभूति से प्रारंभ होकर सामाजिक यथार्थ तक पहुँचती है। यह केवल कवि की नींद का टूटना नहीं, बल्कि समाज की विषम परिस्थितियों के प्रति उसकी गहरी चिंता और बेचैनी का प्रतीक है।
मूल भाव: कवि रात के अंधकार में सोने का प्रयास करता है, लेकिन उसकी नींद टूट जाती है। इसका कारण कोई व्यक्तिगत परेशानी नहीं, बल्कि दुनिया में व्याप्त दुःख, पीड़ा, अन्याय और शोषण है, जो उसे सोने नहीं देता। वह एक संवेदनशील व्यक्ति के रूप में संपूर्ण मानवता के दुःख को अपना दुःख समझता है।
पदों का भावार्थ एवं व्याख्या
1. "जब भी सोचता हूँ... नींद उचट जाती है।"
- प्रसंग: कवि रात के घने अंधकार में लेटा है। बाहरी अंधकार उसके मन के भीतर भी समा गया है।
- व्याख्या: कवि कहता है कि जब वह सोने का प्रयास करता है, तो उसकी आँखों के सामने घना अँधेरा छा जाता है। यह अँधेरा केवल रात का नहीं है, बल्कि यह दुनिया में फैली निराशा, अज्ञानता और शोषण का प्रतीक है। कवि को लगता है कि यह बाहरी अंधकार उसके भीतर भी प्रवेश कर गया है, जिससे उसका मन भारी हो गया है। इस बोझ और चिंता के कारण उसकी नींद टूट जाती है।
2. "बाहर ठीक वैसा ही... जैसे मेरे घर में।"
- प्रसंग: कवि अपने कमरे के अंधकार की तुलना बाहरी दुनिया के अंधकार से करता है।
- व्याख्या: कवि को एहसास होता है कि जो अंधकार उसके घर में है, वैसा ही अंधकार बाहर पूरी दुनिया में फैला हुआ है। यह समानता भौतिक अंधकार की नहीं, बल्कि वैचारिक और सामाजिक अंधकार की है। दुनिया में हर तरफ अन्याय, शोषण और निराशा का माहौल है। इस सार्वभौमिक पीड़ा का एहसास कवि को बेचैन कर देता है।
3. "दूर कहीं रोता है कोई... नींद उचट जाती है।"
- प्रसंग: कवि अपनी बेचैनी के वास्तविक कारण को स्पष्ट करता है।
- व्याख्या: कवि कहता है कि उसकी नींद इसलिए टूटती है क्योंकि उसे दूर कहीं किसी का करुण क्रंदन (रोना) सुनाई देता है। यह रोना किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि संपूर्ण शोषित और पीड़ित मानवता का है। कवि इतना संवेदनशील है कि वह दूसरों के दुःख को महसूस कर सकता है। जब तक दुनिया में कोई भी व्यक्ति दुःखी है, तब तक कवि को चैन की नींद नहीं आ सकती। यह पंक्ति कवि की गहरी सामाजिक सहानुभूति को दर्शाती है।
4. "मैं हो जाना चाहता हूँ गुम... पर अँधकार यह मुझे टटोलता है।"
- प्रसंग: कवि इस बेचैनी से मुक्ति पाना चाहता है, लेकिन यथार्थ उसे ऐसा करने नहीं देता।
- व्याख्या: कवि इस पीड़ादायक एहसास से बचने के लिए अँधेरे में विलीन हो जाना चाहता है, अपनी चेतना को शून्य कर देना चाहता है। लेकिन यह अंधकार (सामाजिक यथार्थ) उसे ऐसा नहीं करने देता। यह उसे बार-बार झकझोरता है, उसे उसकी ज़िम्मेदारियों का एहसास कराता है। अंधकार का मानवीकरण किया गया है, जो कवि की चेतना को जगाए रखता है।
5. "भोर न होने तक... नींद उचट जाती है।"
- प्रसंग: कवि अंधकार के समाप्त होने और सुबह होने की प्रतीक्षा कर रहा है।
- व्याख्या: यहाँ 'भोर' (सुबह) केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह एक नए युग, एक बेहतर समाज का प्रतीक है। यह आशा, ज्ञान और समानता का प्रतीक है। कवि तब तक सो नहीं सकता, जब तक यह प्रतीकात्मक भोर नहीं हो जाती, यानी जब तक दुनिया से अन्याय और दुःख का अंधकार मिट नहीं जाता। उसकी बेचैनी एक बेहतर भविष्य की प्रतीक्षा है।
काव्य-सौंदर्य एवं विशेष बिंदु (परीक्षा की दृष्टि से)
- भाव पक्ष:
- सामाजिक चेतना: कविता में कवि की गहरी सामाजिक चेतना और प्रगतिवादी दृष्टिकोण व्यक्त हुआ है।
- मानवतावाद: कवि संपूर्ण मानवता की पीड़ा से दुःखी है।
- आशावादिता: अंधकार के चित्रण के बावजूद, कविता 'भोर' की प्रतीक्षा में एक आशावादी संदेश देती है।
- कला पक्ष:
- भाषा: सहज, सरल खड़ी बोली हिंदी का प्रयोग।
- प्रतीकात्मकता: 'अंधकार' अज्ञान, शोषण और निराशा का प्रतीक है। 'भोर' आशा, क्रांति और नए युग का प्रतीक है।
- बिंब: कविता में चाक्षुष (अंधकार) और श्रव्य (क्रंदन) बिंबों का सुंदर प्रयोग है।
- अलंकार:
- मानवीकरण: "पर अँधकार यह मुझे टटोलता है" - यहाँ अंधकार को मानव की तरह क्रिया करते दिखाया गया है।
- पुनरुक्ति प्रकाश: "दूर कहीं..." - शब्द की आवृत्ति से भाव में गहराई आई है।
- शैली: गीतात्मक और भावात्मक शैली।
- छंद: मुक्त छंद का प्रयोग किया गया है।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: 'नींद उचट जाती है' कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
(ख) नरेंद्र शर्मा
(ग) सुमित्रानंदन पंत
(घ) महादेवी वर्मा
प्रश्न 2: कवि की नींद उचटने का मुख्य कारण क्या है?
(क) व्यक्तिगत दुःख
(ख) घर में अत्यधिक अंधकार
(ग) संसार में व्याप्त दुःख और पीड़ा
(घ) रात में आने वाले बुरे सपने
प्रश्न 3: कविता में 'अंधकार' किसका प्रतीक है?
(क) केवल रात का अँधेरा
(ख) कवि की आँखों की कमजोरी
(ग) अज्ञान, शोषण और सामाजिक निराशा
(घ) मृत्यु का भय
प्रश्न 4: कविता में 'भोर' से क्या आशय है?
(क) सुबह का समय
(ख) एक नया और बेहतर युग
(ग) उजाले की किरण
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5: नरेंद्र शर्मा किस काव्य-धारा से मुख्य रूप से जुड़े थे?
(क) छायावाद
(ख) प्रयोगवाद
(ग) प्रगतिवाद
(घ) रीतिकाल
प्रश्न 6: "दूर कहीं रोता है कोई..." पंक्ति में कवि की कौन-सी भावना व्यक्त होती है?
(क) भय
(ख) क्रोध
(ग) गहरी सहानुभूति और करुणा
(घ) उदासीनता
प्रश्न 7: "पर अँधकार यह मुझे टटोलता है" - इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) मानवीकरण
(घ) यमक
प्रश्न 8: कवि अंधकार में 'गुम' क्यों हो जाना चाहता है?
(क) उसे अंधकार बहुत पसंद है।
(ख) वह दुनिया के दुःखों से क्षणिक मुक्ति पाना चाहता है।
(ग) वह छिपकर किसी का इंतजार कर रहा है।
(घ) उसे प्रकाश से डर लगता है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन-सी रचना नरेंद्र शर्मा की नहीं है?
(क) पलाश वन
(ख) प्रवासी के गीत
(ग) कामायनी
(घ) कर्णफूल
प्रश्न 10: कविता का अंत किस भाव के साथ होता है?
(क) पूर्ण निराशा
(ख) घोर हताशा
(ग) एक बेहतर भविष्य की प्रतीक्षा और आशा
(घ) क्रोध और विद्रोह
उत्तरमाला:
- (ख) नरेंद्र शर्मा
- (ग) संसार में व्याप्त दुःख और पीड़ा
- (ग) अज्ञान, शोषण और सामाजिक निराशा
- (ख) एक नया और बेहतर युग
- (ग) प्रगतिवाद
- (ग) गहरी सहानुभूति और करुणा
- (ग) मानवीकरण
- (ख) वह दुनिया के दुःखों से क्षणिक मुक्ति पाना चाहता है।
- (ग) कामायनी (यह जयशंकर प्रसाद की रचना है)
- (ग) एक बेहतर भविष्य की प्रतीक्षा और आशा
इन बिंदुओं को ध्यान में रखकर आप इस अध्याय की तैयारी प्रभावी ढंग से कर सकते हैं। शुभकामनाएँ