Class 11 Hindi Notes Chapter 18 (बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर) – Aroh Book

Aroh
नमस्ते विद्यार्थियों।

आज हम कक्षा 11 की 'आरोह' पुस्तक के गद्य खंड के अंतिम अध्याय, 'बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें बाबा साहेब के सामाजिक और आर्थिक विचारों की गहरी झलक मिलती है। चलिए, इसके विस्तृत नोट्स और कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।


अध्याय 18: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर

लेखक परिचय: डॉ. भीमराव आंबेडकर (1891 - 1956)

  • पूरा नाम: भीमराव रामजी आंबेडकर।
  • जन्म: 14 अप्रैल 1891, महू, मध्य प्रदेश।
  • शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा में अनेक सामाजिक बाधाओं का सामना करने के बाद, उन्होंने बड़ौदा नरेश के प्रोत्साहन पर उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका (कोलंबिया विश्वविद्यालय) और फिर लंदन (लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स) गए। उन्होंने अर्थशास्त्र, विधि और राजनीति विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल की।
  • प्रमुख योगदान:
    • वे भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार (Chief Architect) और संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
    • वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री बने।
    • उन्होंने जीवन भर दलितों, शोषितों और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। छुआछूत और जाति-प्रथा के वे प्रखर विरोधी थे।
    • उन्होंने हिंदू धर्म की कुरीतियों को त्यागकर 1956 में अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया।
  • प्रमुख रचनाएँ:
    • द कास्ट्स इन इंडिया: देयर मैकेनिज़्म, जेनेसिस एंड डेवलपमेंट
    • एनिहिलेशन ऑफ कास्ट (Annihilation of Caste)
    • हू आर द शूद्राज़?
    • बुद्धा एंड हिज़ धम्मा
    • भारत सरकार ने उनके सम्पूर्ण वाङ्मय को 'बाबा साहेब आंबेडकर संपूर्ण वाङ्मय' नाम से 21 खंडों में प्रकाशित किया है।
  • निधन: 6 दिसंबर 1956, दिल्ली।

पाठ का विस्तृत विश्लेषण

इस अध्याय में बाबा साहेब के दो भाषणों के अंश दिए गए हैं। ये दोनों अंश उनके प्रसिद्ध भाषण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' (1936) से लिए गए हैं। इसका हिंदी रूपांतरण ललई सिंह यादव ने 'जाति-भेद का उच्छेद' नाम से किया था।

पहला अंश: 'श्रम विभाजन और जाति प्रथा'

इस अंश में आंबेडकर जी ने भारतीय समाज में व्याप्त जाति प्रथा को केवल एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि एक गंभीर आर्थिक समस्या के रूप में प्रस्तुत किया है।

मुख्य बिंदु:

  1. जाति प्रथा श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप नहीं है: आंबेडकर का तर्क है कि जाति प्रथा श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन करती है। यह मनुष्य की रुचि या क्षमता पर आधारित नहीं है, बल्कि जन्म पर आधारित है।
  2. रुचि और क्षमता की अवहेलना: यह प्रथा व्यक्ति को जन्म से ही एक पेशे में बाँध देती है, भले ही उसकी उस काम में रुचि हो या न हो, या वह उस कार्य के लिए अयोग्य ही क्यों न हो।
  3. पेशा बदलने की स्वतंत्रता का अभाव: जाति प्रथा व्यक्ति को अपना पेशा बदलने की अनुमति नहीं देती, भले ही उसका पैतृक पेशा अनुपयोगी हो जाए या उससे उसका जीवनयापन न हो पाए। इस कारण समाज में भुखमरी और बेरोजगारी बढ़ती है।
  4. कार्य में अरुचि और अक्षमता: जब व्यक्ति को विवश होकर कोई काम करना पड़ता है, तो वह उस काम को टालने की कोशिश करता है और पूरी क्षमता से नहीं करता। इससे उत्पादन में कमी आती है और देश की आर्थिक प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है।
  5. निष्कर्ष: आंबेडकर के अनुसार, जाति प्रथा केवल श्रम का विभाजन नहीं करती, बल्कि श्रमिकों का भी विभाजन कर देती है। यह एक दूषित और अव्यावहारिक व्यवस्था है जो भारत की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है।

दूसरा अंश: 'मेरी कल्पना का आदर्श समाज'

इस अंश में बाबा साहेब एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जो न्याय, समानता और बंधुत्व पर आधारित हो।

मुख्य बिंदु:

  1. आदर्श समाज के तीन स्तंभ: आंबेडकर के अनुसार, एक आदर्श समाज तीन तत्वों पर आधारित होना चाहिए:
    • स्वतंत्रता (Liberty): व्यक्ति को अपनी शक्ति का उपयोग करने, पेशा चुनने और अबाध आवागमन की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
    • समता (Equality): कानून की दृष्टि में सभी समान होने चाहिए। भले ही मनुष्य क्षमता में समान नहीं होते, लेकिन सामाजिक व्यवहार और अवसरों की समानता आवश्यक है। सबको विकास के समान अवसर मिलने चाहिए।
    • भ्रातृता (Fraternity): यह सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। इसका अर्थ है भाईचारा। समाज में सभी लोगों के बीच अपनत्व का भाव होना चाहिए।
  2. भ्रातृता का वास्तविक अर्थ: आंबेडकर के लिए भाईचारे का मतलब है समाज में बहुविधि हितों में सबका भाग होना और एक-दूसरे की रक्षा के प्रति सजग रहना। उन्होंने इसकी तुलना "दूध-पानी के मिश्रण" से की है।
  3. लोकतंत्र का सच्चा स्वरूप: उनके अनुसार, लोकतंत्र केवल एक शासन प्रणाली नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक जीवन-शैली है। भ्रातृता या भाईचारा ही लोकतंत्र का दूसरा नाम है। एक ऐसा समाज जिसमें स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे का भाव हो, वही सच्चा लोकतंत्र है।

परीक्षा के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

  1. प्रस्तुत पाठ 'श्रम विभाजन और जाति प्रथा' बाबा साहेब के किस प्रसिद्ध भाषण का अंश है?
    (क) हू आर द शूद्राज़?
    (ख) एनिहिलेशन ऑफ कास्ट
    (ग) द प्रॉब्लम ऑफ द रुपी
    (घ) बुद्धा एंड हिज़ धम्मा

  2. 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' भाषण का हिंदी रूपांतरण 'जाति-भेद का उच्छेद' किसने किया था?
    (क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
    (ख) ललई सिंह यादव
    (ग) नामवर सिंह
    (घ) रामविलास शर्मा

  3. लेखक के अनुसार, जाति प्रथा का सबसे बड़ा दोष क्या है?
    (क) यह समाज को विभाजित करती है।
    (ख) यह मनुष्य को जन्म से एक पेशे में बाँध देती है।
    (ग) यह धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देती है।
    (घ) यह राजनीतिक अस्थिरता पैदा करती है।

  4. बाबा साहेब के अनुसार, आदर्श समाज किन तत्वों पर आधारित होना चाहिए?
    (क) धर्म, जाति और वंश
    (ख) धन, शक्ति और प्रभाव
    (ग) स्वतंत्रता, समता और भ्रातृता
    (घ) श्रम, पूँजी और बाज़ार

  5. लेखक ने 'भ्रातृता' (भाईचारे) की तुलना किससे की है?
    (क) तेल और पानी के मिश्रण से
    (ख) शहद और नींबू के मिश्रण से
    (ग) दूध और पानी के मिश्रण से
    (घ) सोने और ताँबे के मिश्रण से

  6. आंबेडकर के अनुसार, लोकतंत्र का वास्तविक रूप क्या है?
    (क) केवल एक शासन पद्धति
    (ख) बहुमत का शासन
    (ग) भाईचारा और सामाजिक जीवन-विधि
    (घ) नियमित चुनाव करवाना

  7. जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण क्यों है?
    (क) क्योंकि यह लोगों को काम करने से रोकती है।
    (ख) क्योंकि यह लोगों को पेशा बदलने की अनुमति नहीं देती।
    (ग) क्योंकि यह केवल कुछ जातियों को काम करने का अधिकार देती है।
    (घ) क्योंकि यह उद्योगों का विकास नहीं होने देती।

  8. डॉ. आंबेडकर का जन्म कहाँ हुआ था?
    (क) नागपुर, महाराष्ट्र
    (ख) महू, मध्य प्रदेश
    (ग) अहमदाबाद, गुजरात
    (घ) पुणे, महाराष्ट्र

  9. लेखक क्यों मानते हैं कि जाति प्रथा आर्थिक दृष्टि से भी हानिकारक है?
    (क) क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा और रुचि को दबाकर उसे निष्क्रिय बना देती है।
    (ख) क्योंकि इसमें धन का असमान वितरण होता है।
    (ग) क्योंकि यह विदेशी निवेश को रोकती है।
    (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।

  10. भारतीय संविधान के निर्माण में डॉ. आंबेडकर की क्या भूमिका थी?
    (क) वे सलाहकार समिति के अध्यक्ष थे।
    (ख) वे मसौदा (प्रारूप) समिति के अध्यक्ष थे।
    (ग) वे अंतरिम सरकार के अध्यक्ष थे।
    (घ) वे संविधान सभा के अध्यक्ष थे।


उत्तरमाला:

  1. (ख), 2. (ख), 3. (ख), 4. (ग), 5. (ग), 6. (ग), 7. (ख), 8. (ख), 9. (क), 10. (ख)

इन नोट्स को अच्छी तरह से पढ़ें और समझें। बाबा साहेब के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और परीक्षाओं में अक्सर इनसे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। कोई और शंका हो तो अवश्य पूछें।

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