Class 11 Hindi Notes Chapter 2 (आलोक धन्वा: पतंग) – Aroh Book

Aroh
नमस्ते विद्यार्थियों!

चलिए, आज हम कक्षा 11 की 'आरोह' पुस्तक के दूसरे अध्याय, आलोक धन्वा जी की प्रसिद्ध कविता 'पतंग' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह कविता प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए हम इसके हर पहलू को गहराई से समझेंगे।

अध्याय 2: पतंग (कवि: आलोक धन्वा)

1. कवि परिचय

  • जन्म: सन् 1948 ई., मुंगेर (बिहार)।
  • प्रमुख रचनाएँ: इनकी पहली कविता 'जनता का आदमी' 1972 में प्रकाशित हुई। इनका एकमात्र काव्य संग्रह 'दुनिया रोज़ बनती है' 1998 में प्रकाशित हुआ, जिसमें इनकी प्रसिद्धि का मुख्य आधार बनी कविता 'पतंग' भी संकलित है।
  • पुरस्कार/सम्मान: राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् का साहित्य सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, पहल सम्मान।
  • साहित्यिक विशेषताएँ: आलोक धन्वा जनवादी चेतना के कवि हैं। उनकी कविताओं में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी संवेदना दिखाई देती है। 'पतंग' कविता बाल मनोविज्ञान और प्रकृति के सुन्दर समन्वय का एक अद्भुत उदाहरण है।

2. कविता का सार/मूल भाव

'पतंग' कविता कवि आलोक धन्वा के एकमात्र संग्रह 'दुनिया रोज़ बनती है' का एक अंश है। इस कविता में कवि ने बाल-सुलभ इच्छाओं, उमंगों और प्रकृति के साथ उनके रागात्मक संबंधों का अत्यंत सुंदर चित्रण किया है।

कविता की शुरुआत भादों मास की विदाई और शरद ऋतु के आगमन से होती है। कवि ने शरद ऋतु का मानवीकरण करते हुए उसे एक ऐसे बालक के रूप में चित्रित किया है जो अपनी चमकीली साइकिल पर सवार होकर आता है और बच्चों को पतंग उड़ाने के लिए आमंत्रित करता है। शरद ऋतु के आगमन से प्रकृति में आए बदलावों (साफ़, चमकीला आकाश, खिली हुई धूप) का वर्णन है, जो पतंग उड़ाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं।

कविता का मुख्य केंद्र बच्चे हैं। बच्चे जन्म से ही कपास की तरह नरम और लचीले होते हैं। उनकी कल्पनाएँ और सपने पतंग के साथ ऊँचाइयों को छूते हैं। वे छतों पर बेसुध होकर दौड़ते हैं, गिरने का भय भी उन्हें रोक नहीं पाता। यदि वे गिरकर बच जाते हैं, तो और भी निडर हो जाते हैं। पृथ्वी स्वयं उनके बेचैन पैरों के पास घूमती हुई आती है। बच्चों की किलकारियाँ, सीटियाँ और पतंग की डोर का संगीत मिलकर एक अद्भुत समां बांधते हैं। पतंग बच्चों के सपनों, उनकी उमंगों और आकाश छू लेने की उनकी चाहत का प्रतीक है।


3. प्रमुख काव्य पंक्तियों की व्याख्या एवं काव्य सौंदर्य

काव्यांश 1:

सबसे तेज़ बौछारें गईं भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को

  • प्रसंग: कवि वर्षा ऋतु के बीत जाने और शरद ऋतु के आगमन का वर्णन कर रहे हैं।
  • व्याख्या: कवि कहते हैं कि भादों के महीने की तेज बारिश का मौसम समाप्त हो गया है। अब जो सवेरा हुआ है, वह खरगोश की लाल-लाल आँखों जैसा सुंदर और चमकीला है। शरद ऋतु का मानवीकरण करते हुए कवि कहते हैं कि वह कई पुलों को पार करते हुए, अपनी नई चमकीली साइकिल को तेज़ी से चलाते हुए और ज़ोर-ज़ोर से घंटी बजाते हुए आ रहा है। वह अपने चमकीले इशारों से पतंग उड़ाने वाले बच्चों के समूह को बुला रहा है।
  • काव्य सौंदर्य:
    • मानवीकरण अलंकार: 'शरद आया पुलों को पार करते हुए' पंक्ति में शरद ऋतु का मानवीकरण किया गया है।
    • उपमा अलंकार: 'खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा' में सवेरे की तुलना खरगोश की आँखों से की गई है।
    • बिम्ब: गतिशील दृश्य बिम्ब (साइकिल चलाते हुए) और श्रव्य बिम्ब (घंटी बजाते हुए) का सुंदर प्रयोग है।
    • भाषा: सरल, सहज खड़ी बोली।
    • शैली: चित्रात्मक शैली।

काव्यांश 2:

जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए

  • प्रसंग: इन पंक्तियों में कवि बच्चों की कोमलता, चंचलता और निडरता का वर्णन कर रहे हैं।
  • व्याख्या: कवि कहते हैं कि बच्चे जन्म से ही कपास की तरह कोमल और चोट सहने की क्षमता वाले होते हैं। उनकी कोमलता हर कठोर सतह को नरम बना देती है। जब वे बेसुध होकर छतों पर दौड़ते हैं, तो ऐसा लगता है मानो सारी पृथ्वी ही उनके बेचैन पैरों के पास घूमती हुई आ रही है। वे अपनी धुन में इतने मग्न होते हैं कि उन्हें छत की कठोरता का भी अहसास नहीं होता।
  • काव्य सौंदर्य:
    • प्रतीक: 'कपास' बच्चों की कोमलता, लचीलेपन और चोट सहने की क्षमता का प्रतीक है।
    • अलंकार: 'पृथ्वी घूमती हुई आती है' में मानवीकरण है और यह एक अद्भुत कल्पना है।
    • बिम्ब: गतिशील दृश्य बिम्ब का प्रयोग है (बच्चों का दौड़ना)।
    • मनोविज्ञान: बाल मनोविज्ञान का सूक्ष्म चित्रण है।

4. कविता का शिल्प सौंदर्य (कला पक्ष)

  • भाषा: सरल, प्रवाहमयी और बिम्बधर्मी खड़ी बोली का प्रयोग।
  • छंद: मुक्त छंद की कविता है।
  • अलंकार: मानवीकरण, उपमा, उत्प्रेक्षा, पुनरुक्ति प्रकाश ('ज़ोर-ज़ोर से') अलंकारों का सहज प्रयोग।
  • बिम्ब-विधान: कविता बिम्बों से भरी हुई है। इसमें दृश्य बिम्ब (चमकीली साइकिल, लाल सवेरा), श्रव्य बिम्ब (घंटी की आवाज़, किलकारियाँ) और स्पर्श बिम्ब (नरम छतें) का अनूठा संगम है।
  • प्रतीक: 'पतंग' बच्चों की उमंगों और सपनों का प्रतीक है। 'कपास' उनकी कोमलता और लचीलेपन का प्रतीक है।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. 'पतंग' कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
(ख) हरिवंश राय बच्चन
(ग) आलोक धन्वा
(घ) कुँवर नारायण

2. कविता में किस महीने के बीत जाने की बात कही गई है?
(क) सावन
(ख) भादों
(ग) आश्विन
(घ) कार्तिक

3. 'खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा' में कौन-सा अलंकार है?
(क) रूपक
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) उपमा

4. कवि ने बच्चों के शरीर को किसके समान कोमल और लचीला बताया है?
(क) फूल के समान
(ख) रुई के समान
(ग) कपास के समान
(घ) रेशम के समान

5. कविता में 'शरद' का आगमन किसके साथ चित्रित किया गया है?
(क) घोड़े पर बैठकर
(ख) पैदल चलकर
(ग) चमकीली साइकिल पर
(घ) रथ पर सवार होकर

6. 'पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास' - इस पंक्ति में 'बेचैन पैर' किसके हैं?
(क) शरद ऋतु के
(ख) पतंग उड़ाने वाले बच्चों के
(ग) खरगोश के
(घ) कवि के

7. बच्चे छतों के खतरनाक किनारों से किसके सहारे बचते हैं?
(क) अपने माता-पिता के सहारे
(ख) अपने शरीर के संगीत के सहारे
(ग) अपने दोस्तों के सहारे
(घ) रस्सी के सहारे

8. 'पतंग' कविता बच्चों की किस भावना का प्रतीक है?
(क) डर और भय
(ख) निराशा और हताशा
(ग) उमंग, उल्लास और सपनों का
(घ) आलस्य और थकान का

9. आलोक धन्वा का एकमात्र काव्य संग्रह कौन-सा है?
(क) जनता का आदमी
(ख) दुनिया रोज़ बनती है
(ग) भागी हुई लड़कियाँ
(घ) ब्रूनो की बेटियाँ

10. बच्चे दिशाओं को किस वाद्य यंत्र की तरह बजाते हैं?
(क) ढोलक की तरह
(ख) सितार की तरह
(ग) मृदंग की तरह
(घ) बाँसुरी की तरह


उत्तरमाला:

  1. (ग) आलोक धन्वा
  2. (ख) भादों
  3. (घ) उपमा
  4. (ग) कपास के समान
  5. (ग) चमकीली साइकिल पर
  6. (ख) पतंग उड़ाने वाले बच्चों के
  7. (ख) अपने शरीर के संगीत के सहारे
  8. (ग) उमंग, उल्लास और सपनों का
  9. (ख) दुनिया रोज़ बनती है
  10. (ग) मृदंग की तरह

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में बहुत सहायक होगा। शुभकामनाएँ

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