Class 11 Hindi Notes Chapter 2 (अमरकांत ; दोपहर का भोजन) – Antra Book

Antra
नमस्ते विद्यार्थियों।

चलिए, आज हम अमरकांत जी द्वारा रचित 'दोपहर का भोजन' कहानी का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह कहानी न केवल आपकी कक्षा के लिए, बल्कि विभिन्न सरकारी परीक्षाओं के हिंदी साहित्य खंड के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम इस पाठ के हर पहलू को विस्तार से समझेंगे।

अमरकांत कृत 'दोपहर का भोजन' : विस्तृत नोट्स

1. लेखक परिचय: अमरकांत (1925 - 2014)

  • जन्म: 1 जुलाई 1925, नगरा गाँव, बलिया (उत्तर प्रदेश)।
  • साहित्यिक आंदोलन: अमरकांत 'नई कहानी आंदोलन' के एक प्रमुख कथाकार हैं।
  • लेखन शैली: इनकी कहानियों में यथार्थवाद का पुट मिलता है। वे विशेष रूप से शहरी निम्न-मध्यम वर्ग के जीवन की विडंबनाओं, उनके संघर्षों और उनकी जिजीविषा (जीने की इच्छा) को बड़ी ही सहजता और संवेदनशीलता से चित्रित करते हैं।
  • प्रमुख रचनाएँ:
    • कहानी संग्रह: 'ज़िंदगी और जोंक', 'देश के लोग', 'मौत का नगर', 'मित्र मिलन'।
    • उपन्यास: 'सूखा पत्ता', 'आकाश पक्षी', 'काले-उजले दिन', 'इन्हीं हथियारों से'।
  • पुरस्कार: 'इन्हीं हथियारों से' उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (2007) तथा भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार (2009) से सम्मानित।

2. पाठ का सार

'दोपहर का भोजन' एक निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार की गरीबी और बेबसी की कहानी है, जिसकी धुरी एक माँ 'सिद्धेश्वरी' है।

  • परिदृश्य: कहानी की शुरुआत दोपहर के समय से होती है। सिद्धेश्वरी खाना बनाकर अपने परिवार के सदस्यों की प्रतीक्षा कर रही है। घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है, जिसका अंदाज़ा घर के माहौल और भोजन की सीमित मात्रा से लग जाता है।
  • पात्रों का आगमन:
    1. रामचंद्र (बड़ा बेटा, 21 वर्ष): सबसे पहले बड़ा बेटा रामचंद्र खाने आता है, जो एक स्थानीय समाचार पत्र में प्रूफरीडरी का काम सीख रहा है। वह केवल दो रोटियाँ खाता है और पेट भरा होने का बहाना बनाकर उठ जाता है ताकि दूसरों के लिए भोजन बच सके।
    2. मोहन (मझला बेटा, 18 वर्ष): इसके बाद मझला बेटा मोहन आता है, जो हाई स्कूल की परीक्षा की तैयारी कर रहा है और बेरोज़गार है। वह भी भूख न होने का बहाना करके सिर्फ डेढ़ रोटी खाता है। सिद्धेश्वरी परिवार में अपनत्व बनाए रखने के लिए मोहन से रामचंद्र की तारीफ का झूठ बोलती है।
    3. मुंशी चंद्रिका प्रसाद (पति, लगभग 45 वर्ष): अंत में घर के मुखिया मुंशी जी आते हैं, जिनकी हाल ही में 'मकान-किराया नियंत्रण विभाग' की क्लर्की से छंटनी हो गई है। वे अपनी बेरोज़गारी और अपमान से दुखी हैं। वे भी पेट खराब होने का बहाना कर केवल एक रोटी खाते हैं। सिद्धेश्वरी उनसे भी बेटों की तारीफ का झूठ बोलकर माहौल हल्का करने की कोशिश करती है।
  • कहानी का मार्मिक अंत: जब सब खाकर चले जाते हैं, तो सिद्धेश्वरी खाने बैठती है। उसके हिस्से में केवल एक जली हुई, मोटी रोटी और थोड़ा-सा साग बचता है। वह वही खाने बैठती है। उसे अपने बीमार और सबसे छोटे बेटे प्रमोद (6 वर्ष) की चिंता होती है, जो खाट पर सोया हुआ है। परिवार की इस दशा को सोचकर उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। वह आँसू पोंछती है और भविष्य के बारे में सोचने लगती है। कहानी का अंत मक्खियों के भिनभिनाने के साथ होता है, जो घर की जड़ता, शून्यता और निराशा को दर्शाती हैं।

3. प्रमुख पात्र और उनका चरित्र-चित्रण

  • सिद्धेश्वरी: कहानी की केंद्रीय पात्र। वह एक आदर्श भारतीय माँ और पत्नी है जो त्याग, ममता और सहनशीलता की प्रतिमूर्ति है। वह परिवार को जोड़े रखने के लिए 'सफेद झूठ' का सहारा लेती है। वह गरीबी की मार को अकेले सहती है और परिवार के सदस्यों को इसका एहसास नहीं होने देना चाहती।
  • मुंशी चंद्रिका प्रसाद: एक हताश और पराजित व्यक्ति। बेरोज़गारी ने उनके आत्म-सम्मान को तोड़ दिया है। वे अपनी लाचारी को छिपाने के लिए चिड़चिड़े और कठोर होने का दिखावा करते हैं।
  • रामचंद्र: परिवार के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझने वाला बड़ा बेटा। वह स्थिति की गंभीरता को जानता है लेकिन कुछ कर पाने में असमर्थ है।
  • मोहन: बेरोज़गार युवा पीढ़ी का प्रतीक। वह संवेदनशील है और दोस्तों के बीच अपनी गरीबी को लेकर शर्मिंदगी महसूस करता है।
  • प्रमोद: वह परिवार की गरीबी का मूक साक्षी और भोक्ता है। उसकी बीमारी परिवार की चिंता को और बढ़ा देती है।

4. कहानी का उद्देश्य और संदेश

  • उद्देश्य: इस कहानी का मुख्य उद्देश्य निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार में व्याप्त गरीबी, बेरोज़गारी और उसके कारण उत्पन्न होने वाली लाचारी को चित्रित करना है।
  • संदेश:
    • कहानी यह दर्शाती है कि आर्थिक तंगी पारिवारिक संबंधों में भी एक प्रकार की औपचारिकता और दूरी पैदा कर देती है, जहाँ लोग एक-दूसरे से अपनी भूख तक छिपाते हैं।
    • यह कहानी एक स्त्री (माँ) के असीम त्याग और परिवार को किसी भी परिस्थिति में एक सूत्र में पिरोए रखने के उसके अथक प्रयास को रेखांकित करती है।
    • यह सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था पर एक मौन टिप्पणी है जो व्यक्ति को बेरोज़गारी और गरीबी के अँधेरे में धकेल देती है।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: 'दोपहर का भोजन' कहानी के लेखक कौन हैं?
(क) फणीश्वरनाथ 'रेणु'
(ख) भीष्म साहनी
(ग) अमरकांत
(घ) मोहन राकेश

प्रश्न 2: कहानी की मुख्य पात्र सिद्धेश्वरी के सबसे छोटे बेटे का क्या नाम है?
(क) मोहन
(ख) रामचंद्र
(ग) प्रमोद
(घ) सुरेश

प्रश्न 3: मुंशी चंद्रिका प्रसाद नौकरी से छंटनी होने से पहले किस विभाग में काम करते थे?
(क) शिक्षा विभाग
(ख) डाक विभाग
(ग) रेलवे विभाग
(घ) मकान-किराया नियंत्रण विभाग

प्रश्न 4: सिद्धेश्वरी के बड़े बेटे रामचंद्र की उम्र कितनी थी?
(क) 18 वर्ष
(ख) 21 वर्ष
(ग) 25 वर्ष
(घ) 16 वर्ष

प्रश्न 5: परिवार के सदस्य भोजन करते समय पेट भरा होने का बहाना क्यों बनाते हैं?
(क) क्योंकि भोजन स्वादिष्ट नहीं था
(ख) क्योंकि वे सिद्धेश्वरी से नाराज़ थे
(ग) ताकि दूसरे सदस्य का पेट भर सके
(घ) क्योंकि उन्हें सच में भूख नहीं थी

प्रश्न 6: सिद्धेश्वरी ने मोहन से रामचंद्र के बारे में क्या झूठ कहा?
(क) कि रामचंद्र उसकी बहुत बुराई कर रहा था
(ख) कि रामचंद्र को नई नौकरी मिल गई है
(ग) कि रामचंद्र उसकी बहुत प्रशंसा कर रहा था
(घ) कि रामचंद्र बीमार है

प्रश्न 7: सबके भोजन करने के बाद सिद्धेश्वरी के हिस्से में क्या बचा था?
(क) दो ताज़ी रोटियाँ और दाल
(ख) केवल थोड़ा-सा चावल
(ग) एक जली हुई मोटी रोटी और साग
(घ) कुछ भी नहीं बचा था

प्रश्न 8: अमरकांत जी को किस साहित्यिक आंदोलन का प्रमुख कथाकार माना जाता है?
(क) प्रगतिवाद
(ख) प्रयोगवाद
(ग) नई कहानी आंदोलन
(घ) छायावाद

प्रश्न 9: कहानी के अंत में भिनभिनाती मक्खियाँ किसका प्रतीक हैं?
(क) घर की गंदगी का
(ख) गर्मी के मौसम का
(ग) परिवार की संपन्नता का
(घ) घर में व्याप्त शून्यता, गरीबी और जड़ता का

प्रश्न 10: मझला बेटा मोहन क्या कर रहा था?
(क) वह कॉलेज में पढ़ता था
(ख) वह नौकरी की तलाश में था
(ग) वह दोस्तों के साथ घूम रहा था
(घ) वह बीमार था


उत्तरमाला:

  1. (ग) अमरकांत
  2. (ग) प्रमोद
  3. (घ) मकान-किराया नियंत्रण विभाग
  4. (ख) 21 वर्ष
  5. (ग) ताकि दूसरे सदस्य का पेट भर सके
  6. (ग) कि रामचंद्र उसकी बहुत प्रशंसा कर रहा था
  7. (ग) एक जली हुई मोटी रोटी और साग
  8. (ग) नई कहानी आंदोलन
  9. (घ) घर में व्याप्त शून्यता, गरीबी और जड़ता का
  10. (ख) वह नौकरी की तलाश में था

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में बहुत सहायक सिद्ध होगा। शुभकामनाएँ

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