Class 11 Hindi Notes Chapter 2 (हुसैन की कहानी अपनी जुबानी) – Antral Book

चलिए, आज हम 'अंतराल' पुस्तक के दूसरे अध्याय, 'हुसैन की कहानी अपनी जुबानी' का गहन अध्ययन करेंगे। यह अध्याय विश्व प्रसिद्ध चित्रकार मक़बूल फ़िदा हुसैन की आत्मकथा का एक अंश है। सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से यह पाठ अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे लेखक के जीवन, उनकी कला के प्रति समर्पण और तत्कालीन सामाजिक परिवेश से जुड़े प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
अध्याय 2: हुसैन की कहानी अपनी जुबानी - विस्तृत नोट्स
लेखक परिचय: मक़बूल फ़िदा हुसैन (M.F. Husain)
- पूरा नाम: मक़बूल फ़िदा हुसैन।
- प्रसिद्धि: भारत के सबसे प्रसिद्ध और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकारों में से एक। उन्हें 'भारत का पिकासो' भी कहा जाता है।
- अन्य प्रतिभा: चित्रकारी के अलावा वे एक फिल्म निर्माता भी थे। उन्होंने 'थ्रू द आइज़ ऑफ़ ए पेंटर' नामक फिल्म बनाई जिसे बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में 'गोल्डन बेयर' पुरस्कार मिला।
- सम्मान: उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री (1966), पद्म भूषण (1973) और पद्म विभूषण (1991) से सम्मानित किया गया।
- शैली: उनकी कला में आधुनिकता और भारतीय परंपरा का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
पाठ का सार
यह अध्याय हुसैन के बचपन और किशोरावस्था के दो महत्वपूर्ण हिस्सों को दर्शाता है:
1. बड़ौदा का बोर्डिंग स्कूल:
- प्रवेश का कारण: लेखक (मक़बूल) की पढ़ाई में रुचि न होने और हर समय चित्रकारी में डूबे रहने के कारण उनके अब्बा ने उन्हें बड़ौदा के एक बोर्डिंग स्कूल में भर्ती करा दिया।
- दादा का स्नेह: मक़बूल के दादाजी उससे बहुत स्नेह करते थे। वे टिन के डिब्बों से खिलौने बनाते थे। उनके देहांत के बाद मक़बूल बहुत अकेला महसूस करने लगा था।
- स्कूल का जीवन: स्कूल में भी मक़बूल का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। वे अपनी किताबों और कॉपियों पर भी चित्र बनाते रहते थे। भूगोल के नक्शे को भी वे कलात्मक ढंग से बनाते थे।
- कला शिक्षक का प्रोत्साहन: उनके ड्राइंग मास्टर, मास्टर मोहम्मद अतहर, ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। उन्होंने मक़बूल द्वारा बनाई गई 'चिड़िया का गोखला' (घोंसला) की पेंटिंग को स्कूल की प्रदर्शनी में रखा, जिसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला।
- पिता का समर्थन: जब अब्बा को पता चला कि मक़बूल पढ़ाई में कमजोर है लेकिन चित्रकारी में अव्वल है, तो उन्होंने उसकी आलोचना करने के बजाय उसे प्रोत्साहित किया। उन्होंने मक़बूल के लिए 'विंज़र और न्यूटन' कंपनी के ऑयल कलर लाकर दिए।
- पहलवानी का शौक: पढ़ाई के अलावा उन्हें पहलवानी का भी शौक था। स्कूल के दो पठान लड़कों से उनकी दोस्ती हो गई थी, जो उन्हें कुश्ती के दाँव-पेंच सिखाते थे।
2. रानीपुर बाज़ार:
- रानीपुर आगमन: कुछ समय बाद, मक़बूल अपने अब्बा के पास इंदौर के पास स्थित रानीपुर आ गए।
- नौकरी: उनके चाचा ने उन्हें एक कपड़े की दुकान पर मुनीम की नौकरी दिलवा दी ताकि वे व्यापार सीख सकें। लेकिन यहाँ भी उनका मन नहीं लगा।
- कला का प्रदर्शन: एक दिन उन्होंने दुकान के मालिक अत्तारी साहब का कोयले से एक स्केच बना दिया, जिसे देखकर वे बहुत प्रभावित हुए।
- फिल्मों का प्रभाव: मक़बूल को फिल्में देखने का बहुत शौक था। वे 'सिंघगढ़' फिल्म से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसका पोस्टर बना डाला।
- पहला व्यावसायिक काम: जब गांधी जयंती का जुलूस निकल रहा था, तो उन्होंने अपनी दुकान के गल्ले से पैसे निकालकर कैनवास पर गांधीजी का एक बड़ा पोर्ट्रेट बनाया। इस चित्र ने उन्हें पूरे बाज़ार में मशहूर कर दिया। इसके बाद उन्हें साइनबोर्ड और पोस्टर बनाने के काम मिलने लगे, जिससे उनकी पहली कमाई शुरू हुई। यह उनकी कला-यात्रा का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु:
- लेखक के दादा का पेशा: टिन के डिब्बों से खिलौने बनाना (टिन स्मिथ)।
- बोर्डिंग स्कूल का स्थान: बड़ौदा।
- पुरस्कार दिलाने वाली पेंटिंग: चिड़िया का गोखला।
- प्रतिभा पहचानने वाले शिक्षक: मास्टर मोहम्मद अतहर।
- पिता द्वारा लाए गए रंगों की कंपनी: विंज़र और न्यूटन (Winsor & Newton)।
- प्रेरणा देने वाली फिल्म: सिंघगढ़।
- रानीपुर में नौकरी का स्थान: अत्तारी साहब की कपड़े की दुकान।
- पहला प्रसिद्ध पोर्ट्रेट: महात्मा गांधी का।
- मक़बूल के दोस्त: दो पठान लड़के (कुश्ती के लिए) और मोहन (स्कूल का दोस्त)।
पाठ का उद्देश्य और संदेश:
- यह पाठ बताता है कि यदि किसी व्यक्ति में सच्ची लगन और प्रतिभा हो, तो औपचारिक शिक्षा की कमी भी उसकी सफलता में बाधा नहीं बन सकती।
- परिवार का समर्थन (विशेषकर पिता का) किसी भी बच्चे की प्रतिभा को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- अपने जुनून (passion) को पहचानना और उसे ही अपना करियर बनाना सफलता की कुंजी है।
अभ्यास हेतु 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: लेखक के दादाजी का क्या पेशा था?
(क) चित्रकारी
(ख) लोहारी
(ग) टिन के खिलौने बनाना
(घ) कपड़े का व्यापार
प्रश्न 2: बड़ौदा के बोर्डिंग स्कूल में लेखक को किस चित्र के लिए पुरस्कार मिला था?
(क) गांधीजी का पोर्ट्रेट
(ख) घोड़े का चित्र
(ग) चिड़िया का गोखला
(घ) स्कूल की इमारत
प्रश्न 3: लेखक की चित्रकला की प्रतिभा को सबसे पहले किस शिक्षक ने पहचाना?
(क) अब्बास तैयबजी
(ख) मास्टर मोहम्मद अतहर
(ग) मोहम्मद इब्राहिम गौहर
(घ) अत्तारी साहब
प्रश्न 4: लेखक के अब्बा ने उनके लिए किस कंपनी के ऑयल कलर लाकर दिए थे?
(क) कैमलिन
(ख) फेबर-कैसल
(ग) विंज़र और न्यूटन
(घ) डोम्स
प्रश्न 5: रानीपुर बाज़ार में लेखक ने सबसे पहले किसका पोर्ट्रेट बनाया था?
(क) अपने अब्बा का
(ख) दुकान के मालिक अत्तारी साहब का
(ग) महात्मा गांधी का
(घ) अपने दादाजी का
प्रश्न 6: लेखक किस फिल्म के पोस्टर से बहुत अधिक प्रभावित हुए थे?
(क) आलमआरा
(ख) राजा हरिश्चंद्र
(ग) देवदास
(घ) सिंघगढ़
प्रश्न 7: 'हुसैन की कहानी अपनी जुबानी' पाठ साहित्य की कौन-सी विधा है?
(क) कहानी
(ख) जीवनी
(ग) आत्मकथा का अंश
(घ) संस्मरण
प्रश्न 8: बोर्डिंग स्कूल में लेखक को पढ़ाई के अलावा और किस चीज़ का शौक था?
(क) संगीत
(ख) क्रिकेट
(ग) पहलवानी
(घ) तैराकी
प्रश्न 9: रानीपुर में लेखक ने किस दुकान पर नौकरी की थी?
(क) किराने की दुकान
(ख) कपड़े की दुकान
(ग) किताबों की दुकान
(घ) पेंट की दुकान
प्रश्न 10: लेखक के अनुसार, उन्हें स्कूल में सबसे कम अंक किस विषय में मिलते थे?
(क) गणित
(ख) विज्ञान
(ग) लगभग सभी विषयों में
(घ) इतिहास
उत्तरमाला:
- (ग) टिन के खिलौने बनाना
- (ग) चिड़िया का गोखला
- (ख) मास्टर मोहम्मद अतहर
- (ग) विंज़र और न्यूटन
- (ख) दुकान के मालिक अत्तारी साहब का
- (घ) सिंघगढ़
- (ग) आत्मकथा का अंश
- (ग) पहलवानी
- (ख) कपड़े की दुकान
- (ग) लगभग सभी विषयों में