Class 11 Hindi Notes Chapter 3 (कुँवर नारायण: कविता के बहाने; बात सीधी थी पर) – Aroh Book

Aroh
चलिए, आज हम कक्षा 11 की 'आरोह' पुस्तक के तीसरे अध्याय, कुँवर नारायण की कविताओं का गहन अध्ययन करेंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से यह अध्याय अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें कवि, कविताओं का मूल भाव, और काव्य-सौंदर्य से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं।

अध्याय 3: कुँवर नारायण

कविताएँ: 1. कविता के बहाने 2. बात सीधी थी पर


कवि परिचय: कुँवर नारायण (1927-2017)

  • जन्म: 19 सितंबर 1927, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश।
  • काव्य-धारा: नई कविता आंदोलन के प्रमुख कवियों में से एक।
  • प्रमुख रचनाएँ:
    • काव्य-संग्रह: 'चक्रव्यूह' (1956), 'परिवेश : हम-तुम', 'अपने सामने', 'कोई दूसरा नहीं', 'इन दिनों'।
    • प्रबंध-काव्य: 'आत्मजयी'।
    • कहानी-संग्रह: 'आकारों के आस-पास'।
  • प्रमुख पुरस्कार: साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, ज्ञानपीठ पुरस्कार (2005)।
  • काव्य-विशेषताएँ: इनकी कविताओं में संयम, परिष्कार और साफ़-सुथरापन है। वे भाषा और विषय की विविधता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने यथार्थ को अपने ढंग से देखा और उसे काव्यात्मक रूप दिया।

1. कविता 'कविता के बहाने'

यह कविता उनके काव्य-संग्रह 'इन दिनों' से ली गई है।

कविता का मूल भाव/कथ्य

इस कविता का केंद्रीय भाव है कविता की असीम संभावनाओं को दर्शाना। आज के যান্ত্রিক युग में यह आशंका जताई जा रही है कि कविता का अस्तित्व खतरे में है, लेकिन कवि इस कविता के माध्यम से स्पष्ट करते हैं कि कविता की उड़ान और उसका प्रभाव शाश्वत है।

कवि ने कविता की तुलना तीन चीजों से की है:

  1. चिड़िया की उड़ान: कविता कल्पना की एक उड़ान है। लेकिन चिड़िया की उड़ान की एक सीमा होती है, वह एक निश्चित ऊँचाई और दूरी तक ही उड़ सकती है। इसके विपरीत, कविता की कल्पना की उड़ान असीम है। वह काल और स्थान की सीमाओं से परे है।
  2. फूल का खिलना: कविता भी फूल की तरह खिलती है, अपने भाव, सौंदर्य और सुगंध (प्रभाव) बिखेरती है। लेकिन फूल का खिलना और उसकी महक अस्थायी होती है, वह कुछ समय बाद मुरझा जाता है। जबकि कविता एक बार रच दिए जाने के बाद अनंत काल तक अपनी भाव-सुगंध बिखेरती रहती है।
  3. बच्चे का खेल: कवि कविता और बच्चे के खेल में एक अद्भुत समानता पाते हैं। जिस प्रकार बच्चे के खेल की कोई सीमा नहीं होती, वह किसी भी घर को अपना घर बना लेता है, भेदभाव (अपने-पराये) से मुक्त होता है, उसी प्रकार कविता भी शब्दों का खेल है। वह भी किसी बंधन को नहीं मानती और सभी को समान रूप से आनंदित करती है, समाज को एक करने का काम करती है।

निष्कर्ष: कविता चिड़िया की उड़ान और फूल के खिलने से कहीं आगे है, क्योंकि उसकी कोई सीमा नहीं है। उसकी शक्ति और व्यापकता बच्चे के खेल की तरह असीम और सार्वभौमिक है।

काव्य-सौंदर्य (शिल्प-सौंदर्य)

  • भाषा: सहज, सरल एवं प्रवाहमयी खड़ी बोली हिंदी।
  • शैली: प्रश्नात्मक शैली का प्रयोग कविता को प्रभावी बनाता है ('चिड़िया क्या जाने?')।
  • छंद: मुक्त छंद।
  • अलंकार:
    • मानवीकरण: 'कविता की उड़ान', 'कविता का खिलना' में कविता का मानवीकरण किया गया है।
    • अनुप्रास: 'घर-घर', 'भला फूल क्या जाने' में वर्णों की आवृत्ति।
    • प्रश्न अलंकार: 'चिड़िया क्या जाने?', 'फूल क्या जाने?'।
  • बिंब: दृश्य बिंब (उड़ती चिड़िया, खिलता फूल, खेलते बच्चे) का सुंदर प्रयोग हुआ है।

2. कविता 'बात सीधी थी पर'

यह कविता उनके काव्य-संग्रह 'कोई दूसरा नहीं' से ली गई है।

कविता का मूल भाव/कथ्य

इस कविता का केंद्रीय भाव है - कथ्य और माध्यम (भाषा) के द्वंद्व को उजागर करना। कवि कहते हैं कि हमें अपनी बात को सहज और सरल भाषा में कहना चाहिए। जब कोई कवि या लेखक अपनी बात को प्रभावी बनाने के लिए उसे अनावश्यक रूप से जटिल और अलंकृत भाषा में कहने की कोशिश करता है, तो मूल भाव ही नष्ट हो जाता है।

  • समस्या की शुरुआत: कवि के मन में एक सीधी-सरल बात थी, लेकिन वह उसे प्रभावशाली ढंग से कहने के लिए भाषा के जाल में फँस गए।
  • जटिलता का बढ़ना: भाषा को घुमाने-फिराने और शब्दों को उलटने-पलटने के प्रयास में बात और भी पेचीदा (जटिल) हो गई।
  • समस्या का समाधान का गलत प्रयास: कवि ने धैर्य खोकर उस बात को जबरदस्ती पेंच की तरह ठोकने की कोशिश की। इससे बात का प्रभाव खत्म हो गया और वह अर्थहीन हो गई। जैसे पेंच की चूड़ी मर जाने पर वह कसने के बजाय घूमने लगता है, वैसे ही प्रभावहीन शब्दों के प्रयोग से बात का मूल अर्थ नष्ट हो गया।
  • परिणाम: अंत में, बात का मूल कथ्य ही समाप्त हो गया ('बात का मर जाना') और भाषा व्यर्थ ही घूमती रही। जो लोग इस भाषाई चमत्कार पर वाह-वाह कर रहे थे, वे केवल तमाशबीन थे, उन्हें मूल भाव से कोई लेना-देना नहीं था।

निष्कर्ष: इस कविता का संदेश है कि हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं। हमें अपनी बात को आडंबरपूर्ण भाषा के बजाय सहजता से प्रस्तुत करना चाहिए, तभी वह प्रभावशाली होती है। 'सही बात का सही शब्द से जुड़ना' ही कविता की सार्थकता है।

काव्य-सौंदर्य (शिल्प-सौंदर्य)

  • भाषा: खड़ी बोली, जिसमें उर्दू ('ज़बरदस्ती') और आम बोलचाल के शब्दों ('पेंच', 'चूड़ी', 'करतब', 'तमाशबीन') का सुंदर प्रयोग है।
  • शैली: आत्मकथात्मक शैली, कवि अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।
  • छंद: मुक्त छंद।
  • अलंकार:
    • मानवीकरण: 'बात का मर जाना', 'बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना', 'भाषा का चक्कर'।
    • उपमा: 'उसे कील की तरह ठोक देना'।
    • रूपक: 'भाषा का चक्कर'।
    • अनुप्रास: 'ज़ोर ज़बरदस्ती'।
  • मुहावरों का प्रयोग: 'चूड़ी मर जाना', 'पेंच कसना' जैसे मुहावरों का सटीक प्रयोग किया गया है।
  • बिंब: दृश्य बिंब अत्यंत सजीव हैं (पेंच कसना, कील ठोकना)।

अभ्यास हेतु 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: 'कविता के बहाने' कविता में कविता की उड़ान को किससे बेहतर माना गया है?
(क) फूल की उड़ान से
(ख) बच्चे की उड़ान से
(ग) चिड़िया की उड़ान से
(घ) कल्पना की उड़ान से
उत्तर: (ग) चिड़िया की उड़ान से
व्याख्या: चिड़िया की उड़ान की एक सीमा होती है, जबकि कविता की कल्पना की उड़ान असीम है।

प्रश्न 2: 'बात सीधी थी पर' कविता किस काव्य-संग्रह से ली गई है?
(क) इन दिनों
(ख) कोई दूसरा नहीं
(ग) चक्रव्यूह
(घ) आत्मजयी
उत्तर: (ख) कोई दूसरा नहीं

प्रश्न 3: "सब घर एक कर देने के माने" का क्या आशय है?
(क) सभी घरों को तोड़ देना
(ख) सभी घरों में घूमना
(ग) भेदभाव और सीमाओं को समाप्त कर देना
(घ) सभी घरों को एक जैसा रंग देना
उत्तर: (ग) भेदभाव और सीमाओं को समाप्त कर देना
व्याख्या: जैसे बच्चे खेलते समय अपने-पराये का भेद नहीं करते, वैसे ही कविता भी सभी को एक समान मानती है।

प्रश्न 4: 'बात की चूड़ी मर जाना' का क्या अर्थ है?
(क) बात का बहुत तीखा हो जाना
(ख) बात का प्रभावहीन हो जाना
(ग) बात का बहुत लोकप्रिय हो जाना
(घ) बात में कसावट आना
उत्तर: (ख) बात का प्रभावहीन हो जाना
व्याख्या: जिस प्रकार पेंच की चूड़ी मर जाने पर वह पकड़ खो देता है, उसी प्रकार शब्दों का सही प्रयोग न होने पर बात अपना प्रभाव खो देती है।

प्रश्न 5: कवि कुँवर नारायण को किस वर्ष 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया?
(क) 1995
(ख) 2001
(ग) 2005
(घ) 2009
उत्तर: (ग) 2005

प्रश्न 6: 'बात सीधी थी पर' कविता में कवि की मुख्य चिंता क्या है?
(क) समाज की गरीबी
(ख) भाषा का आडंबरपूर्ण प्रयोग
(ग) राजनीतिक भ्रष्टाचार
(घ) प्रकृति का विनाश
उत्तर: (ख) भाषा का आडंबरपूर्ण प्रयोग
व्याख्या: कविता का मूल कथ्य यही है कि भाषा की जटिलता से बात का मूल अर्थ नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 7: "बाहर-भीतर / इस घर, उस घर" - इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार प्रमुख है?
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) यमक
(घ) अनुप्रास
उत्तर: (घ) अनुप्रास
व्याख्या: 'बाहर-भीतर' में 'र' वर्ण की तथा 'इस घर, उस घर' में शब्दों की आवृत्ति से एक नाद-सौंदर्य उत्पन्न होता है जो अनुप्रास का उदाहरण है।

प्रश्न 8: कविता में 'तमाशबीन' किन्हें कहा गया है?
(क) जो कवि की प्रशंसा करते हैं
(ख) जो कवि की आलोचना करते हैं
(ग) जो भाषा के चमत्कार पर वाह-वाह करते हैं पर कथ्य को नहीं समझते
(घ) जो कविता सुनते ही नहीं
उत्तर: (ग) जो भाषा के चमत्कार पर वाह-वाह करते हैं पर कथ्य को नहीं समझते

प्रश्न 9: 'कविता के बहाने' कविता के अनुसार कविता की शक्ति कैसी है?
(क) सीमित
(ख) अस्थायी
(ग) असीम और शाश्वत
(घ) केवल काल्पनिक
उत्तर: (ग) असीम और शाश्वत
व्याख्या: कविता की उड़ान और प्रभाव की कोई सीमा या समय नहीं होता।

प्रश्न 10: "ज़ोर ज़बरदस्ती से / बात की चूड़ी मर गई" - इस पंक्ति में कवि का क्या भाव प्रकट होता है?
(क) क्रोध
(ख) निराशा और हताशा
(ग) प्रसन्नता
(घ) व्यंग्य
उत्तर: (ख) निराशा और हताशा
व्याख्या: अपनी बात को स्पष्ट न कर पाने और उसके प्रभावहीन हो जाने पर कवि हताश हो जाता है।

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