Class 11 Hindi Notes Chapter 4 (रांगेय राघव ; गूँगे) – Antra Book

Antra
चलिए, आज हम रांगेय राघव जी द्वारा रचित मार्मिक कहानी 'गूँगे' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह कहानी न केवल मानवीय संवेदनाओं को गहराई से छूती है, बल्कि सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अक्सर लेखक, पात्र, मूल संवेदना और कहानी के उद्देश्य से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

विस्तृत नोट्स: रांगेय राघव - 'गूँगे'

1. लेखक परिचय: रांगेय राघव (1923-1962)

  • मूल नाम: तिरुमल्लै नंबकम् वीर राघव आचार्य।
  • साहित्यिक नाम: रांगेय राघव।
  • जीवनकाल: इनका जीवनकाल बहुत छोटा (मात्र 39 वर्ष) रहा, लेकिन इस छोटी सी अवधि में उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं में प्रचुर मात्रा में लेखन किया।
  • प्रमुख विचारधारा: ये प्रगतिवादी और यथार्थवादी लेखक थे। इनकी रचनाओं में समाज के शोषित, दलित और पीड़ित वर्ग के प्रति गहरी सहानुभूति और उनके संघर्ष का सजीव चित्रण मिलता है।
  • लेखन शैली: इनकी भाषा सरल, सहज और पात्रों के अनुकूल होती थी। इन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों और शोषण पर करारा प्रहार किया।
  • प्रमुख रचनाएँ:
    • उपन्यास: 'घरौंदा', 'विषाद मठ', 'कब तक पुकारूँ', 'चीवर', 'अंधेरे के जुगनू', 'मुर्दों का टीला'।
    • कहानी संग्रह: 'साम्राज्य का वैभव', 'देवदासी', 'समुद्र के फेन'।
    • अन्य: इन्होंने कविता, नाटक, रिपोर्ताज और आलोचना भी लिखी। शेक्सपियर के नाटकों का हिंदी अनुवाद भी किया।

2. कहानी का सारांश

'गूँगे' एक ऐसे अनाथ, मूक-बधिर किशोर की कहानी है जिसे समाज अपनी सुविधा के अनुसार नाम और पहचान देता है।

  • गूँगे का आगमन: कहानी की शुरुआत एक अनाथ, गूँगे किशोर के एक मोहल्ले में आने से होती है। लोग उसे दयावश कुछ काम दे देते हैं।
  • चमेली का आश्रय: चमेली नाम की एक स्त्री उसे अपने घर पर रख लेती है। उसका बेटा बसंता शुरू में गूँगे से ईर्ष्या करता है, लेकिन बाद में दोनों में मित्रता हो जाती है। गूँगा पूरी लगन और ईमानदारी से घर का काम करता है।
  • संवेदना और शोषण: गूँगा बोल-सुन नहीं सकता, पर वह सब कुछ समझता और महसूस करता है। वह अपनी भावनाओं को संकेतों और कुछ अस्पष्ट ध्वनियों से व्यक्त करने की कोशिश करता है। समाज के लोग उससे सहानुभूति तो रखते हैं, लेकिन उसे एक सामान्य मनुष्य का दर्जा नहीं दे पाते। वे उसे एक 'अजूबा' या केवल एक 'काम करने वाला' समझते हैं।
  • कहानी का मोड़ (Turning Point): एक दिन बसंता शरारत में गूँगे को 'गूँगा' कहकर चिढ़ाता है। गूँगा अपनी पूरी ताकत से चीखने की कोशिश करता है, जिससे बसंता डर जाता है। चमेली आकर बिना पूरी बात समझे गूँगे को थप्पड़ मार देती है और उसे 'जानवर' कहती है। यह घटना गूँगे के स्वाभिमान पर सबसे बड़ी चोट थी। जिस स्त्री में वह माँ की छवि देखता था, उसी ने उसे नहीं समझा और अपमानित किया।
  • शकुंतला का व्यवहार: मोहल्ले की एक अन्य स्त्री शकुंतला उसके साथ खिलवाड़ करती है, उसे देखकर मुस्कुराती है, लेकिन जब गूँगा अपनी सहज मानवीय प्रतिक्रिया देता है तो वह उसे दुत्कार देती है। यह घटना दर्शाती है कि समाज दिव्यांग व्यक्ति की भावनाओं को केवल मनोरंजन का साधन समझता है, उन्हें गंभीरता से नहीं लेता।
  • अंतिम निर्णय: इन घटनाओं से आहत होकर गूँगा यह समझ जाता है कि इस समाज में उसके लिए कोई जगह नहीं है। यहाँ लोग उसकी मेहनत का फायदा तो उठाना चाहते हैं, लेकिन उसकी भावनाओं और आत्मसम्मान को कोई महत्व नहीं देते। अंत में, वह उस मोहल्ले को छोड़कर चला जाता है, यह जताते हुए कि वह असहाय हो सकता है, लेकिन स्वाभिमानहीन नहीं है।

3. कहानी का उद्देश्य एवं मूल संवेदना

  • दिव्यांगों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण: कहानी का मुख्य उद्देश्य समाज के उस खोखले और संवेदनहीन रवैये को उजागर करना है जो वह दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति रखता है। समाज दया का दिखावा तो करता है, पर उन्हें बराबरी का मानवीय दर्जा नहीं देता।
  • मानवीय अस्मिता और स्वाभिमान का प्रश्न: लेखक यह बताना चाहते हैं कि एक गूँगा व्यक्ति सिर्फ एक 'गूँगा' नहीं होता, बल्कि वह भावनाओं, इच्छाओं और आत्मसम्मान से परिपूर्ण एक मनुष्य होता है। उसकी शारीरिक अक्षमता उसकी मानवीय पहचान को खत्म नहीं कर सकती।
  • संवादहीनता का संकट: यह कहानी दर्शाती है कि जब संवाद का माध्यम (भाषा) नहीं होता, तो कितनी गलतफहमियाँ पैदा होती हैं। गूँगा अपनी बात कह नहीं पाता और समाज उसे समझने की कोशिश नहीं करता, जिससे उसका शोषण होता है।
  • शोषक-शोषित संबंध: कहानी दिखाती है कि कैसे सक्षम लोग असहाय और कमजोर लोगों का शोषण करते हैं। गूँगे की निःशब्दता ही उसके शोषण का सबसे बड़ा कारण बन जाती है।

4. प्रमुख पात्रों का चरित्र-चित्रण

  • गूँगा: कहानी का नायक। वह मूक-बधिर है, लेकिन अत्यंत संवेदनशील, परिश्रमी और स्वाभिमानी है। वह स्नेह और सम्मान का भूखा है। जब उसका स्वाभिमान आहत होता है, तो वह विद्रोह करता है और उस जगह को त्याग देता है।
  • चमेली: वह एक सामान्य घरेलू स्त्री है। उसमें ममता और दया है, लेकिन वह सामाजिक पूर्वाग्रहों से भी ग्रस्त है। वह गूँगे को आश्रय तो देती है, पर जब वह उसकी अपेक्षा के विपरीत व्यवहार करता है तो वह उसे समझ नहीं पाती और उसे 'जानवर' कह कर अपमानित करती है। वह समाज के दोहरे चरित्र का प्रतीक है।
  • बसंता: चमेली का पुत्र। एक सामान्य बालक, जिसमें ईर्ष्या, शरारत और मित्रता जैसे सहज भाव हैं। उसकी शरारत ही कहानी की निर्णायक घटना का कारण बनती है।
  • शकुंतला: समाज की उस असंवेदनशील मानसिकता का प्रतीक है जो दिव्यांगों की भावनाओं से खिलवाड़ करती है और उन्हें मनोरंजन की वस्तु समझती है।

अभ्यास हेतु 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. 'गूँगे' कहानी के लेखक कौन हैं?
(क) फणीश्वरनाथ 'रेणु'
(ख) भीष्म साहनी
(ग) रांगेय राघव
(घ) अमरकांत

2. रांगेय राघव का मूल नाम क्या था?
(क) वैद्यनाथ मिश्र
(ख) तिरुमल्लै नंबकम् वीर राघव आचार्य
(ग) धनपत राय श्रीवास्तव
(घ) वासुदेव सिंह

3. 'गूँगे' कहानी का मुख्य पात्र समाज की किस समस्या को उजागर करता है?
(क) बाल मजदूरी
(ख) जातीय भेदभाव
(ग) दिव्यांगों के प्रति संवेदनहीनता
(घ) नारी उत्पीड़न

4. कहानी में गूँगे को किसने अपने घर में आश्रय दिया था?
(क) शकुंतला ने
(ख) सुशीला ने
(ग) बसंता ने
(घ) चमेली ने

5. बसंता कौन था और उसका गूँगे के प्रति आरम्भिक व्यवहार कैसा था?
(क) चमेली का पति, स्नेहपूर्ण
(ख) चमेली का पुत्र, ईर्ष्यापूर्ण
(ग) मोहल्ले का लड़का, मित्रवत
(घ) एक दुकानदार, कठोर

6. कहानी में गूँगे के स्वाभिमान को सबसे अधिक ठेस कब पहुँचती है?
(क) जब उसे कम मजदूरी मिलती है
(ख) जब बच्चे उसे चिढ़ाते हैं
(ग) जब चमेली उसे थप्पड़ मारकर 'जानवर' कहती है
(घ) जब शकुंतला उसे दुत्कार देती है

7. "जानवर! मारूँगी खींच के! चल काम कर।" - यह कथन किसने, किसके लिए कहा?
(क) शकुंतला ने गूँगे के लिए
(ख) चमेली ने बसंता के लिए
(ग) चमेली ने गूँगे के लिए
(घ) एक पड़ोसिन ने बसंता के लिए

8. 'गूँगे' कहानी का मूल उद्देश्य क्या है?
(क) एक गूँगे लड़के की दिनचर्या दिखाना
(ख) यह सिद्ध करना कि दिव्यांग किसी काम के नहीं होते
(ग) दिव्यांग व्यक्ति के मन की पीड़ा, संघर्ष और मानवीय सम्मान की चाह को दर्शाना
(घ) ग्रामीण जीवन का चित्रण करना

9. कहानी में शकुंतला का चरित्र समाज के किस पक्ष को दर्शाता है?
(क) दया और करुणा
(ख) नारी सशक्तिकरण
(ग) दिव्यांगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले क्रूर और असंवेदनशील पक्ष को
(घ) एक आदर्श माँ के पक्ष को

10. कहानी के अंत में गूँगा क्या निर्णय लेता है?
(क) चमेली से बदला लेने का
(ख) बसंता को पीटने का
(ग) हमेशा के लिए उसी घर में रहने का
(घ) अपमान सहने के बजाय उस स्थान को छोड़कर चले जाने का


उत्तरमाला:

  1. (ग), 2. (ख), 3. (ग), 4. (घ), 5. (ख), 6. (ग), 7. (ग), 8. (ग), 9. (ग), 10. (घ)

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