Class 11 Hindi Notes Chapter 4 (रघुवीर सहाय: कैमरे में बंद अपाहिज) – Aroh Book

चलिए, आज हम रघुवीर सहाय जी द्वारा रचित 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता का गहराई से अध्ययन करेंगे। यह कविता प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समकालीन मीडिया के चरित्र और सामाजिक संवेदनशीलता पर एक तीखा व्यंग्य है।
अध्याय - 4: कैमरे में बंद अपाहिज (रघुवीर सहाय)
कवि परिचय
- नाम: रघुवीर सहाय (1929-1990)
- जन्म: लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
- काव्य-धारा: नई कविता के प्रमुख कवि। वे 'दूसरा सप्तक' (1951) के महत्वपूर्ण कवियों में से एक हैं।
- प्रमुख रचनाएँ:
- काव्य संग्रह: 'सीढ़ियों पर धूप में', 'आत्महत्या के विरुद्ध', 'हँसो हँसो जल्दी हँसो', 'लोग भूल गए हैं'।
- पत्रकारिता: 'नवभारत टाइम्स' तथा 'दिनमान' पत्रिका से संबद्ध रहे।
- पुरस्कार: 'लोग भूल गए हैं' काव्य संग्रह के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- लेखन की विशेषताएँ: इनकी कविताएँ आम आदमी के जीवन के अनुभवों, उनकी पीड़ा और विडंबनाओं को व्यक्त करती हैं। भाषा अत्यंत सहज, सीधी और सपाट होते हुए भी व्यंग्य की धार लिए होती है।
कविता का विस्तृत विश्लेषण (परीक्षा की दृष्टि से)
1. कविता का मूल भाव एवं उद्देश्य
यह कविता मीडिया, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (दूरदर्शन), के व्यावसायिक और संवेदनहीन चेहरे को उजागर करती है। कवि यह दर्शाते हैं कि कैसे मीडिया किसी की पीड़ा और दुःख को बेचकर अपने कार्यक्रम को 'रोचक' और 'बिकाऊ' बनाता है। इसका मुख्य उद्देश्य करुणा जगाना नहीं, बल्कि TRP (टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट) और मुनाफा कमाना होता है। कविता शारीरिक चुनौती झेल रहे व्यक्ति के प्रति समाज और मीडिया की संवेदनहीनता पर एक गहरा कटाक्ष है।
2. कविता का सार
कविता एक दूरदर्शन स्टूडियो के दृश्य से प्रारंभ होती है, जहाँ एक 'अपाहिज' व्यक्ति को साक्षात्कार के लिए लाया गया है। कार्यक्रम का संचालक, जो स्वयं को 'समर्थ शक्तिवान' कहता है, उस 'दुर्बल' व्यक्ति से ऐसे प्रश्न पूछता है जो उसकी पीड़ा को और गहरा कर दें।
- संवेदनहीन प्रश्न: संचालक पूछता है - "क्या आप अपाहिज हैं? आप क्यों अपाहिज हैं? आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है?" ये प्रश्न बेतुके और क्रूर हैं, जिनका उद्देश्य केवल उस व्यक्ति को रुलाना है।
- व्यावसायिक दबाव: संचालक बार-बार कैमरे की ओर इशारा करता है, अपाहिज के चेहरे को बड़ा करके दिखाने को कहता है, क्योंकि "परदे पर वक्त की कीमत है"। इसका अर्थ है कि उनके पास सीमित समय है और उन्हें इसी समय में दर्शकों को भावुक करने वाला 'शॉट' चाहिए।
- बनावटीपन और निर्देशन: जब अपाहिज व्यक्ति अपने दुःख को स्वाभाविक रूप से व्यक्त नहीं कर पाता, तो संचालक स्वयं उसे इशारे करके बताने की कोशिश करता है कि उसे कैसा महसूस करना चाहिए।
- अंतिम लक्ष्य: कार्यक्रम का लक्ष्य अपाहिज और दर्शक, दोनों को एक साथ रुलाना है, ताकि कार्यक्रम 'सामाजिक उद्देश्य' का सफल कार्यक्रम माना जा सके।
- क्रूरतापूर्ण अंत: जब यह लक्ष्य पूरा नहीं होता, तो समय की कमी का बहाना बनाकर कार्यक्रम को अचानक समाप्त कर दिया जाता है और पर्दे पर 'धन्यवाद' लिख दिया जाता है। यह उस व्यक्ति की पीड़ा के प्रति उनकी চরম उपेक्षा को दर्शाता है।
3. काव्य-सौंदर्य और शिल्प-सौंदर्य (विशेष बिंदु)
- भाषा: कविता की भाषा खड़ी बोली हिंदी है। यह अत्यंत सरल, सीधी और बोलचाल के करीब है, जिससे व्यंग्य और भी तीखा हो गया है।
- शैली: व्यंग्यात्मक और नाटकीय शैली का प्रयोग किया गया है।
- बिंब-विधान: 'फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर' एक सशक्त दृश्य बिंब है, जो पीड़ा के बाजारीकरण को दर्शाता है।
- कोष्ठक का प्रयोग: कवि ने कोष्ठकों
()का प्रयोग एक अनूठे शिल्प के रूप में किया है। इन कोष्ठकों में लिखी बातें मीडियाकर्मियों की असल मानसिकता, उनकी व्यावसायिक सोच और पर्दे के पीछे की सच्चाई को उजागर करती हैं (जैसे -(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा),(यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा))। - मुक्त छंद: कविता मुक्त छंद में लिखी गई है, जो भावों की सीधी अभिव्यक्ति में सहायक है।
- प्रमुख पंक्तियों का भावार्थ:
- "हम समर्थ शक्तिवान / हम एक दुर्बल को लाएँगे": यहाँ 'हम' मीडिया के अहंकार और शक्ति का प्रतीक है, जो एक कमजोर व्यक्ति को अपनी शक्ति प्रदर्शन का माध्यम बनाता है।
- "परदे पर वक्त की कीमत है": यह पंक्ति मीडिया की व्यावसायिकता और संवेदनहीनता का चरम बिंदु है। उनके लिए मानवीय भावना से अधिक महत्वपूर्ण समय और पैसा है।
- "हमें दोनों को एक संग रुलाना है": यह मीडिया के उस लक्ष्य को दर्शाता है जहाँ वे दर्शक और पीड़ित दोनों की भावनाओं का शोषण करके अपने कार्यक्रम को सफल बनाना चाहते हैं।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
1. रघुवीर सहाय किस 'सप्तक' के कवि माने जाते हैं?
(क) तार सप्तक
(ख) दूसरा सप्तक
(ग) तीसरा सप्तक
(घ) चौथा सप्तक
2. 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(क) अपाहिजों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करना
(ख) दूरदर्शन के कार्यक्रमों की प्रशंसा करना
(ग) मीडिया की संवेदनहीनता और व्यावसायिकता को उजागर करना
(घ) अपाहिजों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करना
3. कविता में "हम समर्थ शक्तिवान" कहकर कवि ने किस पर व्यंग्य किया है?
(क) समाज के धनी लोगों पर
(ख) सरकार पर
(ग) मीडिया पर
(घ) अपाहिज व्यक्ति पर
4. कार्यक्रम संचालक अपाहिज व्यक्ति से "आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है?" जैसा प्रश्न क्यों पूछता है?
(क) उसकी मदद करने के लिए
(ख) उसे रुलाकर कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए
(ग) उसकी वास्तविक पीड़ा जानने के लिए
(घ) दर्शकों को जानकारी देने के लिए
5. "परदे पर वक्त की कीमत है" पंक्ति से क्या अभिप्राय है?
(क) कार्यक्रम बहुत महँगा है
(ख) कार्यक्रम का प्रसारण समय सीमित और कीमती है
(ग) मानवीय संवेदनाओं से अधिक व्यावसायिक लाभ महत्वपूर्ण है
(घ) ख और ग दोनों
6. कविता में कोष्ठकों () का प्रयोग क्यों किया गया है?
(क) कविता को सुंदर बनाने के लिए
(ख) अतिरिक्त जानकारी देने के लिए
(ग) मीडिया की वास्तविक और छिपी हुई मानसिकता को प्रकट करने के लिए
(घ) कवि की व्यक्तिगत टिप्पणी के लिए
7. कार्यक्रम का संचालक अपाहिज और दर्शक दोनों को एक साथ क्यों रुलाना चाहता है?
(क) ताकि दोनों का दुःख कम हो सके
(ख) ताकि वह अपने कार्यक्रम को सफल और उद्देश्यपूर्ण बता सके
(ग) ताकि समाज में जागरूकता फैले
(घ) ताकि उसे पुरस्कार मिल सके
8. 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता की भाषा-शैली कैसी है?
(क) तत्सम-प्रधान, अलंकारिक
(ख) सरल, सहज और व्यंग्यात्मक
(ग) ग्रामीण और आंचलिक
(घ) कठिन और सांकेतिक
9. कविता के अंत में "धन्यवाद" किसके लिए कहा गया है?
(क) अपाहिज व्यक्ति के लिए, उसके सहयोग हेतु
(ख) दर्शकों के लिए, कार्यक्रम देखने हेतु
(ग) कैमरामैन के लिए, अच्छी रिकॉर्डिंग हेतु
(घ) यह मीडिया की व्यावसायिक औपचारिकता और संवेदनहीनता का प्रतीक है
10. 'फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर' के माध्यम से कवि क्या दिखाना चाहते हैं?
(क) अपाहिज की शारीरिक सुंदरता
(ख) पीड़ा का वीभत्स और बिकाऊ रूप
(ग) कैमरे की गुणवत्ता
(घ) चिकित्सक की आवश्यकता
उत्तरमाला:
- (ख) दूसरा सप्तक
- (ग) मीडिया की संवेदनहीनता और व्यावसायिकता को उजागर करना
- (ग) मीडिया पर
- (ख) उसे रुलाकर कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए
- (घ) ख और ग दोनों
- (ग) मीडिया की वास्तविक और छिपी हुई मानसिकता को प्रकट करने के लिए
- (ख) ताकि वह अपने कार्यक्रम को सफल और उद्देश्यपूर्ण बता सके
- (ख) सरल, सहज और व्यंग्यात्मक
- (घ) यह मीडिया की व्यावसायिक औपचारिकता और संवेदनहीनता का प्रतीक है
- (ख) पीड़ा का वीभत्स और बिकाऊ रूप
इन नोट्स को अच्छी तरह से पढ़ें और समझें। यह कविता केवल परीक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि आपको एक जागरूक नागरिक बनाने में भी सहायक होगी। शुभकामनाएँ