Class 11 Hindi Notes Chapter 5 (सुधा अरोड़ा ; ज्योतिबा फुले) – Antra Book

नमस्ते विद्यार्थियों।
चलिए, आज हम कक्षा 11 की 'अंतरा' पुस्तक के गद्य खंड के पाँचवें पाठ 'ज्योतिबा फुले' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह पाठ सुधा अरोड़ा द्वारा लिखा गया है और प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सामाजिक सुधार, स्त्री-शिक्षा और जातीय भेदभाव जैसे गंभीर विषयों पर प्रकाश डालता है।
विस्तृत नोट्स: सुधा अरोड़ा ; ज्योतिबा फुले
1. लेखिका परिचय: सुधा अरोड़ा
- जन्म: 1948, लाहौर (विभाजन के बाद भारत में)।
- शिक्षा: कलकत्ता विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए.।
- प्रमुख विधा: सुधा अरोड़ा मुख्य रूप से एक कथाकार (कहानीकार) हैं। उनकी कहानियों के केंद्र में अक्सर स्त्री-विमर्श, सामाजिक विसंगतियाँ और मानवीय संबंध होते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ:
- कहानी संग्रह: 'बगैर तराशे हुए', 'युद्ध-विराम', 'महानगर की मैथिली', 'काला शुक्रवार', 'काँसे का गिलास' आदि।
- अन्य: 'औरत की कहानी' (कहानी संकलन का संपादन)।
- लेखन शैली: उनकी भाषा सहज, सीधी और मारक होती है। वे सामाजिक पाखंड पर बिना किसी लाग-लपेट के प्रहार करती हैं। प्रस्तुत पाठ 'ज्योतिबा फुले' उनकी जीवनीपरक लेखन शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है।
2. पाठ का सार एवं उद्देश्य
यह पाठ एक जीवनीपरक लेख है जिसमें लेखिका ने 19वीं शताब्दी के महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के सामाजिक योगदान पर प्रकाश डाला है। लेखिका का मुख्य उद्देश्य यह बताना है कि किस प्रकार इन दोनों ने मिलकर सामाजिक रूढ़ियों, जातीय भेदभाव और स्त्री-पराधीनता के विरुद्ध एक सशक्त आंदोलन चलाया।
लेखिका इस बात पर बल देती हैं कि ज्योतिबा फुले के महान कार्यों के पीछे उनकी पत्नी सावित्रीबाई का अटूट सहयोग, त्याग और सहभागिता थी। सावित्रीबाई के बिना ज्योतिबा फुले अधूरे थे।
3. पाठ के मुख्य बिंदु एवं विस्तृत विश्लेषण
क) ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई: एक आदर्श युगल
- लेखिका के अनुसार, ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले का जीवन एक-दूसरे का पूरक था। उन्होंने मिलकर एक प्राण होकर काम किया।
- विवाह के समय सावित्रीबाई अशिक्षित थीं। ज्योतिबा ने उन्हें स्वयं पढ़ाया और इस योग्य बनाया कि वे भारत की पहली महिला शिक्षिका बन सकीं। यह उस दौर में एक क्रांतिकारी कदम था।
- उनका लक्ष्य एक आदर्श परिवार बनाना नहीं, बल्कि एक आदर्श समाज की स्थापना करना था।
ख) स्त्री-शिक्षा के लिए संघर्ष
- भारत का पहला बालिका विद्यालय: ज्योतिबा और सावित्रीबाई ने मिलकर 1848 में पुणे में भारत के पहले बालिका विद्यालय की स्थापना की।
- सामाजिक विरोध: जब सावित्रीबाई पढ़ाने जाती थीं, तो कट्टरपंथी लोग उन पर पत्थर, गोबर और कीचड़ फेंकते थे। वे अपने साथ एक अतिरिक्त साड़ी लेकर जाती थीं, ताकि स्कूल पहुँचकर गंदी साड़ी बदल सकें। इस अपमान के बावजूद उन्होंने पढ़ाना नहीं छोड़ा।
- उनका मानना था कि शिक्षा ही स्त्रियों और दलितों की मुक्ति का एकमात्र मार्ग है।
ग) सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार
- विधवाओं के लिए संघर्ष: उन्होंने विधवाओं के शोषण, विशेषकर उनके मुंडन की प्रथा का घोर विरोध किया। उन्होंने नाइयों से हड़ताल करने का आग्रह किया ताकि वे विधवाओं का मुंडन न करें।
- बाल-हत्या प्रतिबंधक गृह: विधवाओं, विशेषकर गर्भवती विधवाओं की दयनीय स्थिति देखकर उन्होंने 'बाल-हत्या प्रतिबंधक गृह' की स्थापना की, ताकि वे वहाँ सुरक्षित रूप से अपने बच्चों को जन्म दे सकें और समाज के तिरस्कार से बच सकें। उन्होंने ऐसे ही एक विधवा के पुत्र यशवंत को गोद लिया और उसे अपना उत्तराधिकारी बनाया।
- छुआछूत का विरोध: उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत और जातीय भेदभाव का पुरजोर विरोध किया। जब तथाकथित अछूतों को सार्वजनिक कुओं से पानी नहीं लेने दिया जाता था, तो उन्होंने अपने घर का पानी का हौज सभी जातियों के लिए खोल दिया।
घ) 'सत्यशोधक समाज' और 'गुलामगिरी' ग्रंथ
- सत्यशोधक समाज की स्थापना (1873): ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मणवाद और पुरोहितवाद के पाखंड का विरोध करने तथा शूद्रों एवं अतिशूद्रों को सामाजिक गुलामी से मुक्त कराने के लिए 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की। यह समाज तर्क और समानता पर आधारित था।
- 'गुलामगिरी' ग्रंथ: यह उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक है। उन्होंने यह पुस्तक अमेरिका के उन लोगों को समर्पित की, जिन्होंने दासों को मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया था। इस ग्रंथ में उन्होंने ब्राह्मणवादी व्यवस्था की पोल खोली और दलितों-शोषितों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया।
ङ) लेखिका का निष्कर्ष
- सुधा अरोड़ा इस पाठ के माध्यम से यह स्थापित करती हैं कि ज्योतिबा फुले को 'महात्मा' बनाने में सावित्रीबाई का योगदान अतुलनीय था।
- वे इस बात की आलोचना करती हैं कि भारतीय समाज का पुरुषवादी वर्चस्व अक्सर सफल पुरुषों की पत्नियों के योगदान को अनदेखा कर देता है।
- पाठ यह संदेश देता है कि स्त्री और पुरुष दोनों के समान सहयोग से ही एक बेहतर और समतामूलक समाज का निर्माण संभव है।
प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई ने भारत के पहले बालिका विद्यालय की स्थापना किस वर्ष की थी?
(क) 1857
(ख) 1848
(ग) 1873
(घ) 1890
प्रश्न 2: ज्योतिबा फुले द्वारा स्थापित संगठन का क्या नाम था जिसका उद्देश्य शूद्रों और अतिशूद्रों को सामाजिक दासता से मुक्त कराना था?
(क) ब्रह्म समाज
(ख) आर्य समाज
(ग) सत्यशोधक समाज
(घ) प्रार्थना समाज
प्रश्न 3: ज्योतिबा फुले ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'गुलामगिरी' किसे समर्पित की थी?
(क) भारत के दलितों को
(ख) अपनी पत्नी सावित्रीबाई को
(ग) अमेरिका में दास-प्रथा का विरोध करने वालों को
(घ) ब्रिटिश सरकार को
प्रश्न 4: जब सावित्रीबाई फुले स्कूल पढ़ाने जाती थीं, तो रूढ़िवादी लोग उन पर क्या फेंकते थे?
(क) फूल और मालाएँ
(ख) पत्थर और गोबर
(ग) मिठाई और फल
(घ) केवल पानी
प्रश्न 5: 'ज्योतिबा फुले' पाठ की लेखिका कौन हैं?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) मन्नू भंडारी
(ग) सुधा अरोड़ा
(घ) कृष्णा सोबती
प्रश्न 6: ज्योतिबा फुले ने विधवाओं के शोषण के विरुद्ध नाइयों से क्या करने का आग्रह किया?
(क) विधवाओं से विवाह करने का
(ख) विधवाओं का मुंडन न करने के लिए हड़ताल करने का
(ग) विधवाओं को मुफ्त में सेवा देने का
(घ) विधवाओं का तिरस्कार करने का
प्रश्न 7: ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई ने किस बच्चे को गोद लिया था?
(क) एक अनाथ बच्चे को
(ख) एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र यशवंत को
(ग) अपने किसी रिश्तेदार के पुत्र को
(घ) उन्होंने कोई बच्चा गोद नहीं लिया
प्रश्न 8: पाठ के अनुसार, ज्योतिबा फुले के नाम के साथ 'महात्मा' विशेषण किसने जोड़ा?
(क) ब्रिटिश सरकार ने
(ख) गांधी जी ने
(ग) समाज के प्रबुद्ध लोगों और समर्थकों ने
(घ) उन्होंने स्वयं यह उपाधि धारण की
प्रश्न 9: 'बाल-हत्या प्रतिबंधक गृह' की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
(क) बच्चों के लिए अस्पताल खोलना
(ख) अनाथ बच्चों को आश्रय देना
(ग) शोषित विधवाओं को सुरक्षित प्रसव और आश्रय प्रदान करना
(घ) बाल विवाह पर रोक लगाना
प्रश्न 10: लेखिका के अनुसार, ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के बीच कैसा संबंध था?
(क) पारंपरिक पति-पत्नी जैसा
(ख) एक-दूसरे के पूरक और सहकर्मी जैसा
(ग) गुरु और शिष्य जैसा
(घ) केवल सामाजिक कार्यकर्ता जैसा
उत्तरमाला:
- (ख) 1848
- (ग) सत्यशोधक समाज
- (ग) अमेरिका में दास-प्रथा का विरोध करने वालों को
- (ख) पत्थर और गोबर
- (ग) सुधा अरोड़ा
- (ख) विधवाओं का मुंडन न करने के लिए हड़ताल करने का
- (ख) एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र यशवंत को
- (ग) समाज के प्रबुद्ध लोगों और समर्थकों ने
- (ग) शोषित विधवाओं को सुरक्षित प्रसव और आश्रय प्रदान करना
- (ख) एक-दूसरे के पूरक और सहकर्मी जैसा
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में बहुत सहायक सिद्ध होगा। शुभकामनाएँ