Class 11 Hindi Notes Chapter 9 (भारतेंदु हरिश्चंद्र ; भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?) – Antra Book

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चलिए, आज हम भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के अत्यंत महत्वपूर्ण निबंध 'भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?' का गहन अध्ययन करते हैं। यह निबंध न केवल आपकी कक्षा 11 की परीक्षा के लिए, बल्कि विभिन्न सरकारी परीक्षाओं के हिंदी खंड के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसे ध्यान से समझिए।


अध्याय 9: भारतेंदु हरिश्चंद्र - 'भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?' (विस्तृत नोट्स)

लेखक परिचय

  • भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1885): इन्हें 'आधुनिक हिंदी गद्य का जनक' कहा जाता है। उन्होंने बहुत कम उम्र में साहित्य की लगभग सभी विधाओं - नाटक, निबंध, कविता, पत्रकारिता - में अभूतपूर्व योगदान दिया।
  • युग प्रवर्तक: उनके नाम पर ही आधुनिक काल के पहले चरण को 'भारतेंदु युग' (1868-1900) के नाम से जाना जाता है।
  • भाषा-शैली: इनकी भाषा में आम बोलचाल के शब्दों, मुहावरों और व्यंग्य का अद्भुत मिश्रण मिलता है, जिससे वे सीधे पाठकों से जुड़ जाते हैं।

पाठ का संदर्भ

यह मूलतः एक भाषण है, जो भारतेंदु जी ने दिसंबर 1884 में बलिया के ददरी मेले के अवसर पर 'आर्य देशोपकारिणी सभा' में दिया था। यह उस समय के भारत की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक दुर्दशा पर एक तीखा और प्रेरणादायक वक्तव्य है।

निबंध का सार एवं प्रमुख बिंदु

इस निबंध का मूल स्वर भारतवासियों को उनके आलस्य और अकर्मण्यता से जगाकर देश की उन्नति के लिए प्रेरित करना है। भारतेंदु ने उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाओं और उनके समाधानों पर विस्तार से चर्चा की है।

1. आलस्य और अकर्मण्यता - सबसे बड़ा शत्रु:

  • भारतेंदु के अनुसार, भारतवासियों की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण उनका 'आलस्य' है।
  • उन्होंने भारतीयों की तुलना एक रेलगाड़ी के डिब्बों से की है। वे कहते हैं कि भारतीय फर्स्ट-क्लास, सेकंड-क्लास जैसे अच्छे डिब्बे तो हैं, लेकिन उनमें इंजन नहीं है। कोई उन्हें चलाने वाला चाहिए।
  • वे कहते हैं कि निकम्मेपन ने हमें घेर लिया है। लोग "राजीनरायन" (अल्प-संतुष्ट) बनकर बैठे हैं और अपनी दुर्दशा पर ध्यान नहीं देते।

2. समय का महत्व और उन्नति की दौड़:

  • लेखक कहते हैं कि यह समय सोने का नहीं है। दुनिया के अन्य देश (अंग्रेज, जापानी, अमेरिकी) उन्नति की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
  • यदि भारतीय इस समय भी नहीं जागे, तो वे हमेशा के लिए पिछड़ जाएँगे। वे कहते हैं, "अबकी चढ़ी इस समय में जो पीछे रह जाएगा, फिर कोटि उपाय किए भी आगे न बढ़ सकेगा।"
  • वे लोगों को व्यर्थ के कामों, गपशप और नशाखोरी में समय बर्बाद करने के लिए फटकारते हैं।

3. आत्मनिर्भरता और स्वदेशी का संदेश:

  • भारतेंदु देश की आर्थिक दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं कि अंग्रेज शासक हर तरह से भारत का धन विदेश ले जा रहे हैं।
  • इसका समाधान वे 'स्वदेशी' अपनाने में बताते हैं। वे लोगों से आग्रह करते हैं कि वे अपने देश में बनी वस्तुओं का ही उपयोग करें, भले ही वे थोड़ी मोटी या खराब क्यों न हों। इससे देश का पैसा देश में ही रहेगा।

4. सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार:

  • भारतेंदु देश की उन्नति में बाधक सामाजिक कुरीतियों पर कठोर प्रहार करते हैं।
  • वे बाल-विवाह, बहु-विवाह, विधवा विवाह का निषेध, जातिगत भेदभाव जैसी प्रथाओं को समाज का कोढ़ बताते हैं और इन्हें तुरंत छोड़ने का आग्रह करते हैं।
  • वे कहते हैं कि इन कुरीतियों ने समाज को कमजोर और विभाजित कर दिया है।

5. धार्मिक पाखंड और एकता का आह्वान:

  • लेखक के अनुसार, धर्म ने हमें उन्नति के बजाय पतन की ओर धकेला है। लोगों ने धर्म के वास्तविक मर्म को भुलाकर व्यर्थ के कर्मकांडों, रोजों, व्रतों और अंधविश्वासों को अपना लिया है।
  • उनका मानना है कि सच्चा धर्म देश की उन्नति और समाज की भलाई करना है।
  • वे हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों से अपने आपसी बैर-भाव को भुलाकर देश की उन्नति के लिए एक होने का आह्वान करते हैं।

6. शिक्षा और जनसंख्या नियंत्रण:

  • वे शिक्षा के महत्व पर बल देते हैं, ताकि लोग अपने भले-बुरे को समझ सकें।
  • वे बढ़ती जनसंख्या पर भी चिंता व्यक्त करते हैं और संतान को तभी जन्म देने की सलाह देते हैं जब उसे शिक्षित और योग्य बनाने की क्षमता हो।

7. भाषा और एकता:

  • वे अपनी भाषा यानी 'निज भाषा' की उन्नति पर बल देते हैं, क्योंकि सभी प्रकार की उन्नति का मूल अपनी भाषा का विकास ही है। "निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।"

भाषा-शैली की विशेषताएँ

  • जन सामान्य की भाषा: खड़ी बोली में आम बोलचाल के शब्दों (जैसे - मर्दुमशुमारी, चुंगी) का प्रयोग।
  • व्यंग्यात्मक शैली: उन्होंने बड़ी गंभीरता से लेकिन चुटीले अंदाज में समाज की कुरीतियों पर व्यंग्य किया है।
  • दृष्टांत और उदाहरण: रेलगाड़ी का उदाहरण देकर अपनी बात को प्रभावी ढंग से समझाया है।
  • प्रश्नोत्तरी शैली: पाठकों और श्रोताओं से सीधे प्रश्न पूछकर उन्हें सोचने पर विवश करते हैं।
  • प्रवाहपूर्ण और ओजस्वी: भाषा में एक अद्भुत प्रवाह और जोश है, जो सीधे हृदय पर प्रभाव डालता है।

परीक्षा के लिए 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 'भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?' भाषण कहाँ दिया था?
(क) काशी में
(ख) लखनऊ में
(ग) बलिया के ददरी मेले में
(घ) दिल्ली में

प्रश्न 2: लेखक ने भारतीयों की तुलना किससे की है?
(क) इंजन से
(ख) रेलगाड़ी के डिब्बों से
(ग) सोए हुए शेर से
(घ) कूपमंडूक से

प्रश्न 3: लेखक के अनुसार भारत की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व क्या है?
(क) गरीबी
(ख) अशिक्षा
(ग) अंग्रेजी शासन
(घ) आलस्य

प्रश्न 4: "सब उन्नति को मूल" लेखक ने किसे माना है?
(क) धर्म
(ख) धन
(ग) निज भाषा
(घ) एकता

प्रश्न 5: लेखक ने देश की आर्थिक दुर्दशा का मुख्य कारण किसे बताया है?
(क) जनसंख्या वृद्धि
(ख) कृषि का पिछड़ापन
(ग) देश के धन का विदेश जाना
(घ) सामाजिक कुरीतियाँ

प्रश्न 6: निबंध में 'राजीनरायन' शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में हुआ है?
(क) राजाओं के लिए
(ख) अंग्रेजों के लिए
(ग) थोड़े में संतुष्ट रहने वाले भारतीयों के लिए
(घ) जमींदारों के लिए

प्रश्न 7: लेखक के अनुसार वास्तविक धर्म क्या है?
(क) तीर्थ यात्रा और व्रत करना
(ख) मूर्ति पूजा करना
(ग) देश की उन्नति और समाज का भला करना
(घ) धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना

प्रश्न 8: भारतेंदु ने उन्नति की दौड़ में किन देशों को आगे बताया है?
(क) केवल अंग्रेजों को
(ख) चीन और रूस को
(ग) अमेरिकी, अंग्रेज, फ्रांसीसी, जापानी आदि को
(घ) केवल जापानियों को

प्रश्न 9: यह भाषण किस वर्ष दिया गया था?
(क) 1850
(ख) 1857
(ग) 1884
(घ) 1900

प्रश्न 10: 'भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?' साहित्य की कौन-सी विधा है?
(क) कहानी
(ख) नाटक
(ग) निबंध (भाषण का लिखित रूप)
(घ) एकांकी


उत्तरमाला:

  1. (ग)
  2. (ख)
  3. (घ)
  4. (ग)
  5. (ग)
  6. (ग)
  7. (ग)
  8. (ग)
  9. (ग)
  10. (ग)

इन नोट्स और प्रश्नों को अच्छी तरह से तैयार कर लें। यह अध्याय आधुनिक भारत की सोच और हिंदी गद्य के विकास को समझने के लिए एक नींव का पत्थर है। शुभकामनाएँ

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