Class 11 History Notes Chapter 4 (आधुनिकीकरण की ओर) – Vishwa Itihas ke Kush Visay Book

प्रिय विद्यार्थियों,
आज हम कक्षा 11 के इतिहास विषय के अध्याय 4 'आधुनिकीकरण की ओर' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय जापान और चीन के आधुनिकीकरण के विभिन्न पहलुओं, चुनौतियों और प्रतिक्रियाओं पर केंद्रित है। सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें कई तिथियाँ, व्यक्तित्व और घटनाएँ शामिल हैं।
अध्याय 4: आधुनिकीकरण की ओर
परिचय:
यह अध्याय 19वीं और 20वीं शताब्दी में पूर्वी एशिया के दो प्रमुख देशों - जापान और चीन - के आधुनिकीकरण के अनुभवों का विश्लेषण करता है। इन दोनों देशों ने पश्चिमी साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के दबाव में अपनी पारंपरिक संरचनाओं को बदलने और आधुनिक राष्ट्र-राज्य बनने का प्रयास किया। जहाँ जापान ने पश्चिमीकरण को अपनाकर तेजी से आधुनिकीकरण किया, वहीं चीन को आंतरिक विद्रोहों और बाहरी हस्तक्षेपों के कारण अधिक संघर्ष करना पड़ा।
भाग 1: जापान का आधुनिकीकरण
जापान ने आधुनिकीकरण का एक अनूठा मार्ग अपनाया, जहाँ उसने पश्चिमी विचारों और प्रौद्योगिकियों को आत्मसात करते हुए अपनी राष्ट्रीय पहचान और परंपराओं को बनाए रखा।
1. तोकुगावा शोगुनत (1603-1868):
- शासन प्रणाली: तोकुगावा परिवार ने शोगुन (सेनापति) के रूप में शासन किया, जबकि सम्राट केवल नाममात्र का शासक था।
- सामाजिक संरचना: समाज सख्त सामंती व्यवस्था में बंटा था: शोगुन, दाइम्यो (क्षेत्रीय शासक), समुराई (योद्धा), किसान, कारीगर और व्यापारी।
- अलगाववाद (साकोकू): 17वीं शताब्दी से जापान ने बाहरी दुनिया से लगभग पूरी तरह संबंध तोड़ लिए थे। केवल डचों को नागासाकी में सीमित व्यापार की अनुमति थी।
- आंतरिक चुनौतियाँ: 19वीं शताब्दी के मध्य तक, सामंती व्यवस्था में दरारें पड़ने लगी थीं। चावल की कीमतें बढ़ीं, किसानों में असंतोष था और शहरीकरण के कारण व्यापारियों का प्रभाव बढ़ रहा था।
2. पश्चिमी दबाव और मेइजी पुनर्स्थापना (1868):
- पेरी का आगमन (1853): अमेरिकी कमोडोर मैथ्यू पेरी अपने युद्धपोतों के साथ जापान पहुँचा और जापान पर व्यापार समझौते के लिए दबाव डाला।
- असमान संधियाँ: जापान को पश्चिमी देशों के साथ कई 'असमान संधियाँ' (जैसे 1854 की कनागावा संधि) करनी पड़ीं, जिससे उसके संप्रभुता पर चोट पहुँची।
- पुनर्स्थापना: इन विदेशी दबावों और आंतरिक असंतोष के कारण 1868 में शोगुनत को उखाड़ फेंका गया और सम्राट मेइजी (मुत्सुहितो) को सत्ता में पुनर्स्थापित किया गया। इसे मेइजी पुनर्स्थापना कहा जाता है।
- नारा: 'फुकुओका क्योहेई' (समृद्ध देश, मजबूत सेना) मेइजी सरकार का मुख्य नारा था।
3. मेइजी सुधार (1868-1912):
मेइजी सरकार ने जापान को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने के लिए व्यापक सुधार किए:
- प्रशासनिक सुधार:
- सामंती दाइम्यो और समुराई व्यवस्था को समाप्त किया गया।
- पुराने डोमेन (क्षेत्रों) को भंग कर आधुनिक प्रशासनिक इकाइयों (प्रीफेक्चर) में पुनर्गठित किया गया।
- राजधानी को क्योटो से टोक्यो (एदो) स्थानांतरित किया गया।
- सैन्य सुधार:
- 1873 में सार्वभौमिक सैन्य सेवा लागू की गई, जिससे समुराई का एकाधिकार समाप्त हुआ।
- आधुनिक सेना और नौसेना का गठन किया गया, जिसमें पश्चिमी सैन्य तकनीकों और प्रशिक्षण का उपयोग किया गया।
- आर्थिक सुधार:
- कृषि पर कर लगाया गया, जिससे सरकार को राजस्व मिला।
- रेलवे, टेलीग्राफ और शिपिंग लाइनों का विकास किया गया।
- आधुनिक बैंकिंग प्रणाली स्थापित की गई।
- ज़ाइबत्सु: बड़े औद्योगिक और वित्तीय समूह (जैसे मित्सुबिशी, मित्सुई) उभरे, जिन्हें सरकार का समर्थन प्राप्त था।
- जापान ने तेजी से औद्योगीकरण किया, खासकर कपड़ा, लोहा और इस्पात उद्योगों में।
- शैक्षिक सुधार:
- लड़के-लड़कियों दोनों के लिए अनिवार्य शिक्षा लागू की गई।
- पश्चिमी शिक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम को अपनाया गया, लेकिन राष्ट्रीय गौरव और जापानी मूल्यों को भी पढ़ाया गया।
- संवैधानिक सुधार:
- 1889 में मेइजी संविधान लागू किया गया, जिसमें सम्राट को सर्वोच्च शक्ति प्रदान की गई, लेकिन एक निर्वाचित संसद (डाइट) भी स्थापित की गई।
- मतदान का अधिकार सीमित था।
- सांस्कृतिक परिवर्तन:
- पश्चिमी पोशाक, केश विन्यास और रीति-रिवाजों को अपनाया गया।
- लेकिन पारंपरिक जापानी मूल्यों और शिंतो धर्म को भी बढ़ावा दिया गया।
4. जापान का साम्राज्यवाद और सैन्यवाद:
- कारण: संसाधनों की कमी, पश्चिमी शक्तियों से प्रतिस्पर्धा, 'एशिया का नेता' बनने की महत्वाकांक्षा।
- चीन-जापान युद्ध (1894-95): जापान ने चीन को हराया और ताइवान तथा कोरिया पर प्रभाव स्थापित किया।
- रूस-जापान युद्ध (1904-05): जापान ने एक यूरोपीय शक्ति रूस को हराकर विश्व को चौंका दिया। इससे जापान की सैन्य शक्ति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ी।
- कोरिया पर कब्ज़ा (1910): जापान ने कोरिया को अपने साम्राज्य में मिला लिया।
- प्रथम विश्व युद्ध: जापान मित्र राष्ट्रों के साथ लड़ा और जर्मनी के प्रशांत क्षेत्र के उपनिवेशों पर कब्ज़ा किया।
- मंचूरिया पर आक्रमण (1931): जापान ने चीन के मंचूरिया प्रांत पर कब्ज़ा कर 'मंचूकुओ' नामक कठपुतली राज्य स्थापित किया।
- द्वितीय विश्व युद्ध: जापान ने धुरी राष्ट्रों (जर्मनी, इटली) का साथ दिया और प्रशांत क्षेत्र में विस्तार किया।
- हार और परिणाम: 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया।
5. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का जापान:
- अमेरिकी कब्ज़ा (1945-52): जापान पर अमेरिकी सेना का कब्ज़ा रहा।
- नया संविधान (1947): एक शांतिवादी संविधान लागू किया गया, जिसने सम्राट को केवल प्रतीकात्मक मुखिया बनाया और जापान को युद्ध त्यागने के लिए बाध्य किया।
- आर्थिक चमत्कार: 1950 के दशक के बाद जापान ने तेजी से आर्थिक विकास किया और दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्तियों में से एक बन गया। इसका श्रेय उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों, तकनीकी नवाचार और कुशल कार्यबल को दिया जाता है।
भाग 2: चीन का आधुनिकीकरण
चीन का आधुनिकीकरण का मार्ग जापान से भिन्न और अधिक जटिल रहा। उसे आंतरिक विद्रोहों और पश्चिमी शक्तियों के साथ-साथ जापान के हस्तक्षेप का भी सामना करना पड़ा।
1. किंग राजवंश और पश्चिमी हस्तक्षेप (19वीं शताब्दी):
- पृष्ठभूमि: 19वीं शताब्दी की शुरुआत में चीन पर किंग (मांचू) राजवंश का शासन था। चीन को 'मध्य साम्राज्य' माना जाता था और वह बाहरी दुनिया से श्रेष्ठता का दावा करता था।
- व्यापार असंतुलन: ब्रिटेन चीन से चाय, रेशम और चीनी मिट्टी के बर्तन खरीदता था, लेकिन चीन को बेचने के लिए उसके पास कुछ खास नहीं था। इससे ब्रिटेन का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ गया।
- अफीम व्यापार: इस घाटे को पूरा करने के लिए ब्रिटेन ने भारत से चीन को बड़े पैमाने पर अफीम का निर्यात करना शुरू किया, जिससे चीन में अफीम की लत और सामाजिक समस्याएँ बढ़ीं।
2. अफीम युद्ध (1839-42 और 1856-60):
- प्रथम अफीम युद्ध (1839-42): चीन द्वारा अफीम व्यापार पर प्रतिबंध लगाने और अफीम के स्टॉक को नष्ट करने के बाद ब्रिटेन ने चीन पर हमला किया।
- नानजिंग की संधि (1842): चीन को यह अपमानजनक संधि स्वीकार करनी पड़ी।
- चीन ने ब्रिटेन को हांगकांग सौंप दिया।
- पाँच बंदरगाह (कैंटन, शंघाई, फुझोउ, निंगबो, शियामेन) विदेशी व्यापार के लिए खोल दिए गए।
- चीन को भारी क्षतिपूर्ति देनी पड़ी।
- द्वितीय अफीम युद्ध (1856-60): ब्रिटेन और फ्रांस ने चीन पर और अधिक व्यापारिक रियायतें प्राप्त करने के लिए हमला किया।
- परिणाम: चीन को पश्चिमी शक्तियों के साथ कई 'असमान संधियाँ' करनी पड़ीं, जिससे उसकी संप्रभुता और आर्थिक स्वतंत्रता गंभीर रूप से प्रभावित हुई। विदेशी शक्तियों ने चीन में 'प्रभाव क्षेत्र' स्थापित किए।
3. ताइपिंग विद्रोह (1850-64):
- नेता: हाँग शियुक्वान, जिसने खुद को यीशु मसीह का छोटा भाई घोषित किया।
- उद्देश्य: किंग राजवंश को उखाड़ फेंकना, जमींदारी व्यवस्था समाप्त करना, समानता स्थापित करना और ईसाई धर्म पर आधारित एक 'स्वर्गीय साम्राज्य' स्थापित करना।
- विद्रोह: यह चीन के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे विनाशकारी विद्रोह था, जिसमें 20 मिलियन से अधिक लोग मारे गए।
- परिणाम: किंग राजवंश ने पश्चिमी शक्तियों की मदद से विद्रोह को दबाया, लेकिन इससे राजवंश की कमजोरी उजागर हुई।
4. स्व-शक्ति आंदोलन (1860-90):
- उद्देश्य: किंग राजवंश के कुछ सुधारवादी अधिकारियों ने पश्चिमी सैन्य प्रौद्योगिकी और उद्योगों को अपनाकर चीन को मजबूत करने का प्रयास किया।
- गतिविधियाँ: आधुनिक शस्त्रागार, नौसेना डॉकयार्ड, रेलवे और पश्चिमी शैली के स्कूल स्थापित किए गए।
- सीमाएँ: यह आंदोलन केवल सतही था और चीन की गहरी सामाजिक-राजनीतिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सका। पारंपरिक मूल्य और संस्थाएँ अपरिवर्तित रहीं।
5. सौ दिन का सुधार (1898):
- नेता: सम्राट गुआंग्शू और सुधारवादी विद्वान कांग यूवेई और लियांग किचाओ।
- उद्देश्य: शिक्षा, प्रशासन और सेना में व्यापक सुधार करना।
- परिणाम: महारानी डॉवेगर सिक्सी और रूढ़िवादी गुट ने इस सुधार को विफल कर दिया और सम्राट को नजरबंद कर दिया।
6. बॉक्सर विद्रोह (1899-1901):
- कारण: विदेशी हस्तक्षेप, ईसाई मिशनरियों और चीनी ईसाइयों के प्रति बढ़ती नफरत।
- विद्रोह: 'धार्मिक और सामंजस्यपूर्ण मुक्केबाजों' (बॉक्सर) नामक एक गुप्त समाज ने विदेशियों और चीनी ईसाइयों पर हमला किया।
- परिणाम: आठ देशों के गठबंधन (ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया-हंगरी, रूस, जापान, अमेरिका) ने विद्रोह को दबाया। चीन पर भारी क्षतिपूर्ति लगाई गई और विदेशी शक्तियों को चीन में अपनी सेनाएँ रखने का अधिकार मिला (बॉक्सर प्रोटोकॉल)।
7. गणतंत्र की स्थापना (1911 की क्रांति):
- सन यात-सेन: चीन के आधुनिकीकरण के प्रमुख नेता, जिन्होंने 'तीन जन सिद्धांत' (राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और जन कल्याण) का प्रतिपादन किया।
- क्रांति (1911): किंग राजवंश के खिलाफ विद्रोह हुआ, जिससे राजवंश का अंत हुआ।
- गणतंत्र: 1912 में सन यात-सेन को चीन गणराज्य का पहला अस्थायी राष्ट्रपति घोषित किया गया। उन्होंने कुओमिन्तांग (KMT) पार्टी की स्थापना की।
- युआन शिकाई: सन यात-सेन ने युआन शिकाई को राष्ट्रपति पद सौंप दिया, लेकिन युआन ने सत्ता का दुरुपयोग किया और जल्द ही चीन में अराजकता और 'युद्ध सरदारों' का युग शुरू हो गया।
8. माई फोर्थ आंदोलन (1919):
- कारण: प्रथम विश्व युद्ध के बाद पेरिस शांति सम्मेलन में चीन के साथ हुए अन्याय (जर्मनी के शैंडोंग प्रांत के अधिकार जापान को सौंपना)।
- आंदोलन: छात्रों, बुद्धिजीवियों और श्रमिकों ने विदेशी साम्राज्यवाद और चीन की कमजोर सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए।
- प्रभाव: इसने चीन में राष्ट्रवाद, वैज्ञानिक सोच और आधुनिक संस्कृति को बढ़ावा दिया।
9. चीनी साम्यवादी दल (CPC) का उदय (1921):
- स्थापना: माई फोर्थ आंदोलन के बाद मार्क्सवाद-लेनिनवाद से प्रेरित होकर चीनी साम्यवादी दल की स्थापना हुई।
- माओत्से तुंग: माओ ने ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को संगठित करके क्रांति का मार्ग अपनाया।
10. कुओमिन्तांग और साम्यवादियों के बीच संघर्ष:
- सहयोग: 1920 के दशक में KMT और CPC ने जापान विरोधी और युद्ध सरदारों के खिलाफ सहयोग किया।
- विभाजन: च्यांग काई-शेक (KMT के नेता) ने साम्यवादियों के खिलाफ कार्रवाई की, जिससे गृह युद्ध शुरू हो गया।
- लॉन्ग मार्च (1934-35): माओत्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादी सेना ने KMT से बचने के लिए एक विशाल और कठिन मार्च किया, जिससे CPC का आधार मजबूत हुआ।
- जापानी आक्रमण (1937-45): जापान के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के दौरान KMT और CPC ने जापान के खिलाफ अस्थायी रूप से सहयोग किया।
- गृह युद्ध का पुनः आरंभ (1945-49): द्वितीय विश्व युद्ध के बाद गृह युद्ध फिर से शुरू हुआ, जिसमें साम्यवादियों ने KMT को हराया।
- पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना (1949): माओत्से तुंग ने 1 अक्टूबर 1949 को चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना की। च्यांग काई-शेक ताइवान भाग गए।
11. माओ के अधीन चीन (1949-1976):
- भूमि सुधार: जमींदारी व्यवस्था समाप्त की गई और भूमि किसानों में वितरित की गई।
- महान छलांग (Great Leap Forward, 1958-62): कृषि और उद्योग को तेजी से बढ़ाने का प्रयास किया गया, लेकिन यह एक बड़ी विफलता थी जिसके कारण अकाल पड़ा और लाखों लोग मारे गए।
- सांस्कृतिक क्रांति (1966-76): माओ ने अपने विरोधियों को खत्म करने और साम्यवादी विचारधारा को मजबूत करने के लिए यह आंदोलन शुरू किया। इसने चीन के समाज, शिक्षा और संस्कृति को भारी नुकसान पहुँचाया।
12. माओ के बाद का चीन (देंग शियाओपिंग और सुधार):
- देंग शियाओपिंग: माओ की मृत्यु के बाद देंग शियाओपिंग ने सत्ता संभाली और चीन में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की।
- खुले द्वार की नीति: चीन ने विदेशी निवेश और व्यापार को बढ़ावा दिया।
- चार आधुनिकीकरण: कृषि, उद्योग, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय रक्षा में आधुनिकीकरण पर जोर दिया गया।
- परिणाम: चीन ने तेजी से आर्थिक विकास किया और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया, लेकिन राजनीतिक व्यवस्था साम्यवादी बनी रही।
निष्कर्ष:
जापान और चीन दोनों ने आधुनिकीकरण के मार्ग पर चलते हुए अपनी राष्ट्रीय पहचान को बनाए रखने का प्रयास किया। जहाँ जापान ने पश्चिमीकरण को अपनाकर एक मजबूत साम्राज्यवादी शक्ति का रूप लिया और बाद में एक आर्थिक महाशक्ति बना, वहीं चीन को आंतरिक संघर्षों और विदेशी हस्तक्षेपों का लंबा दौर झेलना पड़ा। अंततः, दोनों देशों ने अपनी-अपनी परिस्थितियों के अनुसार आधुनिकीकरण के अनूठे मॉडल विकसित किए, जो आज भी वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
-
मेइजी पुनर्स्थापना जापान में किस वर्ष हुई थी?
a) 1853
b) 1868
c) 1894
d) 1905 -
जापान में 'ज़ाइबत्सु' क्या थे?
a) सामंती योद्धा समूह
b) बड़े औद्योगिक और वित्तीय समूह
c) धार्मिक संप्रदाय
d) राजनीतिक दल -
किस अमेरिकी कमोडोर ने 1853 में जापान को बाहरी दुनिया के लिए खोलने पर मजबूर किया?
a) एडमिरल नेल्सन
b) मैथ्यू पेरी
c) जॉर्ज वाशिंगटन
d) डगलस मैकआर्थर -
चीन के साथ प्रथम अफीम युद्ध (1839-42) किस देश ने लड़ा था?
a) फ्रांस
b) संयुक्त राज्य अमेरिका
c) ब्रिटेन
d) जर्मनी -
नानजिंग की संधि (1842) के परिणामस्वरूप ब्रिटेन को कौन सा चीनी क्षेत्र प्राप्त हुआ?
a) शंघाई
b) बीजिंग
c) हांगकांग
d) मकाऊ -
'तीन जन सिद्धांत' (राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और जन कल्याण) का प्रतिपादन किसने किया था?
a) माओत्से तुंग
b) च्यांग काई-शेक
c) सन यात-सेन
d) देंग शियाओपिंग -
चीन में 'महान छलांग' (Great Leap Forward) आंदोलन किस वर्ष शुरू किया गया था?
a) 1949
b) 1958
c) 1966
d) 1978 -
किस चीनी नेता ने 'सांस्कृतिक क्रांति' (1966-76) की शुरुआत की थी?
a) देंग शियाओपिंग
b) च्यांग काई-शेक
c) माओत्से तुंग
d) झोउ एनलाई -
जापान ने रूस को किस युद्ध में पराजित किया था, जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ी?
a) चीन-जापान युद्ध
b) रूस-जापान युद्ध
c) प्रथम विश्व युद्ध
d) द्वितीय विश्व युद्ध -
1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना किसने की थी?
a) च्यांग काई-शेक
b) सन यात-सेन
c) माओत्से तुंग
d) देंग शियाओपिंग
MCQ उत्तर:
- b) 1868
- b) बड़े औद्योगिक और वित्तीय समूह
- b) मैथ्यू पेरी
- c) ब्रिटेन
- c) हांगकांग
- c) सन यात-सेन
- b) 1958
- c) माओत्से तुंग
- b) रूस-जापान युद्ध
- c) माओत्से तुंग
मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको अध्याय को गहराई से समझने और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें!