Class 11 Mathematics Notes Chapter 9 (Chapter 9) – Examplar Problems (Hindi) Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 के गणित एक्सेम्प्लर के अध्याय 9 'अनुक्रम तथा श्रेणी' के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उपयोगी होंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है।
अध्याय 9: अनुक्रम तथा श्रेणी (Sequences and Series) - विस्तृत नोट्स
1. अनुक्रम (Sequence):
- परिभाषा: अनुक्रम संख्याओं का एक क्रमबद्ध विन्यास है जो किसी निश्चित नियम का पालन करता है। अनुक्रम के सदस्यों को 'पद' (term) कहा जाता है।
- उदाहरण: 2, 4, 6, 8, ... (सम संख्याओं का अनुक्रम)
- 1, 4, 9, 16, ... (प्राकृत संख्याओं के वर्गों का अनुक्रम)
- nवाँ पद (a_n): अनुक्रम का सामान्य पद, जिससे अनुक्रम का कोई भी पद ज्ञात किया जा सकता है। इसे T_n से भी दर्शाते हैं।
- परिमित और अपरिमित अनुक्रम: यदि अनुक्रम में पदों की संख्या सीमित हो, तो वह परिमित अनुक्रम कहलाता है, अन्यथा अपरिमित अनुक्रम।
2. श्रेणी (Series):
- परिभाषा: यदि a₁, a₂, a₃, ..., a_n, ... एक अनुक्रम है, तो व्यंजक a₁ + a₂ + a₃ + ... + a_n + ... श्रेणी कहलाता है।
- श्रेणी, अनुक्रम के पदों के योग को दर्शाती है।
3. समांतर श्रेढ़ी (Arithmetic Progression - A.P.):
- परिभाषा: एक अनुक्रम जिसमें प्रत्येक पद (पहले पद को छोड़कर) अपने पिछले पद में एक निश्चित संख्या जोड़ने पर प्राप्त होता है, समांतर श्रेढ़ी कहलाता है। इस निश्चित संख्या को 'सार्व अंतर' (common difference - d) कहते हैं।
- व्यापक रूप: a, a+d, a+2d, a+3d, ...
- यहाँ 'a' प्रथम पद है और 'd' सार्व अंतर है।
- d = a₂ - a₁ = a₃ - a₂ = ... = a_n - a_(n-1)
- nवाँ पद (a_n): a_n = a + (n-1)d
- प्रथम n पदों का योग (S_n):
- S_n = n/2 [2a + (n-1)d]
- S_n = n/2 [a + l] (जहाँ l = अंतिम पद = a_n)
- समांतर माध्य (Arithmetic Mean - A.M.):
- यदि a, A, b समांतर श्रेढ़ी में हैं, तो A = (a+b)/2, A को a और b का समांतर माध्य कहते हैं।
- दो राशियों a और b के बीच n समांतर माध्य A₁, A₂, ..., A_n डालने का अर्थ है कि a, A₁, A₂, ..., A_n, b एक समांतर श्रेढ़ी बनाते हैं।
- गुणधर्म:
- यदि किसी A.P. के प्रत्येक पद में एक अचर राशि जोड़ी या घटाई जाए, तो परिणामी अनुक्रम भी A.P. होता है।
- यदि किसी A.P. के प्रत्येक पद को एक शून्येतर अचर राशि से गुणा या भाग दिया जाए, तो परिणामी अनुक्रम भी A.P. होता है।
- किसी परिमित A.P. में, प्रारंभ और अंत से समदूरस्थ पदों का योग अचर होता है और प्रथम तथा अंतिम पद के योग के बराबर होता है (a₁ + a_n = a₂ + a_(n-1) = ...)।
- A.P. में तीन पद सामान्यतः a-d, a, a+d लिए जाते हैं।
- A.P. में चार पद सामान्यतः a-3d, a-d, a+d, a+3d लिए जाते हैं।
- A.P. में पाँच पद सामान्यतः a-2d, a-d, a, a+d, a+2d लिए जाते हैं।
4. गुणोत्तर श्रेढ़ी (Geometric Progression - G.P.):
- परिभाषा: एक अनुक्रम जिसमें प्रत्येक पद (पहले पद को छोड़कर) अपने पिछले पद को एक निश्चित शून्येतर संख्या से गुणा करने पर प्राप्त होता है, गुणोत्तर श्रेढ़ी कहलाता है। इस निश्चित संख्या को 'सार्व अनुपात' (common ratio - r) कहते हैं।
- व्यापक रूप: a, ar, ar², ar³, ...
- यहाँ 'a' प्रथम पद है और 'r' सार्व अनुपात है।
- r = a₂/a₁ = a₃/a₂ = ... = a_n / a_(n-1)
- nवाँ पद (a_n): a_n = ar^(n-1)
- प्रथम n पदों का योग (S_n):
- S_n = a(rⁿ - 1) / (r - 1) या S_n = a(1 - rⁿ) / (1 - r), यदि r ≠ 1
- यदि r = 1, तो S_n = na
- अनंत पदों का योग (S_∞): यदि |r| < 1 हो, तो गुणोत्तर श्रेढ़ी के अनंत पदों का योगफल S_∞ = a / (1 - r) होता है।
- गुणोत्तर माध्य (Geometric Mean - G.M.):
- यदि a, G, b गुणोत्तर श्रेढ़ी में हैं, तो G² = ab अर्थात् G = √(ab) (यदि a, b धनात्मक हैं), G को a और b का गुणोत्तर माध्य कहते हैं।
- दो धनात्मक राशियों a और b के बीच n गुणोत्तर माध्य G₁, G₂, ..., G_n डालने का अर्थ है कि a, G₁, G₂, ..., G_n, b एक गुणोत्तर श्रेढ़ी बनाते हैं।
- गुणधर्म:
- यदि किसी G.P. के प्रत्येक पद को एक शून्येतर अचर राशि से गुणा या भाग दिया जाए, तो परिणामी अनुक्रम भी G.P. होता है।
- किसी परिमित G.P. में, प्रारंभ और अंत से समदूरस्थ पदों का गुणनफल अचर होता है और प्रथम तथा अंतिम पद के गुणनफल के बराबर होता है (a₁ * a_n = a₂ * a_(n-1) = ...)।
- G.P. में तीन पद सामान्यतः a/r, a, ar लिए जाते हैं।
- G.P. में चार पद सामान्यतः a/r³, a/r, ar, ar³ लिए जाते हैं।
- G.P. में पाँच पद सामान्यतः a/r², a/r, a, ar, ar² लिए जाते हैं।
5. समांतर माध्य (A.M.) और गुणोत्तर माध्य (G.M.) के बीच संबंध:
- दो धनात्मक राशियों a और b के लिए, उनका समांतर माध्य A = (a+b)/2 और गुणोत्तर माध्य G = √(ab) होता है।
- हमेशा A ≥ G होता है। समानता का चिन्ह तब होता है जब a = b हो।
6. विशेष श्रेणियों के n पदों का योग:
-
प्रथम n प्राकृत संख्याओं का योग:
Σn = 1 + 2 + 3 + ... + n = n(n+1)/2 -
प्रथम n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग:
Σn² = 1² + 2² + 3² + ... + n² = n(n+1)(2n+1)/6 -
प्रथम n प्राकृत संख्याओं के घनों का योग:
Σn³ = 1³ + 2³ + 3³ + ... + n³ = [n(n+1)/2]² = (Σn)² -
अन्य श्रेणियाँ: कई बार श्रेणी का nवाँ पद (a_n) दिया होता है और योग (S_n = Σa_n) ज्ञात करना होता है। इसके लिए a_n को n, n², n³ आदि के पदों में व्यक्त करके उपरोक्त सूत्रों का प्रयोग किया जाता है।
- उदाहरण: श्रेणी 1⋅2 + 2⋅3 + 3⋅4 + ... का योग ज्ञात करना।
- यहाँ a_n = n(n+1) = n² + n
- S_n = Σa_n = Σ(n² + n) = Σn² + Σn
- S_n = [n(n+1)(2n+1)/6] + [n(n+1)/2]
- सरल करने पर, S_n = n(n+1)(n+2)/3
- उदाहरण: श्रेणी 1⋅2 + 2⋅3 + 3⋅4 + ... का योग ज्ञात करना।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण सुझाव:
- A.P. और G.P. के nवें पद और n पदों के योग के सूत्र अच्छी तरह याद रखें।
- A.M. और G.M. की परिभाषा और उनके बीच का संबंध (A ≥ G) महत्वपूर्ण है।
- विशेष श्रेणियों (Σn, Σn², Σn³) के योग के सूत्र सीधे पूछे जा सकते हैं या अन्य सवालों को हल करने में उपयोग होते हैं।
- शब्दों पर आधारित समस्याओं (word problems) का अभ्यास करें जिनमें A.P. या G.P. का उपयोग होता है।
- एक्सेम्प्लर पुस्तक के वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs), लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों को हल करें।
अभ्यास के लिए 10 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: यदि किसी समांतर श्रेढ़ी का pवाँ पद q है और qवाँ पद p है, तो उसका nवाँ पद क्या होगा?
(a) p + q - n
(b) p - q + n
(c) p + q + n
(d) p - q - n
प्रश्न 2: गुणोत्तर श्रेढ़ी 5, 10, 20, 40, ... का कौन सा पद 1280 है?
(a) 8वाँ
(b) 9वाँ
(c) 10वाँ
(d) 7वाँ
प्रश्न 3: यदि दो धनात्मक संख्याओं a और b के बीच समांतर माध्य तथा गुणोत्तर माध्य क्रमशः 10 तथा 8 हैं, तो संख्याएँ हैं:
(a) 4, 16
(b) 5, 15
(c) 8, 12
(d) 6, 14
प्रश्न 4: श्रेणी 1² + 2² + 3² + ... + n² का योगफल है:
(a) n(n+1)/2
(b) [n(n+1)/2]²
(c) n(n+1)(2n+1)/6
(d) n(n+1)(n+2)/6
प्रश्न 5: एक अनंत गुणोत्तर श्रेढ़ी का योगफल 4 है और उसके पदों के घनों (cubes) का योगफल 192 है। श्रेढ़ी का सार्व अनुपात क्या है?
(a) 1/2
(b) 1/4
(c) 2/3
(d) 3/4
प्रश्न 6: यदि किसी समांतर श्रेढ़ी के n पदों का योगफल S_n = 3n² + 5n है, तो उसका सार्व अंतर (d) क्या है?
(a) 4
(b) 6
(c) 8
(d) 10
प्रश्न 7: संख्याएँ 2, x, 26 समांतर श्रेढ़ी में हैं, तो x का मान है:
(a) 12
(b) 14
(c) 16
(d) 10
प्रश्न 8: गुणोत्तर श्रेढ़ी √3, 3, 3√3, ... के प्रथम n पदों का योगफल 39 + 13√3 है। n का मान ज्ञात कीजिए।
(a) 5
(b) 6
(c) 7
(d) 8
प्रश्न 9: यदि a, b, c समांतर श्रेढ़ी में हैं तथा x, y, z गुणोत्तर श्रेढ़ी में हैं, तो x^(b-c) * y^(c-a) * z^(a-b) का मान क्या है?
(a) 0
(b) 1
(c) xyz
(d) a+b+c
प्रश्न 10: श्रेणी 1/(1⋅2) + 1/(2⋅3) + 1/(3⋅4) + ... के n पदों का योगफल है:
(a) 1/(n+1)
(b) n/(n+1)
(c) 1 - 1/(n+1)
(d) 1 + 1/(n+1)
उत्तरमाला (MCQs):
- (a) p + q - n
- (b) 9वाँ (a_n = ar^(n-1) => 1280 = 5 * 2^(n-1) => 256 = 2^(n-1) => 2⁸ = 2^(n-1) => n-1 = 8 => n=9)
- (a) 4, 16 (A = (a+b)/2 = 10 => a+b=20; G = √(ab) = 8 => ab=64. हल करने पर a=4, b=16 या a=16, b=4)
- (c) n(n+1)(2n+1)/6
- (a) 1/2 (S_∞ = a/(1-r) = 4; घनों की श्रेढ़ी a³, a³r³, ... का योग a³/(1-r³) = 192. दोनों समीकरणों को हल करने पर r=1/2)
- (b) 6 (a₁ = S₁ = 3(1)²+5(1) = 8; a₂ = S₂ - S₁ = [3(2)²+5(2)] - 8 = (12+10) - 8 = 14; d = a₂ - a₁ = 14 - 8 = 6)
- (b) 14 (x = (2+26)/2 = 28/2 = 14)
- (b) 6 (a=√3, r=√3. S_n = a(rⁿ-1)/(r-1) = √3((√3)ⁿ-1)/(√3-1) = 39+13√3 = 13√3(√3+1). सरल करने पर (√3)ⁿ⁺¹ - √3 = 13√3(√3+1)(√3-1) = 13√3 * 2 = 26√3. (√3)ⁿ⁺¹ = 27√3 = (√3)⁶ * √3 = (√3)⁷. n+1=7 => n=6)
- (b) 1 (a,b,c A.P. में हैं तो b-a = c-b = d. c-a = 2d. a-b = -d. b-c = -d. x,y,z G.P. में हैं तो y=xr, z=xr². व्यंजक = x^(-d) * (xr)^(2d) * (xr²)^(-d) = x^(-d) * x^(2d) * r^(2d) * x^(-d) * r^(-2d) = x^(-d+2d-d) * r^(2d-2d) = x⁰ * r⁰ = 1)
- (b) n/(n+1) (a_k = 1/(k(k+1)) = 1/k - 1/(k+1). S_n = Σa_k = (1/1 - 1/2) + (1/2 - 1/3) + ... + (1/n - 1/(n+1)) = 1 - 1/(n+1) = n/(n+1))
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छी तरह से अध्ययन करें। शुभकामनाएँ!