Class 11 Physics Notes Chapter 12 (Chapter 12) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम भौतिकी के एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय, 'ऊष्मागतिकी' (Thermodynamics) का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं, जैसे NEET, JEE और अन्य सरकारी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। हम इसके सभी मुख्य बिंदुओं, सूत्रों और अवधारणाओं को विस्तार से समझेंगे।

अध्याय 12: ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) - विस्तृत नोट्स

1. परिचय (Introduction)
ऊष्मागतिकी भौतिकी की वह शाखा है जो ऊष्मा, कार्य और ऊर्जा की अवधारणाओं तथा उनके आपसी रूपांतरण का अध्ययन करती है।

  • ऊष्मागतिक निकाय (Thermodynamic System): पदार्थ का वह संग्रह जिस पर हम ध्यान केंद्रित करते हैं। उदाहरण: एक सिलेंडर में भरी गैस।
  • परिवेश (Surroundings): निकाय के बाहर का सब कुछ जो निकाय को प्रभावित कर सकता है।
  • परिसीमा (Boundary): वह वास्तविक या काल्पनिक सतह जो निकाय को परिवेश से अलग करती है।

2. ऊष्मीय साम्यावस्था (Thermal Equilibrium)
जब दो निकायों के बीच ऊष्मा का कोई आदान-प्रदान नहीं होता है, तो वे ऊष्मीय साम्यावस्था में कहलाते हैं। इसका अर्थ है कि दोनों निकायों का ताप समान है।

3. ऊष्मागतिकी का शून्यवाँ नियम (Zeroth Law of Thermodynamics)
यह नियम 'ताप' की अवधारणा को परिभाषित करता है।

  • कथन: यदि दो निकाय (A और B) किसी तीसरे निकाय (C) के साथ अलग-अलग ऊष्मीय साम्यावस्था में हैं, तो वे (A और B) एक दूसरे के साथ भी ऊष्मीय साम्यावस्था में होंगे।
  • महत्व: यह नियम थर्मामीटर के कार्य करने का आधार है।

4. ऊष्मा, कार्य और आंतरिक ऊर्जा (Heat, Work, and Internal Energy)

  • आंतरिक ऊर्जा (U): किसी निकाय के अणुओं की कुल ऊर्जा (गतिज + स्थितिज) को उसकी आंतरिक ऊर्जा कहते हैं। यह एक अवस्था फलन (State Function) है, यानी यह केवल निकाय की प्रारंभिक और अंतिम अवस्था पर निर्भर करती है, पथ पर नहीं। आदर्श गैस के लिए, आंतरिक ऊर्जा केवल ताप पर निर्भर करती है। ΔU = nCvΔT
  • ऊष्मा (Q): तापांतर के कारण निकाय और परिवेश के बीच स्थानांतरित होने वाली ऊर्जा।
    • निकाय द्वारा ऊष्मा अवशोषित: Q > 0 (धनात्मक)
    • निकाय द्वारा ऊष्मा निष्कासित: Q < 0 (ऋणात्मक)
  • कार्य (W): जब निकाय का आयतन बदलता है, तो कार्य होता है।
    • निकाय द्वारा किया गया कार्य (गैस का प्रसार): W > 0 (धनात्मक)
    • निकाय पर किया गया कार्य (गैस का संपीडन): W < 0 (ऋणात्मक)
    • W = PΔV (नियत दाब पर)

5. ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of Thermodynamics)
यह ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है।

  • कथन: जब किसी निकाय को ऊष्मा (ΔQ) दी जाती है, तो वह उसकी आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि (ΔU) करने और बाह्य कार्य (ΔW) करने में खर्च होती है।
  • समीकरण: ΔQ = ΔU + ΔW
    • यहाँ, ΔW = PΔV होता है।
    • अतः, ΔQ = ΔU + PΔV

6. ऊष्मागतिक प्रक्रम (Thermodynamic Processes)

प्रक्रम का नाम शर्त मुख्य बिंदु किया गया कार्य (W) प्रथम नियम का रूप
समतापी प्रक्रम (Isothermal) ताप नियत (ΔT = 0) आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन शून्य (ΔU = 0) होता है। बॉयल का नियम (PV = नियतांक) लागू होता है। nRT ln(V₂/V₁) ΔQ = ΔW
रुद्धोष्म प्रक्रम (Adiabatic) ऊष्मा का आदान-प्रदान नहीं (ΔQ = 0) निकाय परिवेश से पूर्णतः विलगित होता है। यह प्रक्रम बहुत तेजी से होता है। PV^γ = नियतांक (P₁V₁ - P₂V₂)/(γ-1) या nR(T₁ - T₂)/(γ-1) ΔU = -ΔW
समदाबी प्रक्रम (Isobaric) दाब नियत (ΔP = 0) चार्ल्स का नियम (V/T = नियतांक) लागू होता है। P(V₂ - V₁) या nR(T₂ - T₁) ΔQ = ΔU + PΔV
समआयतनिक प्रक्रम (Isochoric) आयतन नियत (ΔV = 0) किया गया कार्य शून्य (ΔW = 0) होता है। गेलुसैक का नियम (P/T = नियतांक) लागू होता है। 0 ΔQ = ΔU

7. विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ (Specific Heat Capacities)

  • स्थिर आयतन पर (Cv): Cv = (ΔU/ΔT)v
  • स्थिर दाब पर (Cp): Cp = (ΔQ/ΔT)p
  • मेयर का सूत्र (Mayer's Formula): Cp - Cv = R (R सार्वत्रिक गैस नियतांक है)
  • रुद्धोष्म गामा (γ): γ = Cp / Cv

8. ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Second Law of Thermodynamics)
यह नियम ऊष्मा प्रवाह की दिशा और ऊर्जा रूपांतरण की सीमाओं को बताता है।

  • केल्विन-प्लांक कथन: ऐसा कोई भी इंजन बनाना असंभव है जो एक चक्र में कार्य करते हुए किसी स्रोत से ऊष्मा लेकर उसे पूर्ण रूप से कार्य में बदल दे, बिना सिंक को कोई ऊष्मा दिए। (अर्थात, किसी भी ऊष्मा इंजन की दक्षता 100% नहीं हो सकती)।
  • क्लॉसियस कथन: ऐसा कोई भी प्रक्रम संभव नहीं है जिसका एकमात्र परिणाम ठंडी वस्तु से गर्म वस्तु की ओर ऊष्मा का स्थानांतरण हो। (अर्थात, बिना बाह्य कार्य के ऊष्मा निम्न ताप से उच्च ताप की ओर प्रवाहित नहीं हो सकती)।

9. ऊष्मा इंजन, प्रशीतक (रेफ्रिजरेटर) और ऊष्मा पम्प

  • ऊष्मा इंजन (Heat Engine): यह एक ऐसी युक्ति है जो ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक कार्य में परिवर्तित करती है।
    • दक्षता (η): η = किया गया कार्य / ली गई ऊष्मा = W / Q₁ = 1 - (Q₂/Q₁) = 1 - (T₂/T₁) (T₂ सिंक का ताप, T₁ स्रोत का ताप, केल्विन में)।
  • प्रशीतक (Refrigerator): यह एक ऐसी युक्ति है जो बाह्य कार्य की सहायता से ठंडे पिंड (सिंक) से ऊष्मा निकालकर गर्म पिंड (स्रोत) को देती है।
    • कार्य गुणांक (Coefficient of Performance, α or K): α = Q₂ / W = Q₂ / (Q₁ - Q₂) = T₂ / (T₁ - T₂)

10. कार्नो इंजन (Carnot Engine)
यह एक आदर्श, उत्क्रमणीय ऊष्मा इंजन है जो दो तापों (T₁ और T₂) के बीच कार्य करता है। इसकी दक्षता किसी भी अन्य इंजन से अधिक होती है जो उन्हीं दो तापों के बीच कार्य करता है। इसकी दक्षता केवल स्रोत और सिंक के ताप पर निर्भर करती है।


अभ्यास के लिए 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम किस राशि के संरक्षण पर आधारित है?
(a) संवेग
(b) आवेश
(c) ऊर्जा
(d) द्रव्यमान

प्रश्न 2: एक समतापी प्रक्रम में, निम्नलिखित में से कौन सी राशि स्थिर रहती है?
(a) दाब
(b) आयतन
(c) आंतरिक ऊर्जा
(d) ऊष्मा

प्रश्न 3: एक आदर्श गैस के रुद्धोष्म प्रसार में, क्या होता है?
(a) निकाय का ताप बढ़ता है।
(b) निकाय का ताप घटता है।
(c) निकाय का ताप स्थिर रहता है।
(d) निकाय की आंतरिक ऊर्जा बढ़ती है।

प्रश्न 4: एक समआयतनिक प्रक्रम में, गैस द्वारा किया गया कार्य होता है:
(a) धनात्मक
(b) ऋणात्मक
(c) शून्य
(d) अनंत

प्रश्न 5: मेयर का सूत्र (Cp - Cv = R) लागू होता है:
(a) केवल एकपरमाणुक गैसों पर
(b) केवल द्विपरमाणुक गैसों पर
(c) सभी आदर्श गैसों पर
(d) सभी वास्तविक गैसों पर

प्रश्न 6: एक कार्नो इंजन 500 K स्रोत और 300 K सिंक के बीच कार्य कर रहा है। इसकी दक्षता क्या होगी?
(a) 20%
(b) 40%
(c) 60%
(d) 80%

प्रश्न 7: ऊष्मागतिकी का कौन सा नियम 'ताप' की अवधारणा को परिभाषित करता है?
(a) शून्यवाँ नियम
(b) प्रथम नियम
(c) द्वितीय नियम
(d) तृतीय नियम

प्रश्न 8: रुद्धोष्म प्रक्रम के लिए अवस्था समीकरण क्या है? (γ = Cp/Cv)
(a) PV = नियतांक
(b) P/T = नियतांक
(c) V/T = नियतांक
(d) PV^γ = नियतांक

प्रश्न 9: एक प्रशीतक (रेफ्रिजरेटर) का कार्य गुणांक (Coefficient of Performance) दिया जाता है:
(a) T₁ / (T₂ - T₁)
(b) T₂ / (T₁ - T₂)
(c) 1 - (T₂/T₁)
(d) W / Q₂

प्रश्न 10: जब किसी गैस को नियत दाब पर गर्म किया जाता है, तो दी गई ऊष्मा का उपयोग होता है:
(a) केवल आंतरिक ऊर्जा बढ़ाने में
(b) केवल बाह्य कार्य करने में
(c) आंतरिक ऊर्जा बढ़ाने और बाह्य कार्य करने, दोनों में
(d) केवल गैस का ताप बढ़ाने में


उत्तर और व्याख्या

  1. (c) ऊर्जा: प्रथम नियम ऊर्जा संरक्षण का ही एक रूप है (ΔQ = ΔU + ΔW)।
  2. (c) आंतरिक ऊर्जा: समतापी प्रक्रम में ताप (T) नियत रहता है। आदर्श गैस की आंतरिक ऊर्जा केवल ताप पर निर्भर करती है, इसलिए ΔT = 0 होने पर ΔU = 0 होता है।
  3. (b) निकाय का ताप घटता है: रुद्धोष्म प्रसार में, गैस अपने परिवेश के विरुद्ध अपनी आंतरिक ऊर्जा का उपयोग करके कार्य करती है, जिससे उसकी आंतरिक ऊर्जा और फलस्वरूप ताप घट जाता है। (ΔQ = 0, तो ΔU = -ΔW)।
  4. (c) शून्य: समआयतनिक प्रक्रम में आयतन नियत (ΔV = 0) रहता है। चूँकि कार्य W = PΔV होता है, इसलिए किया गया कार्य शून्य होगा।
  5. (c) सभी आदर्श गैसों पर: मेयर का सूत्र सभी आदर्श गैसों के लिए मान्य है, चाहे वे एकपरमाणुक, द्विपरमाणुक या बहुपरमाणुक हों।
  6. (b) 40%: दक्षता η = 1 - (T₂/T₁) = 1 - (300/500) = 1 - 0.6 = 0.4। प्रतिशत में, यह 0.4 * 100 = 40% है।
  7. (a) शून्यवाँ नियम: शून्यवाँ नियम दो निकायों के तापीय साम्य के आधार पर ताप को परिभाषित करता है।
  8. (d) PV^γ = नियतांक: यह रुद्धोष्म प्रक्रम के लिए दाब और आयतन के बीच का संबंध है।
  9. (b) T₂ / (T₁ - T₂): प्रशीतक का कार्य गुणांक (α) सिंक से निकाली गई ऊष्मा (Q₂) और किए गए कार्य (W) का अनुपात होता है, जो ताप के पदों में T₂ / (T₁ - T₂) के बराबर होता है।
  10. (c) आंतरिक ऊर्जा बढ़ाने और बाह्य कार्य करने, दोनों में: नियत दाब (समदाबी प्रक्रम) पर, प्रथम नियम ΔQ = ΔU + ΔW लागू होता है। दी गई ऊष्मा (ΔQ) का कुछ भाग आंतरिक ऊर्जा (ΔU) बढ़ाता है और शेष भाग प्रसार में कार्य (ΔW = PΔV) करता है।

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छी तरह से अध्ययन करें। आपकी परीक्षा के लिए शुभकामनाएँ

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