Class 11 Physics Notes Chapter 17 (Chapter 17) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम भौतिकी के एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय, 'तरंग प्रकाशिकी' (Wave Optics) पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं जैसे NDA, Air Force (X Group), Navy (SSR/AA), और अन्य तकनीकी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम इसके मुख्य बिंदुओं को समझेंगे और फिर कुछ महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) का अभ्यास करेंगे।

अध्याय 17: तरंग प्रकाशिकी (Wave Optics) - विस्तृत नोट्स

इस अध्याय में हम प्रकाश की तरंग प्रकृति का अध्ययन करते हैं, जो व्यतिकरण, विवर्तन और ध्रुवण जैसी घटनाओं की व्याख्या करती है।

1. हाइगेन्स का सिद्धांत (Huygens' Principle)

यह सिद्धांत प्रकाश के तरंग के रूप में संचरण की व्याख्या करता है।

  • तरंगाग्र (Wavefront): किसी माध्यम में स्थित उन सभी कणों का बिंदुपथ जो समान कला (phase) में कंपन कर रहे होते हैं, तरंगाग्र कहलाता है।
    • बिंदु स्रोत के लिए तरंगाग्र गोलीय (spherical) होता है।
    • रैखिक स्रोत के लिए तरंगाग्र बेलनाकार (cylindrical) होता है।
    • स्रोत से बहुत अधिक दूरी पर तरंगाग्र लगभग समतल (plane) होता है।
  • सिद्धांत के मुख्य बिंदु:
    1. तरंगाग्र का प्रत्येक बिंदु एक नए विक्षोभ स्रोत की तरह कार्य करता है, जिससे नई तरंगिकाएँ (secondary wavelets) निकलती हैं। ये तरंगिकाएँ भी मूल तरंग की चाल से आगे बढ़ती हैं।
    2. किसी भी क्षण इन द्वितीयक तरंगिकाओं पर खींची गई स्पर्शरेखा (envelope) उस क्षण पर नए तरंगाग्र की स्थिति को दर्शाती है।
  • इस सिद्धांत से परावर्तन और अपवर्तन के नियमों की सफलतापूर्वक व्याख्या की जा सकती है।

2. तरंगों का व्यतिकरण (Interference of Waves)

जब समान आवृत्ति और लगभग समान आयाम की दो प्रकाश तरंगें, जो एक ही दिशा में चल रही हैं, किसी बिंदु पर अध्यारोपित (superimpose) होती हैं, तो उस बिंदु पर प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है। इस घटना को व्यतिकरण कहते हैं।

  • कला-संबद्ध स्रोत (Coherent Sources): ऐसे स्रोत जिनसे निकलने वाली तरंगों के बीच कलांतर (phase difference) समय के साथ नियत रहता है, कला-संबद्ध स्रोत कहलाते हैं। स्थायी व्यतिकरण के लिए यह एक आवश्यक शर्त है।

  • यंग का द्वि-स्लिट प्रयोग (Young's Double Slit Experiment - YDSE):

    • सम्पोषी व्यतिकरण (Constructive Interference): जब तरंगें समान कला में मिलती हैं, तो परिणामी तीव्रता अधिकतम होती है। इसे दीप्त फ्रिंज (Bright Fringe) कहते हैं।
      • शर्त: पथांतर (Path difference), Δx = nλ
      • जहाँ n = 0, 1, 2, ...
    • विनाशी व्यतिकरण (Destructive Interference): जब तरंगें विपरीत कला में मिलती हैं, तो परिणामी तीव्रता न्यूनतम (लगभग शून्य) होती है। इसे अदीप्त फ्रिंज (Dark Fringe) कहते हैं।
      • शर्त: पथांतर, Δx = (2n - 1)λ/2
      • जहाँ n = 1, 2, 3, ...
    • फ्रिंज चौड़ाई (Fringe Width, β): किन्हीं दो क्रमागत दीप्त या अदीप्त फ्रिंजों के बीच की दूरी को फ्रिंज चौड़ाई कहते हैं।
      • सूत्र: β = λD/d
      • जहाँ,
        • λ = प्रकाश का तरंगदैर्ध्य (wavelength)
        • D = स्लिटों और पर्दे के बीच की दूरी
        • d = दोनों स्लिटों के बीच की दूरी
    • महत्वपूर्ण बिंदु: यदि पूरे उपकरण को किसी द्रव (अपवर्तनांक μ) में डुबो दिया जाए, तो तरंगदैर्ध्य λ' = λ/μ हो जाती है, और नई फ्रिंज चौड़ाई β' = β/μ हो जाती है (अर्थात घट जाती है)।

3. विवर्तन (Diffraction)

जब प्रकाश तरंगें किसी अवरोध या द्वारक (slit) के किनारों से टकराती हैं, तो वे किनारों पर मुड़ जाती हैं और ज्यामितीय छाया क्षेत्र में प्रवेश कर जाती हैं। इस घटना को विवर्तन कहते हैं।

  • एकल-स्लिट विवर्तन (Single Slit Diffraction):
    • इसमें एक केंद्रीय दीप्त फ्रिंज (Central Maxima) बनता है जो सबसे चौड़ा और सबसे तीव्र होता है।
    • इसके दोनों ओर गौण उच्चिष्ठ (Secondary Maxima) और निम्निष्ठ (Minima) बनते हैं जिनकी तीव्रता घटती जाती है।
    • निम्निष्ठ (Minima) के लिए शर्त: a sinθ = nλ
      • जहाँ, a = स्लिट की चौड़ाई, n = 1, 2, 3, ...
    • केंद्रीय उच्चिष्ठ की कोणीय चौड़ाई: 2θ = 2λ/a
    • केंद्रीय उच्चिष्ठ की रैखिक चौड़ाई: 2β₀ = 2λD/a
    • यह व्यतिकरण फ्रिंजों की चौड़ाई से दोगुनी होती है।

4. ध्रुवण (Polarization)

ध्रुवण प्रकाश की वह घटना है जो यह सिद्ध करती है कि प्रकाश एक अनुप्रस्थ तरंग (Transverse wave) है।

  • अध्रुवित प्रकाश में विद्युत वेक्टर के कंपन तरंग संचरण की दिशा के लंबवत सभी तलों में होते हैं।
  • ध्रुवण की प्रक्रिया द्वारा इन कंपनों को किसी एक ही तल में सीमित कर दिया जाता है।
  • पोलरॉइड (Polaroid): यह एक ऐसी युक्ति है जो अध्रुवित प्रकाश को समतल ध्रुवित प्रकाश में बदल देती है।
  • माइनस का नियम (Malus's Law): जब एक ध्रुवित प्रकाश किसी विश्लेषक (analyser) से गुजरता है, तो निर्गत प्रकाश की तीव्रता I = I₀ cos²θ होती है।
    • जहाँ I₀ आपतित ध्रुवित प्रकाश की तीव्रता है और θ ध्रुवक और विश्लेषक की ध्रुवण अक्षों के बीच का कोण है।
  • ब्रूस्टर का नियम (Brewster's Law): जब अध्रुवित प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम पर एक विशेष कोण (ध्रुवण कोण, ip) पर आपतित होता है, तो परावर्तित प्रकाश पूर्णतः समतल ध्रुवित हो जाता है।
    • शर्त: μ = tan(ip)
    • जहाँ μ माध्यम का अपवर्तनांक है। इस स्थिति में परावर्तित और अपवर्तित किरणें एक दूसरे के लंबवत होती हैं।

अभ्यास के लिए 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1. हाइगेन्स के अनुसार, एक बिंदु प्रकाश स्रोत से निकलने वाला तरंगाग्र होता है:
(a) समतल
(b) बेलनाकार
(c) गोलीय
(d) दीर्घवृत्तीय

उत्तर: (c) गोलीय
व्याख्या: एक बिंदु स्रोत से प्रकाश सभी दिशाओं में समान रूप से फैलता है, इसलिए समान दूरी पर स्थित सभी बिंदु एक गोले की सतह पर होंगे।

प्रश्न 2. यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग में, फ्रिंज की चौड़ाई (β) निर्भर नहीं करती है:
(a) स्लिटों के बीच की दूरी (d) पर
(b) तरंगदैर्ध्य (λ) पर
(c) स्लिटों और पर्दे के बीच की दूरी (D) पर
(d) स्लिटों की चौड़ाई पर

उत्तर: (d) स्लिटों की चौड़ाई पर
व्याख्या: फ्रिंज चौड़ाई का सूत्र β = λD/d है। यह तरंगदैर्ध्य, स्लिटों के बीच की दूरी और पर्दे की दूरी पर निर्भर करती है, लेकिन सीधे तौर पर स्लिटों की चौड़ाई पर नहीं (स्लिटों की चौड़ाई विवर्तन पैटर्न को प्रभावित करती है)।

प्रश्न 3. यदि यंग के प्रयोग में दोनों स्लिटों के बीच की दूरी आधी कर दी जाए, तो फ्रिंज की चौड़ाई हो जाएगी:
(a) आधी
(b) दोगुनी
(c) चार गुनी
(d) अपरिवर्तित

उत्तर: (b) दोगुनी
व्याख्या: β ∝ 1/d। यदि d को d/2 किया जाता है, तो β' = λD/(d/2) = 2(λD/d) = 2β हो जाएगी।

प्रश्न 4. प्रकाश के व्यतिकरण के लिए, दोनों स्रोतों का होना आवश्यक है:
(a) भिन्न-भिन्न तरंगदैर्ध्य
(b) कला-संबद्ध (Coherent)
(c) उच्च तीव्रता
(d) एक दूसरे से बहुत दूर

उत्तर: (b) कला-संबद्ध (Coherent)
व्याख्या: स्थायी व्यतिकरण पैटर्न प्राप्त करने के लिए, दोनों स्रोतों के बीच कलांतर समय के साथ स्थिर रहना चाहिए, अर्थात स्रोत कला-संबद्ध होने चाहिए।

प्रश्न 5. एकल-स्लिट विवर्तन में, प्रथम निम्निष्ठ (first minima) की शर्त है:
(a) a sinθ = λ/2
(b) a sinθ = λ
(c) a sinθ = 3λ/2
(d) a sinθ = 2λ

उत्तर: (b) a sinθ = λ
व्याख्या: एकल-स्लिट विवर्तन में n-वें निम्निष्ठ के लिए शर्त a sinθ = nλ होती है। प्रथम निम्निष्ठ के लिए n=1 होता है।

प्रश्न 6. प्रकाश की कौन-सी घटना यह सिद्ध करती है कि प्रकाश एक अनुप्रस्थ तरंग है?
(a) व्यतिकरण
(b) विवर्तन
(c) ध्रुवण
(d) अपवर्तन

उत्तर: (c) ध्रुवण
व्याख्या: केवल अनुप्रस्थ तरंगों का ही ध्रुवण किया जा सकता है क्योंकि उनके कंपन संचरण की दिशा के लंबवत होते हैं। अनुदैर्ध्य तरंगों (जैसे ध्वनि) का ध्रुवण नहीं हो सकता।

प्रश्न 7. ब्रूस्टर का नियम है:
(a) μ = sin(ip)
(b) μ = cos(ip)
(c) μ = tan(ip)
(d) μ = cot(ip)

उत्तर: (c) μ = tan(ip)
व्याख्या: ब्रूस्टर के नियम के अनुसार, किसी माध्यम का अपवर्तनांक (μ) उसके ध्रुवण कोण (ip) की स्पर्शज्या (tangent) के बराबर होता है।

प्रश्न 8. यदि यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग के पूरे उपकरण को पानी (अपवर्तनांक 4/3) में डुबो दिया जाए, तो फ्रिंज की चौड़ाई:
(a) बढ़ जाएगी
(b) घट जाएगी
(c) अपरिवर्तित रहेगी
(d) शून्य हो जाएगी

उत्तर: (b) घट जाएगी
व्याख्या: पानी में प्रकाश का तरंगदैर्ध्य λ' = λ/μ हो जाता है। चूँकि β ∝ λ, इसलिए नई फ्रिंज चौड़ाई β' = β/μ होगी, जो हवा की तुलना में कम है।

प्रश्न 9. पोलरॉइड से गुजरने के बाद एक अध्रुवित प्रकाश की तीव्रता हो जाती है:
(a) दोगुनी
(b) आधी
(c) अपरिवर्तित
(d) एक चौथाई

उत्तर: (b) आधी
व्याख्या: जब अध्रुवित प्रकाश एक आदर्श पोलरॉइड से गुजरता है, तो उसकी तीव्रता आधी (I₀/2) रह जाती है।

प्रश्न 10. एकल-स्लिट विवर्तन में केंद्रीय उच्चिष्ठ की चौड़ाई, अन्य गौण उच्चिष्ठों की चौड़ाई की तुलना में होती है:
(a) आधी
(b) बराबर
(c) दोगुनी
(d) चार गुनी

उत्तर: (c) दोगुनी
व्याख्या: केंद्रीय उच्चिष्ठ की रैखिक चौड़ाई 2λD/a होती है, जबकि अन्य गौण उच्चिष्ठों की चौड़ाई लगभग λD/a होती है। इसलिए, यह दोगुनी होती है।

इन सभी बिंदुओं और सूत्रों को अच्छे से याद कर लें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में बहुत सहायक होंगे। शुभकामनाएँ

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