Class 11 Political Science Notes Chapter 4 (कार्यपालिका) – Bharat ka Samvidhant Sidhant aur Vyavhar Book

Bharat ka Samvidhant Sidhant aur Vyavhar
प्रिय विद्यार्थियों,

आज हम कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की पुस्तक 'भारत का संविधान: सिद्धांत और व्यवहार' के अध्याय 4 'कार्यपालिका' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, अतः प्रत्येक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें और इसे भली-भांति समझें।


अध्याय 4: कार्यपालिका

1. कार्यपालिका का अर्थ और प्रकार

  • अर्थ: सरकार का वह अंग जो कानूनों और नीतियों को लागू करता है और प्रशासन चलाता है। इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और नौकरशाही (स्थायी सिविल सेवक) शामिल होते हैं। यह विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों को क्रियान्वित करती है।
  • कार्यपालिका के प्रकार:
    • सामूहिक नेतृत्व पर आधारित कार्यपालिका:
      • संसदीय प्रणाली: इसमें प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और विधायिका के प्रति उत्तरदायी होता है (जैसे भारत, ब्रिटेन)।
      • अर्ध-राष्ट्रपति प्रणाली: इसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों होते हैं और दोनों के पास कुछ शक्तियाँ होती हैं (जैसे फ्रांस, श्रीलंका)।
    • एकल व्यक्ति नेतृत्व पर आधारित कार्यपालिका:
      • राष्ट्रपति प्रणाली: इसमें राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों का प्रमुख होता है और विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता (जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका)।
    • भारत में संसदीय कार्यपालिका: भारत ने संसदीय प्रणाली को अपनाया है, जिसमें राष्ट्रपति नाममात्र का कार्यकारी होता है और प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी होता है।
  • राजनीतिक कार्यपालिका: जनता द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए चुनी जाती है (जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री)। ये अपनी नीतियों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
  • स्थायी कार्यपालिका: सिविल सेवक होते हैं जो लंबी अवधि के लिए नियुक्त होते हैं और राजनीतिक रूप से तटस्थ रहते हुए प्रशासन चलाते हैं (जैसे IAS, IPS अधिकारी)।

2. भारत में संसदीय कार्यपालिका

  • भारतीय संविधान निर्माताओं ने संसदीय प्रणाली को प्राथमिकता दी क्योंकि यह विधायिका और कार्यपालिका के बीच सामंजस्य और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती है।
  • संसदीय प्रणाली की विशेषताएँ:
    • कार्यपालिका और विधायिका के बीच घनिष्ठ संबंध।
    • कार्यपालिका (मंत्रिपरिषद) विधायिका (लोकसभा) के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
    • राज्य का मुखिया (राष्ट्रपति) और सरकार का मुखिया (प्रधानमंत्री) अलग-अलग होते हैं।
    • प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी होता है।

3. राष्ट्रपति (राज्य का संवैधानिक मुखिया)

  • पद: भारत का राष्ट्रपति राज्य का संवैधानिक मुखिया होता है। वह नाममात्र की कार्यपालिका है।
  • निर्वाचन (अनुच्छेद 54):
    • अप्रत्यक्ष चुनाव।
    • एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है जिसमें:
      • संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य।
      • राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।
      • दिल्ली और पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (69वें संविधान संशोधन, 1992 द्वारा)।
    • आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा चुनाव होता है।
  • कार्यकाल (अनुच्छेद 56): 5 वर्ष। वह पुनर्निर्वाचन का पात्र होता है।
  • शपथ (अनुच्छेद 60): भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा, या उनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश द्वारा।
  • योग्यताएँ (अनुच्छेद 58):
    • भारत का नागरिक हो।
    • 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
    • लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
    • किसी लाभ के पद पर न हो।
  • पद से हटाना (महाभियोग - अनुच्छेद 61):
    • संविधान के उल्लंघन के आधार पर।
    • संसद के किसी भी सदन में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
    • प्रस्ताव पर सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए और राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस देना होता है।
    • महाभियोग प्रस्ताव को सदन की कुल सदस्य संख्या के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए।
    • दूसरे सदन द्वारा भी दो-तिहाई बहुमत से पारित होने पर राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
  • शक्तियाँ:
    • कार्यकारी शक्तियाँ (अनुच्छेद 53):
      • भारत सरकार के सभी कार्यकारी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं।
      • प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के अन्य मंत्रियों की नियुक्ति।
      • भारत के महान्यायवादी, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त, राज्यों के राज्यपालों, राजदूतों, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों आदि की नियुक्ति।
      • अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और समझौते राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं।
      • अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोगों की नियुक्ति।
    • विधायी शक्तियाँ:
      • संसद के सत्र आहूत करना, सत्रावसान करना और लोकसभा को भंग करना।
      • संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाना (अनुच्छेद 108) (जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है)।
      • संसद में विधेयक पारित होने के बाद उस पर हस्ताक्षर करना (अनुच्छेद 111)।
      • धन विधेयक को छोड़कर अन्य विधेयकों को पुनर्विचार के लिए लौटाना (निलंबनकारी वीटो)। वह विधेयक को अनिश्चितकाल के लिए रोक भी सकते हैं (जेबी वीटो)।
      • संसद के स्थगन के दौरान अध्यादेश जारी करना (अनुच्छेद 123), जिनकी शक्ति संसद द्वारा बनाए गए कानून के समान होती है और 6 सप्ताह के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित होना आवश्यक है।
      • राज्यसभा में कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा के क्षेत्र से 12 सदस्यों को मनोनीत करना।
      • लोकसभा में दो आंग्ल-भारतीय सदस्यों को मनोनीत करने की शक्ति (104वें संविधान संशोधन, 2019 द्वारा समाप्त)।
    • न्यायिक शक्तियाँ (अनुच्छेद 72):
      • उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति।
      • क्षमादान की शक्ति: किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति के दंड को क्षमा, निलंबित, कम या परिवर्तित करना। यह शक्ति सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड और मृत्युदंड के मामलों में भी लागू होती है।
    • वित्तीय शक्तियाँ:
      • धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही संसद में प्रस्तुत किया जा सकता है।
      • वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) संसद के समक्ष रखवाना।
      • आकस्मिक निधि से अप्रत्याशित व्यय के लिए अग्रिम भुगतान की अनुमति देना।
      • प्रत्येक पाँच वर्ष पर वित्त आयोग का गठन करना।
    • सैन्य शक्तियाँ:
      • तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना, वायु सेना) का सर्वोच्च सेनापति होता है।
      • युद्ध और शांति की घोषणा करता है (संसद की स्वीकृति के अधीन)।
    • आपातकालीन शक्तियाँ (भाग XVIII):
      • राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352): युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण।
      • राज्य आपातकाल/राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356): राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर।
      • वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360): वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा होने पर।

4. उपराष्ट्रपति

  • पद: राष्ट्रपति के बाद भारत का दूसरा सर्वोच्च पद।
  • निर्वाचन (अनुच्छेद 66):
    • संसद के दोनों सदनों के सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत) के निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा चुना जाता है।
  • कार्यकाल: 5 वर्ष।
  • कार्य:
    • राज्यसभा का पदेन सभापति होता है (अनुच्छेद 64)।
    • राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग या अन्य कारणों से पद रिक्त होने पर कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है (अधिकतम 6 माह)। इस अवधि में वह राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करता।

5. प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद (वास्तविक कार्यपालिका)

  • प्रधानमंत्री (वास्तविक कार्यपालिका):
    • नियुक्ति (अनुच्छेद 75): राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता, तो राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है।
    • कार्यकाल: निश्चित नहीं, जब तक लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त है।
    • शक्तियाँ और कार्य:
      • सरकार का मुखिया और मुख्य नीति निर्धारक।
      • मंत्रिपरिषद का निर्माण: मंत्रियों का चयन और उन्हें विभागों का आवंटन।
      • मंत्रिपरिषद का नेतृत्व: बैठकों की अध्यक्षता, निर्णयों का समन्वय।
      • राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच कड़ी का काम। वह मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों से राष्ट्रपति को अवगत कराता है (अनुच्छेद 78)।
      • प्रमुख नीतियों का निर्धारण और संसद में उनका बचाव।
      • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व।
      • विभिन्न महत्वपूर्ण नियुक्तियों (जैसे राज्यपाल, राजदूत आदि) के संबंध में राष्ट्रपति को सलाह देना।
  • मंत्रिपरिषद (अनुच्छेद 74 और 75):
    • संरचना: प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री (कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, उपमंत्री)। कैबिनेट मंत्री सबसे महत्वपूर्ण होते हैं और प्रमुख विभागों के मुखिया होते हैं।
    • सामूहिक उत्तरदायित्व (अनुच्छेद 75(3)): मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। इसका अर्थ है कि सभी मंत्री एक साथ तैरते हैं और एक साथ डूबते हैं। यदि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो पूरी मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है।
    • व्यक्तिगत उत्तरदायित्व: मंत्री व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं और राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर किसी मंत्री को हटा सकता है।
    • मंत्रियों की संख्या: 91वें संविधान संशोधन, 2003 के अनुसार, मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15% से अधिक नहीं होगी।

6. स्थायी कार्यपालिका (नौकरशाही)

  • अर्थ: सिविल सेवक जो सरकार की नीतियों को लागू करते हैं और प्रशासन चलाते हैं। ये राजनीतिक रूप से तटस्थ होते हैं और इनका कार्यकाल निश्चित होता है।
  • महत्व:
    • नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना।
    • नीति निर्माण में मंत्रियों को विशेषज्ञ सलाह और तकनीकी जानकारी प्रदान करना।
    • प्रशासनिक स्थिरता और निरंतरता बनाए रखना, भले ही सरकार बदल जाए।
    • विशेषज्ञता और अनुभव प्रदान करना, जिससे प्रशासन की दक्षता बढ़ती है।
  • भारत में सिविल सेवा का वर्गीकरण:
    • अखिल भारतीय सेवाएँ: IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा), IPS (भारतीय पुलिस सेवा), IFS (भारतीय वन सेवा)। इनकी भर्ती केंद्र सरकार करती है, लेकिन ये केंद्र और राज्य दोनों के अधीन काम करते हैं।
    • केंद्रीय सेवाएँ: IRS (भारतीय राजस्व सेवा), IRTS (भारतीय रेल यातायात सेवा), IFS (भारतीय विदेश सेवा) आदि। ये केंद्र सरकार के अधीन काम करते हैं।
    • राज्य सेवाएँ: राज्यों द्वारा भर्ती की जाती हैं और राज्य सरकार के अधीन काम करती हैं (जैसे PCS, PPS)।
  • लोक सेवा आयोग:
    • संघ लोक सेवा आयोग (UPSC): अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के लिए भर्ती परीक्षाएँ आयोजित करता है।
    • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC): राज्य सेवाओं के लिए भर्ती परीक्षाएँ आयोजित करता है।
  • राजनीतिक कार्यपालिका और स्थायी कार्यपालिका के संबंध:
    • स्थायी कार्यपालिका राजनीतिक कार्यपालिका के निर्देशों का पालन करती है और उनके प्रति जवाबदेह होती है।
    • स्थायी कार्यपालिका नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में विशेषज्ञ सलाह देती है।
    • दोनों के बीच सहयोग प्रशासन की सफलता के लिए आवश्यक है। राजनीतिक कार्यपालिका जनता के प्रति उत्तरदायी होती है, जबकि स्थायी कार्यपालिका कानून के शासन के प्रति।

7. कार्यपालिका की शक्तियाँ और सीमाएँ

  • सीमाएँ:
    • संसदीय नियंत्रण: संसद प्रश्नकाल, शून्यकाल, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, बजट पर चर्चा आदि के माध्यम से कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है।
    • न्यायिक समीक्षा: न्यायपालिका कार्यपालिका के उन कार्यों को अवैध घोषित कर सकती है जो संविधान का उल्लंघन करते हैं या कानून के दायरे से बाहर हैं। यह सुनिश्चित करती है कि कार्यपालिका अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न करे।
    • मीडिया और जनमत: स्वतंत्र मीडिया और जागरूक जनमत कार्यपालिका पर दबाव बनाए रखते हैं और उसे जवाबदेह ठहराते हैं।
    • संविधान की सीमाएँ: संविधान कार्यपालिका की शक्तियों को परिभाषित और सीमित करता है। संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
    • महालेखा परीक्षक (CAG): सरकार के खर्चों की जाँच करता है और उसकी रिपोर्ट संसद के समक्ष रखता है, जिससे वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित होती है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

  1. भारत का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?
    अ) प्रधानमंत्री
    ब) राष्ट्रपति
    स) मुख्य न्यायाधीश
    द) उपराष्ट्रपति

  2. भारत के राष्ट्रपति का चुनाव किसके द्वारा किया जाता है?
    अ) केवल लोकसभा के सदस्य
    ब) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
    स) संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
    द) जनता द्वारा सीधे

  3. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जा सकता है?
    अ) अनुच्छेद 58
    ब) अनुच्छेद 61
    स) अनुच्छेद 72
    द) अनुच्छेद 123

  4. मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से किसके प्रति उत्तरदायी होती है?
    अ) राष्ट्रपति
    ब) लोकसभा
    स) राज्यसभा
    द) प्रधानमंत्री

  5. भारत का उपराष्ट्रपति किसका पदेन सभापति होता है?
    अ) लोकसभा
    ब) राज्यसभा
    स) नीति आयोग
    द) योजना आयोग

  6. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है?
    अ) अनुच्छेद 72
    ब) अनुच्छेद 111
    स) अनुच्छेद 123
    द) अनुच्छेद 352

  7. निम्नलिखित में से कौन अखिल भारतीय सेवा का हिस्सा नहीं है?
    अ) भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)
    ब) भारतीय पुलिस सेवा (IPS)
    स) भारतीय विदेश सेवा (IFS)
    द) भारतीय वन सेवा (IFS)

  8. प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
    अ) लोकसभा अध्यक्ष
    ब) भारत का मुख्य न्यायाधीश
    स) राष्ट्रपति
    द) संसद

  9. भारत में संसदीय प्रणाली की मुख्य विशेषता क्या है?
    अ) राष्ट्रपति वास्तविक कार्यकारी होता है।
    ब) कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती।
    स) कार्यपालिका विधायिका के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
    द) राज्य का मुखिया और सरकार का मुखिया एक ही व्यक्ति होता है।

  10. यदि राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए और उपराष्ट्रपति भी उपलब्ध न हो, तो कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कौन कार्य करता है?
    अ) लोकसभा अध्यक्ष
    ब) भारत का मुख्य न्यायाधीश
    स) प्रधानमंत्री
    द) अटॉर्नी जनरल


उत्तर कुंजी:

  1. ब) राष्ट्रपति
  2. स) संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
  3. ब) अनुच्छेद 61
  4. ब) लोकसभा
  5. ब) राज्यसभा
  6. स) अनुच्छेद 123
  7. स) भारतीय विदेश सेवा (IFS)
  8. स) राष्ट्रपति
  9. स) कार्यपालिका विधायिका के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
  10. ब) भारत का मुख्य न्यायाधीश

मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको इस अध्याय को गहराई से समझने और आपकी सरकारी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। शुभकामनाएँ!

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