Class 11 Psychology Notes Chapter 2 (मनोविज्ञान में जाँच की विधियाँ) – Manovigyan Book

प्रिय विद्यार्थियों,
आज हम कक्षा 11 मनोविज्ञान की पाठ्यपुस्तक के अध्याय 2, 'मनोविज्ञान में जाँच की विधियाँ' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय मनोवैज्ञानिक अनुसंधान की नींव है और विभिन्न सरकारी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, इसे गहराई से समझते हैं।
अध्याय 2: मनोविज्ञान में जाँच की विधियाँ (Methods of Enquiry in Psychology)
मनोविज्ञान एक विज्ञान है, और किसी भी विज्ञान की तरह, यह भी व्यवस्थित और वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करके ज्ञान प्राप्त करता है। इस अध्याय में हम उन विभिन्न विधियों और चरणों को समझेंगे जिनका उपयोग मनोवैज्ञानिक व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए करते हैं।
1. मनोवैज्ञानिक जाँच के उद्देश्य (Goals of Psychological Enquiry)
मनोवैज्ञानिक अनुसंधान के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- वर्णन (Description): किसी व्यवहार या मानसिक प्रक्रिया का सटीक और वस्तुनिष्ठ वर्णन करना। उदाहरण के लिए, एक बच्चा स्कूल में कैसे व्यवहार करता है।
- पूर्वानुमान (Prediction): किसी व्यवहार के घटित होने की संभावना या भविष्य में उसके घटित होने के तरीके का अनुमान लगाना। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र नियमित रूप से अध्ययन करता है, तो उसके अच्छे अंक प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है।
- स्पष्टीकरण (Explanation): किसी व्यवहार या मानसिक प्रक्रिया के कारणों को समझना। यह 'क्यों' का उत्तर देता है। उदाहरण के लिए, बच्चा स्कूल में आक्रामक व्यवहार क्यों करता है?
- नियंत्रण (Control): व्यवहार को प्रारंभ करने, बनाए रखने या रोकने की क्षमता। यह व्यवहार में परिवर्तन लाने की कोशिश करता है। उदाहरण के लिए, आक्रामक व्यवहार को कम करने के लिए हस्तक्षेप करना।
- अनुप्रयोग (Application): प्राप्त ज्ञान का उपयोग वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने या मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए करना। उदाहरण के लिए, आक्रामक व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए विकसित तकनीकों का उपयोग करना।
2. वैज्ञानिक अनुसंधान के चरण (Steps in Conducting Scientific Research)
वैज्ञानिक अनुसंधान एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसके कई चरण होते हैं:
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समस्या का अवधारणाकरण (Conceptualizing a Problem):
- शोधकर्ता एक समस्या का चयन करता है जिस पर वह अध्ययन करना चाहता है।
- इसमें पूर्व शोधों की समीक्षा (साहित्य समीक्षा) और एक परिकल्पना (Hypothesis) का निर्माण शामिल है। परिकल्पना दो या दो से अधिक चरों के बीच संबंध के बारे में एक अस्थायी कथन होता है।
- उदाहरण: "क्या नींद की कमी छात्रों के परीक्षा प्रदर्शन को प्रभावित करती है?"
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दत्त संग्रह (Collecting Data):
- यह अनुसंधान का सबसे महत्वपूर्ण चरण है जहाँ वास्तविक जानकारी एकत्र की जाती है।
- इसमें अध्ययन के लिए प्रतिभागियों का चयन, उपकरण (जैसे प्रश्नावली, परीक्षण) का चयन और डेटा एकत्र करने की विधि (जैसे प्रयोग, सर्वेक्षण) का निर्धारण शामिल है।
- डेटा विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं: व्यक्तिपरक (जैसे भावनाएँ), वस्तुनिष्ठ (जैसे प्रतिक्रिया समय), गुणात्मक (जैसे साक्षात्कार से प्राप्त विवरण), मात्रात्मक (जैसे स्कोर)।
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दत्त विश्लेषण (Analyzing Data):
- एकत्रित डेटा को व्यवस्थित और सारांशित किया जाता है।
- इसमें सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया जाता है (जैसे माध्य, मानक विचलन, सहसंबंध, t-परीक्षण) ताकि डेटा में पैटर्न और संबंध खोजे जा सकें।
- विश्लेषण से शोधकर्ता को अपनी परिकल्पना का परीक्षण करने में मदद मिलती है।
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निष्कर्ष निकालना (Drawing Conclusions):
- दत्त विश्लेषण के आधार पर, शोधकर्ता यह निर्धारित करता है कि उसकी परिकल्पना समर्थित है या नहीं।
- निष्कर्षों को स्पष्ट और संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
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निष्कर्षों का संशोधन (Revising Research Conclusions):
- यदि निष्कर्ष परिकल्पना का समर्थन नहीं करते हैं, तो शोधकर्ता अपनी परिकल्पना या अनुसंधान विधि को संशोधित कर सकता है और आगे के शोध के लिए सुझाव दे सकता है।
- वैज्ञानिक ज्ञान संचयी होता है, और एक अध्ययन के निष्कर्ष अक्सर नए प्रश्नों को जन्म देते हैं।
3. मनोवैज्ञानिक जाँच की विधियाँ (Methods of Psychological Enquiry)
मनोवैज्ञानिक विभिन्न प्रकार की विधियों का उपयोग करते हैं:
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अ. प्रेक्षण विधि (Observational Method):
- यह किसी व्यवहार को उसके प्राकृतिक वातावरण में व्यवस्थित रूप से देखने और रिकॉर्ड करने की विधि है।
- प्रकार:
- स्वाभाविक प्रेक्षण (Naturalistic Observation): व्यवहार को बिना किसी हस्तक्षेप के उसके स्वाभाविक वातावरण में देखा जाता है। उदाहरण: बच्चों के खेल के मैदान में व्यवहार का अवलोकन।
- नियंत्रित प्रेक्षण (Controlled Observation): व्यवहार को एक नियंत्रित वातावरण (जैसे प्रयोगशाला) में देखा जाता है जहाँ कुछ चरों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- सहभागी प्रेक्षण (Participant Observation): शोधकर्ता उस समूह का हिस्सा बन जाता है जिसका वह अवलोकन कर रहा है।
- असहभागी प्रेक्षण (Non-participant Observation): शोधकर्ता समूह से अलग रहता है और दूर से अवलोकन करता है।
- लाभ: व्यवहार का स्वाभाविक रूप से अध्ययन किया जा सकता है।
- सीमाएँ: पर्यवेक्षक का पूर्वाग्रह, अवलोकन पर नियंत्रण की कमी, सामान्यीकरण में कठिनाई।
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ब. प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method):
- यह कारण-प्रभाव (Cause-Effect) संबंध स्थापित करने के लिए सबसे शक्तिशाली विधि है।
- इसमें एक या अधिक स्वतंत्र चरों (Independent Variables - IV) में हेरफेर किया जाता है और आश्रित चर (Dependent Variables - DV) पर उनके प्रभाव को मापा जाता है।
- स्वतंत्र चर (IV): वह चर जिसमें शोधकर्ता हेरफेर करता है या बदलता है।
- आश्रित चर (DV): वह चर जिसे मापा जाता है और जो स्वतंत्र चर के प्रभाव के कारण बदलता है।
- समूह:
- प्रायोगिक समूह (Experimental Group): वह समूह जिसे स्वतंत्र चर के उपचार का अनुभव होता है।
- नियंत्रण समूह (Control Group): वह समूह जिसे स्वतंत्र चर के उपचार का अनुभव नहीं होता है (या एक मानक उपचार मिलता है)। यह तुलना के लिए आधार प्रदान करता है।
- चरों का नियंत्रण (Control of Variables): बाहरी चरों (Extraneous Variables) को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आश्रित चर में परिवर्तन केवल स्वतंत्र चर के कारण हुआ है।
- लाभ: कारण-प्रभाव संबंध स्थापित कर सकता है, उच्च नियंत्रण।
- सीमाएँ: कृत्रिम वातावरण (प्रयोगशाला), सभी चरों को नियंत्रित करना मुश्किल, नैतिक मुद्दे।
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स. सहसंबंधात्मक अनुसंधान (Correlational Research):
- यह दो या दो से अधिक चरों के बीच संबंध की शक्ति और दिशा का अध्ययन करता है।
- सहसंबंध गुणांक (Correlation Coefficient): -1.00 से +1.00 तक होता है।
- धनात्मक सहसंबंध (+): जब एक चर बढ़ता है, तो दूसरा भी बढ़ता है (जैसे अध्ययन के घंटे और परीक्षा अंक)।
- ऋणात्मक सहसंबंध (-): जब एक चर बढ़ता है, तो दूसरा घटता है (जैसे टीवी देखने का समय और परीक्षा अंक)।
- शून्य सहसंबंध (0): चरों के बीच कोई संबंध नहीं।
- महत्वपूर्ण नोट: सहसंबंध कारण-प्रभाव संबंध नहीं बताता है। "सहसंबंध का अर्थ कार्य-कारण नहीं है।"
- लाभ: उन चरों का अध्ययन कर सकता है जिनका प्रयोग करना नैतिक या व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है, भविष्यवाणियां करने में उपयोगी।
- सीमाएँ: कारण-प्रभाव संबंध स्थापित नहीं कर सकता, तीसरे चर की समस्या।
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द. सर्वेक्षण विधि (Survey Method):
- यह बड़ी संख्या में लोगों से जानकारी एकत्र करने की एक विधि है, आमतौर पर उनके विचारों, विश्वासों या व्यवहारों के बारे में।
- तकनीकें:
- व्यक्तिगत साक्षात्कार (Personal Interview): आमने-सामने बातचीत।
- प्रश्नावली (Questionnaire): प्रश्नों की एक सूची जिसे प्रतिभागी स्वयं भरते हैं।
- दूरभाष सर्वेक्षण (Telephone Survey): फोन पर जानकारी एकत्र करना।
- लाभ: बड़ी आबादी से तेजी से डेटा एकत्र करना, लागत प्रभावी।
- सीमाएँ: उत्तरदाताओं का पूर्वाग्रह (सामाजिक वांछनीयता), प्रश्नों का निर्माण, कम प्रतिक्रिया दर।
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य. मनोवैज्ञानिक परीक्षण विधि (Psychological Testing Method):
- ये मानकीकृत और वस्तुनिष्ठ उपकरण होते हैं जिनका उपयोग किसी व्यक्ति के व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाओं या विशेषताओं (जैसे बुद्धि, व्यक्तित्व, अभिक्षमता) को मापने के लिए किया जाता है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- विश्वसनीयता (Reliability): परीक्षण की संगति; यदि एक ही व्यक्ति पर बार-बार परीक्षण किया जाए, तो समान परिणाम प्राप्त होने चाहिए।
- वैधता (Validity): परीक्षण वही मापता है जो उसे मापना चाहिए।
- मानकीकरण (Standardization): परीक्षण को प्रशासित करने, स्कोर करने और व्याख्या करने के लिए समान प्रक्रियाएँ।
- प्रकार: बुद्धि परीक्षण, व्यक्तित्व परीक्षण, अभिक्षमता परीक्षण, रुचि परीक्षण आदि।
- लाभ: वस्तुनिष्ठ, मात्रात्मक डेटा, तुलनात्मक विश्लेषण संभव।
- सीमाएँ: सांस्कृतिक पूर्वाग्रह, परीक्षण की व्याख्या के लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता।
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र. व्यक्ति अध्ययन विधि (Case Study Method):
- यह एक व्यक्ति, एक छोटे समूह या एक संगठन का गहन, विस्तृत अध्ययन है।
- इसमें विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्र की जाती है (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, दस्तावेज़)।
- लाभ: दुर्लभ घटनाओं का गहन अध्ययन, नई परिकल्पनाओं को उत्पन्न करने में सहायक।
- सीमाएँ: सामान्यीकरण में कठिनाई, शोधकर्ता का पूर्वाग्रह, कारण-प्रभाव संबंध स्थापित नहीं कर सकता।
4. मनोवैज्ञानिक जाँच में नैतिक मुद्दे (Ethical Issues in Psychological Enquiry)
मनोवैज्ञानिक अनुसंधान करते समय, प्रतिभागियों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रमुख नैतिक मुद्दे:
- सूचित सहमति (Informed Consent): प्रतिभागियों को अध्ययन के उद्देश्य, प्रक्रियाओं, संभावित जोखिमों और लाभों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए और उन्हें स्वेच्छा से भाग लेने के लिए सहमत होना चाहिए।
- सूक्ष्मता/गोपनीयता (Confidentiality): प्रतिभागियों द्वारा प्रदान की गई जानकारी को गोपनीय रखा जाना चाहिए और उनकी पहचान को उजागर नहीं किया जाना चाहिए।
- सूचना देना (Debriefing): अध्ययन समाप्त होने के बाद, प्रतिभागियों को अध्ययन के वास्तविक उद्देश्य और किसी भी धोखे (यदि उपयोग किया गया हो) के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
- हानि से सुरक्षा (Protection from Harm): शोधकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिभागियों को शारीरिक या मनोवैज्ञानिक रूप से कोई नुकसान न हो।
- धोखाधड़ी (Deception): कुछ अध्ययनों में, प्रतिभागियों को अध्ययन के वास्तविक उद्देश्य से अनभिज्ञ रखना आवश्यक हो सकता है। हालांकि, इसका उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब बिल्कुल आवश्यक हो और उसके बाद पूर्ण सूचना (debriefing) दी जानी चाहिए।
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions - MCQs)
यहाँ अध्याय 2 पर आधारित 10 बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं जो आपकी सरकारी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे:
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मनोवैज्ञानिक जाँच का कौन सा उद्देश्य 'क्यों' का उत्तर देता है?
a) वर्णन
b) पूर्वानुमान
c) स्पष्टीकरण
d) नियंत्रण -
जब एक शोधकर्ता किसी व्यवहार को उसके प्राकृतिक वातावरण में बिना किसी हस्तक्षेप के देखता है, तो यह किस प्रकार का प्रेक्षण है?
a) नियंत्रित प्रेक्षण
b) सहभागी प्रेक्षण
c) स्वाभाविक प्रेक्षण
d) असहभागी प्रेक्षण -
प्रयोगात्मक विधि में, वह चर जिसमें शोधकर्ता हेरफेर करता है या बदलता है, उसे क्या कहते हैं?
a) आश्रित चर
b) बाहरी चर
c) स्वतंत्र चर
d) नियंत्रित चर -
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सहसंबंध के बारे में सत्य है?
a) सहसंबंध हमेशा कारण-प्रभाव संबंध दर्शाता है।
b) सहसंबंध गुणांक -1.00 से +1.00 तक होता है।
c) धनात्मक सहसंबंध का अर्थ है कि एक चर बढ़ता है तो दूसरा घटता है।
d) शून्य सहसंबंध सबसे मजबूत संबंध को दर्शाता है। -
एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण की वह विशेषता जो यह सुनिश्चित करती है कि परीक्षण वही मापता है जो उसे मापना चाहिए?
a) विश्वसनीयता
b) वैधता
c) मानकीकरण
d) वस्तुनिष्ठता -
एक अध्ययन में, छात्रों के अध्ययन के घंटों और उनके परीक्षा के अंकों के बीच +0.75 का सहसंबंध पाया गया। यह किस प्रकार का सहसंबंध है?
a) ऋणात्मक सहसंबंध
b) शून्य सहसंबंध
c) धनात्मक सहसंबंध
d) कोई संबंध नहीं -
मनोवैज्ञानिक अनुसंधान में 'सूचित सहमति' का क्या अर्थ है?
a) प्रतिभागियों को अध्ययन के बाद परिणामों के बारे में सूचित करना।
b) प्रतिभागियों को अध्ययन के उद्देश्य और प्रक्रियाओं के बारे में सूचित करना और उनकी सहमति प्राप्त करना।
c) शोधकर्ता को अध्ययन शुरू करने से पहले नैतिक समिति से सहमति प्राप्त करना।
d) प्रतिभागियों को अध्ययन के दौरान किसी भी धोखे के बारे में सूचित करना। -
वह विधि जिसमें एक व्यक्ति, एक छोटे समूह या एक संगठन का गहन, विस्तृत अध्ययन किया जाता है, कहलाती है:
a) सर्वेक्षण विधि
b) प्रयोगात्मक विधि
c) व्यक्ति अध्ययन विधि
d) प्रेक्षण विधि -
एक शोधकर्ता यह जानना चाहता है कि क्या एक नए शिक्षण कार्यक्रम से छात्रों के प्रदर्शन में सुधार होता है। वह छात्रों के एक समूह को नया कार्यक्रम देता है और दूसरे समूह को पारंपरिक कार्यक्रम। यहाँ नया शिक्षण कार्यक्रम क्या है?
a) आश्रित चर
b) नियंत्रण समूह
c) स्वतंत्र चर
d) बाहरी चर -
मनोवैज्ञानिक जाँच में दत्त संग्रह के बाद अगला चरण क्या होता है?
a) परिकल्पना का निर्माण
b) निष्कर्ष निकालना
c) दत्त विश्लेषण
d) निष्कर्षों का संशोधन
उत्तर कुंजी:
- c)
- c)
- c)
- b)
- b)
- c)
- b)
- c)
- c)
- c)
मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको इस अध्याय को समझने और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने में बहुत सहायक होंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और किसी भी संदेह के लिए पूछने में संकोच न करें। शुभकामनाएँ!