Class 11 Sanskrit Notes Chapter 10 (कन्थामाणिक्यम्) – Shashwati Book

Shashwati
नमस्ते विद्यार्थियो।

आज हम कक्षा 11 की संस्कृत पाठ्यपुस्तक 'शाश्वती' के दशम पाठ 'कन्थामाणिक्यम्' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह पाठ परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इससे सम्बंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। आइए, इस रोचक कथा के मुख्य बिंदुओं, पात्रों और संदेश को समझें।

पाठ 10: कन्थामाणिक्यम् (गुदड़ी का माणिक्य)

1. पाठ परिचय:
'कन्थामाणिक्यम्' शीर्षक यह कथा सोमदेव द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ 'कथासरित्सागर' के 'रत्नप्रभा' नामक लम्बक से संकलित है। 'कथासरित्सागर' भारतीय कथा साहित्य का एक विशाल कोश है, जिसमें अनेक मनोरंजक एवं शिक्षाप्रद कथाएँ संग्रहीत हैं। यह कथा एक निर्धन ब्राह्मण हरिशर्मा की है, जिसे भाग्यवश एक फटी-पुरानी गुदड़ी (कन्था) में छिपा हुआ माणिक्य (रत्न) मिल जाता है, जिससे उसका जीवन बदल जाता है। कथा में बुद्धि चातुर्य, भाग्य और लोभ के परिणामों को दर्शाया गया है।

2. लेखक परिचय:

  • सोमदेव: ये कश्मीर के निवासी थे और 11वीं शताब्दी के माने जाते हैं।
  • ग्रन्थ: इनका एकमात्र प्रसिद्ध ग्रन्थ 'कथासरित्सागर' है, जिसकी रचना इन्होंने कश्मीर की रानी सूर्यमती के मनोरंजन के लिए की थी।
  • आधार: कथासरित्सागर गुणाढ्य द्वारा पैशाची भाषा में रचित 'बृहत्कथा' पर आधारित है, जो अब मूल रूप में उपलब्ध नहीं है। सोमदेव ने उसे संस्कृत पद्य में रूपांतरित किया।
  • शैली: इनकी शैली सरल, प्रवाहमयी और कथा कहने की कला में निपुण है।

3. कथासार:

  • हरिशर्मा की निर्धनता: पाटलिपुत्र नगर में हरिशर्मा नामक एक अत्यंत निर्धन ब्राह्मण रहता था। वह आलसी था और भिक्षा मांगकर या यजमानों से मिली साधारण दक्षिणा से गुजारा करता था। उसकी पत्नी उसके आलस्य और घर की दरिद्रता से बहुत दुखी थी।
  • पत्नी का आग्रह: पत्नी के बार-बार उलाहने देने और कुछ उद्यम करने के आग्रह से तंग आकर हरिशर्मा धन प्राप्ति का उपाय सोचने लगा।
  • स्थूलदत्त से भेंट: वह स्थूलदत्त नामक एक धनी वणिक (सेठ) के पास सहायता मांगने गया। स्थूलदत्त ने उसकी दयनीय दशा देखकर (या शायद परिहास में) उसे एक पुरानी, फटी हुई, कई पैबंद लगी गुदड़ी (कन्था) दी और कहा कि यह उसके पूर्वजों की है और इसमें भाग्य छिपा है, इसे संभाल कर रखना।
  • माणिक्य की प्राप्ति: हरिशर्मा निराश होकर वह गुदड़ी लेकर घर आया। उसकी पत्नी ने जब उस गंदी गुदड़ी को धोने और सिलने के लिए खोला, तो उसे उसके पैबंदों के बीच एक बहुमूल्य माणिक्य (रत्न) छिपा मिला।
  • समृद्धि: माणिक्य को बेचकर हरिशर्मा और उसकी पत्नी धनी हो गए। उन्होंने अच्छा घर, वस्त्र और नौकर-चाकर रख लिए।
  • स्थूलदत्त का लोभ: जब स्थूलदत्त ने हरिशर्मा की अचानक समृद्धि देखी, तो उसे ईर्ष्या हुई। वह समझ गया कि गुदड़ी में अवश्य कुछ बहुमूल्य था। वह हरिशर्मा के पास गया और अपनी गुदड़ी वापस मांगने लगा, यह कहते हुए कि उसने केवल रखने के लिए दी थी, हमेशा के लिए नहीं।
  • हरिशर्मा का चातुर्य: हरिशर्मा ने बड़ी चतुराई से उत्तर दिया कि गुदड़ी तो फटकर नष्ट हो गई, लेकिन आपने तो 'कन्था' दी थी, उसके अंदर क्या था यह तो आपने बताया नहीं था। जो वस्तु (कन्था) दी गई, उसके साथ जो कुछ भी संलग्न था (माणिक्य), वह भी उसी का हो गया जिसे कन्था दी गई।
  • न्यायालय में विवाद: मामला राजा के दरबार में पहुँचा। स्थूलदत्त ने अपनी बात रखी, लेकिन हरिशर्मा ने तर्क दिया कि दान दी गई वस्तु के साथ प्राप्त अन्य वस्तुएँ भी प्राप्तकर्ता की ही होती हैं, जैसे यदि कोई गाय दान दे, तो उसके पेट में पल रहा बछड़ा भी प्राप्तकर्ता का ही होता है।
  • राजा का निर्णय: राजा ने हरिशर्मा के तर्क को सही माना और निर्णय हरिशर्मा के पक्ष में दिया। स्थूलदत्त को लोभवश अपनी वस्तु गंवानी पड़ी।

4. प्रमुख पात्र:

  • हरिशर्मा: कथा का नायक, प्रारंभ में आलसी किन्तु बाद में बुद्धिमान और चतुर सिद्ध होता है।
  • हरिशर्मा की पत्नी: व्यावहारिक, पति को कर्म करने के लिए प्रेरित करने वाली, माणिक्य खोजने वाली।
  • स्थूलदत्त: धनी वणिक, प्रारंभ में शायद दानी या मजाकिया, बाद में लोभी और ईर्ष्यालु।
  • राजा: न्यायप्रिय, बुद्धिमान तर्कों को महत्व देने वाला।

5. पाठ का संदेश/मूल भाव:

  • भाग्य और पुरुषार्थ: कथा दर्शाती है कि भाग्य कभी-कभी अप्रत्याशित रूप से सहायक होता है (माणिक्य मिलना), किन्तु अवसर को भुनाने के लिए बुद्धि और चातुर्य (पुरुषार्थ) आवश्यक है (हरिशर्मा का तर्क)।
  • बुद्धि का महत्व: कठिन परिस्थितियों में या विवादों में बुद्धिबल भौतिक बल या धनबल से अधिक प्रभावी होता है।
  • लोभ का दुष्परिणाम: स्थूलदत्त का लोभ उसे मिली हुई वस्तु (यदि उसने दान दिया था) या संभावित लाभ से भी वंचित कर देता है। अत्यधिक लालच हानिकारक है।
  • स्पष्ट व्यवहार: लेन-देन या दान करते समय बातें स्पष्ट होनी चाहिए, अन्यथा विवाद उत्पन्न हो सकता है।

6. परीक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण बिन्दु:

  • पाठ का स्रोत (कथासरित्सागर) और लेखक (सोमदेव) का नाम याद रखें।
  • कथा के मुख्य पात्रों के नाम और उनकी चारित्रिक विशेषताएँ समझें।
  • कथा के प्रमुख घटनाक्रम (गुदड़ी मिलना, माणिक्य प्राप्ति, विवाद, राजा का निर्णय) को क्रमबद्ध रूप से याद रखें।
  • हरिशर्मा द्वारा न्यायालय में दिए गए तर्क को समझें।
  • पाठ के शीर्षक 'कन्थामाणिक्यम्' का अर्थ समझें (गुदड़ी में माणिक्य)।
  • पाठ से मिलने वाली शिक्षाओं को समझें।
  • पाठ के गद्यांशों का हिन्दी अनुवाद और संस्कृत व्याख्या का अभ्यास करें।
  • संभावित व्याकरणिक प्रश्न (संधि, समास, प्रत्यय, कारक विभक्ति, क्रियापद) पर ध्यान दें।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: 'कन्थामाणिक्यम्' इति पाठः कस्मात् ग्रन्थात् सङ्कलितः?
(क) पञ्चतन्त्रम्
(ख) हितोपदेशः
(ग) कथासरित्सागरः
(घ) बृहत्कथामञ्जरी

प्रश्न 2: 'कथासरित्सागरः' इत्यस्य ग्रन्थस्य रचयिता कः?
(क) विष्णुशर्मा
(ख) नारायण पण्डितः
(ग) गुणाढ्यः
(घ) सोमदेवः

प्रश्न 3: हरिशर्मा नामकः विप्रः कुत्र वसति स्म?
(क) उज्जयिन्याम्
(ख) पाटलिपुत्रे
(ग) वाराणस्याम्
(घ) कान्यकुब्जे

प्रश्न 4: हरिशर्मा सहायतां याचितुं कस्य समीपं गतः?
(क) राज्ञः
(ख) स्थूलदत्तस्य वणिजः
(ग) अन्यस्य विप्रस्य
(घ) मन्त्रिणः

प्रश्न 5: स्थूलदत्तेन हरिशर्मणे किम् दत्तम्?
(क) सुवर्णमुद्राः
(ख) नूतनवस्त्रम्
(ग) एका जीर्णा कन्था
(घ) भोजनम्

प्रश्न 6: कन्थायां निहितं माणिक्यं सर्वप्रथमं कया दृष्टम्?
(क) हरिशर्मणा
(ख) स्थूलदत्तेन
(ग) हरिशर्मणः पत्न्या
(घ) राज्ञा

प्रश्न 7: 'कन्थामाणिक्यम्' इत्यस्य पदस्य कः अर्थः?
(क) कन्थायां निर्मितं माणिक्यम्
(ख) कन्थायां निहितं माणिक्यम्
(ग) माणिक्येन क्रीता कन्था
(घ) माणिक्यसदृशी कन्था

प्रश्न 8: विवादस्य निर्णये राजा कस्य पक्षे निर्णयं दत्तवान्?
(क) स्थूलदत्तस्य पक्षे
(ख) हरिशर्मणः पक्षे
(ग) उभयोः पक्षे
(घ) निर्णयं न कृतवान्

प्रश्न 9: हरिशर्मणः पत्न्याः स्वभावः कीदृशः आसीत्?
(क) आलस्ययुक्ता
(ख) कलहप्रिया
(ग) व्यावहारिकी, पतिं प्रेरयित्री
(घ) धनलोलुपा

प्रश्न 10: अस्याः कथायाः कः मुख्यः सन्देशः नास्ति?
(क) बुद्धेः चातुर्यं महत्त्वपूर्णम्।
(ख) लोभः विनाशाय भवति।
(ग) भाग्यं सर्वदा प्रबलं भवति।
(घ) स्पष्ट व्यवहारः करणीयः।


उत्तरमाला:

  1. (ग) कथासरित्सागरः
  2. (घ) सोमदेवः
  3. (ख) पाटलिपुत्रे
  4. (ख) स्थूलदत्तस्य वणिजः
  5. (ग) एका जीर्णा कन्था
  6. (ग) हरिशर्मणः पत्न्या
  7. (ख) कन्थायां निहितं माणिक्यम् (गुदड़ी में छिपा माणिक्य)
  8. (ख) हरिशर्मणः पक्षे
  9. (ग) व्यावहारिकी, पतिं प्रेरयित्री
  10. (ग) भाग्यं सर्वदा प्रबलं भवति। (कथा दर्शाती है कि भाग्य के साथ बुद्धि भी चाहिए, केवल भाग्य ही प्रबल नहीं है।)

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह पाठ न केवल मनोरंजक है, बल्कि जीवनोपयोगी शिक्षाएं भी देता है। परीक्षा के लिए शुभकामनाएँ!

Read more