Class 11 Sanskrit Notes Chapter 5 (सौवर्णशकटिका) – Shashwati Book

Shashwati
नमस्ते विद्यार्थियो!

आज हम आपकी संस्कृत पाठ्यपुस्तक 'शाश्वती' के पाँचवें पाठ 'सौवर्णशकटिका' का गहन अध्ययन करेंगे। यह पाठ परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और संस्कृत साहित्य की एक अनूठी कृति से लिया गया है। आइए, इसके मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं।

पाठ ५: सौवर्णशकटिका (सोने की गाड़ी)

१. स्रोत एवं रचयिता:

  • यह नाट्यांश महाकवि शूद्रक द्वारा विरचित प्रसिद्ध प्रकरण 'मृच्छकटिकम्' के षष्ठ (छठे) अंक से संकलित है।
  • 'मृच्छकटिकम्' का अर्थ है 'मिट्टी की गाड़ी'। यह संस्कृत साहित्य का एकमात्र 'प्रकरण' कोटि का रूपक है जिसमें सामान्य जनजीवन का यथार्थ चित्रण मिलता है और नायक (चारुदत्त) एक निर्धन ब्राह्मण है।

२. पाठ का संदर्भ:

  • यह दृश्य चारुदत्त के घर का है। चारुदत्त अत्यन्त उदार किन्तु निर्धन व्यक्ति है। उसका पुत्र रोहसेन मिट्टी की गाड़ी से खेल रहा है।

३. पाठ का सार:

  • चारुदत्त का पुत्र रोहसेन अपनी दासी रदनिका के साथ है। वह मिट्टी की गाड़ी से खेल रहा है, परन्तु पड़ोसी के बालक की सोने की गाड़ी (सौवर्णशकटिका) देखकर वह भी वैसी ही गाड़ी के लिए रोने लगता है।
  • रदनिका उसे बहलाने का बहुत प्रयास करती है, उसे चन्द्रमा लेने की बात कहती है, मिठाई का लालच देती है, परन्तु रोहसेन नहीं मानता और सोने की गाड़ी की ही जिद करता है।
  • उसी समय चारुदत्त से मिलने वसन्तसेना वहाँ आती है। वह बच्चे के रोने का कारण पूछती है।
  • रदनिका बताती है कि रोहसेन पड़ोसी की सोने की गाड़ी देखकर अपनी मिट्टी की गाड़ी से खेलना नहीं चाहता और सोने की गाड़ी माँग रहा है।
  • यह सुनकर वसन्तसेना को चारुदत्त की निर्धनता पर दुःख होता है। वह कहती है - "हा धिक्! हा धिक्! अयमपि नाम परसम्पत्या सन्तप्यते।" (हाय धिक्कार है! यह भी दूसरे की सम्पत्ति से दुखी हो रहा है।)
  • वह रोहसेन के प्रति वात्सल्य और चारुदत्त के प्रति प्रेम से भर उठती है। वह अपने बहुमूल्य आभूषण (स्वर्णालङ्कारान्) उतारकर उस मिट्टी की गाड़ी में भर देती है और रोहसेन से कहती है - "तात! अनेन सौवर्णशकटिकां कारयिष्यसि।" (बेटा! इससे सोने की गाड़ी बनवा लेना।)
  • इस प्रकार वसन्तसेना अपनी उदारता, करुणा और स्नेह का परिचय देती है।

४. प्रमुख पात्र:

  • रोहसेन: चारुदत्त का पुत्र। बालसुलभ हठ और निर्धनता के कारण उत्पन्न अभाव का प्रतीक।
  • रदनिका: चारुदत्त की दासी। रोहसेन की देखभाल करने वाली, उसे बहलाने का प्रयास करती है।
  • वसन्तसेना: नाटक की नायिका, एक उदार हृदया गणिका जो चारुदत्त से प्रेम करती है। उसकी करुणा और दानशीलता इस अंश में प्रमुख है।

५. पाठ का उद्देश्य एवं संदेश:

  • निर्धनता का चित्रण: पाठ चारुदत्त की निर्धनता और उसके परिवार पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाता है।
  • सामाजिक विषमता: सोने की गाड़ी और मिट्टी की गाड़ी समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता का प्रतीक है।
  • बाल मनोविज्ञान: बच्चों की सहज इच्छाओं और हठ का स्वाभाविक चित्रण है।
  • वसन्तसेना का चरित्र: वसन्तसेना की उदारता, करुणा, वात्सल्य और चारुदत्त के प्रति गहरे अनुराग को उजागर करता है।
  • मानवीय मूल्य: दानशीलता, करुणा, स्नेह जैसे मानवीय मूल्यों की स्थापना करता है।

६. महत्वपूर्ण शब्दावली:

  • सौवर्णशकटिका: सोने की गाड़ी
  • मृत्तिकाशकटिका: मिट्टी की गाड़ी
  • प्रातिवेशिकदारकः: पड़ोसी का लड़का
  • आभरणानि/स्वर्णालङ्कारान्: आभूषण, गहने
  • रदनिका: दासी का नाम
  • सन्तप्यते: दुखी होता है/हो रही है
  • वारयितुम्: रोकने के लिए
  • सान्त्वयति: सांत्वना देती है, बहलाती है
  • क्रन्दति: रोता है
  • परसम्पत्तिः: दूसरे की सम्पत्ति

७. परीक्षा उपयोगी तथ्य:

  • पाठ का स्रोत: मृच्छकटिकम् (षष्ठ अंक)
  • रचयिता: शूद्रक
  • मृच्छकटिकम् किस प्रकार का रूपक है: प्रकरण
  • रोहसेन किसका पुत्र था: चारुदत्त का
  • रोहसेन क्यों रो रहा था: सोने की गाड़ी के लिए
  • मिट्टी की गाड़ी को सोने की गाड़ी किसने बनाया (अर्थात् आभूषण किसने दिए): वसन्तसेना ने
  • वसन्तसेना ने गाड़ी में क्या भरा: अपने आभूषण

यह पाठ न केवल परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक यथार्थ से भी परिचित कराता है। इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें और समझें।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न १: 'सौवर्णशकटिका' इति पाठः कस्मात् ग्रन्थात् उद्धृतः?
(क) रघुवंशम्
(ख) अभिज्ञानशाकुन्तलम्
(ग) मृच्छकटिकम्
(घ) स्वप्नवासवदत्तम्

प्रश्न २: मृच्छकटिकम् इति प्रकरणस्य रचयिता कः?
(क) कालिदासः
(ख) भासः
(ग) शूद्रकः
(घ) भवभूतिः

प्रश्न ३: रोहसेनः कस्य पुत्रः आसीत्?
(क) शूद्रकस्य
(ख) चारुदत्तस्य
(ग) वसन्तसेनायाः
(घ) मैत्रेयस्य

प्रश्न ४: बालकः रोहसेनः किमर्थं क्रन्दति स्म?
(क) बुभुक्षया पीडितः आसीत्।
(ख) सः सौवर्णशकटिकाम् ऐच्छत्।
(ग) रदनिका तम् अताडयत्।
(घ) सः रुग्णः आसीत्।

प्रश्न ५: रदनिका का आसीत्?
(क) चारुदत्तस्य पत्नी
(ख) वसन्तसेनायाः सखी
(ग) चारुदत्तस्य दासी
(घ) रोहसेनस्य माता

प्रश्न ६: कः/का मृत्तिकाशकटिकायां स्व-आभरणानि पूरयति?
(क) चारुदत्तः
(ख) रदनिका
(ग) वसन्तसेना
(घ) प्रातिवेशिकदारकः

प्रश्न ७: 'सौवर्णशकटिका' इत्यस्य पदस्य कः अर्थः?
(क) मिट्टी की गाड़ी
(ख) लकड़ी की गाड़ी
(ग) सोने की गाड़ी
(घ) चांदी की गाड़ी

प्रश्न ८: "हा धिक्! अयमपि नाम परसम्पत्या सन्तप्यते।" इति वाक्यं कः/का वदति?
(क) रदनिका
(ख) चारुदत्तः
(ग) रोहसेनः
(घ) वसन्तसेना

प्रश्न ९: मृच्छकटिकम् रूपकस्य कः प्रकारः अस्ति?
(क) नाटकम्
(ख) प्रकरणम्
(ग) भाणः
(घ) डिमः

प्रश्न १०: पाठे 'प्रातिवेशिकदारकः' इति कस्य कृते प्रयुक्तम्?
(क) रोहसेन के लिए
(ख) चारुदत्त के लिए
(ग) पड़ोसी के लड़के के लिए
(घ) वसन्तसेना के पुत्र के लिए


उत्तरमाला:
१ - (ग), २ - (ग), ३ - (ख), ४ - (ख), ५ - (ग), ६ - (ग), ७ - (ग), ८ - (घ), ९ - (ख), १० - (ग)

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अभ्यास करें। शुभकामनाएँ!

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