Class 11 Sanskrit Notes Chapter 8 (दयावीर-कथा) – Shashwati Book

Shashwati
चलिए, आज हम कक्षा 11 की संस्कृत पाठ्यपुस्तक 'शाश्वती' के आठवें पाठ 'दयावीर-कथा' का गहन अध्ययन करेंगे। यह पाठ न केवल मानवीय मूल्यों की शिक्षा देता है, बल्कि परीक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, इसके मुख्य बिंदुओं और संभावित प्रश्नों पर विस्तार से चर्चा करें।

पाठ परिचय:

'दयावीर-कथा' शीर्षक यह पाठ्यांश संस्कृत के प्रथम ऐतिहासिक उपन्यास 'शिवराजविजय' से संकलित है। इसके रचयिता महाकवि पण्डित अम्बिकादत्त व्यास हैं। इस कथा में लेखक ने शिवाजी महाराज के काल की एक घटना के माध्यम से 'दयावीरता' को heroism के एक नए रूप में प्रस्तुत किया है। यहाँ वीरता केवल युद्धभूमि में शस्त्र चलाने तक सीमित नहीं, बल्कि संकट में पड़े असहाय व्यक्ति की, चाहे वह शत्रु पक्ष का ही क्यों न हो, सहायता करने में दिखाई गई है।

कथा का सार:

  1. पृष्ठभूमि: कथा का आरम्भ एक पर्वत मार्ग के सायंकालीन दृश्य से होता है। घना जंगल है और रास्ता सुनसान होता जा रहा है।
  2. बालिका का क्रंदन: तभी एक ब्रह्मचारी बालक (गौर वर्ण का होने के कारण 'गौरवटु' और दूसरा श्याम वर्ण का 'श्यामवटु') पास की कुटिया से निकलकर पास के झरने पर संध्या-वंदन हेतु जाता है। उसे किसी बालिका के रोने की करुण ध्वनि सुनाई देती है।
  3. दयालु गौरवटु: गौरवटु ध्वनि का अनुसरण करते हुए पर्वत की कंदराओं में खोजता है और उसे लगभग सात वर्ष की एक अत्यंत सुंदर यवन (मुस्लिम) बालिका रोती हुई मिलती है।
  4. कारण: पूछने पर पता चलता है कि वह बालिका संभवतः मुगलों और मराठों के संघर्ष के दौरान मची अफरा-तफरी में अपनी माँ से बिछुड़ गई है और रास्ता भटक गई है। वह भयभीत और अकेली है।
  5. सांत्वना और सहायता: गौरवटु के मन में उस असहाय बालिका के प्रति गहरी करुणा उत्पन्न होती है। वह उसे सांत्वना देता है, उसे पीने के लिए जल देता है और उसे ढाढ़स बंधाता है। वह समझ जाता है कि इस निर्जन स्थान पर रात में बालिका को अकेले छोड़ना सुरक्षित नहीं है।
  6. आश्रम गमन: गौरवटु उस यवन कन्या को अपने साथ लेकर अपने गुरु के आश्रम की ओर चल पड़ता है। वह जानता है कि यह बालिका शत्रु पक्ष से हो सकती है, फिर भी उसका मानवीय कर्तव्य और करुणा उसे सहायता करने के लिए प्रेरित करते हैं।
  7. गुरु की प्रतिक्रिया: आश्रम पहुँचने पर गुरु और अन्य शिष्य उस यवन कन्या को देखकर आश्चर्यचकित होते हैं, परन्तु गौरवटु की दयालुता और उसके कार्य के पीछे की मानवता को समझकर वे उसे स्वीकार करते हैं।
  8. दयावीरता का संदेश: यह कथा दर्शाती है कि सच्चा वीर केवल वही नहीं जो युद्ध में शौर्य दिखाए, बल्कि वह भी है जो विपरीत परिस्थितियों में भी मानवीय करुणा और दया का परिचय दे। गौरवटु का कार्य 'दयावीरता' का उत्कृष्ट उदाहरण है। उसने धर्म, जाति या शत्रुता के भेद को भुलाकर एक असहाय जीव की रक्षा करने का साहसिक कार्य किया।

प्रमुख पात्र:

  • गौरवटु: कथा का नायक, एक युवा ब्रह्मचारी जो अत्यंत दयालु, संवेदनशील और कर्तव्यपरायण है। वह 'दयावीर' का प्रतीक है।
  • यवनकन्या: एक सात वर्षीय मुस्लिम बालिका जो असहाय, भयभीत और अपने परिवार से बिछुड़ी हुई है। उसकी उपस्थिति गौरवटु के चरित्र को उभारने का माध्यम बनती है।
  • गुरु: आश्रम के प्रमुख, जो ज्ञानी और समझदार हैं तथा गौरवटु के मानवीय कृत्य का अनुमोदन करते हैं।

मुख्य संदेश एवं विषय-वस्तु:

  • दया (करुणा): पाठ का केंद्रीय भाव। किसी भी प्राणी के दुःख को देखकर द्रवित हो जाना और उसकी सहायता करना।
  • मानवता: धर्म और जाति से ऊपर उठकर मानव मात्र की सेवा और रक्षा का भाव।
  • दयावीरता: वीरता का एक विशिष्ट रूप, जहाँ दया और करुणा के आधार पर साहसिक कार्य किया जाता है।
  • कर्तव्य बोध: असहाय और संकटग्रस्त की सहायता करना मनुष्य का परम कर्तव्य है।

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु:

  • पाठ का स्रोत (शिवराजविजय) और लेखक (पं. अम्बिकादत्त व्यास) का नाम याद रखें।
  • कथा के घटनाक्रम को समझें (बालिका का मिलना, गौरवटु की प्रतिक्रिया, आश्रम ले जाना)।
  • गौरवटु के चरित्र की विशेषताएँ (दयालु, साहसी, कर्तव्यनिष्ठ)।
  • 'दयावीर' शब्द का अर्थ और पाठ के संदर्भ में इसकी सार्थकता।
  • पाठ में निहित मानवीय मूल्यों को समझें।
  • पाठ के कठिन शब्दों के अर्थ और संस्कृत वाक्यों का हिंदी अनुवाद करने का अभ्यास करें।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

  1. 'दयावीर-कथा' पाठ किस ग्रन्थ से उद्धृत है?
    (क) रघुवंशम्
    (ख) शिवराजविजयः
    (ग) कादम्बरी
    (घ) दशकुमारचरितम्

  2. 'शिवराजविजयः' के रचयिता कौन हैं?
    (क) बाणभट्टः
    (ख) कालिदासः
    (ग) पण्डित अम्बिकादत्त व्यासः
    (घ) दण्डी

  3. गौरवटु ने पर्वत कन्दरा में किसे रोते हुए पाया?
    (क) एक बालकम्
    (ख) एक वृद्धा महिलाम्
    (ग) एक यवनकन्याम्
    (घ) एक मृगशावकम्

  4. 'दयावीरः' कः भवति? (दयावीर कौन होता है?)
    (क) यः युद्धे शूरः। (जो युद्ध में शूर हो)
    (ख) यः धनेन वीरः। (जो धन से वीर हो)
    (ग) यः दयया वीरः। (जो दया से वीर हो)
    (घ) यः बलेन वीरः। (जो बल से वीर हो)

  5. गौरवटु ने रोती हुई बालिका को सर्वप्रथम क्या प्रदान किया?
    (क) भोजनम्
    (ख) वस्त्राणि
    (ग) आश्वासनम् (सांत्वना)
    (घ) धनम्

  6. बालिका के रोने का मुख्य कारण क्या था?
    (क) उसे चोट लगी थी।
    (ख) वह अपनी माता से बिछुड़ गई थी।
    (ग) उसे भूख लगी थी।
    (घ) उसे किसी ने डांटा था।

  7. गौरवटु बालिका को सहायता हेतु कहाँ ले गया?
    (क) नगरम् प्रति
    (ख) स्वग्रामम् प्रति
    (ग) स्वगुरु-आश्रमम् प्रति
    (घ) राजभवनम् प्रति

  8. इस कथा में 'दयावीर' की भूमिका किसने निभाई है?
    (क) गुरु ने
    (ख) श्यामवटु ने
    (ग) गौरवटु ने
    (घ) यवनकन्या ने

  9. 'यवनकन्या' पद का क्या अभिप्राय है?
    (क) यूनान देश की कन्या
    (ख) यादव कुल की कन्या
    (ग) मुस्लिम सम्प्रदाय की कन्या
    (घ) जंगली कन्या

  10. कथा के अनुसार सच्ची वीरता किसमें निहित है?
    (क) केवल युद्ध कौशल में
    (ख) शारीरिक बल में
    (ग) धन संग्रह में
    (घ) संकट में पड़े असहायों की दयापूर्वक सहायता करने में

उत्तरमाला:

  1. (ख) शिवराजविजयः
  2. (ग) पण्डित अम्बिकादत्त व्यासः
  3. (ग) एक यवनकन्याम्
  4. (ग) यः दयया वीरः।
  5. (ग) आश्वासनम् (सांत्वना)
  6. (ख) वह अपनी माता से बिछुड़ गई थी।
  7. (ग) स्वगुरु-आश्रमम् प्रति
  8. (ग) गौरवटु ने
  9. (ग) मुस्लिम सम्प्रदाय की कन्या
  10. (घ) संकट में पड़े असहायों की दयापूर्वक सहायता करने में

इस पाठ का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और इन प्रश्नों का अभ्यास करें। यह आपको परीक्षा में निश्चित रूप से सहायक होगा। यदि कोई शंका हो तो अवश्य पूछें।

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