Class 11 Sociology Notes Chapter 1 (समाजशास्त्र एव समाज) – SamajShashtra-I Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 की समाजशास्त्र की पहली पुस्तक 'समाजशास्त्र - एक परिचय' के पहले अध्याय 'समाजशास्त्र एवं समाज' का गहन अध्ययन करेंगे। यह अध्याय न केवल आपकी कक्षा की परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि विभिन्न सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी एक solide आधार तैयार करता है।
अध्याय 1: समाजशास्त्र एवं समाज - विस्तृत नोट्स
1. परिचय: समाजशास्त्र क्या है?
- शाब्दिक अर्थ: समाजशास्त्र (Sociology) दो शब्दों से मिलकर बना है - लैटिन शब्द 'सोसियस' (Socius) जिसका अर्थ है 'समाज' या 'साथी' और ग्रीक शब्द 'लोगोस' (Logos) जिसका अर्थ है 'अध्ययन' या 'विज्ञान'। इस प्रकार, समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ 'समाज का विज्ञान' है।
- परिभाषा: समाजशास्त्र, मानव समाज, सामाजिक समूहों, सामाजिक संबंधों और सामाजिक व्यवहार का व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययन है। यह इस बात का अध्ययन करता है कि समाज कैसे काम करता है, यह कैसे बदलता है, और यह व्यक्तियों के जीवन को कैसे प्रभावित करता है।
- केंद्रीय सरोकार: समाजशास्त्र का मुख्य सरोकार समाज में व्यक्ति के स्थान को समझना है। यह व्यक्तिगत समस्याओं को व्यापक सामाजिक मुद्दों से जोड़कर देखता है।
2. समाजशास्त्रीय कल्पना (The Sociological Imagination)
- अवधारणा: यह अवधारणा प्रसिद्ध अमेरिकी समाजशास्त्री सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) द्वारा दी गई थी।
- अर्थ: समाजशास्त्रीय कल्पना हमें यह देखने में मदद करती है कि व्यक्तिगत जीवन की घटनाएँ (व्यक्तिगत परेशानियाँ) और समाज के व्यापक मुद्दे (सार्वजनिक मुद्दे) किस प्रकार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
- उदाहरण:
- बेरोजगारी: यदि एक व्यक्ति बेरोजगार है, तो यह उसकी 'व्यक्तिगत परेशानी' हो सकती है (शायद उसमें कौशल की कमी है)। लेकिन अगर किसी समाज में लाखों लोग बेरोजगार हैं, तो यह एक 'सार्वजनिक मुद्दा' है, जो आर्थिक नीतियों, औद्योगिकीकरण की कमी या सामाजिक संरचना से जुड़ा हो सकता है।
- कॉफी पीना: यह एक व्यक्तिगत पसंद लग सकती है, लेकिन समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से यह एक सामाजिक गतिविधि है, एक अनुष्ठान है, और वैश्विक व्यापार, श्रम संबंधों और सांस्कृतिक आदतों से जुड़ा एक मुद्दा है।
- महत्व: यह हमें दुनिया को केवल अपनी व्यक्तिगत दृष्टि से देखने के बजाय एक व्यापक सामाजिक परिप्रेक्ष्य से देखने में सक्षम बनाती है।
3. समाज में बहुलताएँ एवं असमानताएँ
- बहुलता (Plurality): आधुनिक समाज सजातीय (homogenous) नहीं होते। उनमें विभिन्न प्रकार के लोग, समूह, संस्कृतियाँ, भाषाएँ और धर्म एक साथ रहते हैं। यही समाज की बहुलता है।
- असमानता (Inequality): समाज में मौजूद अवसर और संसाधन सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध नहीं होते। यह असमानता जन्म, वर्ग, जाति, लिंग, धर्म आदि पर आधारित हो सकती है।
- समाजशास्त्र का कार्य: समाजशास्त्र इन बहुलताओं और असमानताओं के स्वरूपों का अध्ययन करता है और यह जानने का प्रयास करता है कि ये असमानताएँ क्यों और कैसे कायम रहती हैं।
4. समाजशास्त्र एवं सामान्य बोध (Sociology and Common Sense)
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। समाजशास्त्र सामान्य बोध से अलग है।
| समाजशास्त्र (Sociology) | सामान्य बोध (Common Sense) |
|---|---|
| वैज्ञानिक और व्यवस्थित: यह व्यवस्थित अनुसंधान विधियों, साक्ष्यों और तर्कों पर आधारित है। | व्यक्तिगत और सहज: यह व्यक्तिगत अनुभवों, मान्यताओं और सुने-सुनाए ज्ञान पर आधारित होता है। |
| तथ्यात्मक और अनुभवजन्य: यह तथ्यों की जाँच करता है और निष्कर्षों पर पहुँचने के लिए सबूतों का उपयोग करता है। | मान्यता आधारित: यह अक्सर 'जो सब जानते हैं' उस पर आधारित होता है, जिसकी कोई वैज्ञानिक जाँच नहीं होती। |
| आलोचनात्मक दृष्टिकोण: यह सामाजिक दुनिया पर सवाल उठाता है और सतह के नीचे छिपे कारणों को खोजता है। | यथास्थितिवादी: यह आमतौर पर चीजों को वैसे ही स्वीकार कर लेता है जैसी वे दिखती हैं। |
| अवधारणात्मक स्पष्टता: यह स्पष्ट और परिभाषित अवधारणाओं का उपयोग करता है। | अस्पष्ट और विरोधाभासी: इसकी धारणाएँ अक्सर अस्पष्ट और एक-दूसरे के विपरीत हो सकती हैं। |
5. समाजशास्त्र का उद्भव और विकास
समाजशास्त्र का उद्भव यूरोप में 18वीं और 19वीं शताब्दी में हुई महत्वपूर्ण सामाजिक घटनाओं की पृष्ठभूमि में हुआ।
- ज्ञानोदय (Enlightenment): 17वीं-18वीं शताब्दी का एक बौद्धिक आंदोलन जिसने तर्क, विज्ञान और व्यक्तिवाद पर जोर दिया। इसने परंपरा और धर्म पर सवाल उठाए।
- फ्रांसीसी क्रांति (1789): इसने राजशाही को समाप्त कर स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के विचार स्थापित किए, जिससे समाज की पुरानी व्यवस्था हिल गई।
- औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution): इसने उत्पादन के तरीकों को बदल दिया। लोग गाँवों से शहरों की ओर पलायन करने लगे, जिससे नई सामाजिक समस्याएँ जैसे गरीबी, भीड़भाड़, अपराध आदि उत्पन्न हुईं।
- परिणाम: इन परिवर्तनों ने विचारकों को समाज के बारे में नए तरीके से सोचने पर मजबूर किया। उन्हें एक ऐसे नए विज्ञान की आवश्यकता महसूस हुई जो इन सामाजिक समस्याओं का व्यवस्थित अध्ययन कर सके। इसी आवश्यकता से समाजशास्त्र का जन्म हुआ।
- संस्थापक विचारक: ऑगस्ट कॉम्ट (जिन्होंने 'Sociology' शब्द गढ़ा), कार्ल मार्क्स, एमिल दुर्खीम और मैक्स वेबर को समाजशास्त्र के संस्थापक विचारकों में गिना जाता है।
6. समाजशास्त्र का कार्यक्षेत्र एवं अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- कार्यक्षेत्र (Scope): समाजशास्त्र का दायरा बहुत व्यापक है। यह एक व्यक्ति के सामाजिक कार्यों से लेकर वैश्विक सामाजिक प्रक्रियाओं तक का अध्ययन करता है। इसमें परिवार, विवाह, धर्म, शिक्षा, राजनीति, अर्थव्यवस्था, अपराध, सामाजिक स्तरीकरण आदि सभी शामिल हैं।
- अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध:
- समाजशास्त्र और इतिहास: इतिहास अतीत की घटनाओं का अध्ययन करता है, जबकि समाजशास्त्र समकालीन समाज का अध्ययन करता है। लेकिन समाजशास्त्र वर्तमान को समझने के लिए ऐतिहासिक संदर्भ का उपयोग करता है।
- समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र: अर्थशास्त्र वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और वितरण का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र आर्थिक गतिविधियों के सामाजिक परिणामों और कारणों का अध्ययन करता है (जैसे, बाज़ार एक सामाजिक संस्था कैसे है)।
- समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान: राजनीति विज्ञान शक्ति, सरकार और राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र यह अध्ययन करता है कि राजनीतिक व्यवहार सामाजिक कारकों (जैसे जाति, वर्ग, धर्म) से कैसे प्रभावित होता है।
- समाजशास्त्र और मनोविज्ञान: मनोविज्ञान व्यक्ति के मन और व्यवहार का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र व्यक्ति पर समाज और समूह के प्रभाव का अध्ययन करता है।
- समाजशास्त्र और सामाजिक मानवशास्त्र (Anthropology): परंपरागत रूप से, मानवशास्त्र 'सरल' या गैर-पश्चिमी समाजों का अध्ययन करता था, जबकि समाजशास्त्र 'जटिल' या आधुनिक समाजों का। अब यह अंतर कम हो रहा है।
अभ्यास के लिए 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: 'Sociology' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया?
(क) कार्ल मार्क्स
(ख) मैक्स वेबर
(ग) ऑगस्ट कॉम्ट
(घ) एमिल दुर्खीम
प्रश्न 2: 'समाजशास्त्रीय कल्पना' (Sociological Imagination) की अवधारणा किससे संबंधित है?
(क) सी. राइट मिल्स
(ख) हर्बर्ट स्पेंसर
(ग) जी. एस. घुरये
(घ) ऑगस्ट कॉम्ट
प्रश्न 3: समाजशास्त्रीय कल्पना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(क) केवल व्यक्तिगत समस्याओं का अध्ययन करना
(ख) व्यक्तिगत परेशानियों और सार्वजनिक मुद्दों के बीच संबंध स्थापित करना
(ग) केवल ऐतिहासिक घटनाओं का विश्लेषण करना
(घ) आर्थिक नीतियों की आलोचना करना
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी घटना समाजशास्त्र के उद्भव के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी थी?
(क) प्रथम विश्व युद्ध
(ख) औद्योगिक क्रांति
(ग) शीत युद्ध
(घ) रूसी क्रांति
प्रश्न 5: समाजशास्त्र और सामान्य बोध ज्ञान में मुख्य अंतर क्या है?
(क) समाजशास्त्र व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है।
(ख) सामान्य बोध हमेशा वैज्ञानिक होता है।
(ग) समाजशास्त्र व्यवस्थित और साक्ष्य-आधारित अध्ययन पर जोर देता है।
(घ) दोनों में कोई अंतर नहीं है।
प्रश्न 6: वह सामाजिक विज्ञान जो मुख्य रूप से शक्ति, सरकार और राजनीतिक व्यवहार के अध्ययन पर केंद्रित है, कहलाता है:
(क) अर्थशास्त्र
(ख) मनोविज्ञान
(ग) इतिहास
(घ) राजनीति विज्ञान
प्रश्न 7: जब समाज में विभिन्न संस्कृतियों, समूहों और जीवन-शैलियों का सह-अस्तित्व होता है, तो इसे क्या कहा जाता है?
(क) असमानता
(ख) स्तरीकरण
(ग) बहुलता
(घ) एकीकरण
प्रश्न 8: समाजशास्त्र का प्राथमिक अध्ययन विषय क्या है?
(क) व्यक्तिगत मानसिक प्रक्रियाएँ
(ख) अतीत की महत्वपूर्ण घटनाएँ
(ग) मानव समाज और सामाजिक व्यवहार
(घ) वस्तुओं का उत्पादन और वितरण
प्रश्न 9: "गरीबी व्यक्तिगत आलस्य का परिणाम न होकर सामाजिक संरचना की देन है।" - यह कथन किस दृष्टिकोण को दर्शाता है?
(क) सामान्य बोध
(ख) मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
(ग) समाजशास्त्रीय कल्पना
(घ) आर्थिक दृष्टिकोण
प्रश्न 10: ज्ञानोदय (Enlightenment) आंदोलन ने किस विचार पर बल दिया?
(क) परंपरा और धर्म पर
(ख) तर्क, विज्ञान और व्यक्तिवाद पर
(ग) राजशाही और सामंतवाद पर
(घ) सामुदायिक जीवन पर
उत्तर कुंजी:
- (ग)
- (क)
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- (ख)