Class 11 Statistics Notes Chapter 1 (परिचय) – Shankhyaiki Book

नमस्ते विद्यार्थियों। आज हम कक्षा 11 की सांख्यिकी पुस्तक 'अर्थशास्त्र में सांख्यिकी' के पहले अध्याय 'परिचय' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सांख्यिकी की मूलभूत अवधारणाओं को स्पष्ट करता है।
अध्याय 1: परिचय (Introduction)
1. अर्थशास्त्र क्या है? (What is Economics?)
- परिभाषा: अर्थशास्त्र वह सामाजिक विज्ञान है जो अध्ययन करता है कि समाज किस प्रकार अपने सीमित संसाधनों (scarce resources) का उपयोग करके वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन (production) करता है, उनका वितरण (distribution) विभिन्न व्यक्तियों और समूहों के बीच करता है, और उनका उपभोग (consumption) करता है।
- मुख्य आर्थिक क्रियाएँ (Main Economic Activities):
- उपभोग: आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करना। उपभोक्ता यह निर्णय लेता है कि वह अपनी सीमित आय से कौन सी वस्तुएँ खरीदेगा।
- उत्पादन: वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य या उपयोगिता में वृद्धि करना। उत्पादक यह निर्णय लेता है कि क्या उत्पादन करना है और कैसे करना है।
- वितरण: उत्पादन के कारकों (भूमि, श्रम, पूँजी, उद्यम) के बीच राष्ट्रीय आय (लगान, मजदूरी, ब्याज, लाभ) का बँटवारा कैसे होता है।
- दुर्लभता (Scarcity): अर्थशास्त्र की केंद्रीय समस्या दुर्लभता है - हमारी आवश्यकताएँ असीमित हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के साधन (संसाधन) सीमित हैं। इसी दुर्लभता के कारण चयन (choice) की समस्या उत्पन्न होती है।
2. सांख्यिकी क्या है? (What is Statistics?)
सांख्यिकी शब्द का प्रयोग दो अर्थों में होता है:
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एकवचन (Singular Sense): सांख्यिकी का अर्थ सांख्यिकीय विधियों (Statistical Methods) से है। इसमें आँकड़ों के संग्रहण, संगठन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण और निर्वचन (interpretation) की विधियाँ शामिल हैं। यह एक विज्ञान है जो निर्णय लेने में मदद करता है।
- संग्रहण (Collection): तथ्यों को संख्यात्मक रूप में एकत्र करना।
- संगठन (Organization): एकत्रित आँकड़ों को व्यवस्थित और वर्गीकृत करना।
- प्रस्तुतीकरण (Presentation): आँकड़ों को सारणी, ग्राफ, चित्र आदि के रूप में प्रस्तुत करना ताकि वे आसानी से समझ में आ सकें।
- विश्लेषण (Analysis): औसत, प्रतिशत, सहसंबंध आदि विधियों का प्रयोग करके आँकड़ों का विश्लेषण करना।
- निर्वचन (Interpretation): विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष निकालना।
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बहुवचन (Plural Sense): सांख्यिकी का अर्थ समंकों या आँकड़ों (Numerical Data) से है। ये किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित संख्यात्मक तथ्य होते हैं जिन्हें किसी उद्देश्य के लिए एकत्र किया जाता है। उदाहरण: भारत की जनसंख्या के आँकड़े, विभिन्न वर्षों में भारत का खाद्यान्न उत्पादन, आदि।
3. बहुवचन के रूप में सांख्यिकी की विशेषताएँ (Characteristics of Statistics in Plural Sense):
- तथ्यों के समूह (Aggregates of Facts): सांख्यिकी किसी एक अकेले तथ्य का अध्ययन नहीं करती, बल्कि तथ्यों के समूह का अध्ययन करती है। जैसे, एक छात्र के अंक सांख्यिकी नहीं हैं, लेकिन पूरी कक्षा के छात्रों के अंक सांख्यिकी हैं।
- संख्यात्मक रूप में व्यक्त (Numerically Expressed): सांख्यिकीय तथ्य हमेशा संख्या में व्यक्त किए जाते हैं। गुणात्मक तथ्यों (जैसे ईमानदारी, सुंदरता) का सीधे अध्ययन नहीं किया जाता, जब तक उन्हें संख्यात्मक माप न दिया जाए।
- अनेक कारणों से प्रभावित (Affected by Multiplicity of Causes): सांख्यिकीय आँकड़े किसी एक कारण से नहीं, बल्कि अनेक कारणों से प्रभावित होते हैं। जैसे, फसल का उत्पादन वर्षा, बीज की गुणवत्ता, खाद, कीटनाशक आदि अनेक कारकों पर निर्भर करता है।
- उचित मात्रा में शुद्धता (Reasonable Accuracy): आँकड़े एकत्र करते समय शुद्धता का ध्यान रखा जाता है, लेकिन यह शुद्धता जांच के उद्देश्य, प्रकृति और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करती है। पूर्ण शुद्धता संभव नहीं होती।
- व्यवस्थित रूप से संकलित (Collected in a Systematic Manner): आँकड़े बिना किसी योजना के एकत्रित नहीं किए जाने चाहिए। उन्हें एक व्यवस्थित योजना बनाकर ही एकत्र किया जाना चाहिए।
- पूर्व-निश्चित उद्देश्य (Predetermined Purpose): आँकड़े किसी पूर्व-निश्चित उद्देश्य के लिए ही एकत्र किए जाते हैं। उद्देश्य के बिना एकत्र किए गए आँकड़े केवल संख्याएँ होते हैं, सांख्यिकी नहीं।
- एक-दूसरे से संबंधित रूप में प्रस्तुत (Placed in Relation to Each Other): तुलना योग्य बनाने के लिए आँकड़ों को एक-दूसरे से संबंधित रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
4. सांख्यिकी के कार्य (Functions of Statistics):
- जटिल तथ्यों को सरल बनाना: सांख्यिकी विशाल और जटिल आँकड़ों को सरल और समझने योग्य बनाती है (जैसे औसत, प्रतिशत)।
- तथ्यों को निश्चित रूप में प्रस्तुत करना: सांख्यिकी तथ्यों को अस्पष्टता से निकालकर निश्चित संख्यात्मक रूप देती है।
- तुलना करने में सहायक: सांख्यिकीय विधियाँ (जैसे औसत, अनुपात) आँकड़ों के विभिन्न समूहों के बीच तुलना को संभव बनाती हैं।
- नीति निर्धारण में सहायक: सरकार और अन्य संगठन सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर नीतियाँ बनाते हैं।
- पूर्वानुमान में सहायक: सांख्यिकी वर्तमान और भूतकाल के आँकड़ों के आधार पर भविष्य के बारे में अनुमान लगाने में मदद करती है।
- व्यक्तिगत ज्ञान और अनुभव में वृद्धि: सांख्यिकी के अध्ययन से व्यक्ति की तर्क शक्ति और सोचने की क्षमता बढ़ती है।
- परिकल्पनाओं की जाँच करना: सांख्यिकीय विधियों द्वारा वैज्ञानिक परिकल्पनाओं (hypotheses) की सत्यता की जाँच की जा सकती है।
5. सांख्यिकी का महत्व (Importance of Statistics):
- अर्थशास्त्र में:
- आर्थिक समस्याओं (गरीबी, बेरोजगारी) को समझने और मापने में।
- उपभोग, उत्पादन, वितरण के पैटर्न का अध्ययन करने में।
- आर्थिक नियोजन और नीति निर्माण में।
- बाजार संरचनाओं का विश्लेषण करने में।
- मांग और पूर्ति का पूर्वानुमान लगाने में।
- सरकार के लिए: प्रशासन चलाने, नीतियाँ बनाने, बजट तैयार करने, कल्याणकारी योजनाएँ बनाने में।
- व्यवसाय और उद्योग में: बाजार अनुसंधान, गुणवत्ता नियंत्रण, बिक्री पूर्वानुमान, लागत नियंत्रण, निवेश निर्णय लेने में।
- विज्ञान और अनुसंधान में: प्रयोगों के परिणाम का विश्लेषण करने, निष्कर्ष निकालने, सिद्धांतों की पुष्टि करने में।
- अन्य क्षेत्र: बीमा, बैंकिंग, शिक्षा, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र आदि में भी सांख्यिकी का व्यापक उपयोग होता है।
6. सांख्यिकी की सीमाएँ (Limitations of Statistics):
- केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन: सांख्यिकी गुणात्मक पहलुओं (जैसे मित्रता, स्वास्थ्य) का सीधे अध्ययन नहीं करती।
- समूहों का अध्ययन, व्यक्तिगत इकाइयों का नहीं: सांख्यिकी के निष्कर्ष समग्र रूप से समूह पर लागू होते हैं, किसी विशेष व्यक्तिगत इकाई पर नहीं।
- आँकड़ों में एकरूपता और सजातीयता आवश्यक: तुलना के लिए आँकड़ों का सजातीय (homogeneous) होना आवश्यक है। विजातीय आँकड़ों से निकाले गए निष्कर्ष भ्रामक हो सकते हैं।
- परिणाम केवल औसतन सत्य होते हैं: सांख्यिकीय नियम दीर्घकाल में और औसतन ही सत्य होते हैं, वे प्राकृतिक विज्ञानों के नियमों की तरह पूर्ण सत्य नहीं होते।
- दुरुपयोग संभव: अज्ञानी या स्वार्थी व्यक्ति सांख्यिकी का दुरुपयोग करके गलत निष्कर्ष प्रस्तुत कर सकते हैं।
- विशेषज्ञों की आवश्यकता: सांख्यिकीय विधियों का सही प्रयोग और विश्लेषण केवल विशेषज्ञ ही कर सकते हैं।
7. कुछ मूलभूत अवधारणाएँ (Some Basic Concepts):
- समष्टि या जनसंख्या (Population or Universe): अध्ययन के अंतर्गत आने वाली सभी मदों (items) का संपूर्ण समूह। यह आवश्यक नहीं कि यह मनुष्यों की जनसंख्या ही हो; यह बल्बों का ढेर, स्कूलों की संख्या आदि कुछ भी हो सकता है।
- प्रतिदर्श या नमूना (Sample): समष्टि का वह छोटा भाग या प्रतिनिधि समूह जिसका अध्ययन करके पूरी समष्टि के बारे में निष्कर्ष निकाला जाता है।
- चर (Variable): वह विशेषता या गुण जिसका मान एक इकाई से दूसरी इकाई में बदलता रहता है और जिसे मापा जा सकता है (जैसे ऊँचाई, आय, तापमान)।
- खंडित चर (Discrete Variable): वह चर जो निश्चित मान (आमतौर पर पूर्णांक) ही ग्रहण कर सकता है, जैसे छात्रों की संख्या, परिवार में सदस्यों की संख्या।
- अखंडित/सतत चर (Continuous Variable): वह चर जो एक निश्चित सीमा के भीतर कोई भी मान (पूर्णांक, भिन्न, दशमलव) ग्रहण कर सकता है, जैसे ऊँचाई, वजन, तापमान।
- आँकड़े (Data): चर के मापे गए मानों को आँकड़े कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं:
- प्राथमिक आँकड़े (Primary Data): अनुसंधानकर्ता द्वारा स्वयं पहली बार एकत्र किए गए मौलिक आँकड़े।
- द्वितीयक आँकड़े (Secondary Data): वे आँकड़े जो पहले ही किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा एकत्र किए जा चुके हैं और अनुसंधानकर्ता केवल उनका प्रयोग करता है (जैसे सरकारी रिपोर्ट, पत्रिकाएँ)।
यह अध्याय सांख्यिकी की नींव रखता है। इन अवधारणाओं को समझना आगे के अध्यायों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: अर्थशास्त्र की मुख्य समस्या क्या है?
(क) उत्पादन
(ख) वितरण
(ग) उपभोग
(घ) दुर्लभता
प्रश्न 2: जब सांख्यिकी का अर्थ 'सांख्यिकीय विधियों' से होता है, तो यह किस रूप में प्रयोग होती है?
(क) बहुवचन
(ख) एकवचन
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी सांख्यिकी (बहुवचन अर्थ में) की विशेषता नहीं है?
(क) तथ्यों के समूह
(ख) संख्यात्मक रूप में व्यक्त
(ग) केवल एक कारण से प्रभावित
(घ) व्यवस्थित रूप से संकलित
प्रश्न 4: आँकड़ों के संग्रहण, संगठन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण और निर्वचन की विधियों को सम्मिलित रूप से क्या कहते हैं?
(क) अर्थमिति
(ख) सांख्यिकी (एकवचन में)
(ग) समंक
(घ) प्रतिदर्श
प्रश्न 5: सांख्यिकी का कार्य क्या है?
(क) जटिल तथ्यों को सरल बनाना
(ख) तुलना की सुविधा देना
(ग) पूर्वानुमान में सहायता करना
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी सांख्यिकी की सीमा है?
(क) यह केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन करती है
(ख) इसका दुरुपयोग संभव है
(ग) परिणाम केवल औसतन सत्य होते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 7: अनुसंधानकर्ता द्वारा पहली बार स्वयं एकत्रित किए गए आँकड़े क्या कहलाते हैं?
(क) द्वितीयक आँकड़े
(ख) प्राथमिक आँकड़े
(ग) प्रकाशित आँकड़े
(घ) अप्रकाशित आँकड़े
प्रश्न 8: किसी कक्षा में छात्रों की संख्या किस प्रकार का चर है?
(क) सतत चर
(ख) खंडित चर
(ग) गुणात्मक चर
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 9: अध्ययन के अंतर्गत आने वाली सभी मदों का संपूर्ण समूह क्या कहलाता है?
(क) प्रतिदर्श
(ख) चर
(ग) समष्टि
(घ) आँकड़ा
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
(क) सांख्यिकी केवल अर्थशास्त्र में उपयोगी है।
(ख) सांख्यिकी का प्रयोग केवल विशेषज्ञ ही कर सकते हैं।
(ग) सांख्यिकी गुणात्मक तथ्यों का सीधे अध्ययन करती है।
(घ) सांख्यिकी नीति निर्धारण में सहायक होती है।
उत्तरमाला:
- (घ)
- (ख)
- (ग)
- (ख)
- (घ)
- (घ)
- (ख)
- (ख)
- (ग)
- (घ)
इन नोट्स और प्रश्नों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। शुभकामनाएँ!