Class 11 Statistics Notes Chapter 4 (आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण) – Shankhyaiki Book

Shankhyaiki
चलिए, आज हम सांख्यिकी की पुस्तक 'शंक्यिकी' के अध्याय 4, 'आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण' पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आँकड़ों को सही ढंग से प्रस्तुत करना विश्लेषण का पहला और महत्वपूर्ण कदम है।

अध्याय 4: आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण (Presentation of Data)

1. परिचय (Introduction)

एकत्रित किए गए आँकड़े अव्यवस्थित रूप में होते हैं, जिन्हें 'यथामूल आँकड़े' (Raw Data) कहते हैं। इन यथामूल आँकड़ों से सीधे कोई निष्कर्ष निकालना या उनकी तुलना करना बहुत कठिन होता है। इसलिए, आँकड़ों को इस प्रकार व्यवस्थित और प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है कि वे सरल, सुबोध, आकर्षक लगें और उनसे आसानी से निष्कर्ष निकाले जा सकें तथा तुलना की जा सके। आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण उन्हें संक्षिप्त और व्यवस्थित रूप देने की प्रक्रिया है।

2. प्रस्तुतीकरण के प्रकार (Types of Presentation)

आँकड़ों को मुख्य रूप से तीन प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है:

  • पाठ्य अथवा वर्णनात्मक प्रस्तुतीकरण (Textual or Descriptive Presentation)
  • सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण (Tabular Presentation)
  • आरेखीय/ज्यामितीय प्रस्तुतीकरण (Diagrammatic/Geometric Presentation) - (इसका विस्तृत अध्ययन अगले अध्याय में है, पर यहाँ इसका उल्लेख आवश्यक है)

3. पाठ्य प्रस्तुतीकरण (Textual Presentation)

  • अर्थ: जब आँकड़ों का विवरण पाठ (Text) के रूप में, वाक्यों में लिखकर प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे पाठ्य प्रस्तुतीकरण कहते हैं।
  • उपयोग: यह विधि तब उपयुक्त होती है जब आँकड़ों की मात्रा बहुत कम हो।
  • उदाहरण: "एक सर्वेक्षण में पाया गया कि कक्षा 11 के 50 छात्रों में से, 30 छात्र वाणिज्य (Commerce) पढ़ते हैं, 15 छात्र कला (Arts) पढ़ते हैं, और शेष 5 छात्र विज्ञान (Science) पढ़ते हैं।"
  • सीमाएँ (Limitations):
    • बड़ी मात्रा में आँकड़ों के लिए अनुपयुक्त।
    • पाठ पढ़ने में नीरस हो सकता है।
    • आँकड़ों की मुख्य विशेषताओं पर तुरंत ध्यान आकर्षित नहीं होता।
    • तुलना करने में असुविधाजनक।

4. सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण (Tabular Presentation)

  • अर्थ: आँकड़ों को तार्किक रूप से पंक्तियों (Rows) और स्तंभों (Columns) में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को सारणीयन (Tabulation) कहते हैं। इस प्रकार बनी संरचना 'सारणी' (Table) कहलाती है। यह आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण की सबसे व्यवस्थित और प्रचलित विधि है।

  • उद्देश्य/लाभ:

    • आँकड़ों को सरल और संक्षिप्त बनाना।
    • तुलना करने में सुविधा।
    • विशेषताओं को स्पष्ट करना।
    • स्थान की बचत।
    • विश्लेषण और निर्वचन (Interpretation) में सहायक।
    • त्रुटियों का पता लगाने में सहायक।
  • सारणी के आवश्यक अंग/भाग (Essential Parts of a Table):

    • सारणी संख्या (Table Number): प्रत्येक सारणी को एक क्रम संख्या दी जाती है ताकि उसका उल्लेख आसानी से किया जा सके।
    • शीर्षक (Title): यह सारणी के ऊपर मध्य में लिखा जाता है। यह स्पष्ट, संक्षिप्त और सारणी की विषय-वस्तु को पूर्ण रूप से व्यक्त करने वाला होना चाहिए (क्या, कहाँ, कब और वर्गीकरण का आधार)।
    • मुख्य टिप्पणी (Head Note): यदि शीर्षक से सारणी की विषय-वस्तु पूरी तरह स्पष्ट न हो या इकाइयों (जैसे 'लाख रुपये में', 'हजार टन में') का उल्लेख करना हो, तो शीर्षक के नीचे कोष्ठक में मुख्य टिप्पणी दी जाती है।
    • पंक्ति शीर्षक/अनुशीर्षक (Stub Headings): सारणी के बायीं ओर पंक्तियों के शीर्षक लिखे जाते हैं। ये बताते हैं कि पंक्तियों में किस प्रकार के आँकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इनके नीचे की प्रविष्टियों को 'Stub Entries' कहते हैं।
    • स्तंभ शीर्षक/शीर्षक (Caption Headings): सारणी के ऊपरी भाग में स्तंभों के शीर्षक लिखे जाते हैं। ये बताते हैं कि स्तंभों में किस प्रकार के आँकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। प्रत्येक स्तंभ शीर्षक के नीचे की प्रविष्टियों को 'Column Entries' कहते हैं।
    • सारणी का मुख्य भाग (Body or Field): यह सारणी का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। इसमें स्तंभों और पंक्तियों के अनुसार वास्तविक संख्यात्मक आँकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं। प्रत्येक खाने (Cell) में एक संख्यात्मक मान होता है।
    • स्रोत टिप्पणी (Source Note): सारणी के नीचे बायीं ओर यह बताया जाता है कि सारणी में दिए गए आँकड़े कहाँ से प्राप्त किए गए हैं (जैसे - सरकारी रिपोर्ट, सर्वेक्षण, प्रकाशन का नाम)। इससे आँकड़ों की विश्वसनीयता बढ़ती है।
    • पाद टिप्पणी (Foot Note): यदि सारणी के किसी भाग (शीर्षक, पंक्ति, स्तंभ या किसी प्रविष्टि) को स्पष्ट करने की आवश्यकता हो, तो सारणी के नीचे * या अन्य चिह्न लगाकर स्पष्टीकरण दिया जाता है। यह स्रोत टिप्पणी के बाद दायीं ओर या नीचे दी जाती है।
  • एक अच्छी सारणी की विशेषताएँ (Characteristics of a Good Table):

    • शीर्षक उपयुक्त और स्पष्ट हो।
    • उद्देश्य के अनुकूल हो।
    • आकार आदर्श हो (न बहुत बड़ी, न बहुत छोटी)।
    • तुलनात्मक हो (जिन मदों की तुलना करनी हो, उन्हें पास के स्तंभों या पंक्तियों में रखें)।
    • स्पष्टता (पंक्ति और स्तंभ शीर्षक स्पष्ट हों)।
    • इकाइयों का स्पष्ट उल्लेख हो।
    • अनुमानित आँकड़ों को स्पष्ट किया जाए।
    • संक्षिप्ताक्षरों (Abbreviations) का प्रयोग कम से कम हो, यदि हो तो पाद टिप्पणी में स्पष्ट करें।
    • स्रोत और पाद टिप्पणी आवश्यकतानुसार दी जाए।
    • सरल और आकर्षक हो।
  • सारणियों के प्रकार (Types of Tables):

    • उद्देश्य के आधार पर:
      • सामान्य उद्देश्य सारणी (General Purpose Table): विस्तृत जानकारी देती है, जैसे जनगणना रिपोर्ट की सारणियाँ।
      • विशेष उद्देश्य सारणी (Special Purpose Table): किसी विशेष उद्देश्य के लिए संक्षिप्त रूप में बनाई जाती है, विश्लेषण में सहायक।
    • मौलिकता के आधार पर:
      • मौलिक सारणी (Original Table): आँकड़े उसी रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं जिस रूप में एकत्रित किए गए हों।
      • व्युत्पन्न सारणी (Derived Table): आँकड़े मौलिक रूप में न होकर प्रतिशत, अनुपात, औसत आदि के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं।
    • बनावट/रचना के आधार पर (Most Important):
      • सरल या एकगुणी सारणी (Simple or One-way Table): इसमें आँकड़ों को केवल एक ही विशेषता के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है।
        • उदाहरण: छात्रों की संख्या को केवल कक्षा के आधार पर दिखाना।
      • जटिल सारणी (Complex Table): इसमें आँकड़ों को दो या दो से अधिक विशेषताओं के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है।
        • द्विगुणी सारणी (Two-way Table): आँकड़ों को दो विशेषताओं के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण: छात्रों की संख्या को कक्षा और लिंग (लड़के/लड़की) के आधार पर दिखाना।
        • त्रिगुणी सारणी (Three-way Table): आँकड़ों को तीन विशेषताओं के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण: छात्रों की संख्या को कक्षा, लिंग और निवास स्थान (शहरी/ग्रामीण) के आधार पर दिखाना।
        • बहुगुणी सारणी (Manifold Table): आँकड़ों को तीन से अधिक विशेषताओं के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण: छात्रों की संख्या को कक्षा, लिंग, निवास स्थान और संकाय (कला/वाणिज्य/विज्ञान) के आधार पर दिखाना।

5. आँकड़ों का वर्गीकरण और सारणीयन (Classification of Data and Tabulation)

सारणीयन से पहले आँकड़ों का वर्गीकरण (Classification) करना आवश्यक होता है। वर्गीकरण आँकड़ों को उनकी समान विशेषताओं के आधार पर विभिन्न वर्गों या समूहों में बाँटने की प्रक्रिया है। वर्गीकरण के आधार हो सकते हैं:

  • भौगोलिक (Geographical): स्थान या क्षेत्र के आधार पर (जैसे - राज्यवार जनसंख्या)।
  • कालानुक्रमिक (Chronological): समय के आधार पर (जैसे - वार्षिक उत्पादन)।
  • गुणात्मक (Qualitative): गुणों या विशेषताओं के आधार पर जिन्हें मापा नहीं जा सकता (जैसे - लिंग, धर्म, साक्षरता)।
  • मात्रात्मक/संख्यात्मक (Quantitative): उन विशेषताओं के आधार पर जिन्हें संख्यात्मक रूप में मापा जा सकता है (जैसे - आयु, आय, ऊँचाई)।

वर्गीकृत आँकड़ों को ही सारणी में प्रस्तुत किया जाता है।

निष्कर्ष: आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण, विशेषकर सारणीयन, सांख्यिकीय विश्लेषण का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह जटिल और अव्यवस्थित आँकड़ों को समझने योग्य, तुलनात्मक और विश्लेषण के लिए तैयार करता है। एक अच्छी तरह से बनाई गई सारणी बहुत सारी जानकारी को प्रभावी ढंग से संप्रेषित कर सकती है।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: आँकड़ों को पंक्तियों और स्तंभों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?
(क) वर्गीकरण
(ख) प्रस्तुतीकरण
(ग) सारणीयन
(घ) विश्लेषण

प्रश्न 2: सारणी के शीर्षक के नीचे लिखी जाने वाली पूरक जानकारी, जैसे इकाइयों का उल्लेख, क्या कहलाती है?
(क) पाद टिप्पणी
(ख) स्रोत टिप्पणी
(ग) मुख्य टिप्पणी
(घ) पंक्ति शीर्षक

प्रश्न 3: सारणी में पंक्तियों के शीर्षक को क्या कहा जाता है?
(क) स्तंभ शीर्षक (Caption)
(ख) पंक्ति शीर्षक (Stub)
(ग) मुख्य भाग (Body)
(घ) शीर्षक (Title)

प्रश्न 4: जब आँकड़ों को केवल एक ही विशेषता के आधार पर सारणी में प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे कहते हैं:
(क) द्विगुणी सारणी
(ख) त्रिगुणी सारणी
(ग) बहुगुणी सारणी
(घ) सरल या एकगुणी सारणी

प्रश्न 5: सारणी के किस भाग में वास्तविक संख्यात्मक आँकड़े दर्शाए जाते हैं?
(क) शीर्षक
(ख) पंक्ति शीर्षक
(ग) स्तंभ शीर्षक
(घ) सारणी का मुख्य भाग

प्रश्न 6: आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(क) आँकड़ों को जटिल बनाना
(ख) आँकड़ों को संक्षिप्त, सरल और तुलना योग्य बनाना
(ग) केवल आँकड़ों का संग्रहण करना
(घ) आँकड़ों को गोपनीय रखना

प्रश्न 7: सारणी में 'स्रोत टिप्पणी' क्यों दी जाती है?
(क) सारणी को आकर्षक बनाने के लिए
(ख) आँकड़ों की उत्पत्ति या स्रोत बताने के लिए
(ग) इकाइयों को स्पष्ट करने के लिए
(घ) सारणी की संख्या बताने के लिए

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा प्रस्तुतीकरण का प्रकार बहुत कम मात्रा के आँकड़ों के लिए उपयुक्त है?
(क) सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण
(ख) आरेखीय प्रस्तुतीकरण
(ग) पाठ्य प्रस्तुतीकरण
(घ) बहुगुणी सारणी

प्रश्न 9: एक सारणी जिसमें आँकड़ों को छात्रों की कक्षा, लिंग और संकाय (कला/विज्ञान/वाणिज्य) के आधार पर दिखाया गया है, वह किस प्रकार की सारणी का उदाहरण है?
(क) एकगुणी सारणी
(ख) द्विगुणी सारणी
(ग) त्रिगुणी सारणी
(घ) सामान्य उद्देश्य सारणी

प्रश्न 10: सारणी में स्तंभों के शीर्षक को क्या कहा जाता है?
(क) पंक्ति शीर्षक (Stub)
(ख) स्तंभ शीर्षक (Caption)
(ग) मुख्य टिप्पणी (Head Note)
(घ) पाद टिप्पणी (Foot Note)


उत्तरमाला (MCQ Answers):

  1. (ग) सारणीयन
  2. (ग) मुख्य टिप्पणी
  3. (ख) पंक्ति शीर्षक (Stub)
  4. (घ) सरल या एकगुणी सारणी
  5. (घ) सारणी का मुख्य भाग
  6. (ख) आँकड़ों को संक्षिप्त, सरल और तुलना योग्य बनाना
  7. (ख) आँकड़ों की उत्पत्ति या स्रोत बताने के लिए
  8. (ग) पाठ्य प्रस्तुतीकरण
  9. (ग) त्रिगुणी सारणी
  10. (ख) स्तंभ शीर्षक (Caption)

यह नोट्स और प्रश्न आपको अध्याय 4 को समझने और परीक्षा की तैयारी में मदद करेंगे। ध्यान रखें कि सारणी बनाना और उसके घटकों को समझना अभ्यास से ही बेहतर होता है।

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