Class 11 Statistics Notes Chapter 5 (केंद्रीय प्रवृत्ति की माप) – Shankhyaiki Book

चलिए, आज हम सांख्यिकी की पुस्तक 'शंखायिकी' के अध्याय 5, 'केंद्रीय प्रवृत्ति की माप' का विस्तार से अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आँकड़ों को समझने और उनका विश्लेषण करने का आधार मिलता है।
अध्याय 5: केंद्रीय प्रवृत्ति की माप (Measures of Central Tendency)
1. परिचय (Introduction)
सांख्यिकी में, हमारे पास अक्सर बहुत सारे आँकड़े होते हैं। इन आँकड़ों के विशाल समूह को समझना मुश्किल हो सकता है। केंद्रीय प्रवृत्ति की मापें हमें आँकड़ों के इस समूह का एक 'प्रतिनिधि' मान (Representative Value) या 'औसत' (Average) प्रदान करती हैं। यह मान आमतौर पर आँकड़ों के वितरण के केंद्र में स्थित होता है, इसीलिए इसे 'केंद्रीय प्रवृत्ति की माप' कहा जाता है।
उदाहरण: यदि हम किसी कक्षा के छात्रों के गणित के अंकों को देखें, तो 'औसत अंक' हमें यह बताएँगे कि सामान्य तौर पर छात्रों का प्रदर्शन कैसा रहा।
2. केंद्रीय प्रवृत्ति का अर्थ एवं उद्देश्य (Meaning and Purpose)
- अर्थ: केंद्रीय प्रवृत्ति की माप वह एकल मान है जो आँकड़ों के समूह की केंद्रीय विशेषता का प्रतिनिधित्व करने का प्रयास करता है। यह मान बताता है कि आँकड़े किस मान के आसपास केंद्रित हैं।
- उद्देश्य:
- आँकड़ों के विशाल समूह को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करना।
- विभिन्न आँकड़ा समूहों की तुलना करना आसान बनाना।
- सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए आधार प्रदान करना (जैसे अपकिरण, सहसंबंध आदि के अध्ययन में)।
- निर्णय लेने में सहायता करना।
3. केंद्रीय प्रवृत्ति की प्रमुख मापें (Major Measures of Central Tendency)
मुख्य रूप से तीन मापें सर्वाधिक प्रचलित हैं:
- (I) समांतर माध्य (Arithmetic Mean)
- (II) माध्यिका (Median)
- (III) बहुलक (Mode)
आइए, इनका विस्तार से अध्ययन करें:
(I) समांतर माध्य (Arithmetic Mean - A.M.)
यह सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली औसत है। इसे केवल 'माध्य' भी कहा जाता है।
-
परिभाषा: किसी श्रेणी के सभी पदों के मूल्यों के योग को पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त मान समांतर माध्य कहलाता है।
-
प्रतीक: इसे
X̄(एक्स-बार) से दर्शाया जाता है। -
गणना (Calculation):
-
अवर्गीकृत आँकड़े (व्यक्तिगत श्रेणी - Ungrouped Data):
- यदि पद
X₁, X₂, X₃, ..., X<0xE2><0x82><0x99>हैं और पदों की संख्याNहै, तो: X̄ = (X₁ + X₂ + X₃ + ... + X<0xE2><0x82><0x99>) / N = ΣX / N- उदाहरण: अंक 5, 10, 15, 20, 25 का माध्य = (5+10+15+20+25) / 5 = 75 / 5 = 15
- यदि पद
-
असंतत श्रेणी (विविक्त श्रेणी - Discrete Series):
- यहाँ पदों (X) के साथ उनकी आवृत्तियाँ (f) भी दी होती हैं।
X̄ = (f₁X₁ + f₂X₂ + ... + f<0xE2><0x82><0x99>X<0xE2><0x82><0x99>) / (f₁ + f₂ + ... + f<0xE2><0x82><0x99>) = ΣfX / Σf- जहाँ
Σf = N(कुल आवृत्ति)
-
सतत श्रेणी (अविच्छिन्न श्रेणी - Continuous Series):
- यहाँ वर्ग अंतराल (Class Intervals) और उनकी आवृत्तियाँ (f) दी होती हैं।
- चरण 1: प्रत्येक वर्ग अंतराल का मध्य-बिंदु (Mid-value - m) ज्ञात करें।
m = (उच्च सीमा + निम्न सीमा) / 2 - चरण 2: मध्य-बिंदुओं (m) को पद मानकर असंतत श्रेणी की तरह गणना करें।
- प्रत्यक्ष विधि (Direct Method):
X̄ = Σfm / Σf(जहाँmमध्य-बिंदु है) - लघु विधि (Short-cut Method / Assumed Mean Method):
- किसी एक मध्य-बिंदु को कल्पित माध्य (Assumed Mean - A) मान लें।
- प्रत्येक मध्य-बिंदु का कल्पित माध्य से विचलन (deviation - d) निकालें:
d = m - A X̄ = A + (Σfd / Σf)
- पद विचलन विधि (Step-Deviation Method): (जब वर्ग अंतराल समान हों)
- लघु विधि की तरह
Aऔरdज्ञात करें। d'(पद विचलन) ज्ञात करें:d' = d / i(जहाँiवर्ग अंतराल की चौड़ाई है)X̄ = A + (Σfd' / Σf) × i
- लघु विधि की तरह
-
-
गुण (Properties):
- माध्य से लिए गए विचलनों का योग शून्य होता है (
Σ(X - X̄) = 0याΣf(X - X̄) = 0)। - यह सभी मूल्यों पर आधारित होता है।
- यह बीजगणितीय विवेचन के लिए उपयुक्त है।
- यदि सभी पदों में कोई स्थिरांक जोड़ा या घटाया जाए, तो माध्य भी उतना ही बढ़ या घट जाता है।
- यदि सभी पदों को किसी स्थिरांक से गुणा या भाग दिया जाए, तो माध्य भी उसी स्थिरांक से गुणा या भाग हो जाता है।
- माध्य से लिए गए विचलनों का योग शून्य होता है (
-
गुण (Merits):
- समझने और गणना करने में सरल।
- सभी मूल्यों पर आधारित।
- निश्चित मान।
- बीजगणितीय विवेचन संभव।
-
दोष (Demerits):
- चरम मूल्यों (बहुत बड़े या बहुत छोटे मान) से अत्यधिक प्रभावित होता है।
- गुणात्मक आँकड़ों (जैसे सुंदरता, ईमानदारी) के लिए उपयुक्त नहीं।
- खुले सिरे वाले वर्गों (Open-end classes) की स्थिति में गणना कठिन।
- बिना सभी मानों के ज्ञात हुए गणना संभव नहीं।
-
भारित समांतर माध्य (Weighted Arithmetic Mean):
- जब श्रेणी के विभिन्न पदों को उनके महत्व के अनुसार अलग-अलग भार (Weight - W) दिया जाता है।
X̄<0xE1><0xB5><0xA1> = (W₁X₁ + W₂X₂ + ... + W<0xE2><0x82><0x99>X<0xE2><0x82><0x99>) / (W₁ + W₂ + ... + W<0xE2><0x82><0x99>) = ΣWX / ΣW
(II) माध्यिका (Median - M)
-
परिभाषा: जब आँकड़ों को आरोही (ascending) या अवरोही (descending) क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो ठीक बीच में पड़ने वाला मान माध्यिका कहलाता है। यह आँकड़ों को दो बराबर भागों में विभाजित करती है।
-
प्रतीक:
M -
गणना (Calculation):
-
अवर्गीकृत आँकड़े (व्यक्तिगत श्रेणी):
- चरण 1: आँकड़ों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करें।
- चरण 2: माध्यिका पद (
(N+1)/2वाँ पद) ज्ञात करें। - यदि N विषम है: माध्यिका सीधे
(N+1)/2वें पद का मान होगी।- उदाहरण: अंक 5, 15, 10, 25, 20. क्रम: 5, 10, 15, 20, 25. N=5. माध्यिका पद = (5+1)/2 = तीसरा पद। माध्यिका = 15.
- यदि N सम है: माध्यिका
(N/2)वें पद और(N/2 + 1)वें पद के मानों का औसत होगी।- उदाहरण: अंक 10, 20, 30, 40. क्रम: 10, 20, 30, 40. N=4. माध्यिका पद = (4+1)/2 = 2.5 वाँ पद। यह दूसरे और तीसरे पद के बीच है। माध्यिका = (20 + 30) / 2 = 25.
-
असंतत श्रेणी (विविक्त श्रेणी):
- चरण 1: संचयी आवृत्ति (Cumulative Frequency - cf) ज्ञात करें।
- चरण 2: माध्यिका पद (
(N+1)/2वाँ पद) ज्ञात करें (यहाँ N = Σf)। - चरण 3: संचयी आवृत्ति में देखें कि
(N+1)/2वाँ पद कहाँ आता है। उस संचयी आवृत्ति के संगत पद (X) का मान ही माध्यिका होगी।
-
सतत श्रेणी (अविच्छिन्न श्रेणी):
- चरण 1: संचयी आवृत्ति (cf) ज्ञात करें।
- चरण 2: माध्यिका वर्ग ज्ञात करें। यह वह वर्ग है जिसमें
N/2वाँ पद आता है (यहाँ N = Σf)।N/2के बराबर या उससे ठीक बड़ी संचयी आवृत्ति वाला वर्ग माध्यिका वर्ग होता है। - चरण 3: निम्न सूत्र का प्रयोग करें:
M = L + [(N/2 - cf) / f] × i- जहाँ:
L= माध्यिका वर्ग की निम्न सीमा (Lower limit of the median class)N= कुल आवृत्ति (Σf)cf= माध्यिका वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की संचयी आवृत्ति (Cumulative frequency of the class preceding the median class)f= माध्यिका वर्ग की आवृत्ति (Frequency of the median class)i= माध्यिका वर्ग का वर्ग अंतराल (Class interval of the median class)
-
-
गुण (Properties):
- यह स्थिति संबंधी औसत (Positional average) है।
- यह आँकड़ों को दो बराबर भागों में बाँटती है।
- माध्यिका से लिए गए निरपेक्ष विचलनों (absolute deviations) का योग न्यूनतम होता है (
Σ|X - M|= न्यूनतम)।
-
गुण (Merits):
- चरम मूल्यों से प्रभावित नहीं होती।
- खुले सिरे वाले वर्गों में भी गणना संभव (यदि माध्यिका वर्ग उनमें न हो)।
- गुणात्मक तथ्यों (जैसे योग्यता क्रम) के लिए भी उपयुक्त।
- ग्राफ (तोरण वक्र - Ogive) द्वारा ज्ञात की जा सकती है।
- समझने में सरल।
-
दोष (Demerits):
- सभी मूल्यों पर आधारित नहीं होती।
- बीजगणितीय विवेचन के लिए उपयुक्त नहीं।
- अव्यवस्थित आँकड़ों के लिए पहले उन्हें क्रमबद्ध करना पड़ता है।
- असंतत श्रेणी में यदि
(N+1)/2का मान दो संचयी आवृत्तियों के बीच आता है तो थोड़ी अस्पष्टता हो सकती है (हालांकि नियम स्पष्ट है)।
(III) बहुलक (Mode - Z)
-
परिभाषा: किसी आँकड़ा श्रेणी में जिस मान की आवृत्ति सबसे अधिक होती है, वह मान बहुलक कहलाता है। यह सबसे अधिक प्रचलित या 'फैशनेबल' मान होता है।
-
प्रतीक:
Z -
गणना (Calculation):
-
अवर्गीकृत आँकड़े (व्यक्तिगत श्रेणी):
- श्रेणी का निरीक्षण करें। जो मान सबसे अधिक बार आया है, वही बहुलक है।
- उदाहरण: अंक 10, 20, 30, 20, 40, 20, 50. यहाँ 20 तीन बार आया है, जो सर्वाधिक है। अतः बहुलक (Z) = 20.
- (नोट: श्रेणी में एक से अधिक बहुलक भी हो सकते हैं - द्वि-बहुलकी, त्रि-बहुलकी आदि, या कोई बहुलक नहीं भी हो सकता है)।
-
असंतत श्रेणी (विविक्त श्रेणी):
- निरीक्षण द्वारा जिस पद (X) की आवृत्ति (f) सर्वाधिक हो, वही पद बहुलक होता है।
-
सतत श्रेणी (अविच्छिन्न श्रेणी):
- चरण 1: निरीक्षण द्वारा या समूहीकरण विधि (Grouping Method) द्वारा बहुलक वर्ग ज्ञात करें (वह वर्ग जिसकी आवृत्ति सर्वाधिक है)। यदि आवृत्तियों में अनियमितता हो या उच्चतम आवृत्ति एक से अधिक बार हो तो समूहीकरण विधि आवश्यक है।
- चरण 2: निम्न सूत्र का प्रयोग करें:
Z = L + [(f₁ - f₀) / (2f₁ - f₀ - f₂)] × i- जहाँ:
L= बहुलक वर्ग की निम्न सीमा (Lower limit of the modal class)f₁= बहुलक वर्ग की आवृत्ति (Frequency of the modal class)f₀= बहुलक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की आवृत्ति (Frequency of the class preceding the modal class)f₂= बहुलक वर्ग के ठीक बाद वाले वर्ग की आवृत्ति (Frequency of the class succeeding the modal class)i= बहुलक वर्ग का वर्ग अंतराल (Class interval of the modal class)
-
-
गुण (Merits):
- समझने में सबसे सरल औसत।
- चरम मूल्यों से प्रभावित नहीं होता।
- खुले सिरे वाले वर्गों में भी गणना संभव (यदि बहुलक वर्ग उनमें न हो)।
- गुणात्मक आँकड़ों के लिए बहुत उपयुक्त (जैसे जूतों का औसत आकार, शर्ट का औसत रंग)।
- ग्राफ (आवृत्ति आयत चित्र - Histogram) द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
-
दोष (Demerits):
- सभी मूल्यों पर आधारित नहीं होता।
- अनिश्चित हो सकता है (जब सभी आवृत्तियाँ समान हों या कई मानों की आवृत्ति उच्चतम हो)।
- बीजगणितीय विवेचन के लिए उपयुक्त नहीं।
- सतत श्रेणी में गणना थोड़ी जटिल हो सकती है (विशेषकर समूहीकरण विधि)।
4. माध्य, माध्यिका और बहुलक में संबंध (Relationship between Mean, Median, and Mode)
- एक सामान्य (सममित) आवृत्ति वितरण में, माध्य, माध्यिका और बहुलक तीनों बराबर होते हैं (
X̄ = M = Z)। - असममित (skewed) वितरण में, ये तीनों अलग-अलग होते हैं।
- मध्यम रूप से असममित वितरण (Moderately skewed distribution) के लिए एक अनुभवजन्य (empirical) संबंध है:
- बहुलक ≈ 3 माध्यिका - 2 माध्य (
Z ≈ 3M - 2X̄) - इस सूत्र का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई दो मान ज्ञात हों और तीसरा ज्ञात करना हो, या बहुलक स्पष्ट न हो।
- बहुलक ≈ 3 माध्यिका - 2 माध्य (
5. उपयुक्त औसत का चुनाव (Choosing an Appropriate Average)
किस औसत का प्रयोग करना है, यह निम्न बातों पर निर्भर करता है:
-
अध्ययन का उद्देश्य: आप क्या दर्शाना चाहते हैं?
-
आँकड़ों की प्रकृति: क्या आँकड़े मात्रात्मक हैं या गुणात्मक? क्या वितरण सममित है या असममित? क्या चरम मूल्य मौजूद हैं?
-
गणना की सरलता: कौन सी माप आसानी से निकाली जा सकती है?
-
आगे का विश्लेषण: क्या इस औसत का प्रयोग अन्य सांख्यिकीय तकनीकों में किया जाना है?
-
माध्य: जब सभी मानों को महत्व देना हो, वितरण लगभग सममित हो, और आगे बीजगणितीय विश्लेषण करना हो। (जैसे औसत आय, औसत अंक)।
-
माध्यिका: जब चरम मूल्य हों, खुले सिरे वाले वर्ग हों, या वितरण अत्यधिक असममित हो, या गुणात्मक आँकड़ों को क्रम दिया गया हो। (जैसे औसत संपत्ति, किसी परीक्षा में आधे छात्रों से ऊपर या नीचे का अंक)।
-
बहुलक: जब सबसे सामान्य या प्रचलित मान ज्ञात करना हो, या गुणात्मक आँकड़ों का विश्लेषण करना हो। (जैसे जूतों का औसत नंबर, सबसे लोकप्रिय कमीज का रंग)।
निष्कर्ष:
केंद्रीय प्रवृत्ति की मापें सांख्यिकीय विश्लेषण का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। ये हमें आँकड़ों के बड़े समूह को एक एकल, प्रतिनिधि मान द्वारा समझने में मदद करती हैं। माध्य, माध्यिका और बहुलक सबसे महत्वपूर्ण मापें हैं, और प्रत्येक की अपनी विशेषताएं, गणना विधियाँ, गुण और दोष हैं। आँकड़ों की प्रकृति और अध्ययन के उद्देश्य के अनुसार सही औसत का चुनाव करना महत्वपूर्ण है।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: आँकड़ों के समूह का वह मान जिसके आसपास अन्य मान केंद्रित होते हैं, कहलाता है:
(क) अपकिरण
(ख) सहसंबंध
(ग) केंद्रीय प्रवृत्ति की माप
(घ) सूचकांक
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी केंद्रीय प्रवृत्ति की माप चरम मूल्यों (Extreme Values) से सबसे अधिक प्रभावित होती है?
(क) माध्यिका
(ख) बहुलक
(ग) समांतर माध्य
(घ) चतुर्थक
प्रश्न 3: यदि किसी श्रेणी के सभी पदों में 5 जोड़ दिया जाए, तो नया समांतर माध्य:
(क) अपरिवर्तित रहेगा
(ख) 5 से गुणा हो जाएगा
(ग) 5 कम हो जाएगा
(घ) 5 बढ़ जाएगा
प्रश्न 4: आँकड़ों 10, 8, 15, 8, 12, 8, 9 की माध्यिका क्या है?
(क) 8
(ख) 10
(ग) 9
(घ) 15
प्रश्न 5: आँकड़ों 5, 10, 15, 10, 20, 10, 25 का बहुलक क्या है?
(क) 5
(ख) 10
(ग) 15
(घ) 25
प्रश्न 6: सतत श्रेणी में माध्यिका ज्ञात करने का सूत्र M = L + [(N/2 - cf) / f] × i में cf का क्या अर्थ है?
(क) माध्यिका वर्ग की आवृत्ति
(ख) माध्यिका वर्ग की संचयी आवृत्ति
(ग) माध्यिका वर्ग से पहले वाले वर्ग की संचयी आवृत्ति
(घ) माध्यिका वर्ग के बाद वाले वर्ग की संचयी आवृत्ति
प्रश्न 7: एक मध्यम रूप से असममित वितरण में, यदि माध्य = 30 और माध्यिका = 28 है, तो बहुलक का अनुमानित मान क्या होगा? (सूत्र: Z ≈ 3M - 2X̄)
(क) 24
(ख) 26
(ग) 28
(घ) 34
प्रश्न 8: किस केंद्रीय प्रवृत्ति की माप को ग्राफ़ पर 'तोरण वक्र' (Ogive) के प्रतिच्छेदन बिंदु द्वारा ज्ञात किया जा सकता है?
(क) समांतर माध्य
(ख) बहुलक
(ग) माध्यिका
(घ) हरात्मक माध्य
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी माप खुले सिरे वाले वर्गों (Open-end classes) के लिए सबसे उपयुक्त है?
(क) समांतर माध्य
(ख) गुणोत्तर माध्य
(ग) माध्यिका
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 10: जूतों की दुकान में औसत जूते का नंबर ज्ञात करने के लिए सबसे उपयुक्त माप कौन सी है?
(क) समांतर माध्य
(ख) माध्यिका
(ग) बहुलक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला (MCQs):
- (ग)
- (ग)
- (घ)
- (ग) - क्रम: 8, 8, 8, 9, 10, 12, 15. N=7. माध्यिका पद = (7+1)/2 = चौथा पद = 9.
- (ख) - 10 की आवृत्ति सर्वाधिक (3 बार) है।
- (ग)
- (क) - Z ≈ 3(28) - 2(30) = 84 - 60 = 24.
- (ग)
- (ग) - माध्यिका और बहुलक दोनों ज्ञात किए जा सकते हैं यदि वे खुले सिरे वाले वर्गों में न पड़ें, लेकिन माध्यिका सामान्यतः अधिक उपयुक्त मानी जाती है।
- (ग) - क्योंकि यह सबसे अधिक बिकने वाले या प्रचलित नंबर को दर्शाएगा।