Class 11 Statistics Notes Chapter 8 (सूचकांक संख्या) – Shankhyaiki Book

नमस्कार विद्यार्थियों!
आज हम सांख्यिकी की पुस्तक 'शंख्यिकी' के अध्याय 8, 'सूचकांक संख्या' (Index Numbers) का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय आपकी परीक्षा के साथ-साथ विभिन्न सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सूचकांक हमें अर्थव्यवस्था और समाज में होने वाले परिवर्तनों को संख्यात्मक रूप में समझने में मदद करते हैं। तो चलिए, इस महत्वपूर्ण अध्याय को विस्तार से समझते हैं।
अध्याय 8: सूचकांक संख्या (Index Numbers)
1. सूचकांक का अर्थ (Meaning of Index Number):
- सूचकांक एक ऐसी सांख्यिकीय विधि है जिसके द्वारा समय, स्थान या अन्य विशेषताओं के आधार पर किसी चर (Variable) या संबंधित चरों के समूह में होने वाले सापेक्ष (Relative) परिवर्तनों को मापा जाता है।
- यह एक विशिष्ट प्रकार का औसत होता है, जिसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- यह दो अलग-अलग समय अवधियों या स्थानों के बीच तुलना करने का एक शक्तिशाली उपकरण है।
- जिस वर्ष से तुलना की जाती है, उसे आधार वर्ष (Base Year) कहते हैं, और जिस वर्ष के लिए परिवर्तन मापा जाता है, उसे चालू वर्ष (Current Year) कहते हैं। आधार वर्ष का सूचकांक सामान्यतः 100 माना जाता है।
2. सूचकांक की विशेषताएँ (Characteristics of Index Numbers):
- सापेक्ष माप: ये निरपेक्ष (absolute) परिवर्तनों के स्थान पर सापेक्ष परिवर्तनों को मापते हैं।
- प्रतिशत में अभिव्यक्ति: गणना में सुविधा और तुलना को आसान बनाने के लिए इन्हें प्रायः प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है (हालांकि प्रतिशत चिह्न (%) का प्रयोग नहीं किया जाता)।
- विशिष्ट औसत: ये सामान्य औसत से भिन्न होते हैं क्योंकि ये विभिन्न इकाइयों वाली मदों के औसत परिवर्तन को भी माप सकते हैं।
- तुलना का आधार: ये समय या स्थान के आधार पर तुलना करने में सहायक होते हैं।
- व्यापकता: इनका उपयोग अर्थशास्त्र, व्यवसाय और सामाजिक विज्ञानों में व्यापक रूप से होता है।
3. सूचकांकों के प्रकार (Types of Index Numbers):
मुख्य रूप से तीन प्रकार के सूचकांक होते हैं:
- कीमत सूचकांक (Price Index Number - PIN): यह समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के सामान्य स्तर में होने वाले परिवर्तनों को मापता है। उदाहरण: थोक कीमत सूचकांक (WPI), उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI)।
- मात्रा सूचकांक (Quantity Index Number - QIN): यह समय के साथ उत्पादित, उपभुक्त या बेची गई वस्तुओं की मात्रा (Volume) में होने वाले परिवर्तनों को मापता है। उदाहरण: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP)।
- मूल्य सूचकांक (Value Index Number - VIN): यह समय के साथ वस्तुओं के मौद्रिक मूल्य (Monetary Value) में होने वाले परिवर्तनों को मापता है। चूँकि मूल्य = कीमत × मात्रा (Value = Price × Quantity), इसलिए मूल्य सूचकांक कीमत और मात्रा दोनों में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है। VIN = (ΣP₁Q₁ / ΣP₀Q₀) * 100.
4. सूचकांकों की रचना में आने वाली समस्याएँ (Problems in the Construction of Index Numbers):
एक अच्छा सूचकांक बनाने के लिए कई व्यावहारिक और सैद्धांतिक समस्याओं का समाधान करना पड़ता है:
- सूचकांक का उद्देश्य (Purpose of the Index): सबसे पहले यह स्पष्ट होना चाहिए कि सूचकांक किस उद्देश्य के लिए बनाया जा रहा है, क्योंकि उद्देश्य के अनुसार ही वस्तुओं, कीमतों, भारों और विधि का चुनाव निर्भर करता है।
- आधार वर्ष का चुनाव (Selection of Base Year): आधार वर्ष एक सामान्य वर्ष होना चाहिए, जिसमें कोई असाधारण घटना (जैसे युद्ध, अकाल, भीषण मंदी या तेजी) न हुई हो। यह बहुत पुराना भी नहीं होना चाहिए।
- वस्तुओं का चुनाव (Selection of Commodities): सभी वस्तुओं को शामिल करना असंभव है। इसलिए, प्रतिनिधि वस्तुओं का सावधानीपूर्वक चयन किया जाना चाहिए जो लक्षित समूह के लिए महत्वपूर्ण हों।
- वस्तुओं की कीमतों का चुनाव (Selection of Prices): वस्तुओं की कौन सी कीमतें (थोक या खुदरा) ली जाएँ, यह उद्देश्य पर निर्भर करता है। कीमतों को विभिन्न बाजारों से एकत्रित करके उनका औसत निकालना चाहिए।
- औसत का चुनाव (Choice of Average): कीमत सापेक्षों का औसत निकालने के लिए समांतर माध्य (AM) या गुणोत्तर माध्य (GM) का प्रयोग किया जा सकता है। सैद्धांतिक रूप से गुणोत्तर माध्य बेहतर है, पर व्यवहार में समांतर माध्य अधिक प्रचलित है।
- भारों का चुनाव (Selection of Weights): सूचकांक में शामिल विभिन्न वस्तुओं को उनके सापेक्ष महत्व के अनुसार भार (Weight) देना आवश्यक है। भार मात्रा या मूल्य के रूप में हो सकते हैं। भारित सूचकांक अभारित सूचकांकों से बेहतर माने जाते हैं।
- उपयुक्त सूत्र का चुनाव (Choice of Formula): सूचकांक बनाने के लिए कई सूत्र उपलब्ध हैं (जैसे लास्पीयर, पाशे, फिशर)। उद्देश्य और उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर उपयुक्त सूत्र का चयन करना होता है।
5. सूचकांकों की रचना की विधियाँ (Methods of Constructing Index Numbers):
सूचकांकों की रचना की दो मुख्य विधियाँ हैं:
(A) सरल (अभारांकित) सूचकांक (Simple/Unweighted Index Numbers):
इसमें सभी वस्तुओं को समान महत्व दिया जाता है।
-
सरल समुच्चयी विधि (Simple Aggregative Method):
- सूत्र: P₀₁ = (ΣP₁ / ΣP₀) * 100
- जहाँ, ΣP₁ = चालू वर्ष की वस्तुओं की कीमतों का योग, ΣP₀ = आधार वर्ष की वस्तुओं की कीमतों का योग।
- सीमाएँ: यह विधि कीमतों की इकाइयों (जैसे किग्रा, लीटर, मीटर) से प्रभावित होती है और अधिक कीमत वाली वस्तुओं को अधिक महत्व देती है, भले ही उनका वास्तविक महत्व कम हो।
-
सरल कीमत सापेक्ष माध्य विधि (Simple Average of Price Relatives Method):
- इसमें पहले प्रत्येक वस्तु के लिए कीमत सापेक्ष (Price Relative) निकाला जाता है: R = (P₁ / P₀) * 100.
- फिर इन कीमत सापेक्षों का समांतर माध्य या गुणोत्तर माध्य निकाला जाता है।
- समांतर माध्य (AM) द्वारा: P₀₁ = Σ[(P₁ / P₀) * 100] / N = ΣR / N
- गुणोत्तर माध्य (GM) द्वारा: P₀₁ = Antilog [ΣlogR / N]
- जहाँ, N = वस्तुओं की संख्या।
- लाभ: यह विधि कीमतों की इकाइयों से प्रभावित नहीं होती और सभी वस्तुओं को समान महत्व देती है (यदि भारित न किया जाए)।
(B) भारित सूचकांक (Weighted Index Numbers):
इसमें विभिन्न वस्तुओं को उनके सापेक्ष महत्व के अनुसार भार दिया जाता है। ये सरल सूचकांकों से बेहतर माने जाते हैं।
-
भारित समुच्चयी विधि (Weighted Aggregative Method): इसमें कीमतों को मात्राओं से भारित किया जाता है।
- लास्पीयर विधि (Laspeyres' Method): इसमें आधार वर्ष की मात्रा (Q₀) को भार के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- सूत्र: P₀₁ = (ΣP₁Q₀ / ΣP₀Q₀) * 100
- यह विधि सामान्यतः कीमत परिवर्तनों को थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाती है (ऊर्ध्वमुखी झुकाव - Upward Bias)।
- पाशे विधि (Paasche's Method): इसमें चालू वर्ष की मात्रा (Q₁) को भार के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- सूत्र: P₀₁ = (ΣP₁Q₁ / ΣP₀Q₁) * 100
- यह विधि सामान्यतः कीमत परिवर्तनों को थोड़ा कम करके दिखाती है (अधोमुखी झुकाव - Downward Bias)। इसे गणना करने के लिए हर साल नए भारों की आवश्यकता होती है।
- फिशर की विधि (Fisher's Method): इसे 'आदर्श सूचकांक' माना जाता है क्योंकि यह लास्पीयर और पाशे की विधियों का गुणोत्तर माध्य है और कई सांख्यिकीय परीक्षणों (जैसे समय उत्क्राम्यता परीक्षण और तत्व उत्क्राम्यता परीक्षण) को संतुष्ट करता है।
- सूत्र: P₀₁ = √[ (ΣP₁Q₀ / ΣP₀Q₀) * (ΣP₁Q₁ / ΣP₀Q₁) ] * 100 = √[लास्पीयर × पाशे]
- डॉर्बिश-बाउले विधि (Dorbish-Bowley's Method): यह लास्पीयर और पाशे की विधियों का समांतर माध्य है।
- सूत्र: P₀₁ = [ (ΣP₁Q₀ / ΣP₀Q₀) + (ΣP₁Q₁ / ΣP₀Q₁) ] / 2 * 100 = (लास्पीयर + पाशे) / 2
- मार्शल-एजवर्थ विधि (Marshall-Edgeworth Method): इसमें आधार वर्ष और चालू वर्ष की मात्राओं के योग को भार के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- सूत्र: P₀₁ = [ ΣP₁(Q₀+Q₁) / ΣP₀(Q₀+Q₁) ] * 100
- लास्पीयर विधि (Laspeyres' Method): इसमें आधार वर्ष की मात्रा (Q₀) को भार के रूप में प्रयोग किया जाता है।
-
भारित कीमत सापेक्ष माध्य विधि (Weighted Average of Price Relatives Method):
- इसमें पहले प्रत्येक वस्तु के लिए कीमत सापेक्ष (R = (P₁/P₀)*100) निकाला जाता है, फिर उन्हें उनके भार (W) से गुणा किया जाता है। भार आमतौर पर आधार वर्ष के मूल्य (P₀Q₀) होते हैं।
- सूत्र: P₀₁ = Σ(R × W) / ΣW = Σ [ (P₁/P₀ * 100) * (P₀Q₀) ] / Σ(P₀Q₀)
- यह विधि पारिवारिक बजट विधि द्वारा उपभोक्ता कीमत सूचकांक की गणना में प्रयोग होती है।
6. सूचकांकों के कुछ महत्त्वपूर्ण उपयोग (Some Important Uses of Index Numbers):
- आर्थिक परिवर्तनों के मापक: ये मुद्रास्फीति, अपस्फीति और उत्पादन के स्तर जैसे आर्थिक परिवर्तनों को मापने में मदद करते हैं।
- नीति निर्माण में सहायक: सरकारें आर्थिक नीतियाँ (जैसे मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति) बनाने के लिए सूचकांकों का उपयोग करती हैं।
- मुद्रा की क्रय शक्ति का अध्ययन: कीमत सूचकांकों की मदद से मुद्रा की क्रय शक्ति (Purchasing Power of Money) में होने वाले परिवर्तनों को मापा जा सकता है (क्रय शक्ति = 1 / कीमत सूचकांक)।
- जीवन स्तर की तुलना: उपभोक्ता कीमत सूचकांक विभिन्न समयों या स्थानों पर लोगों के जीवन स्तर की तुलना करने में मदद करते हैं।
- अपस्फीतिकरण (Deflating): सूचकांकों का उपयोग मौद्रिक मूल्यों (जैसे राष्ट्रीय आय, मजदूरी) को कीमत परिवर्तनों के प्रभाव से मुक्त करके वास्तविक परिवर्तनों को जानने के लिए किया जाता है। वास्तविक मूल्य = (मौद्रिक मूल्य / कीमत सूचकांक) * 100।
- व्यावसायिक पूर्वानुमान: व्यवसायी भविष्य की प्रवृत्तियों का अनुमान लगाने के लिए कीमत, मात्रा और अन्य सूचकांकों का उपयोग करते हैं।
- मजदूरी और भत्तों का समायोजन: उपभोक्ता कीमत सूचकांक का उपयोग कर्मचारियों के वेतन और महंगाई भत्ते (Dearness Allowance - DA) को बढ़ती कीमतों के साथ समायोजित करने के लिए किया जाता है।
7. उपभोक्ता कीमत सूचकांक (Consumer Price Index - CPI) / जीवन निर्वाह लागत सूचकांक (Cost of Living Index):
- अर्थ: यह सूचकांक एक विशिष्ट वर्ग (जैसे औद्योगिक श्रमिक, शहरी गैर-श्रमिक कर्मचारी) द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में समय के साथ होने वाले औसत परिवर्तन को मापता है।
- रचना की विधियाँ:
- समूह व्यय विधि (Aggregate Expenditure Method): यह विधि लास्पीयर के सूत्र के समान है। CPI = (ΣP₁Q₀ / ΣP₀Q₀) * 100.
- पारिवारिक बजट विधि (Family Budget Method): यह भारित कीमत सापेक्ष माध्य विधि के समान है। CPI = Σ(RW) / ΣW, जहाँ R = (P₁/P₀)*100 और W = P₀Q₀ (वस्तु पर किया गया व्यय)।
- उपयोग: मजदूरी समायोजन, महंगाई भत्ता निर्धारण, मुद्रा की क्रय शक्ति मापना, सरकारी नीतियां बनाना, बाजार विश्लेषण।
8. थोक कीमत सूचकांक (Wholesale Price Index - WPI):
- अर्थ: यह सूचकांक थोक बाजार में वस्तुओं (मुख्य रूप से माल, सेवाएँ नहीं) की कीमतों में होने वाले औसत परिवर्तन को मापता है।
- उपयोग: मुद्रास्फीति की दर का अनुमान लगाना, मांग और पूर्ति का पूर्वानुमान, राष्ट्रीय आय जैसे समष्टिगत चरों का अपस्फीतिकरण, अर्थव्यवस्था में मूल्य स्थिरता का संकेतक। भारत में मुद्रास्फीति मापने के लिए पहले इसका व्यापक उपयोग होता था, अब CPI अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
9. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production - IIP):
- यह एक मात्रा सूचकांक है जो एक निश्चित अवधि (जैसे मासिक) में अर्थव्यवस्था के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों (खनन, विनिर्माण, बिजली) के उत्पादन की मात्रा में होने वाले परिवर्तनों को मापता है।
10. सूचकांकों की सीमाएँ (Limitations of Index Numbers):
- अनुमानित सत्यता: सूचकांक केवल औसत परिवर्तन बताते हैं और पूरी तरह से सटीक नहीं होते, क्योंकि ये नमूने पर आधारित होते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय तुलना में कठिनाई: विभिन्न देशों में आधार वर्ष, वस्तुओं, भारों और गणना विधियों में भिन्नता के कारण अंतर्राष्ट्रीय तुलना कठिन होती है।
- उद्देश्य का प्रभाव: एक उद्देश्य के लिए बनाया गया सूचकांक दूसरे उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता।
- गुणवत्ता परिवर्तनों की उपेक्षा: सूचकांक सामान्यतः वस्तुओं की गुणवत्ता में होने वाले परिवर्तनों को ध्यान में नहीं रखते।
- सीमित प्रयोज्यता: सूचकांक अक्सर किसी विशेष समूह या उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं और सभी पर समान रूप से लागू नहीं होते।
- सूत्रों की भिन्नता: अलग-अलग सूत्रों से गणना करने पर परिणाम भिन्न आ सकते हैं।
- आधार वर्ष की समस्या: समय बीतने के साथ आधार वर्ष अप्रासंगिक हो सकता है और उसे बदलने की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष:
सूचकांक आर्थिक और सामाजिक विश्लेषण के लिए अपरिहार्य उपकरण हैं। इनकी सीमाओं के बावजूद, ये परिवर्तनों की दिशा और गति को समझने, तुलना करने और नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: सूचकांक संख्याएँ क्या मापती हैं?
(क) निरपेक्ष परिवर्तन
(ख) सापेक्ष परिवर्तन
(ग) औसत मूल्य
(घ) कुल उत्पादन
प्रश्न 2: आधार वर्ष का सूचकांक सामान्यतः कितना लिया जाता है?
(क) 0
(ख) 1
(ग) 100
(घ) 1000
प्रश्न 3: किस सूचकांक को 'आदर्श सूचकांक' माना जाता है?
(क) लास्पीयर सूचकांक
(ख) पाशे सूचकांक
(ग) फिशर सूचकांक
(घ) मार्शल-एजवर्थ सूचकांक
प्रश्न 4: लास्पीयर के कीमत सूचकांक में भार के रूप में किसका प्रयोग किया जाता है?
(क) आधार वर्ष की मात्रा (Q₀)
(ख) चालू वर्ष की मात्रा (Q₁)
(ग) आधार वर्ष का मूल्य (P₀Q₀)
(घ) चालू वर्ष का मूल्य (P₁Q₁)
प्रश्न 5: उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) मुख्य रूप से किन कीमतों में परिवर्तन मापता है?
(क) थोक कीमतें
(ख) खुदरा कीमतें
(ग) उत्पादक कीमतें
(घ) निर्यात कीमतें
प्रश्न 6: यदि किसी वर्ष का कीमत सूचकांक 150 है (आधार वर्ष = 100), तो इसका क्या अर्थ है?
(क) कीमतें 150% कम हो गई हैं।
(ख) कीमतें आधार वर्ष की तुलना में 50% बढ़ गई हैं।
(ग) कीमतें आधार वर्ष की तुलना में 150% बढ़ गई हैं।
(घ) कीमतें स्थिर हैं।
प्रश्न 7: सूत्र P₀₁ = (ΣP₁Q₁ / ΣP₀Q₁) * 100 किस विधि का है?
(क) लास्पीयर
(ख) पाशे
(ग) फिशर
(घ) सरल समुच्चयी
प्रश्न 8: सूचकांकों का उपयोग किस कार्य के लिए किया जाता है?
(क) मुद्रा की क्रय शक्ति मापने के लिए
(ख) आर्थिक नीति निर्धारण के लिए
(ग) जीवन स्तर की तुलना के लिए
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 9: पारिवारिक बजट विधि द्वारा उपभोक्ता कीमत सूचकांक की गणना किस भारित विधि के समान है?
(क) भारित समुच्चयी विधि
(ख) भारित कीमत सापेक्ष माध्य विधि
(ग) सरल समुच्चयी विधि
(घ) सरल कीमत सापेक्ष माध्य विधि
प्रश्न 10: सूचकांकों की रचना में एक मुख्य समस्या क्या है?
(क) उपयुक्त आधार वर्ष का चुनाव
(ख) वस्तुओं का चुनाव
(ग) भारों का निर्धारण
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला (MCQs):
- (ख)
- (ग)
- (ग)
- (क)
- (ख)
- (ख)
- (ख)
- (घ)
- (ख)
- (घ)
मुझे उम्मीद है कि ये विस्तृत नोट्स और प्रश्न आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे। इस अध्याय का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और यदि कोई शंका हो तो अवश्य पूछें। शुभकामनाएँ!