Class 11 Statistics Notes Chapter 9 (सांख्यिकीय विधियों के उपयोग) – Shankhyaiki Book

Shankhyaiki
चलिए, आज हम कक्षा 11 की सांख्यिकी पुस्तक के अध्याय 9, 'सांख्यिकीय विधियों के उपयोग' पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह अध्याय परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि हमने अब तक जो भी सांख्यिकीय उपकरण सीखे हैं, उनका वास्तविक जीवन, विशेषकर आर्थिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में, कैसे प्रयोग किया जाता है।

अध्याय 9: सांख्यिकीय विधियों के उपयोग - विस्तृत नोट्स

परिचय:
सांख्यिकी केवल संख्याओं का संग्रह और विश्लेषण मात्र नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में तथ्यों को समझने, नीतियों का निर्माण करने, और भविष्य के बारे में अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। यह अध्याय हमें सिखाता है कि किस प्रकार एक सांख्यिकीय परियोजना (Project) को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाता है।

1. सांख्यिकी का महत्व (Importance of Statistics):
सांख्यिकी का उपयोग जीवन के लगभग हर क्षेत्र में होता है, लेकिन सरकारी परीक्षाओं के संदर्भ में, निम्नलिखित क्षेत्रों में इसका महत्व विशेष रूप से उल्लेखनीय है:

  • अर्थशास्त्र (Economics): आर्थिक नीतियों (जैसे मुद्रास्फीति, गरीबी, बेरोजगारी) के निर्माण और मूल्यांकन, मांग और पूर्ति का विश्लेषण, राष्ट्रीय आय की गणना, बाजार के रुझानों को समझने में सांख्यिकी अनिवार्य है।
  • नियोजन (Planning): सरकारी योजनाओं (जैसे पंचवर्षीय योजनाएँ, मनरेगा, स्वास्थ्य मिशन) के निर्माण, संसाधनों के आवंटन और योजनाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए सांख्यिकीय आँकड़ों का उपयोग किया जाता है।
  • प्रशासन (Administration): कानून व्यवस्था बनाए रखने, जनसंख्या संबंधी नीतियों, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा आदि के प्रबंधन के लिए सटीक आँकड़ों की आवश्यकता होती है।
  • व्यापार और उद्योग (Business and Industry): बाजार अनुसंधान, गुणवत्ता नियंत्रण, बिक्री पूर्वानुमान, उत्पादन योजना, जोखिम प्रबंधन आदि में सांख्यिकीय विधियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • अनुसंधान (Research): किसी भी वैज्ञानिक या सामाजिक अनुसंधान में परिकल्पनाओं का परीक्षण करने और निष्कर्ष निकालने के लिए सांख्यिकी आवश्यक है।

2. सांख्यिकीय परियोजना/अध्ययन के चरण (Steps in a Statistical Project/Study):
किसी भी समस्या का सांख्यिकीय विश्लेषण करने के लिए एक व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसके प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं:

  • चरण 1: समस्या की पहचान और उद्देश्य निर्धारण (Identifying the Problem and Defining Objectives):

    • सबसे पहले यह स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होता है कि अध्ययन किस समस्या पर केंद्रित है और इसके मुख्य उद्देश्य क्या हैं। उदाहरण: "किसी विशेष क्षेत्र में किसानों की आय पर सरकारी सब्सिडी के प्रभाव का अध्ययन करना।" उद्देश्य स्पष्ट, मापने योग्य और प्राप्त करने योग्य होने चाहिए।
  • चरण 2: आँकड़ों का संग्रहण (Collection of Data):

    • उद्देश्यों के आधार पर यह तय किया जाता है कि किस प्रकार के आँकड़ों की आवश्यकता है और उन्हें कैसे एकत्र किया जाएगा।
    • प्राथमिक आँकड़े (Primary Data): शोधकर्ता द्वारा सीधे एकत्र किए गए (जैसे सर्वेक्षण, प्रश्नावली, साक्षात्कार)।
    • द्वितीयक आँकड़े (Secondary Data): पहले से मौजूद स्रोतों से प्राप्त किए गए (जैसे सरकारी रिपोर्ट, पत्रिकाएँ, वेबसाइटें, पिछले शोध)।
    • संग्रहण की विधि (जनगणना या प्रतिदर्श) का चुनाव भी इसी चरण में होता है। प्रतिदर्श (Sample) का चयन सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए ताकि वह समग्र का सही प्रतिनिधित्व करे।
  • चरण 3: आँकड़ों का संगठन (Organisation of Data):

    • एकत्रित आँकड़े अव्यवस्थित (raw) होते हैं। उन्हें समझने योग्य बनाने के लिए संगठित करना आवश्यक है।
    • इसमें वर्गीकरण (Classification) (गुणों या विशेषताओं के आधार पर समूहों में बाँटना) और सारणीयन (Tabulation) (आँकड़ों को पंक्तियों और स्तंभों में व्यवस्थित करना) शामिल है।
  • चरण 4: आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण (Presentation of Data):

    • संगठित आँकड़ों को और अधिक आकर्षक और सुगम बनाने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
    • इसके लिए आरेखों (Diagrams) जैसे दंड आरेख, वृत्त आरेख, और ग्राफों (Graphs) जैसे आयतचित्र, बारंबारता बहुभुज, तोरण (ओजाइव) का उपयोग किया जाता है। प्रस्तुतीकरण से आँकड़ों के पैटर्न और रुझानों को देखना आसान हो जाता है।
  • चरण 5: आँकड़ों का विश्लेषण (Analysis of Data):

    • यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है जहाँ आँकड़ों से अर्थपूर्ण जानकारी निकालने के लिए सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग किया जाता है।
    • इसमें शामिल हैं:
      • केंद्रीय प्रवृत्ति के माप (Measures of Central Tendency): माध्य (Mean), माध्यिका (Median), बहुलक (Mode) - औसत मान ज्ञात करने के लिए।
      • परिक्षेपण के माप (Measures of Dispersion): विस्तार (Range), चतुर्थक विचलन (Quartile Deviation), माध्य विचलन (Mean Deviation), मानक विचलन (Standard Deviation) - आँकड़ों के फैलाव को मापने के लिए।
      • सहसंबंध (Correlation): दो चरों के बीच संबंध की दिशा और मात्रा जानने के लिए।
      • सूचकांक (Index Numbers): समय के साथ मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए (जैसे कीमत सूचकांक)।
  • चरण 6: निर्वचन (Interpretation):

    • विश्लेषण से प्राप्त परिणामों का अर्थ निकालना और उनसे निष्कर्ष निकालना निर्वचन कहलाता है।
    • इसमें यह देखा जाता है कि परिणाम अध्ययन के उद्देश्यों से कितने संबंधित हैं और उनका व्यावहारिक महत्व क्या है। उदाहरण: यदि विश्लेषण से पता चलता है कि सब्सिडी के बाद किसानों की आय में 15% वृद्धि हुई है, तो इसका निर्वचन होगा कि सब्सिडी प्रभावी रही है।
  • चरण 7: रिपोर्ट लेखन (Report Writing):

    • अंतिम चरण में पूरे अध्ययन की प्रक्रिया, विधियों, परिणामों और निष्कर्षों को एक व्यवस्थित रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
    • एक अच्छी रिपोर्ट स्पष्ट, संक्षिप्त और उद्देश्यपूर्ण होनी चाहिए, जिसमें मुख्य निष्कर्षों और सुझावों (यदि कोई हों) का उल्लेख हो।

3. परियोजना के कुछ उदाहरण (Some Examples of Projects):
इस अध्याय में अक्सर छात्रों को छोटे प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जैसे:

  • अपने इलाके में परिवारों की औसत आय का अध्ययन।
  • विभिन्न ब्रांडों के प्रति उपभोक्ताओं की जागरूकता का सर्वेक्षण।
  • विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति और उनके परीक्षा परिणामों के बीच संबंध का विश्लेषण।
  • स्थानीय बाजार में सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव का अध्ययन।

4. सांख्यिकी की सीमाएँ (Limitations of Statistics):
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सांख्यिकी सर्वगुण संपन्न नहीं है, इसकी कुछ सीमाएँ हैं:

  • यह केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन करती है, गुणात्मक तथ्यों (जैसे ईमानदारी, सुंदरता, बुद्धिमत्ता) का नहीं।
  • यह समूहों का अध्ययन करती है, व्यक्तिगत इकाइयों का नहीं। (औसत आय किसी एक व्यक्ति की आय नहीं बताती)।
  • सांख्यिकीय नियम केवल औसतन सत्य होते हैं, पूर्ण रूप से नहीं।
  • आँकड़ों का दुरुपयोग संभव है यदि उनका संदर्भ सही न हो या विश्लेषण गलत तरीके से किया जाए।
  • सांख्यिकीय विधियों का सही उपयोग करने के लिए विशेषज्ञता आवश्यक है।

निष्कर्ष:
सांख्यिकीय विधियाँ आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को समझने और उनका समाधान खोजने के लिए अपरिहार्य उपकरण हैं। एक सांख्यिकीय परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए उपरोक्त चरणों का व्यवस्थित रूप से पालन करना आवश्यक है। सरकारी परीक्षाओं में अक्सर इन चरणों, विधियों के उपयोग और सांख्यिकी के महत्व से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: सांख्यिकीय अध्ययन का प्रथम चरण क्या है?
(क) आँकड़ों का संग्रहण
(ख) समस्या की पहचान और उद्देश्य निर्धारण
(ग) आँकड़ों का विश्लेषण
(घ) रिपोर्ट लेखन

उत्तर: (ख) समस्या की पहचान और उद्देश्य निर्धारण

प्रश्न 2: जब शोधकर्ता स्वयं पहली बार आँकड़े एकत्र करता है, तो उन्हें क्या कहा जाता है?
(क) द्वितीयक आँकड़े
(ख) संगठित आँकड़े
(ग) प्राथमिक आँकड़े
(घ) विश्लेषित आँकड़े

उत्तर: (ग) प्राथमिक आँकड़े

प्रश्न 3: आँकड़ों को पंक्तियों और स्तंभों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया कहलाती है:
(क) वर्गीकरण
(ख) प्रस्तुतीकरण
(ग) विश्लेषण
(घ) सारणीयन

उत्तर: (घ) सारणीयन

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा आँकड़ों के विश्लेषण का एक उपकरण है?
(क) दंड आरेख
(ख) प्रश्नावली
(ग) माध्य (Mean)
(घ) सारणी

उत्तर: (ग) माध्य (Mean)

प्रश्न 5: सांख्यिकीय परियोजना का अंतिम चरण कौन सा होता है?
(क) निर्वचन
(ख) रिपोर्ट लेखन
(ग) आँकड़ों का संगठन
(घ) आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

उत्तर: (ख) रिपोर्ट लेखन

प्रश्न 6: आयतचित्र (Histogram) किसका एक प्रकार है?
(क) आँकड़ों का संग्रहण
(ख) आँकड़ों का संगठन
(ग) आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण
(घ) आँकड़ों का विश्लेषण

उत्तर: (ग) आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

प्रश्न 7: सांख्यिकी का उपयोग मुख्य रूप से किसमें मदद करता है?
(क) केवल गणितीय समस्याओं को हल करने में
(ख) नीतियों के निर्माण और निर्णय लेने में
(ग) केवल ऐतिहासिक घटनाओं का अध्ययन करने में
(घ) व्यक्तिगत भावनाओं को समझने में

उत्तर: (ख) नीतियों के निर्माण और निर्णय लेने में

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी सांख्यिकी की एक सीमा है?
(क) यह केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन करती है।
(ख) यह भविष्य का अनुमान लगाने में मदद करती है।
(ग) यह आँकड़ों को व्यवस्थित करती है।
(घ) यह आर्थिक नियोजन में सहायक है।

उत्तर: (क) यह केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन करती है।

प्रश्न 9: विश्लेषण के बाद प्राप्त परिणामों का अर्थ निकालने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?
(क) संग्रहण
(ख) संगठन
(ग) निर्वचन
(घ) प्रस्तुतीकरण

उत्तर: (ग) निर्वचन

प्रश्न 10: दो चरों के बीच संबंध की मात्रा और दिशा का अध्ययन करने के लिए किस सांख्यिकीय विधि का उपयोग किया जाता है?
(क) माध्य
(ख) मानक विचलन
(ग) सहसंबंध
(घ) सूचकांक

उत्तर: (ग) सहसंबंध


इन नोट्स और प्रश्नों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। यह आपको न केवल इस अध्याय को समझने में मदद करेगा, बल्कि सरकारी परीक्षाओं में सांख्यिकी से संबंधित प्रश्नों को हल करने के लिए एक ठोस आधार भी प्रदान करेगा। शुभकामनाएँ!

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