Class 12 Mathematics Notes Chapter 1 (संबंध एव फलन) – Ganit-I Book

Ganit-I
प्रिय विद्यार्थियों, आज हम कक्षा 12 गणित के प्रथम अध्याय 'संबंध एवं फलन' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय आपकी बोर्ड परीक्षाओं के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, इसके प्रमुख बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं।


अध्याय 1: संबंध एवं फलन (Relations and Functions)

यह अध्याय गणित की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो वस्तुओं के बीच संबंधों और एक समुच्चय के अवयवों को दूसरे समुच्चय के अवयवों से जोड़ने वाले नियमों का अध्ययन करती है।


भाग I: संबंध (Relations)

1. क्रमित युग्म (Ordered Pair):
दो अवयवों a और b का एक युग्म, जिसमें अवयवों का क्रम महत्वपूर्ण होता है, क्रमित युग्म (a, b) कहलाता है। यहाँ (a, b) ≠ (b, a) यदि a ≠ b.

2. कार्तीय गुणनफल (Cartesian Product):
दो अरिक्त समुच्चयों A और B का कार्तीय गुणनफल A × B, सभी क्रमित युग्मों (a, b) का समुच्चय होता है, जहाँ a ∈ A और b ∈ B.
अर्थात्, A × B = {(a, b) : a ∈ A और b ∈ B}.
उदाहरण: यदि A = {1, 2}, B = {a, b}, तो A × B = {(1, a), (1, b), (2, a), (2, b)}.

3. संबंध की परिभाषा (Definition of a Relation):
एक समुच्चय A से एक समुच्चय B में संबंध R, कार्तीय गुणनफल A × B का एक उपसमुच्चय होता है।
यदि (a, b) ∈ R, तो हम कहते हैं कि a, b से संबंधित है और इसे a R b लिखते हैं।

  • प्रान्त (Domain): संबंध R में सभी क्रमित युग्मों के पहले घटकों का समुच्चय।
  • सह-प्रान्त (Codomain): समुच्चय B.
  • परिसर (Range): संबंध R में सभी क्रमित युग्मों के दूसरे घटकों का समुच्चय।
    उदाहरण: यदि A = {1, 2, 3}, B = {2, 4, 6} और R = {(x, y) : y = 2x, x ∈ A, y ∈ B}.
    तो R = {(1, 2), (2, 4), (3, 6)}.
    प्रान्त = {1, 2, 3}, सह-प्रान्त = {2, 4, 6}, परिसर = {2, 4, 6}.

4. संबंधों के प्रकार (Types of Relations):
मान लीजिए R, समुच्चय A पर एक संबंध है (अर्थात् R ⊆ A × A).

  • रिक्त संबंध (Empty Relation):
    यदि A का कोई भी अवयव A के किसी भी अवयव से संबंधित नहीं है, तो R एक रिक्त संबंध कहलाता है। इसे R = ∅ ⊆ A × A द्वारा दर्शाया जाता है।
    उदाहरण: A = {1, 2, 3} पर R = {(a, b) : a - b = 10}. यहाँ कोई भी अवयव इस शर्त को पूरा नहीं करता, अतः R = ∅.

  • सार्वत्रिक संबंध (Universal Relation):
    यदि A का प्रत्येक अवयव A के प्रत्येक अवयव से संबंधित है, तो R एक सार्वत्रिक संबंध कहलाता है। इसे R = A × A द्वारा दर्शाया जाता है।
    उदाहरण: A = {1, 2, 3} पर R = {(a, b) : |a - b| ≥ 0}. यह शर्त A के सभी क्रमित युग्मों के लिए सत्य है, अतः R = A × A.

  • स्वतुल्य संबंध (Reflexive Relation):
    एक संबंध R, समुच्चय A पर स्वतुल्य कहलाता है, यदि प्रत्येक a ∈ A के लिए (a, a) ∈ R हो।
    उदाहरण: A = {1, 2, 3} पर R = {(1, 1), (2, 2), (3, 3), (1, 2)}. यह स्वतुल्य है क्योंकि (1, 1), (2, 2), (3, 3) ∈ R.

  • सममित संबंध (Symmetric Relation):
    एक संबंध R, समुच्चय A पर सममित कहलाता है, यदि (a, b) ∈ R होने पर (b, a) ∈ R भी हो, सभी a, b ∈ A के लिए।
    उदाहरण: A = {1, 2, 3} पर R = {(1, 2), (2, 1), (1, 3), (3, 1)}. यह सममित है।

  • संक्रामक संबंध (Transitive Relation):
    एक संबंध R, समुच्चय A पर संक्रामक कहलाता है, यदि (a, b) ∈ R और (b, c) ∈ R होने पर (a, c) ∈ R भी हो, सभी a, b, c ∈ A के लिए।
    उदाहरण: A = {1, 2, 3} पर R = {(1, 2), (2, 3), (1, 3)}. यह संक्रामक है।

  • तुल्यता संबंध (Equivalence Relation):
    एक संबंध R, समुच्चय A पर तुल्यता संबंध कहलाता है, यदि यह स्वतुल्य, सममित और संक्रामक तीनों हो।
    उदाहरण: पूर्णांकों के समुच्चय Z पर संबंध R = {(a, b) : a - b, 2 से विभाज्य है}. यह एक तुल्यता संबंध है।

  • तुल्यता वर्ग (Equivalence Class):
    मान लीजिए R, समुच्चय A पर एक तुल्यता संबंध है। किसी अवयव a ∈ A का तुल्यता वर्ग [a], उन सभी अवयवों x ∈ A का समुच्चय है जो a से संबंधित हैं।
    अर्थात्, [a] = {x ∈ A : (a, x) ∈ R}.
    गुणधर्म: तुल्यता वर्ग समुच्चय A को असंयुक्त उपसमुच्चयों में विभाजित करते हैं।


भाग II: फलन (Functions)

1. फलन की परिभाषा (Definition of a Function):
एक समुच्चय A से समुच्चय B में एक संबंध f को फलन कहते हैं, यदि समुच्चय A के प्रत्येक अवयव का समुच्चय B में एक और केवल एक प्रतिबिंब हो।
इसे f: A → B द्वारा दर्शाया जाता है।

  • A को फलन का प्रान्त (Domain) कहते हैं।
  • B को फलन का सह-प्रान्त (Codomain) कहते हैं।
  • f के अंतर्गत A के सभी अवयवों के प्रतिबिंबों के समुच्चय को फलन का परिसर (Range) कहते हैं। परिसर ⊆ सह-प्रान्त।
    उदाहरण: यदि A = {1, 2, 3}, B = {a, b, c, d} और f = {(1, a), (2, b), (3, c)}. यह एक फलन है।
    प्रान्त = {1, 2, 3}, सह-प्रान्त = {a, b, c, d}, परिसर = {a, b, c}.

2. फलनों के प्रकार (Types of Functions):
मान लीजिए f: A → B एक फलन है।

  • एकैकी फलन (One-one / Injective Function):
    एक फलन f: A → B एकैकी कहलाता है, यदि A के विभिन्न अवयवों के B में विभिन्न प्रतिबिंब हों।
    अर्थात्, यदि f(x₁) = f(x₂) हो, तो x₁ = x₂ होना चाहिए, सभी x₁, x₂ ∈ A के लिए।
    उदाहरण: f: R → R, f(x) = 2x.

  • आच्छादक फलन (Onto / Surjective Function):
    एक फलन f: A → B आच्छादक कहलाता है, यदि B का प्रत्येक अवयव A के किसी न किसी अवयव का प्रतिबिंब हो।
    अर्थात्, f का परिसर = f का सह-प्रान्त।
    या, प्रत्येक y ∈ B के लिए, A में एक x ऐसा विद्यमान हो कि f(x) = y.
    उदाहरण: f: R → R, f(x) = x³.

  • एकैकी आच्छादक फलन (One-one and Onto / Bijective Function):
    एक फलन f: A → B एकैकी आच्छादक कहलाता है, यदि यह एकैकी और आच्छादक दोनों हो।
    उदाहरण: f: R → R, f(x) = x + 5.

  • बहु-एक फलन (Many-one Function):
    एक फलन f: A → B बहु-एक कहलाता है, यदि यह एकैकी न हो (अर्थात् A के दो या दो से अधिक अवयवों का B में एक ही प्रतिबिंब हो)।
    उदाहरण: f: R → R, f(x) = x². यहाँ f(-1) = 1 और f(1) = 1.

  • अंतःक्षेपी फलन (Into Function):
    एक फलन f: A → B अंतःक्षेपी कहलाता है, यदि यह आच्छादक न हो (अर्थात् सह-प्रान्त B में कम से कम एक ऐसा अवयव हो जो परिसर में न हो)।
    उदाहरण: f: N → N, f(x) = x + 1. यहाँ 1 ∈ N (सह-प्रान्त) का कोई पूर्व-प्रतिबिंब नहीं है।


भाग III: फलनों का संयोजन और व्युत्क्रमणीय फलन (Composition of Functions and Invertible Function)

1. फलनों का संयोजन (Composition of Functions):
मान लीजिए f: A → B और g: B → C दो फलन हैं। तब f और g का संयोजन, जिसे g o f द्वारा दर्शाया जाता है, एक फलन g o f: A → C है, जिसे g o f (x) = g(f(x)) द्वारा परिभाषित किया जाता है, सभी x ∈ A के लिए।
संयोजन g o f तभी परिभाषित होता है जब f का परिसर ⊆ g का प्रान्त।
गुणधर्म: फलनों का संयोजन साहचर्य होता है, अर्थात् यदि f, g और h तीन फलन हैं, तो h o (g o f) = (h o g) o f.

2. व्युत्क्रमणीय फलन (Invertible Function):
एक फलन f: A → B व्युत्क्रमणीय कहलाता है, यदि एक फलन g: B → A ऐसा विद्यमान हो कि g o f = I_A और f o g = I_B हो।
जहाँ I_A और I_B क्रमशः समुच्चय A और B पर तत्समक फलन हैं।
फलन g को f का व्युत्क्रम कहते हैं और इसे f⁻¹ द्वारा दर्शाया जाता है।
महत्वपूर्ण शर्त: एक फलन f व्युत्क्रमणीय होता है यदि और केवल यदि f एकैकी आच्छादक (bijective) हो।
उदाहरण: f: R → R, f(x) = 2x + 3. इसका व्युत्क्रम f⁻¹(y) = (y - 3) / 2 है।


भाग IV: द्वि-आधारी संक्रियाएँ (Binary Operations)

1. द्वि-आधारी संक्रिया की परिभाषा (Definition of a Binary Operation):
एक समुच्चय A पर एक द्वि-आधारी संक्रिया * एक फलन *: A × A → A है।
यह एक नियम है जो A के किन्हीं भी दो अवयवों को A के एक अद्वितीय अवयव से जोड़ता है।
उदाहरण: योग (+), व्यवकलन (-), गुणन (×) और भाग (÷) वास्तविक संख्याओं के समुच्चय R पर द्वि-आधारी संक्रियाएँ हैं (भाग के लिए शून्य से भाग को छोड़कर)।

2. द्वि-आधारी संक्रियाओं के प्रकार (Types of Binary Operations):
मान लीजिए *, समुच्चय A पर एक द्वि-आधारी संक्रिया है।

  • क्रमविनिमेय संक्रिया (Commutative Operation):
    संक्रिया * क्रमविनिमेय कहलाती है, यदि a * b = b * a हो, सभी a, b ∈ A के लिए।
    उदाहरण: R पर योग (+) और गुणन (×) क्रमविनिमेय हैं। a + b = b + a.

  • साहचर्य संक्रिया (Associative Operation):
    संक्रिया * साहचर्य कहलाती है, यदि a * (b * c) = (a * b) * c हो, सभी a, b, c ∈ A के लिए।
    उदाहरण: R पर योग (+) और गुणन (×) साहचर्य हैं। a + (b + c) = (a + b) + c.

  • तत्समक अवयव (Identity Element):
    यदि समुच्चय A में एक अवयव e विद्यमान है, ऐसा कि a * e = e * a = a हो, सभी a ∈ A के लिए, तो e को संक्रिया * के लिए तत्समक अवयव कहते हैं।
    उदाहरण: R पर योग (+) के लिए 0 तत्समक अवयव है (a + 0 = 0 + a = a).
    R पर गुणन (×) के लिए 1 तत्समक अवयव है (a × 1 = 1 × a = a).

  • प्रतिलोम अवयव (Inverse Element):
    मान लीजिए e, समुच्चय A में संक्रिया * के लिए तत्समक अवयव है। एक अवयव a ∈ A का प्रतिलोम अवयव b ∈ A कहलाता है, यदि a * b = b * a = e हो। b को a का प्रतिलोम कहते हैं और इसे a⁻¹ द्वारा दर्शाया जाता है।
    उदाहरण: R पर योग (+) के लिए, a का प्रतिलोम -a है (a + (-a) = 0).
    R पर गुणन (×) के लिए, a ≠ 0 का प्रतिलोम 1/a है (a × (1/a) = 1).


यह अध्याय संबंध और फलनों की मूलभूत अवधारणाओं को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो उच्च गणित और अन्य विज्ञानों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। इन अवधारणाओं को अच्छी तरह से समझना आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा।


बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions - MCQs)

निर्देश: प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प चुनें।

1. समुच्चय A = {1, 2, 3, 4} पर संबंध R = {(x, y) : x ≤ y} है:
(a) स्वतुल्य और सममित
(b) स्वतुल्य और संक्रामक
(c) सममित और संक्रामक
(d) केवल संक्रामक

2. समुच्चय A = {1, 2, 3} पर संबंध R = {(1, 2), (2, 1)} है:
(a) स्वतुल्य
(b) सममित
(c) संक्रामक
(d) तुल्यता संबंध

3. यदि f: R → R, f(x) = x² द्वारा परिभाषित है, तो फलन f है:
(a) एकैकी
(b) आच्छादक
(c) एकैकी और आच्छादक दोनों
(d) न तो एकैकी और न ही आच्छादक

4. यदि f: N → N, f(x) = x + 1 द्वारा परिभाषित है, तो फलन f है:
(a) एकैकी और आच्छादक
(b) एकैकी लेकिन आच्छादक नहीं
(c) आच्छादक लेकिन एकैकी नहीं
(d) न तो एकैकी और न ही आच्छादक

5. यदि f(x) = 2x + 3 और g(x) = x - 2 हैं, तो (f o g)(x) का मान क्या है?
(a) 2x + 1
(b) 2x - 1
(c) 2x + 5
(d) x + 1

6. यदि f: R → R, f(x) = 3x - 4 द्वारा परिभाषित है, तो f⁻¹(x) क्या है?
(a) (x + 4) / 3
(b) (x - 4) / 3
(c) 3x + 4
(d) 1 / (3x - 4)

7. समुच्चय R पर द्वि-आधारी संक्रिया a * b = a + b + ab द्वारा परिभाषित है। संक्रिया * के लिए तत्समक अवयव क्या है?
(a) 0
(b) 1
(c) -1
(d) कोई तत्समक अवयव नहीं

8. समुच्चय Z (पूर्णांकों का समुच्चय) पर संबंध R = {(a, b) : a - b, 5 से विभाज्य है} है:
(a) केवल स्वतुल्य
(b) केवल सममित
(c) केवल संक्रामक
(d) तुल्यता संबंध

9. यदि f: {1, 2, 3} → {a, b, c} एकैकी आच्छादक फलन है, तो f⁻¹(a) का मान क्या हो सकता है?
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) उपरोक्त में से कोई भी (जानकारी अपर्याप्त है)

10. समुच्चय Q (परिमेय संख्याओं का समुच्चय) पर द्वि-आधारी संक्रिया a * b = (a + b) / 2 साहचर्य है या नहीं?
(a) हाँ, यह साहचर्य है।
(b) नहीं, यह साहचर्य नहीं है।
(c) केवल कुछ विशेष मामलों में साहचर्य है।
(d) यह क्रमविनिमेय भी नहीं है।


MCQs के उत्तर:

  1. (b)
  2. (b)
  3. (d)
  4. (b)
  5. (b)
  6. (a)
  7. (a)
  8. (d)
  9. (d)
  10. (b)

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