Class 10 Science Notes Chapter 8 (Chapter 8) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम कक्षा 10 विज्ञान के अध्याय 8 'जीव जनन कैसे करते हैं?' के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो आपकी सरकारी परीक्षा की तैयारी में बहुत सहायक होंगे। साथ ही, हम इस अध्याय से संबंधित 10 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) भी हल करेंगे।

अध्याय 8: जीव जनन कैसे करते हैं? - विस्तृत नोट्स

1. जनन (Reproduction):

  • परिभाषा: वह जैविक प्रक्रिया जिसके द्वारा जीव अपने समान नई संतति (offspring) उत्पन्न करते हैं।
  • महत्व: यह प्रजातियों की निरंतरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह पृथ्वी पर जीवन को पीढ़ी दर पीढ़ी बनाए रखता है।
  • जनन की मूल घटना: कोशिका के केन्द्रक में पाए जाने वाले गुणसूत्रों के DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल) के अणुओं में आनुवंशिक सूचना होती है। जनन की मूल घटना DNA की प्रतिकृति (copy) बनाना है। DNA प्रतिकृति के साथ-साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता है, और इसके बाद DNA की प्रतिकृतियाँ अलग हो जाती हैं, जिससे एक कोशिका विभाजित होकर दो कोशिकाएँ बनाती है।

2. विभिन्नता का महत्व (Importance of Variation):

  • DNA प्रतिकृति की प्रक्रिया पूरी तरह से यथार्थ (accurate) नहीं होती, इसमें कुछ त्रुटियाँ हो सकती हैं। इन त्रुटियों के कारण विभिन्नताएँ (variations) उत्पन्न होती हैं।
  • विभिन्नताएँ प्रजाति की उत्तरजीविता (survival) बनाए रखने में उपयोगी हैं, विशेषकर बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों में। यदि किसी प्रजाति की समष्टि (population) अपने पर्यावरण के अनुकूल है, परंतु पर्यावरण में प्रतिकूल परिवर्तन आते हैं, तो समष्टि के नष्ट होने का खतरा रहता है। परन्तु यदि सदस्यों में कुछ विभिन्नताएँ होंगी तो कुछ जीवों के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।

3. जनन के प्रकार (Types of Reproduction):
मुख्यतः दो प्रकार हैं: अलैंगिक जनन और लैंगिक जनन।

A. अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction):

  • इसमें केवल एक ही जनक (parent) भाग लेता है।
  • युग्मकों (gametes) का निर्माण और संलयन नहीं होता है।
  • उत्पन्न संतति आनुवंशिक रूप से जनक के बिल्कुल समान (clone) होती है।
  • यह तीव्र गति से होता है।
  • विधियाँ (Methods):
    • विखंडन (Fission): एककोशिकीय जीवों में कोशिका विभाजन द्वारा नए जीवों का बनना।
      • द्विखंडन (Binary Fission): कोशिका दो बराबर भागों में विभाजित होती है। उदाहरण: अमीबा (किसी भी तल से), लेइशमानिया (निश्चित तल से, कशाभिका के सापेक्ष)।
      • बहुखंडन (Multiple Fission): कोशिका एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है। उदाहरण: प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी)।
    • खंडन (Fragmentation): सरल संरचना वाले बहुकोशिकीय जीव विकसित होने पर छोटे-छोटे टुकड़ों में खंडित हो जाते हैं और प्रत्येक टुकड़ा वृद्धि कर नए जीव में विकसित हो जाता है। उदाहरण: स्पाइरोगाइरा।
    • पुनर्जनन/पुनरुद्भवन (Regeneration): कुछ पूर्णरूपेण विभेदित जीवों में अपने कायिक भाग से नए जीव के निर्माण की क्षमता होती है। यदि जीव किसी कारणवश क्षत-विक्षत हो जाता है अथवा कुछ टुकड़ों में टूट जाता है तो इसके अनेक टुकड़े वृद्धि करके नए जीव में विकसित हो जाते हैं। उदाहरण: हाइड्रा, प्लेनेरिया। (ध्यान दें: यह मुख्य रूप से मरम्मत की प्रक्रिया है, जनन का तरीका नहीं, पर कुछ जीवों में यह जनन में सहायक है)।
    • मुकुलन (Budding): जनक जीव के शरीर पर एक उभार (मुकुल/bud) विकसित होता है, जो वृद्धि करके नन्हे जीव में बदल जाता है और फिर जनक से अलग होकर स्वतंत्र जीव बन जाता है। उदाहरण: हाइड्रा, यीस्ट।
    • कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation): पौधों के कायिक भागों जैसे जड़, तना अथवा पत्तियों से नए पौधे का विकास।
      • प्राकृतिक: ब्रायोफिलम (अजूबा) की पत्तियों के किनारों से कलिकाएँ निकलकर नए पौधे बनाती हैं। आलू (तना), अदरक (प्रकंद), प्याज (बल्ब)।
      • कृत्रिम: कर्तन (गुलाब, गन्ना), दाब कलम (चमेली), रोपण (आम, सेब)।
      • ऊतक संवर्धन (Tissue Culture): पौधे के ऊतक अथवा उसकी कोशिकाओं को पोषक माध्यम में रखकर नए पौधे उगाना। इसे सूक्ष्म प्रवर्धन भी कहते हैं। यह रोगमुक्त पौधे उगाने और कम समय में अधिक पौधे तैयार करने की तकनीक है।
    • बीजाणु समासंघ (Spore Formation): अनेक सरल बहुकोशिकीय जीवों (जैसे राइजोपस - ब्रेड मोल्ड) में जनन बीजाणुओं द्वारा होता है। बीजाणु एक मोटी भित्ति से ढके होते हैं जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उनकी रक्षा करती है। अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने पर बीजाणु अंकुरित होकर नए जीव विकसित करते हैं।

B. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction):

  • इसमें सामान्यतः दो जनक (नर तथा मादा) भाग लेते हैं।
  • नर युग्मक (sperm) और मादा युग्मक (egg/ovum) का निर्माण होता है।
  • दोनों युग्मकों के संलयन (fusion) से युग्मनज (zygote) बनता है, जिससे नई संतति विकसित होती है।
  • उत्पन्न संतति में दोनों जनकों के गुण आते हैं, जिससे विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • यह धीमी प्रक्रिया है।

4. पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction in Flowering Plants):

  • पुष्प (Flower): पौधे का जनन अंग।
  • पुष्प के भाग:
    • बाह्यदल (Sepals): हरी पत्ती जैसी संरचना, कली की रक्षा करती है।
    • दल/पंखुड़ी (Petals): रंगीन भाग, कीटों को परागण के लिए आकर्षित करता है।
    • पुंकेसर (Stamen): नर जनन अंग। इसके दो भाग होते हैं - परागकोष (Anther) जिसमें परागकण (pollen grains) बनते हैं, और तंतु (Filament)। परागकणों में नर युग्मक होते हैं।
    • स्त्रीकेसर/अंडप (Pistil/Carpel): मादा जनन अंग। इसके तीन भाग होते हैं - वर्तिकाग्र (Stigma) जो चिपचिपा होता है और परागकणों को ग्रहण करता है, वर्तिका (Style) जो लंबी नलिका है, और अंडाशय (Ovary) फूला हुआ भाग जिसमें बीजांड (Ovules) होते हैं। प्रत्येक बीजांड में मादा युग्मक (अंड कोशिका) होता है।
  • पुष्प के प्रकार:
    • उभयलिंगी (Bisexual): जब पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित हों। उदाहरण: सरसों, गुड़हल।
    • एकलिंगी (Unisexual): जब पुष्प में पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर में से कोई एक ही जननांग उपस्थित हो। उदाहरण: पपीता, तरबूज।
  • परागण (Pollination): परागकणों का परागकोष से वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण।
    • स्वपरागण (Self-pollination): उसी पुष्प या उसी पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर परागकणों का पहुँचना।
    • परपरागण (Cross-pollination): एक पुष्प के परागकणों का उसी जाति के दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचना। कारक: वायु, जल, कीट, पक्षी, जंतु।
  • निषेचन (Fertilization): वर्तिकाग्र पर पहुँचने के बाद परागकण से एक पराग नलिका विकसित होती है जो वर्तिका से होती हुई बीजांड तक पहुँचती है। पराग नलिका द्वारा नर युग्मक बीजांड में स्थित मादा युग्मक (अंड कोशिका) तक पहुँचकर उससे संलयन करता है। युग्मकों के इस संलयन को निषेचन कहते हैं।
  • निषेचन के बाद परिवर्तन: निषेचन के पश्चात् युग्मनज (zygote) में अनेक विभाजन होते हैं तथा बीजांड में भ्रूण (embryo) विकसित होता है। बीजांड से एक कठोर आवरण विकसित होता है तथा यह बीज (seed) में परिवर्तित हो जाता है। अंडाशय तीव्रता से वृद्धि करता है तथा परिपक्व होकर फल (fruit) बनाता है। बाह्यदल, पंखुड़ी, पुंकेसर, वर्तिका एवं वर्तिकाग्र प्रायः मुरझाकर गिर जाते हैं।
  • अंकुरण (Germination): अनुकूल परिस्थितियों (वायु, जल, ताप) में बीज के अंदर का भ्रूण विकसित होकर नवोद्भिद (seedling) बनाता है।

5. मानव में जनन (Reproduction in Human Beings):

  • यौवनारम्भ (Puberty): वह आयु जब जनन अंग क्रियाशील हो जाते हैं और शरीर में लैंगिक परिवर्तन (गौण लैंगिक लक्षण) दिखाई देने लगते हैं। लड़कियों में यह 10-12 वर्ष और लड़कों में 13-14 वर्ष की आयु में प्रारंभ होता है।
    • लड़कों में परिवर्तन: आवाज का भारी होना, दाढ़ी-मूंछ आना, शरीर पर बाल उगना, त्वचा तैलीय होना, जननांगों का विकास, शुक्राणु उत्पादन प्रारंभ।
    • लड़कियों में परिवर्तन: स्तनों का विकास, रजोधर्म (मासिक चक्र) प्रारंभ, श्रोणि क्षेत्र का चौड़ा होना, त्वचा तैलीय होना, जननांगों का विकास, अंडाणु उत्पादन प्रारंभ।
  • नर जनन तंत्र (Male Reproductive System):
    • वृषण (Testes): (एक जोड़ी) उदरगुहा के बाहर वृषण कोष (Scrotum) में स्थित होते हैं। कार्य: शुक्राणु (Sperm) और टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का उत्पादन। वृषण कोष का तापमान शरीर के तापमान से 2-3°C कम होता है जो शुक्राणु निर्माण के लिए आवश्यक है।
    • शुक्रवाहिका (Vas Deferens): शुक्राणुओं को वृषण से शुक्राशय तक ले जाती है।
    • शुक्राशय (Seminal Vesicle) एवं प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland): अपने स्राव शुक्रवाहिका में डालते हैं जिससे शुक्राणु तरल माध्यम में आ जाते हैं और पोषण प्राप्त करते हैं। शुक्राणु और ग्रंथियों के स्राव मिलकर वीर्य (Semen) बनाते हैं।
    • मूत्रमार्ग (Urethra): मूत्र और वीर्य दोनों के बाहर जाने का उभय मार्ग है, जो शिश्न (Penis) से होकर गुजरता है।
    • शिश्न (Penis): बाह्य मैथुन अंग।
  • मादा जनन तंत्र (Female Reproductive System):
    • अंडाशय (Ovary): (एक जोड़ी) उदरगुहा में स्थित। कार्य: अंडाणु/डिंब (Ovum/Egg) और एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन का उत्पादन। लड़की के जन्म के समय ही अंडाशय में हजारों अपरिपक्व अंड होते हैं, यौवनारम्भ पर इनमें से कुछ परिपक्व होने लगते हैं। प्रति माह एक अंडाशय द्वारा एक परिपक्व अंडाणु मोचित (released) किया जाता है।
    • अंडवाहिका/फैलोपियन ट्यूब (Oviduct/Fallopian Tube): अंडाशय से जुड़ी पतली नलिकाएँ जो गर्भाशय तक जाती हैं। यह अंडाणु को गर्भाशय तक ले जाती हैं। मानव में निषेचन यहीं होता है।
    • गर्भाशय (Uterus): थैलीनुमा संरचना जहाँ निषेचित अंडाणु (युग्मनज) स्थापित होता है और भ्रूण का विकास होता है।
    • ग्रीवा (Cervix): गर्भाशय का निचला संकरा भाग जो योनि में खुलता है।
    • योनि (Vagina): नलिकाकार संरचना जो गर्भाशय ग्रीवा से शरीर के बाहर तक फैली होती है। यह मैथुन के समय शुक्राणु ग्रहण करती है तथा प्रसव मार्ग का कार्य करती है।
  • निषेचन एवं भ्रूण विकास: मैथुन के दौरान शुक्राणु योनि मार्ग में स्थापित होते हैं, जहाँ से वे ऊपर की ओर यात्रा करके अंडवाहिका तक पहुँच सकते हैं। यदि वहाँ अंडाणु उपस्थित होता है, तो शुक्राणु अंडाणु को निषेचित कर देता है। निषेचित अंडाणु (युग्मनज) विभाजित होकर भ्रूण (Embryo) बनाता है। भ्रूण गर्भाशय में पहुँचकर उसकी भित्ति में स्थापित (अंतर्रोपण - Implantation) हो जाता है। गर्भाशय की भित्ति मोटी हो जाती है और भ्रूण को पोषण प्रदान करने के लिए रक्त वाहिकाओं से युक्त हो जाती है। भ्रूण गर्भाशय की भित्ति से एक विशेष संरचना प्लेसेंटा (Placenta) द्वारा जुड़ा रहता है। प्लेसेंटा माँ के रक्त से भ्रूण को ग्लूकोज, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थ प्रदान करता है तथा भ्रूण द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को माँ के रक्त में स्थानांतरित करता है। गर्भाशय में भ्रूण के पूर्ण विकास में लगभग 9 महीने (280 दिन) लगते हैं (गर्भकाल)।
  • क्या होता है जब अंड का निषेचन नहीं होता? (मासिक चक्र/ऋतुस्राव/रजोधर्म - Menstruation): यदि अंडाणु का निषेचन नहीं होता, तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहता है। क्योंकि निषेचन नहीं हुआ, अतः गर्भाशय की मोटी तथा स्पंजी भित्ति की आवश्यकता नहीं रहती। अतः यह परत धीरे-धीरे टूटकर योनि मार्ग से रक्त एवं म्यूकस के रूप में बाहर निकलती है। यह चक्र लगभग हर महीने होता है और इसे ऋतुस्राव या मासिक चक्र कहते हैं। इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों की होती है।

6. जनन स्वास्थ्य (Reproductive Health):

  • लैंगिक संचारित रोग (Sexually Transmitted Diseases - STDs): अनेक रोग लैंगिक संपर्क द्वारा संचारित हो सकते हैं।
    • जीवाणु जनित: गोनोरिया, सिफलिस।
    • विषाणु जनित: मस्सा (Warts), HIV-एड्स (AIDS - Acquired Immuno Deficiency Syndrome)।
    • बचाव: कंडोम का उपयोग इन रोगों के संचरण को बहुत हद तक रोकता है।
  • गर्भनिरोधन (Contraception): गर्भधारण को रोकना। अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए अनेक विधियाँ अपनाई जाती हैं:
    • रोधिका विधियाँ (Barrier Methods): शुक्राणु को अंडाणु तक पहुँचने से रोकना। उदाहरण: कंडोम (पुरुषों के लिए), डायफ्राम या सर्वाइकल कैप (स्त्रियों के लिए)।
    • रासायनिक विधियाँ (Chemical Methods): गर्भनिरोधक गोलियाँ (स्त्रियों द्वारा ली जाती हैं) जो हॉर्मोन संतुलन को परिवर्तित कर अंडाणु मोचन को रोकती हैं। इनके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
    • अंतर्गर्भाशयी युक्ति (Intra-Uterine Contraceptive Devices - IUCDs): जैसे कॉपर-टी (Copper-T), जिसे डॉक्टर द्वारा गर्भाशय में स्थापित किया जाता है। यह शुक्राणुओं को निष्क्रिय करती है या गर्भाशय को अंतर्रोपण के लिए अनुपयुक्त बनाती है।
    • शल्य क्रिया विधियाँ (Surgical Methods):
      • पुरुष नसबंदी (Vasectomy): पुरुषों में शुक्रवाहिकाओं को काटकर या बांधकर शुक्राणुओं के स्थानांतरण को रोकना।
      • महिला नसबंदी (Tubectomy): स्त्रियों में अंडवाहिकाओं को काटकर या बांधकर अंडाणु को गर्भाशय तक पहुँचने से रोकना।
  • सुरक्षित यौन व्यवहार: यौन संचारित रोगों और अनचाहे गर्भ से बचने के लिए आवश्यक है।
  • भ्रूण हत्या (Female Foeticide): लिंग निर्धारण परीक्षण द्वारा मादा भ्रूण का पता लगाकर उसे गर्भ में ही नष्ट कर देना एक गैर-कानूनी और सामाजिक बुराई है। इससे लिंगानुपात बिगड़ता है।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है:
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लाज्मोडियम
(d) लेइशमानिया
उत्तर: (b) यीस्ट

प्रश्न 2: नर जनन तंत्र के किस भाग में शुक्राणुओं का निर्माण होता है?
(a) शुक्राशय
(b) प्रोस्टेट ग्रंथि
(c) वृषण
(d) शुक्रवाहिका
उत्तर: (c) वृषण

प्रश्न 3: पुष्प के मादा जनन अंग को कहते हैं:
(a) पुंकेसर
(b) बाह्यदल
(c) पंखुड़ी
(d) स्त्रीकेसर
उत्तर: (d) स्त्रीकेसर

प्रश्न 4: परागकणों का परागकोष से वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण कहलाता है:
(a) निषेचन
(b) परागण
(c) अंकुरण
(d) मुकुलन
उत्तर: (b) परागण

प्रश्न 5: मानव में निषेचन की प्रक्रिया कहाँ संपन्न होती है?
(a) गर्भाशय
(b) अंडाशय
(c) अंडवाहिका
(d) योनि
उत्तर: (c) अंडवाहिका

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा रोग यौन संचारित नहीं है?
(a) सिफलिस
(b) HIV-एड्स
(c) गोनोरिया
(d) हैजा
उत्तर: (d) हैजा (हैजा दूषित जल या भोजन से फैलता है)

प्रश्न 7: ब्रायोफिलम अपने किस भाग द्वारा जनन करता है?
(a) तना
(b) पत्ती
(c) जड़
(d) पुष्प
उत्तर: (b) पत्ती

प्रश्न 8: प्लेसेंटा का कार्य है:
(a) भ्रूण को ऑक्सीजन प्रदान करना
(b) भ्रूण से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालना
(c) भ्रूण को पोषण प्रदान करना
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 9: डीएनए प्रतिकृति जनन प्रक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा क्यों है?
(a) ऊर्जा प्रदान करने के लिए
(b) युग्मक बनाने के लिए
(c) आनुवंशिक सूचना को संतति में भेजने के लिए
(d) कोशिका का आकार बढ़ाने के लिए
उत्तर: (c) आनुवंशिक सूचना को संतति में भेजने के लिए

प्रश्न 10: एकलिंगी पुष्प का उदाहरण है:
(a) सरसों
(b) गुड़हल
(c) पपीता
(d) पिटूनिया
उत्तर: (c) पपीता


मुझे उम्मीद है कि ये नोट्स और प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी में मददगार साबित होंगे। इस अध्याय को अच्छी तरह से समझें और चित्रों का भी अध्ययन करें। कोई और प्रश्न हो तो अवश्य पूछें।

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