Class 11 Chemistry Notes Chapter 6 (Chapter 6) – Rasayan Vigyan Bhag-II Book

चलिए, आज हम रसायन विज्ञान भाग-II के अध्याय 6, ऊष्मागतिकी (Thermodynamics), का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ऊर्जा परिवर्तन और रासायनिक अभिक्रियाओं की स्वतःप्रवर्तिता (spontaneity) से संबंधित मूलभूत सिद्धांतों की समझ विकसित होती है।
अध्याय 6: ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) - विस्तृत नोट्स
1. परिचय (Introduction)
- ऊष्मागतिकी: विज्ञान की वह शाखा जो ऊर्जा के विभिन्न रूपों तथा उनके बीच मात्रात्मक संबंध का अध्ययन करती है। यह मुख्य रूप से ऊर्जा परिवर्तनों (ऊष्मा और कार्य) से संबंधित है जो भौतिक या रासायनिक प्रक्रमों के दौरान होते हैं।
- निकाय (System): ब्रह्मांड का वह विशिष्ट भाग जिसका ऊष्मागतिकी अध्ययन किया जाता है।
- परिवेश (Surroundings): निकाय के अतिरिक्त ब्रह्मांड का शेष भाग।
- परिसीमा (Boundary): वह वास्तविक या काल्पनिक सतह जो निकाय और परिवेश को अलग करती है।
- निकायों के प्रकार (Types of Systems):
- खुला निकाय (Open System): जो परिवेश के साथ ऊर्जा और द्रव्यमान दोनों का विनिमय कर सकता है (उदाहरण: खुले बीकर में गर्म पानी)।
- बंद निकाय (Closed System): जो परिवेश के साथ केवल ऊर्जा का विनिमय कर सकता है, द्रव्यमान का नहीं (उदाहरण: बंद फ्लास्क में गर्म पानी)।
- विलगित निकाय (Isolated System): जो परिवेश के साथ न तो ऊर्जा और न ही द्रव्यमान का विनिमय कर सकता है (उदाहरण: थर्मस फ्लास्क में रखा गर्म पानी - एक आदर्श विलगित निकाय)।
2. ऊष्मागतिक अवस्था एवं अवस्था फलन (Thermodynamic State and State Functions)
- ऊष्मागतिक अवस्था: किसी निकाय की वह स्थिति जिसे उसके मापने योग्य गुणों (जैसे दाब P, आयतन V, ताप T, मोलों की संख्या n) द्वारा वर्णित किया जाता है। इन गुणों को अवस्था चर (State Variables) कहते हैं।
- अवस्था फलन (State Function): निकाय का वह गुण जिसका मान केवल निकाय की वर्तमान अवस्था पर निर्भर करता है, न कि इस बात पर कि वह अवस्था कैसे प्राप्त की गई है। उदाहरण: दाब (P), आयतन (V), ताप (T), आंतरिक ऊर्जा (U), एन्थैल्पी (H), एन्ट्रापी (S), गिब्स ऊर्जा (G)। अवस्था फलन में परिवर्तन केवल प्रारंभिक और अंतिम अवस्था पर निर्भर करता है (ΔX = Xअंतिम - Xप्रारंभिक)।
- पथ फलन (Path Function): वह गुण जिसका मान उस पथ पर निर्भर करता है जिसके द्वारा अवस्था परिवर्तन प्राप्त किया गया है। उदाहरण: कार्य (W), ऊष्मा (q)।
3. ऊष्मागतिक प्रक्रम (Thermodynamic Processes)
- समतापी प्रक्रम (Isothermal Process): वह प्रक्रम जिसके दौरान निकाय का ताप स्थिर रहता है (ΔT = 0)।
- रुद्धोष्म प्रक्रम (Adiabatic Process): वह प्रक्रम जिसके दौरान निकाय और परिवेश के बीच ऊष्मा का कोई विनिमय नहीं होता है (q = 0)।
- समदाबी प्रक्रम (Isobaric Process): वह प्रक्रम जिसके दौरान निकाय का दाब स्थिर रहता है (ΔP = 0)।
- समआयतनिक प्रक्रम (Isochoric Process): वह प्रक्रम जिसके दौरान निकाय का आयतन स्थिर रहता है (ΔV = 0)।
- उत्क्रमणीय प्रक्रम (Reversible Process): वह प्रक्रम जो अत्यंत धीमी गति से होता है और जिसे किसी भी क्षण विपरीत दिशा में किया जा सकता है। इसमें निकाय और परिवेश लगभग साम्यावस्था में रहते हैं।
- अनुत्क्रमणीय प्रक्रम (Irreversible Process): वह प्रक्रम जो उत्क्रमणीय नहीं है और जिसे आसानी से विपरीत दिशा में नहीं किया जा सकता। सभी प्राकृतिक प्रक्रम अनुत्क्रमणीय होते हैं।
4. आंतरिक ऊर्जा (Internal Energy, U)
- किसी निकाय में संग्रहीत कुल ऊर्जा (रासायनिक, इलेक्ट्रॉनिक, नाभिकीय, गतिज, स्थितिज आदि ऊर्जाओं का योग) उसकी आंतरिक ऊर्जा कहलाती है।
- यह एक अवस्था फलन है और मात्रात्मक गुण (extensive property) है।
- आंतरिक ऊर्जा का परम मान ज्ञात करना संभव नहीं है, केवल आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन (ΔU) मापा जा सकता है।
- ΔU = Uउत्पाद - Uअभिकारक या ΔU = Uअंतिम - Uप्रारंभिक
5. कार्य (Work, W) एवं ऊष्मा (Heat, q)
- ऊष्मा (q): निकाय और परिवेश के बीच तापांतर के कारण ऊर्जा का स्थानांतरण ऊष्मा कहलाता है।
- निकाय द्वारा ऊष्मा अवशोषित: q = धनात्मक (+)
- निकाय द्वारा ऊष्मा उत्सर्जित: q = ऋणात्मक (-)
- कार्य (W): ऊर्जा का वह रूप जो ऊष्मा के अतिरिक्त किसी अन्य रूप में निकाय और परिवेश के बीच स्थानांतरित होता है। ऊष्मागतिकी में मुख्यतः दाब-आयतन कार्य (P-V work) का अध्ययन किया जाता है।
- गैस के प्रसार में किया गया कार्य (Work done by the system): W = -PextΔV (ऋणात्मक)
- गैस के संपीडन में किया गया कार्य (Work done on the system): W = +PextΔV (धनात्मक)
- चिन्ह परिपाटी (Sign Convention - IUPAC):
- निकाय पर किया गया कार्य (Work done on the system): W = धनात्मक (+)
- निकाय द्वारा किया गया कार्य (Work done by the system): W = ऋणात्मक (-)
6. ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of Thermodynamics)
- इसे ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहते हैं।
- कथन: ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। या, किसी विलगित निकाय की कुल ऊर्जा स्थिर रहती है।
- गणितीय रूप: ΔU = q + W
- ΔU = निकाय की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन
- q = निकाय को दी गई ऊष्मा
- W = निकाय पर किया गया कार्य
- विभिन्न प्रक्रमों के लिए:
- समआयतनिक प्रक्रम (ΔV = 0): W = 0, अतः ΔU = qV (स्थिर आयतन पर अवशोषित ऊष्मा आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होती है)।
- रुद्धोष्म प्रक्रम (q = 0): ΔU = Wरुद्धोष्म (रुद्धोष्म कार्य आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है)।
- समतापी उत्क्रमणीय प्रक्रम (आदर्श गैस): ΔU = 0 (आंतरिक ऊर्जा ताप पर निर्भर करती है), अतः q = -W = nRT ln(V2/V1) = nRT ln(P1/P2)।
- चक्रीय प्रक्रम (Cyclic Process): निकाय अपनी प्रारंभिक अवस्था में लौट आता है, ΔU = 0, अतः q = -W।
7. एन्थैल्पी (Enthalpy, H)
- स्थिर दाब पर किसी निकाय की कुल ऊष्मा धारिता को एन्थैल्पी कहते हैं।
- यह एक अवस्था फलन और मात्रात्मक गुण है।
- परिभाषा: H = U + PV
- एन्थैल्पी परिवर्तन (ΔH): स्थिर दाब पर होने वाले प्रक्रम के लिए, ΔH = ΔU + PΔV
- चूँकि स्थिर दाब पर qP = ΔU + PΔV होता है, अतः ΔH = qP (स्थिर दाब पर अवशोषित या उत्सर्जित ऊष्मा एन्थैल्पी परिवर्तन के बराबर होती है)।
- ΔH और ΔU में संबंध: गैसीय अभिक्रियाओं के लिए, ΔH = ΔU + ΔngRT
- Δng = (गैसीय उत्पादों के मोलों की संख्या) - (गैसीय अभिकारकों के मोलों की संख्या)
- R = गैस नियतांक, T = परम ताप
8. विभिन्न प्रकार की एन्थैल्पी परिवर्तन (Various Types of Enthalpy Changes)
- मानक अवस्था (Standard State): 1 bar दाब और निर्दिष्ट ताप (सामान्यतः 298 K)।
- मानक विरचन एन्थैल्पी (Standard Enthalpy of Formation, ΔfH°): 1 मोल यौगिक का उसके तत्वों से उनकी सबसे स्थायी संदर्भ अवस्था (मानक अवस्था) में बनने पर होने वाला एन्थैल्पी परिवर्तन। तत्वों की उनकी संदर्भ अवस्था में मानक विरचन एन्थैल्पी शून्य मानी जाती है।
- मानक दहन एन्थैल्पी (Standard Enthalpy of Combustion, ΔcH°): मानक अवस्था में 1 मोल पदार्थ के ऑक्सीजन में पूर्ण दहन पर होने वाला एन्थैल्पी परिवर्तन। दहन सदैव ऊष्माक्षेपी होता है (ΔcH° ऋणात्मक)।
- कणन एन्थैल्पी (Enthalpy of Atomization, ΔaH°): किसी पदार्थ के 1 मोल को गैसीय अवस्था में उसके परमाणुओं में तोड़ने के लिए आवश्यक एन्थैल्पी परिवर्तन।
- आबंध वियोजन एन्थैल्पी (Bond Dissociation Enthalpy, ΔbondH°): गैसीय अवस्था में किसी विशेष प्रकार के 1 मोल सहसंयोजी आबंधों को तोड़कर गैसीय उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक ऊर्जा।
- विलयन एन्थैल्पी (Enthalpy of Solution, ΔsolH°): किसी विलेय के 1 मोल को विलायक की निश्चित मात्रा में घोलने पर होने वाला एन्थैल्पी परिवर्तन।
- उदासीनीकरण एन्थैल्पी (Enthalpy of Neutralization, ΔneutH°): तनु विलयन में 1 ग्राम-तुल्यांक अम्ल का 1 ग्राम-तुल्यांक क्षार द्वारा पूर्ण उदासीनीकरण होने पर उत्सर्जित ऊष्मा। प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार के लिए इसका मान स्थिर (-57.1 kJ/mol) होता है।
9. हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन का नियम (Hess's Law of Constant Heat Summation)
- कथन: यदि कोई रासायनिक अभिक्रिया एक या अधिक पदों में होती है, तो अभिक्रिया का कुल एन्थैल्पी परिवर्तन समान रहता है, चाहे अभिक्रिया एक पद में हो या अनेक पदों में।
- यह ऊर्जा संरक्षण पर आधारित है और एन्थैल्पी के अवस्था फलन होने का परिणाम है।
- अनुप्रयोग: उन अभिक्रियाओं की एन्थैल्पी ज्ञात करने में उपयोगी जिन्हें सीधे मापना कठिन होता है (जैसे विरचन एन्थैल्पी, संक्रमण एन्थैल्पी)।
10. स्वतःप्रवर्तिता (Spontaneity)
- स्वतःप्रवर्तित प्रक्रम (Spontaneous Process): वह प्रक्रम जो किसी बाह्य कारक की सहायता के बिना स्वयं हो सकता है या आरंभ करने के बाद स्वयं जारी रहता है। उदाहरण: ऊँचाई से पानी का गिरना, ऊष्मा का गर्म वस्तु से ठंडी वस्तु की ओर प्रवाह।
- अस्वतःप्रवर्तित प्रक्रम (Non-spontaneous Process): वह प्रक्रम जो स्वयं नहीं हो सकता, इसे सम्पन्न कराने के लिए बाह्य ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- स्वतःप्रवर्तिता के लिए प्रेरक बल:
- ऊर्जा में कमी की प्रवृत्ति (एन्थैल्पी का ऋणात्मक होना, ΔH < 0) - ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएं सामान्यतः स्वतः होती हैं, पर यह एकमात्र कसौटी नहीं है।
- अव्यवस्था या यादृच्छिकता (randomness) में वृद्धि की प्रवृत्ति।
11. एन्ट्रापी (Entropy, S)
- किसी निकाय की अव्यवस्था या यादृच्छिकता की माप एन्ट्रापी कहलाती है।
- यह एक अवस्था फलन और मात्रात्मक गुण है।
- अव्यवस्था बढ़ने पर एन्ट्रापी बढ़ती है (ΔS > 0)।
- ठोस < द्रव < गैस (एन्ट्रापी का क्रम)
- ताप बढ़ाने पर एन्ट्रापी बढ़ती है।
- गैसों के मिश्रण पर एन्ट्रापी बढ़ती है।
- अभिक्रिया में गैसीय मोलों की संख्या बढ़ने पर एन्ट्रापी बढ़ती है।
- एन्ट्रापी परिवर्तन (ΔS): ΔS = Sअंतिम - Sप्रारंभिक
- उत्क्रमणीय प्रक्रम के लिए, ΔS = qrev / T
12. ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Second Law of Thermodynamics)
- कथन: किसी स्वतःप्रवर्तित प्रक्रम के लिए ब्रह्मांड (निकाय + परिवेश) की कुल एन्ट्रापी सदैव बढ़ती है।
- ΔSकुल = ΔSनिकाय + ΔSपरिवेश > 0 (स्वतःप्रवर्तित प्रक्रम के लिए)
- ΔSकुल = 0 (साम्यावस्था के लिए)
- यह नियम स्वतःप्रवर्तिता की दिशा बताता है।
13. गिब्स ऊर्जा (Gibbs Energy, G)
-
स्थिर ताप और दाब पर किसी निकाय द्वारा किए जा सकने वाले उपयोगी कार्य की माप गिब्स ऊर्जा है।
-
यह एक अवस्था फलन और मात्रात्मक गुण है।
-
परिभाषा: G = H - TS
-
गिब्स ऊर्जा परिवर्तन (ΔG): स्थिर ताप और दाब पर, ΔG = ΔH - TΔS
-
गिब्स ऊर्जा परिवर्तन और स्वतःप्रवर्तिता: स्थिर ताप और दाब पर किसी प्रक्रम की स्वतःप्रवर्तिता की कसौटी ΔG है:
- ΔG < 0 (ऋणात्मक): प्रक्रम स्वतःप्रवर्तित होगा।
- ΔG > 0 (धनात्मक): प्रक्रम अस्वतःप्रवर्तित होगा (विपरीत दिशा में स्वतःप्रवर्तित)।
- ΔG = 0: निकाय साम्यावस्था में है।
-
ΔH, ΔS और T का प्रभाव:
- ΔH (-), ΔS (+): ΔG सदैव (-), प्रक्रम सभी ताप पर स्वतःप्रवर्तित।
- ΔH (+), ΔS (-): ΔG सदैव (+), प्रक्रम सभी ताप पर अस्वतःप्रवर्तित।
- ΔH (-), ΔS (-): कम ताप पर ΔG (-), प्रक्रम स्वतःप्रवर्तित। उच्च ताप पर ΔG (+), अस्वतःप्रवर्तित।
- ΔH (+), ΔS (+): कम ताप पर ΔG (+), अस्वतःप्रवर्तित। उच्च ताप पर ΔG (-), प्रक्रम स्वतःप्रवर्तित।
14. गिब्स ऊर्जा परिवर्तन और साम्यावस्था (Gibbs Energy Change and Equilibrium)
- किसी अभिक्रिया के लिए मानक गिब्स ऊर्जा परिवर्तन (ΔrG°) और साम्यावस्था स्थिरांक (K) के बीच संबंध:
- ΔrG° = - RT ln K
- या, ΔrG° = - 2.303 RT log K
- यदि ΔrG° < 0, तो K > 1 (उत्पाद अधिक स्थायी, अग्र अभिक्रिया स्वतः)
- यदि ΔrG° > 0, तो K < 1 (अभिकारक अधिक स्थायी, पश्च अभिक्रिया स्वतः)
- यदि ΔrG° = 0, तो K = 1 (साम्यावस्था)
15. ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम (Third Law of Thermodynamics)
- कथन: परम शून्य ताप (0 K) पर किसी पूर्ण क्रिस्टलीय ठोस की एन्ट्रापी शून्य होती है।
- यह एन्ट्रापी के परम मान की गणना के लिए एक संदर्भ बिंदु प्रदान करता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा एक अवस्था फलन नहीं है?
(a) आंतरिक ऊर्जा (U)
(b) एन्थैल्पी (H)
(c) कार्य (W)
(d) एन्ट्रापी (S)
प्रश्न 2: ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का गणितीय रूप है:
(a) ΔH = ΔU + PΔV
(b) ΔU = q + W
(c) ΔG = ΔH - TΔS
(d) PV = nRT
प्रश्न 3: एक विलगित निकाय के लिए, निम्नलिखित में से कौन सा सत्य है?
(a) q = 0, W ≠ 0
(b) ΔU = 0
(c) द्रव्यमान का विनिमय होता है, ऊर्जा का नहीं
(d) q = 0, W = 0, ΔU = 0
प्रश्न 4: स्थिर दाब पर अवशोषित या उत्सर्जित ऊष्मा कहलाती है:
(a) आंतरिक ऊर्जा परिवर्तन (ΔU)
(b) एन्थैल्पी परिवर्तन (ΔH)
(c) एन्ट्रापी परिवर्तन (ΔS)
(d) गिब्स ऊर्जा परिवर्तन (ΔG)
प्रश्न 5: अभिक्रिया N2(g) + 3H2(g) ⇌ 2NH3(g) के लिए, ΔH और ΔU के बीच सही संबंध है:
(a) ΔH = ΔU
(b) ΔH = ΔU - 2RT
(c) ΔH = ΔU + 2RT
(d) ΔH = ΔU - RT
प्रश्न 6: किसी स्वतःप्रवर्तित प्रक्रम के लिए, ब्रह्मांड की कुल एन्ट्रापी:
(a) घटती है
(b) बढ़ती है
(c) स्थिर रहती है
(d) शून्य होती है
प्रश्न 7: स्थिर ताप और दाब पर किसी प्रक्रम की स्वतःप्रवर्तिता के लिए शर्त है:
(a) ΔS > 0
(b) ΔH < 0
(c) ΔG = 0
(d) ΔG < 0
प्रश्न 8: हेस का नियम आधारित है:
(a) ऊर्जा संरक्षण पर
(b) द्रव्यमान संरक्षण पर
(c) ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम पर
(d) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 9: मानक अवस्था में तत्वों की मानक विरचन एन्थैल्पी (ΔfH°) का मान होता है:
(a) धनात्मक
(b) ऋणात्मक
(c) शून्य
(d) इकाई
प्रश्न 10: साम्यावस्था स्थिरांक (K) और मानक गिब्स ऊर्जा परिवर्तन (ΔrG°) के बीच संबंध है:
(a) ΔrG° = RT ln K
(b) K = e-ΔG°/RT
(c) ΔrG° = - RT ln K
(d) (b) और (c) दोनों सही हैं
उत्तर कुंजी (Answer Key):
- (c) कार्य (W)
- (b) ΔU = q + W
- (d) q = 0, W = 0, ΔU = 0
- (b) एन्थैल्पी परिवर्तन (ΔH)
- (b) ΔH = ΔU - 2RT (Δng = 2 - (1+3) = -2)
- (b) बढ़ती है
- (d) ΔG < 0
- (a) ऊर्जा संरक्षण पर
- (c) शून्य
- (d) (b) और (c) दोनों सही हैं (क्योंकि ΔrG° = - RT ln K को K = e-ΔG°/RT के रूप में भी लिखा जा सकता है)
इन नोट्स का अच्छी तरह से अध्ययन करें और दिए गए प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें। ऊष्मागतिकी के सिद्धांतों को समझने के लिए सूत्रों और उनकी शर्तों को याद रखना महत्वपूर्ण है। शुभकामनाएँ!